Saturday, November 28, 2020

खुलफाएं राशिदीन का बयान

🕳️हज़रते उमर फारूक आज़म का बयान🕳️



*हज़रते उमर फारूक आज़म का बयान पोस्ट(1)* ◆_____________________________________◆

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की विलायत किस सन् में हुई?
*जवाब- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की विलायत आमूल फ़ील के तेरह साल बाद मुहर्रम की चांद रात को हुई।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा915)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का लक़ब"फ़ारूक़"क्यों हुआ?
*जवाब- आपका लक़ब फ़ारूक़ होने का वाकिया यूँ है कि एक यहूदी और एक मुनाफ़िक़ के दरमियान जमीन की सैराबी पर झगड़ा हुआ और मामला बारगाहे रिसालत में पेश हुआ नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने वाकिया को सुनने के बाद यहूदी के हक़ में फैसला दिया मुनाफ़िक़ ने वह फैसला न माना और यहूदी से कहा हज़रत उमर (फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु)के पास दौबारा फैसला कराए दोनों ने हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास आकर मामला रखा यहूदी ने अव्वल फैसले की भी खबर दी की हुज़ूर(सल्लाल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम)ने यह फैसला सादिक़ फ़रमाया है लेकिन इसने ये फैसला न माना और मुझे आपके पास ले आया हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने यह सुनकर फ़रमाया कि अब में ऐसा फैसला करूँगा की इसको इन्कार करने का मौका ही नही मिलेगा यह कहकर आप घर में गए और तलवार लाकर उस मुनाफ़िक़ का सर कलम कर दिया फ़रमाया जो अल्लाह के रसूल(सल्लाल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम)का फैसला न माने उसका मेरे यहाँ यही अंजाम है नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने जब इस वाकिए को सुना तो हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को"फ़ारूक़"के लक़ब से नवाजा की उनके इस अमल से हक़ व बातिल में फ़र्क़ हो गया।*
(खाज़िन सफ़्हा397)
*एक कौल यह भी है कि इसके बाद हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम हाज़िर खिदमत रिसालत हुए और आपका लक़ब फ़ारूक़ रखा दूसरा कौल यह है कि हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जिस दिन मुशर्रफ इस्लाम हुए उसी दिन मस्जिद हराम में अल्ल ऐलान की गई तब नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने आपको इस लक़ब से नवाजा।*
(हाशिया14जलालैन300)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने किस सन् में इस्लाम कुबूल किया और उस वक़्त आपकी उम्र कितनी थी?
*जवाब- आप सन्6नब्वी को सत्ताईस साल की उम्र में इस्लाम से मुशर्रफ हुए और बाज़ ने 5नब्वी कहा है।*
(तारीखुल खुल्फा सफ़्हा109/अस्मार्रिजाल मिश्कात सफ़्हा602)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के इस्लाम लाने के वक़्त तक कितने लोग मुस्लमान हो चुके थे?
*जवाब- जब आप इस्लाम के दायरे में दाखिल हुए तो उस वक़्त तक तैसीस मर्द और छह औरतें इस्लाम कुबूल कर चुकी थी दूसरा कौल यह है कि चालीस मर्द और तेईस औरतें इस्लाम ला चुकी थी तीसरा कौल यह है कि उन्तालीस मर्दों और तेईस औरतों के बाद इस्लाम कुबूल किया चौथा कौल यह है कि पैतालीस मर्द और ग्यारह औरतों के बाद आप इस्लाम से मुशर्रफ हुए पाँचवा कौल यह है कि आप से पहले चालीस मर्द और ग्यारह औरतें इस्लाम से मुशर्रफ हो चुकी थीं।*
(ख़ज़ाइनुल इरफ़ान ज़िल्द10सफ़्हा4/अस्मार्रिजाल मिश्कात सफ़्हा602)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)


*हज़रते उमर फारूक आज़म का बयान पोस्ट(2)* ◆____________________________________◆

सवाल- हज़रते उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने कितनी शादियाँ कीं?
*जवाब- आपका पहला निक़ाह जमाना जाहिलियत में जैनब बिन्ते मज़ऊन से हुआ था जिनके बतन से अब्दुल्लाह, अब्दुर्रहमान और हज़रत हफ़सा रज़ियल्लाहु अन्हुम पैदा हुई हज़रत जैनब रज़ियल्लाहु तआला अन्हा मक़्क़ा में ही ईमान लायी और वही आपका इंतिक़ाल हुआ दूसरा निक़ाह जमाना-ए-जाहिलियत के जमाने में ही मलिका बिन्ते जरुल से किया जिससे अब्दुल्लाह पैदा हुए क्योंकि यह बीवी ईमान न लायी इसलिये सन्6हिज़री में उसको तलाक़ दे दी तीसरा बीवी करीबा बिन्ते उमैया मख्ज़ुमी थी जिससे जमाना-ए-जाहिलियत में ही निक़ाह किया और सन्6हिज़री के बाद सुलह हुदैबिया में इस्लाम न लाने की वजह से तलाक़ दे दी चौथा निक़ाह इस्लाम के ज़माने में उम्मे हकीम बिन्ते हारिस बिन हिशाम मख्ज़ुमी से किया जिसके बतन से फातिमा पैदा हुई पाँचवा निक़ाह मदीना मुनव्वरा आकर सन्7हिज़री में जमीला बिन्ते आसिम बिन साबित से किया जिनके बतन से आसिम पैदा हुए लेकिन उसको भी किसी भी किसी वजह से तलाक़ दे दी छठा निक़ाह सन्7हिज़री में उम्मे कुलसुम बिन्ते अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम से किया उसके बतन से रुकैया और जैद पैदा हुए और् आतिका बिन्ते जैद बिन उमरू जो आपकी चचाज़ाद बहन थी और फकीहा यमीना भी हज़रत उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बीवियों में शुमार की जाती हैं फकीहा के बारे में बाज़ ने लिखा है कि वह लोड़ी थीं उसके बतन से अब्दुर्रहमान और अवसर पैदा हुए।*
(तारिख-ए-इस्लाम ज़िल्द1सफ़्हा366)

सवाल- हज़रते उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के कातिल का नाम क्या है और आपकी शहादत का वाकिया क्या है?
*जवाब- आपकी शहादत का वाकिया इस तरह है कि मदीना तैय्यबा में मुगेरा बिन शोबा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का एक नसरानी गुलाम रहता था जिसका नाम फ़ैरूज़ था और कुन्नियत अबु लूलू उसने एक दिन बाजार में आपसे शिकायत की कि मेरा आक़ा मुगेरा मुझसे ज्यादा महसूस लेता है आप कम करा दीजिये हज़रते उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने उससे पूछा किस कद्र महसूस वह वसूल करता है अबु लूलू ने कहा दो दिरहम रोज़ाना आपने दरयाफ़्त फ़रमाया तू क्या काम करता है उसने कहा लौहार लक्काशी और बढ़ई गिरी आपने फ़रमाया की इन कामों के मुकाबले में यह रक़म ज्यादा नही है यह सुनकर अबु लूलू अपने दिल में सख्त नाराज़ हुआ फिर हज़रते उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने उससे मुखातिब होकर फ़रमाया की मैने सुना है कि तू ऐसी चक्की बनाना जानता है जो हवा के जरिए चलती है तू मुझको भी ऐसी चक्की बना दे उसने जवाब में कहा बहुत खूब मै ऐसी चक्की बना दूँगा जिसकी आवाज़ अहले मुशरिक व मगरिब सुनेंगें दूसरे दिन नमाज़े फ़ज़्र के लिए लोग मस्जिद में जमा हुए अबु लूलू एक खंज़र लिए हुए मस्ज़िद में दाखिल हो गया जब नमाज़ के लिए सफें सही हो गही और हज़रते उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु इमामत के लिए आगे बढ़कर नमाज़ शुरू कर चुके तो अबु लूलू ने निकलकर हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु पर खंज़र के छह वार किए जिनमे एक वार नाफ़ के नीचे पड़ा अबु लूलू मस्जिदे नब्बी से भागा लोगों ने उसे पकड़ने की कोशिश की उसने कई शख्सों को जख्मी किया और कलीब इब्ने अबी बकीर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को शहीद कर दिया आखिर वह गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन उसने गिरफ्तार होते ही खुदकशी कर ली और जब आपको खंज़र का ज़ख्म लगा तो आपकी जबान मुबारक़ पर यह जुमला था"व कान अमरुल्लाहि कदरन मकदूर"।*
(तारीख इस्लाम सफ़्हा364/अवराके गम सफ़्हा196)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)


*हज़रते उमर फारूक का बयान पोस्ट(3)आखिरी* ◆____________________________________◆

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जिस नमाज़ के दौरान जख्मी हुए उस नमाज़ को मुकम्मल किसने कराया?
*जवाब- आप जब हालते नमाज़ में जख्मी हुए तो आपने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ को खींचकर अपनी जगह खड़ा कर दिया और जख्मों के सदमे में गिर पड़े हज़रत अब्दुर्रहमान ने उन लोगों को इस हालत में नमाज़ पढ़ाई की हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु सामने तड़प रहे थे।*
(तारीख़े इस्लाम ज़िल्द1सफ़्हा364)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु किस तारीख को जख्मी हुए और किस तारीख को शहादत के मर्तबे पर फ़ाइज़ होकर दफन हुए?
*जवाब- आप छब्बीस ज़िल्हिज़्ज़ा23हिज़री को जख्मी होकर यकुम मुहर्रम सन्24हिज़री विसाल फ़रमाकर दफन हुए।*
(अस्मार्रिजाल मिश्कात सफ़्हा602)
*दूसरी रिवायत में है कि आप छह ज़िल्हिज़्ज़ा23हिज़री को जख्मी हुए थे।*
(नज़हतुल मज़ालिस ज़िल्द10सफ़्हा107)
*तीसरी रिवायत में है कि आप छह ज़िल्हिज़्ज़ा23हिज़री को जख्मी हुए और यकुम मुहर्रम24हिज़री को बरोज़ हफ्ते को विसाल फ़रमाया दफन हुए।*
(तारीख इस्लाम ज़िल्द1सफ़्हा366)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला की नमाज़े ज़नाज़ा किसने पढ़ाई और क़ब्र में किस किस से उतारा?
*जवाब- आपकी नमाज़े ज़नाज़ा हज़रत सुहैब रूमी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने पढ़ाई और क़ब्र में हज़रत उस्माने ग़नी हज़रत अली हज़रत जुबैर और हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ और हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से उतारा।*
(अस्मार्रिजाल सफ़्हा602/तारीख़े इस्लाम ज़िल्द1सफ़्हा366)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की मुद्दते खिलाफत कितनी रही?
*जवाब- आपकी मुद्दते खिलाफत दस साल और छह माह रही।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा915)
*एक कौल के मुताबिक़ दस साल छह माह तेरह दिन और एक कौल के मुताबिक दस साल छह माह पाँच रातें है।*
(हयातुल हैवान ज़िल्द2सफ़्हा92)
*एक रिवायत में है कि दस साल छह माह और दस रोज़ रही है।*
(नज़हतुल मज़ालिस ज़िल्द10सफ़्हा107)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की खिलाफत के जमाने में कितने शहर फ़तेह हुए और कितनी मस्जिदें तामीर हुई?
*जवाब- आपकी खिलाफत के जमाने में एक हज़ार छत्तीस शहर और और उसके कसबात और देहात के साथ फ़तेह हुए चार हज़ार मस्जिदें तामीर हुई चार हज़ार बुत खाने और आतिश कदे ढहे और एक हज़ार नो सौ मिम्बर जवामे में रखे गए।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा915)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बीमारी में कितने दिन नमाज़ों की इमामत की?
*जवाब- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की इजाज़त से उसकी बीमारी के दिनों में पन्दरह रोज़ नमाज़ों की इमामत फरमाई।*
(अवराके ग़म सफ़्हा189)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की मुहर पर क्या लिखा हुआ था?
*जवाब- आपकी मुहर मुबारक़ पर"व कफा बिन मोति वाअइज़ा"खुदा हुआ था।*
(अवराके ग़म सफ़्हा196)

सवाल- हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की उम्र शरीफ कितनी हुई?
*जवाब- आपकी उम्र शरीफ तिरेसठ साल हुई।*
(अस्मार्रिजाल मिश्कात सफ़्हा602)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)









🕳️हज़रते अबु बक़्र का बयान🕳️


*हज़रते अबु बक़्र का बयान पोस्ट(1)* ◆____________________________________◆
सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की विलायत किस सन में हुई?
*जवाब- आपकी विलायत हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलायते मुबारक़ से दो साल और चंद माह बाद हुई।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा914)
*एक रिवायत में है कि आपकी विलायत अम्मुल फील के तीन साल बाद हुई सन्574ई० में।*
(अल कामिल फ़ी तारीख़ ज़िल्द2सफ़्हा175)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के वालिद और वालिदा का नाम क्या है?
*जवाब- आपके वालिद मोहतरम का नाम उस्मान बिन आमिर है कुन्नियत अबु कहाफ़ा है और वालिदा साहिबा का नाम सलमा बिन्ते सखर कुन्नियत अम्मुल खैर है।*
(अस्माउर्रिजाल मिस्कात सफ़्हा603/अवरके ग़म सफ़्हा192व179)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का असली नाम क्या है और जमानाए जाहिलियत में आपका नाम क्या था?
*जवाब- जमानाए जाहिलियत में आपका नाम अब्दुल काबा या अब्दुल रब्बुल काबा था जब आपने इस्लाम कुबूल किया तो हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने आपका नाम अब्दुल्लाह रखा(यह आप का असल नाम है)एक कौल है कि अतीक रखा।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा915)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का लक़ब सिद्दीक़ और अतीक़ क्यों हुआ?
*जवाब- आपका लक़ब सिद्दीक़ इस वजह से हुआ की आपने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की सदाकत पर आपने तस्दीक़ को लाज़िम जाना।*
(मदारिजुन्नबुववत ज़िल्द2सफ़्हा915)
*या इस वजह से की जब नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेराज़ से बापस तशरीफ़ लाए और सुबह हुई तो आपने लोगों से इसका ज़िक्र फ़रमाया तो कमज़ोर ईमान वाले लोग इस पर मूरतिद हो गए और कुछ मुशिरकीन दौड़कर हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास पहुँचे और कहने लगे की कुछ अपने यार और रफीक की खबर है कि वह क्या कहते हैं वह फरमाते हैं आज रात मुझे बैतूल मुक़द्दस ले जाया गया हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने दरयाफ़्त फ़रमाया क्या यक़ीनन ऐसा फरमाते हैं मुशरि कीन के कहा हाँ यही फरमाते हैं तो हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया फिर तो वह जो कुछ फरमाते हैं ठीक ही फरमाते हैं में इस पर ईमान लाता हूँ आपने बिला हील व हुज़्ज़त वाकिया मैराज की तस्दीक की लिहाज़ा उसी दिन से आपका लक़ब सिद्दीक़ मश्हूर हो गया।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा310)
*एक रिवायत यह भी है कि जब आप नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैराज से तसरीफ लाए तो सुबह सुबह आपको अबु जहल मिल गया तो अबु जहल ने पूछा आज कोई खबर है तो आपने फ़रमाया आज मेरी मैराज हुई है मैने बैतूल मुक़द्दस से लेकर सातों आसमान सातों जमीन और जन्नत दोज़ख़ देखी उसपर अबु जहल ये कहा आज मोहम्मद(सल्लाल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम)केसी बात कह रहे हैं और आगे बढ़ गया रास्ते में हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मिल गाहे और आपको बताने लगा की आज मोहम्मद(सल्लाल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम)यह कह रहे हैं की उनकी आज मैराज हुई है और उन्होंने बैतूल मुक़द्दस से लेकर अर्शे आज़म तक सब जगह का मुलाहिज़ा किया है तो उसपर हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु कहते हैं अगर यह बात कोई और कहता तो में हरगिज़ नही मानता लेकिन यह बात मेरे सरकार ने कही है तो में गवाही देता हूँ जो कुछ मेरे आक़ा ने फ़रमाया है वह सब सच है जब ये बात हुज़ूर सलल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम को मालूम हुई तो आपने फ़रमाया ए अबु बकर तुम सिद्दीक़ हो अबु हकम को अबु जहल का लक़ब मिला।*
(मअरिजुन्नबुव्वत ज़िल्द3सफ़्हा151)
*और अतीक़ लक़ब इस वजह से मिला की तिर्ज़िमी शरीफ में मरवी है कि रसूल अल्लाह सल्लाल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो चाहता है कि ऐसे आदमी को देखे जो जहन्नम से आज़ाद है तो उससे चाहिये कि अबु बकर को देखे इस लिये आपका लक़ब अतीक़ हुआ बाज़ कहते है कि हुस्न व जमाल की वजह से आपका लक़ब अतीक़ हुआ और बाज़ का कौल है कि आपका लक़ब अतीक़ इस बिना पर था कि आपके नसब में कोई बात ऐसी न थी जिससे आपपर ऐब लगाया जाता क्योंकि आप पहले ही से खैर पर थे इस लिये आपका लक़ब अतीक़ हुआ।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा914)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)


◆____________________________________◆ *हज़रते अबु बक़्र का बयान पोस्ट(2)आखिरी* ◆____________________________________◆
सवाल- इस्लाम कुबूल करने के वक़्त हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु अन्हु की उम्र शरीफ कितनी थी?
*जवाब- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु अन्हु की उस वक़्त आपकी उम्र शरीफ सैतीस या अड़तीस साल की थी।*
(अवराके ग़म सफ़्हा180)

सवाल- नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की ज़ाहिरी ज़िन्दगी में हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु अन्हु ने कितनी नमाज़े पढ़ाई।
*जवाब- सत्तरा नमाज़े पढ़ाई।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा715)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु अन्हु जब ख़लीफ़ा हुए तो सबसे पहले किसने आपसे बैअत की?
*जवाब- जब आप ख़लीफ़ा मुन्तख़ब हुए तो सबसे पहले हज़रत उमर फारूके आज़म राज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने आपकी बैअत की फिर सहाबा किराम राज़ियल्लाहु तआला अन्हुम ने आपकी खिलाफत पर इज़्मा और इत्तिफ़ाक़ किया।*
(तफ़्सीर अमल नशरह सफ़्हा109)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु अन्हु ने कितने निक़ाह(शादियाँ)की?
*जवाब- जमाना-ए-जाहिलियत में आपने दो निक़ाह किए अव्वल कबीला बिन्ते अब्दुल उज़्ज़ा से और दूसरा अक़्द हज़रत उम्मे रुमाल वअद बिन्त आमिर से और बादे इस्लाम मदीना मैय्यबा में दो निक़ाह किए पहला हज़रत असमा बिन्ते उमैस से जो हज़रत जाफ़र बिन अबी तालिब राज़ियल्लाहु तआला अन्हु(यह जंग-ए-मौत के वक़्त शहीद हुए)की बीवी थी दूसरा हबीबा बिन खारज़ा से पहली बीवी से एक बेटा अब्दुल्लाह पैदा हुए और एक बेटी असमा हुई दूसरी बीवी से एक बेटा अब्दुर्रहमान और हज़रत आएशा सिद्दीका पैदा हुई तीसरी बीवी से एक बेटा मोहम्मद बिन अबु बक़्र पैदा हुए और चौथी बीवी से जो आपके बिसाल के वक़्त हामला थीं आपने इंतिक़ाल के बाद उम्मे कुलसूम पैदा हुई आपकी पहली बीवी आपकी ज़िन्दगी में ही इन्तिक़ाल फरमा गही बाकी आपके विसाल के बाद ज़िंदा रहीं एक बेटे अब्दुल्लाह आपकी ज़िन्दगी में इन्तिक़ाल कर गए थे दो बेटे दो बेटियाँ आपके इन्तिक़ाल के बाद ज़िंदा रहीं।*
(अवराके ग़म सफ़्हा190)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु अन्हु को जहर किसने दिया था और आप कितने दिन मर्ज़ुल वफ़ात में मुब्तला रहे?
*जवाब- बाज़ ने कहा है वफ़ात से एक साल पहले"अल हसुद"नामी एक औरत ने आपको चावल में जहर दे दिया आपने हारिस बिन कुलदा के साथ वह खाना खाया हारिस तबीब थे उन्होंने जहर को महसूस करके आपसे अर्ज़ किया इस खाने में यक़ीनन जहर था और यह जहर ऐसा है कि एक साल बाद इसका असर जाहिर होगा मुमकिन है कि आप और हम एक ही दिन दुनिया से रुखसत हों अक्सर मोर्रिखों का बयान है कि पेशगोई के मुताबिक आप और हारिस दोनों ने एक ही तारीख़ में इन्तिक़ाल फ़रमाया बाज़ ने कहा है कि आपने गर्मी की ज्यादती की वजह से सर्द हवा में ठंडे पानी से ग़ुस्ल फ़रमाया जिससे आपको बुखार हुआ और पन्दरह दिन बुखार में मुब्तला रहकर आलम विसाल की तरफ कूच फ़रमाया।*
(अल कलमिल फ़ी तारीख़ ज़िल्द2सफ़्हा175/अवराके गम सफ़्हा189)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु अन्हु का विसाल किस दिन और किस तारीख़ को हुआ?
*जवाब- आपने28जमादिउल उखरा मंगल13हिज़री मंगल की रात को हुआ।*
(अल क़ामिल फ़ि तारीख ज़िल्द2सफ़्हा175)
*दूसरी रिवायत के मुताबिक22और23जमादिउस्सानी13हिज़री की दरमियानी जो शब सह शंब थी बाद नमाज़ मगरिब आपका विसाल हुआ।*
(असाउर्रिज़ाल मिश्कात सफ़्हा587/नज़हतुल मज़ालिस ज़िल्द10सफ़्हा105)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु तआला अन्हु की नमाज़े ज़नाज़ा किसने पढ़ाई और आपको किस तख़्त पर उठाया गया।
*जवाब- आपको उस तख़्त पर उठाया गया जिस पर रसूलुल्लाह सल्लाल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम आराम फ़रमाया करते थे और इसी तख़्त पर आपको भी उठाया गया था और आपकी नमाज़े ज़नाज़ा हज़रत उमर फारूके आज़म राज़ियल्लाहु अन्हु ने नमाज़ पढ़ाई।*
(अल क़ामिल फ़ी तारीख ज़िल्द2सफ़्हा76/नज़हतुल मज़ालिस ज़िल्द10सफ़्हा105)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु तआला अन्हु को ग़ुस्ल किसने दिया और आपकी क़ब्र में कौन कौन दाखिल हुए?
*जवाब- आपको ग़ुस्ल आपकी वसीयत के मुताबिक आपकी ज़ोजा मोहतरमा असमा बिन्ते उमैस रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम ने दिया।*
(असाउर्रिज़ाल मिश्कात सफ़्हा587/नज़हतुल मज़ालिस ज़िल्द10सफ़्हा105)
*और आपके बेटे हज़रत अब्दुर्रहमान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने उनकी मदद की।*
(अवराके गम)
*और आपकी क़ब्र में हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ हज़रत उमर फारूके आज़म और हज़रत उस्माने ग़नी और हज़रत तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु दाखिल हुए।*
(अल क़ामिल फ़ि तारीख ज़िल्द2सफ़्हा76/नज़हतुल मज़ालिस ज़िल्द10सफ़्हा105)

सवाल- हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ राज़ियल्लाहु तआला अन्हु की मुद्दते खिलाफत किसानी रही और आपकी उम्र कितनी हुई?
*जवाब आपकी मुद्दते खिलाफत दो साल तीन माह आठ दिन रही।*
(हयातुल हैवान ज़िल्द1सफ़्हा86)
*दूसरा कौल यह है कि दो साल चार माह।*
(अस्मार्रिजाल मिश्कात सफ़्हा587)
*तीसरा कौल दो साल तीन माह छब्बीस दिन का और चौथा कौल दो साल तीन माह दस दिन का है।*
(अवराके ग़म सफ़्हा190)
*और आपकी उम्र शरीफ तिरेसठ साल हुई।*
(अस्मार्रिजाल मिश्कात सफ़्हा587/मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द सफ़्हा914)
◆________________________________◆
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)









🕳️हज़रते अली मुर्तजा का बयान 🕳️


*हज़रते अली मुर्तजा का बयान पोस्ट(1)* ◆____________________________________◆
सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु की विलायत किस दिन और किस तारीख को हुई?
*जवाब- आपकी विलायत मक्का मुअज्जमा में आमुल फील के तीस साल बाद बरोज जुमा 13रजब को हुई।*
(अवराके ग़म सफ्हा146/नजहतुल मजालिस जिल्द11सफ्हा5)

सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु के वालिद और वालिदा का नाम क्या है?
*जवाब- आपके वालिद का नाम अबु तालिब और वालिदा का नाम फातिमा बिन्ते असद है।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ्हा917)

सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु की विलायत किस जगह हुई और आपकी विलायत का वकिया क्या है?
*जवाब- अहले सैर कहते हैं आपकी विलायत जौफें काबा मे हुई आपकी विलायत का वकिया खुद आपकी वालिदा साहिबा यून बयान करती है में खाना-ए-काबा में तवाफ में मशगूल थी तीन चक्कर इत्मीनान से पूरे कर चूंकि थी चौथा चक्कर कर रही थी कि दर्दे जह शुरू हुआ हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने मेरे चेहरे के बदलाव से मुझे पहचाना और फरमाया क्या बात है जो आपका रंग बदल रहा है मेने अर्जे हाल किया हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया तवाफ पूरा करलो अगर इसी हालत मे दर्द बढ़ जाए तो अंदरूने काबा मे चली जाना कि इस में कोई हिम्मते इलाही है*
*साहिबे बशाइरूल मुस्तफा नक़ल फ़रमाते हैं कि हजरते अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब और चंद कबीला बनी अब्दुल उज़्ज़ा के लोगों के साथ मस्जिदे हराम में बैठे हुए थे कि फातिमा बिन्ते असद रजियल्लाहु तआला अन्हा मस्जिद में आयीं और उनको नवां महीना था जब वह मशगूले तवाफ हुई तो चौथे चक्कर में चलने की कुव्वत न रही तो आप पुकारने लगीं ऐ खुदा वंदे काबा काबे की हुरमत से इस विलायत को मुझपर आसान फरमा एक लख्त दीवार काबा शक़ हुई और फ़ातिमा बिन्ते असद अंदरूने काबा तशरीफ ले गयीं और हमारी नज़रो से गायब हो गई हमने अंदरूने काबा आपको तलाश किया मगर न मिलीं चौथे रोज आप खाना-ए-काबा से बाहर तशरीफ लायीं और हजरत अली रजियल्लाहु तआला अन्हु को गोद में लिए हुए थीं।*
(अवराके ग़म सफ़्हा148)

सवाल- हज़रते अली रजियल्लाहु तआला अन्हु का अली और हैदर किसने रखा?
*जवाब- अहले सैर कहते हैं कि आपकी वालिदा ने हैदर रखा जब अबु तालिब तशरीफ लाए तो उन्होंने यह नाम नापसंद किया और आपका नाम अली रखा और हुजूरे अनवर सल्ललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने आपका नाम सिद्दीक रखा जैसा कि रियाजुन्नजर में है।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2 सफ़्हा917)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)


*हज़रते अली मुर्तजा का बयान पोस्ट(2)* ◆____________________________________◆
सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु इज्हारे नबुव्वत के कितने दिनों बाद इस्लाम से मुशर्रफ हुए और उस वक़्त आपकी उम्र क्या थी?
*जवाब- अबू याअला ने हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की है कि उन्होंने फरमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने पीर के दिन इज्हारे नबुव्वत फरमाया और में पीर को ही इस्लाम लाया उस वक़्त आपकी उम्र दस या आठ साल की थी जैसा कि अल्लामा स्युती रहमतुल्लाह अलैहि ने नक्ल किया है वाज़ का ख़्याल है कि पन्द्रह साल की थी और वाज़ का चौदह साल और एक कौल सोलह साल भी है।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा917/असमाउर्रिजाल मिश्कात सफ़्हा602)

सवाल- हज़रते अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की कुन्नियत"अबु तुराब होने का वकिया क्या है?
*जवाब- आपकी कुन्नियत अबु तुराब होने का वकिया यूं है कि हज़रत अम्मार बिन यासिर रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैं और हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु ग़ज़वाए अशीरा मे खजूर के एक पेड़ की जड़ में सो रहे थे वह जमीन रेतीली थी और हम गर्दआलूद हो गए थे फिर हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हमारे सिरहाने तशरीफ लाए और हमे जगाया और हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु से फरमाया उठ ऐ"अबु तुराब"लेकिन आपकी कुन्नियत अबु तुराब मशहूर होने का किस्सा यह है कि जिसे बुखारी व मुस्लिम मे हजरत सहल बिन साअद रजियल्लाहु तआला अन्हु से नक्ल किया है कि हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु के घर हजरत फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा के पास तशरीफ लाए इससे पहले हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु घर से बाहर तशरीफ लाकर मस्जिद में सो गए थे हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने सैय्यदा फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा से फरमाया तुम्हारे इब्ने आम यानी अली मुर्तजा कहाँ हैं हजरत फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा ने अर्ज किया मेरे और उनके दरमियान रंजिश सी हो गई है और वह गुस्से में बाहर चले गए हैं इसके बाद हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने किसी से फरमाया देखों वह कहाँ है तो उस आदमी ने आकर बताया कि हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु मस्जिद में आराम कर रहे हैं फिर हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उनके सिरहाने तशरीफ लाए और उनके पहलू पर सोते हुए मुलाहिजा फरमाया उनके पहलू पर निशानात पड़े हुए थे और उनका बदन खाक आलूदा हो गया था इस पर हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया"कुम अबा तुराब" अबु तुराब उठो उस से आपकी कुन्नियत अबू तुराब हो गई।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा136)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)


अली मुर्तजा का बयान पोस्ट(3)* ◆____________________________________◆
सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु का लक़ब"कर्रार"किसने रखा और क्यों?
*जवाब- आपका लक़ब"कर्रार"हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने रखा कर्रार के माने हैं बार बार हमला करना क्योंकि आप भी दुश्मन पर बार-बार हमला करते थे इसलिए आपका लक़ब कर्रार रखा।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा136)

सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु के कातिल का नाम है और आपकी शहादत का वाकिआ क्या है?
*जवाब- आपके कातिल का नाम अब्दुर्रहमान बिन मुलजुम मुरादी है आपकी शहादत का वाकिआ मुख्तसर यूं है कि यह इब्ने मुलजुल मिस्री था और जब लोग हजरते उस्माने ग़नी रदियल्लाहु तआला अन्हु को कत्ल करने के लिये मिस्र से आए तो उनके साथ यह भी आया था फिर वहाँ से ये कूफा आ गया और तौबा करके लश्करे शेरे खुदा में शरीक हो गया जंग नहरवान की फतेह के बाद इब्ने मुलजुल अहले कूफा को बशारत फतेह सुनाने गया उस मौके पर कूफा की एक औरत कतामा नामी से मुलाकात हुई यह कतामा अरब भर में हसीन व जमील मशहूर थी इब्ने मुलजुल की नज़र जैसे ही उसपर पड़ी शोलाए फिस्क उसके सिने में भड़का और सब्र को मुहब्बत की बिजली ने जला दिया बातो ही बातों मे इब्ने मुलजुल पूछ बैठा तू शादी करना चाहती है या नही कतामा ने कहा चाहती जरूर हों मगर मेरी शराईत पूरी करने वाला मुझे अब तक नही मिला इब्ने मुलजुल ने पुछा वो क्या शराईत हैं इस पर कतामा रोने लगी और यूं बोली कि ऐ इब्ने मुलजुल लश्करे अली(मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु)ने हर्बे नहरवान में मेरे बारह रिश्तेदार कत्ल किए जबसे मैंने अपना मेहर तीन बातों को रखा है नम्बर एक तीन हजार दिरहम नगद नम्बर दो एक कनीज हसीन व जमील और नम्बर तीन कत्ले अली(मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु)इब्ने मुलजुल ने कहा दो बातें तो मुमकिन है मगर मौला अली शेरे खुदा का कत्ल बड़ी जबरदस्त शर्त है कतामा ने कहा दिरहम और कनीज से दस्तबरदारी मुमकिन है मगर सबसे बड़ी शर्त यही है इब्ने मुलजुम ने सोच विचार करके कहा अच्छा ठीक है कतामा में तैयार हूँ मगर सिर्फ एक जर्ब का जिम्मेदार हूँ कतामा ने कहा अच्छा एक ही जर्ब सही अपनी तलवार मुझे लाकर दे चुनाँचे इब्ने मुलजुल अपनी तलवार लाया और कतामा ने उस तलवार को जहर में बुझा दिया कुछ दिन बाद इब्ने मुलजुल कतामा के पास आया और उससे वो तलवार ले ली इब्ने मुलजुल ने अपनी मद्द के लिए शुएब बिन शरई खारजी और वरदान तैमी खारजी को तैयार कर लिया मुख्तसर यह कि रमजान की एक शब को हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु मस्जिद में तशरीफ लाए देखा कि अहले कूफा चारों तरफ से हिफाजत कर रहे हैं आपने फरमाया कि यह कैदियों सी हिफाजत क्या है तक्दीरे इलाही मिट नहीं सकती जो होना है वह होगा और जरूर होगा तुम जाओ और अपने घरों में आराम करो तमाम लोग मजबूर होकर चले गए और आप अकेले मस्जिदे कूफा में तमाम शब मशगूले इबादत रहे फिर आपने सुबह की आजान दी और सुन्नत व फर्ज नमाज मे मशगूल हो गए इब्ने मुलजुल दोनों साथियों के साथ जहर में बुझी हुई तलवार लेकर लपका अभी आप एक ही रकअत पूरी कर पाए थे कि उस ख़बीस ने बार किया वार मुकाम पर लगा जहाँ पहले जंगे खंदक का जख्म था वही जख्म खुल गया और सर मुबारक से मगज बाहर आ गया ख़बीस इब्ने मुलजुल भागा और पुकारता चला अफसोस अमीरूल मोमिनीन शहीद हो गए तमाम अहले कूफा मस्जिद में भर गए देखा कि हजरते अली मुर्तजा शेरे खुदा करमल्लाहु वज्हुल करीम अपनी खून आलूदा रेश मुबारक पर हाथ फेर रहे हैं और फरमा रहे हैं कि इसी तरह मैं दरबारे रिसालत में जाऊँगा फातिमा जोहरा से मिलूंगा चचा हम्जा से मुलाकात करूंगा यही हुलिया अपने भाई जाफर तैय्यार को दिखाऊंगा इधर शबीब लोगों के जरिए हलाक हुआ और इब्ने मुलजुल आपके हुक्म से कैद में डाला गया।*
(अवराके ग़म सफ़्हा169से177)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)


*हज़रते अली मुर्तजा का बयान पोस्ट(4)आखिरी* ◆____________________________________◆
सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु किस तारीख को जख्मी हुए और उसके कितने दिनों बाद आपने विसाल फरमाया?
*जवाब- आपने19रमजान को को जख्मी होकर बीस रमजान सन्40हिजरी को तारीखे ख़त्म फरमाकर इक्कीसवीं शब की आग़ाज में आलमें विसाल की तरफ कूच फरमाया और दूसरा कौल यह है कि 18रमज़ान 40हिजरी को जख्मी होकर आछी रात गुजरने के बाद दारूल वका की तरफ रवाना हुए।*
(अवराके ग़म सफ़्हा170/असमाउर्रिजाल मिश्कात सफ़्हा 603)

सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु को गुस्ल किसने दिया और आपकी नमाज़े जनाज़ा किसने पढ़ाई?
*जवाब- आपको गुस्ल इमाम हसन व इमाम हुसैन और अब्दुल्लाह बिन जाफ़र रदियल्लाहु तआला अन्हु ने गुस्ल दिया और आपकी नमाज़े जनाज़ा इमाम हसन रदियल्लाहु तआला अन्हु ने पढ़ाई।*
(असमाउर्रिजाल मिश्कात सफ़्हा605)

सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु की मुद्दते खिलाफत कितने वक़्त रही?
*जवाब- आपकी मुद्दते खिलाफत चार साल सात माह और बारह दिन रही और बाज़ चार साल नौ महीने बताते हैं और एक कौल पाँच साल का है और एक कौल कुछ दिन कम पाँच साल का है।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा915/नजहतुल मजालिस जिल्द11सफ़्हा23)

सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु की उम्र शरीफ कितनी हुई?
*जवाब- आपकी उम्र मुबारक तिरेसठ साल हुई मुवाफिक उम्रे नबवी हुई।*
(असमाउर्रिजाल मिश्कात सफ़्हा603)

सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु ने कितनी शादियाँ की और किस बीवी से कितनी औलादें हुई?
*जवाब- आपने नौ या दस शादियाँ की आपकी पहली बीवी हज़रत फातिमा जूहरा रदियल्लाहु तआला अन्हा हैं इनसे इमाम हसन व इमाम हुसैन,मोहसिन,जैनब,उम्मे कुलसूम और रूकैय्या पैदा हुए और आपकी दुसरी बीवी उम्मुल बनीन बिन्ते ख़राम हैं उनसे अब्बास,जाफर,अब्दुल्लाह,और उस्मान चार बेटे हुए और आपकी तीसरी बीवी लैला बिन्ते मसऊन हैं इनसे अब्दुल्लाह और अबु बक़्र पैदा हुए और आपकी चौथी बीवी असमा बिन्ते अमीस हैं इनसे मुहम्मद असग़र और याहया पैदा हुए आपकी पाँचवी बीवी उमामा बिन्ते आस जो जैनब बिन्ते रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की बेटी थीं उनसे मुहम्मद औसत पैदा हुए थे छठी बीवी खैला बिन्ते जाफर हनफिया हैं जिनसे मुहम्मद अकबर जो मुहम्मद हनफिया से मारूफ हैं पैदा हुए सातवीं बीवी सईदा बिन्ते उरवा हैं उनसे उम्मुल हुस्न मिल्लतुल कुबरा और उम्मे कुलसूम तीन लड़कियाँ पैदा हुई आठवीं बीवी सहबा बिन्ते जामा हैं उनसे रूकैय्या पैदा हुई नवीं और दसवीं बीवी के बारे में मालूमात हासिल न हुई।*
(अवराके ग़म सफ़्हा187/मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा788)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)








🕳️*हज़रते उस्माने ग़नी का बयान* 🕳️

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सवाल- हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की पैदाइस किस सन् में हुई?
*जवाब- आपकी विलायत आमूल फ़ील के छह साल पहले हुई।*
(मदारिज़्ज़ुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा916)

सवाल- हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के वालिद वालिदा का नाम क्या है?
*जवाब- आपके वालिद माजिद का नाम अफ़्फ़ान बिन अविल आस है और आपकी वालिदा का नाम वरदा बिन्ते करीर है जो नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की फुफ़िज़ाद बहन थीं और एक रिवायत में अरवी बिन्ते करीज़ है।*
(अवराके ग़म सफ़्हा196से198/इस्तेयाव ज़िल्द2सफ़्हा487/उम्दातुल क़ारी सफ़्हा742)

सवाल- हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु कितने अफ़राद के बाद और किसकी दावत पर इस्लाम में मुशर्रफ हुए?
*जवाब- आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के दारे अरक़म में दाखिल होने से पहले इस्लाम से मुशर्रफ हुए आप चौथे मुस्लमान हैं आप हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ हज़रत अली और हज़रत जैद बिन हारसा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के बाद हज़रत अबु बक़्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की दावत पर इस्लाम लाए।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा916)

सवाल- हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने कितनी मुद्दत खिलाफत की?
*जवाब- आपकी खिलाफत का दौर बारह साल रहा दूसरा कौल है बारह दिन कम बारह साल और तीसरा कौल है कि ग्यारह माह और चौदह दिन एक रिवायत है कि अठारह दिन कम बारह साल है।*
(हयातुल हैवान ज़िल्द1सफ़्हा96/मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा917/इस्तेयाब ज़िल्द1सफ़्हा492)

सवाल- हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की शहादत किस दिन और किस तारीख को हुई?
*जवाब- आप18ज़िलहिज़्ज़ा सन35 हिज़री बरोज़ जुमा को शहादत के मर्तबे पर फ़ाइज़ हुए दूसरे कौल के मुताबिक इतवार को।*
(मदारिजुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा917/अवराके ग़म सफ़्हा201)

सवाल- हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के कातिल का नाम क्या है?
*जवाब- आपके कातिल का नाम"असवद तजीबी"है दूसरे कौल के मुताबिक उसका नाम कनाना बिन बशीर है।*
(अस्मार्रिजाल मिश्कात सफ़्हा206/तारीख़े इस्लाम ज़िल्द1सफ़्हा414)

सवाल- हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की नमाज़े ज़नाज़ा किसने पढ़ाई और आपको किस जगह दफन किया गया?
*जवाब- आपकी नमाज़े ज़नाज़ा किसने पढ़ाई इस सिलसिले में इख़्तिलाफ़ है इन हज़रात का नाम आया है(1)हज़रत जुबैर बिन मुतअम(2)या हज़रत हकीम बिन हज़्ज़ाम ने(3)या आपके बेटे हज़रत उमरु बिन उस्मान ने(4)या हज़रत मुसव्विर ने(5)या हज़रत जुबैर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने पढ़ाई।*
(हयातुल हैवान ज़िल्द1सफ़्हा96/इस्तेयाब ज़िल्द2सफ़्हा491/अस्मार्रिजाल सफ़्हा602)

सवाल- हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की उम्र शरीफ कितनी हुई?
*जवाब- आपकी उम्र शरीफ ब्यास्सी साल हुई बाज़ छियास्सी,अठ्ठासी और नवास्सी साल भी बताते हैं और एक कौल नव्वे बरस का भी है।*
(मदारिज़्ज़ुन्नबुव्वत ज़िल्द2सफ़्हा917/नज़हतुल मज़ालिस ज़िल्द10/सफ़्हा119) 🔚
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)








🕳️HAZRAT IMAAM HASAN RADI ALLAHU TA'ALA ANHU🕳️

*विलादते इमाम "हसन" रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तमाम सुन्नियों को बहुत बहुत मुबारक हो*
नाम ----- सय्यदना इमाम "हसन" रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

वालिद --- मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

वालिदा -- ख़ातूने जन्नत हज़रत फ़ातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा

विलादत - 15 रमज़ान,3 हिजरी

विसाल --- 5 रबियुल अव्वल ,49 हिजरी

उम्र -- 45 साल 6 महीने कुछ दिन

आपके फ़ज़ाइल बेशुमार हैं,हुसूले बरकत के लिए चंद यहां ज़िक्र करता हूं

! जब हुज़ूर का विसाल हुआ तो आपकी उम्र मुबारक 7 साल 6 महीना थी फिर भी आपसे 13 हदीसें मरवी है,इस उम्र में हदीसों को याद रखना और उसे नक़ल करके रखना ये आपके हाफ़िज़े का कमाल है

! आप नबी के सर से लेकर सीने तक मुशाबह थे और सीने से पैर तक हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

! हुज़ूर ने आपको सहाबा के मजमे में सय्यद यानि सरदार फ़रमाया

! कभी हुज़ूर नमाज़ के सज्दे में होते तो आप सरकार की गर्दन और पुश्त पर सवार हो जाते और हुज़ूर अपना सज्दा लम्बा फरमा देते मगर आपको पुश्त से ना हटाते जब तक कि आप खुद ना उतर जाते,सुब्हान अल्लाह

! एक मर्तबा हुज़ूर आपको अपनी गर्दन पर बिठाये कहीं जा रहे थी कि किसी ने कहा वह साहबज़ादे सवारी कितनी अच्छी है इस पर हुज़ूर फरमाते हैं कि बेशक सवार भी बहुत अच्छा है

! आप बेहद सखी थे तीन बार अपना आधा माल राहे खुद में खर्च किया और दो मर्तबा पूरा माल लुटा दिया

                    *करामत*

एक बार आप पैदल हज को जा रहे थी आपके पैरों में वरम आ गया,आपके ग़ुलाम ने आपको सवारी पेश की मगर आप उस पर बैठे नहीं और उससे फरमाया जब तुम मंज़िल पर पहुंचोगे तो एक हब्शी मिलेगा तुम उससे तेल खरीद लेना,जब आप मंज़िल पर पहुंचे तो एक हब्शी मिल गया ग़ुलाम ने उससे तेल लिया तो उसने पूछा कि तेल का क्या करोगे तो वो बोला कि हज़रत इमाम के पैरों में सूजन आ गयी है तो मालिश करूंगा इस पर वो साथ साथ आया और हज़रत इमाम हसन से कहने लगा कि या सय्यदी मैं इस तेल की कीमत नहीं लूंगा मगर मेरी एक इल्तिजा है कि मेरी बीवी हामिला है आप दुआ फरमा दें कि मुझे एक नेक बेटा अता हो आपने फरमाया कि घर जा जो तू चाहता है वही होगा,वो घर पहुंचा तो उसके घर लड़का पैदा हो चुका था

📕 शवाहिदुन नुबूवत,सफह 302


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•»SAKHI GHARANA«•
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HIQAYAT
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Ek Martaba Hazrat Imaam Hasan, Hazrat Imaam Hussain Aur Abdullah Bin Jafar Radi-Allahu-Ta'aala-Anhum Hajj Ko Ja Rahe The Ki Jis Unth Per Safar Ka Samaan Ladha Hua Tha Wo Unth Kahin Piche Reh Gaya! Aap Sab Bhooke Pyaase The, Aap Log Ek Budiya Ki Zhopdi May Tashrif Legaye Aur Farmaya, Kuch Pine Ko Hain? Usne Arz Ki Haan! Hain! Us Budiya Ke Paas Ek Bakri Thi! Usne Uska Doodh Doahker Haazir Kiya! Unohne Piya Fir Pucha Kuch Khane Ko Bhi Hain? Usne Jawab Diya Ki Taiyyar Nahi Hain, Isi Bakri Ko Zibah Karke Kha Lijiye!

Chunanche, Wo Bakri Zibah Ki Gayi Aur Use Khaker Farmaya Badi Bi Hum Quraish Mayse Hain! Jab Is Safar Se Lautege To Hamare Paas Aana! Hum Tere Ehsaan Ka Badla Dege! Yeh Farmaker Rawana Hogaye!Jab Us Budiya Ka Khawindh (Shoher) Ghar Pahucha To Khafa Hoker Kehne Laga Tune Bakri Un Logon Ko Khila Di Jinko Tu Jaanti Bhi Nahi Ki Wo Kaun Hain?

Thode Din Gujre The Ki Wo Miyan-Biwi Muflisi Ki Wajahse Madina Munavwara May Aa Pade Aur Unth Ki Lendiyaan Chun-Chunker Bechne Lage!Ek Din Wo Budiya Kahin Ja Rahi Thi Ki Hazrat Hasan Radi-Allahu-Ta'aala-Anhu Ne Use Dekhker Pehchan Liya Aur Use Bulaker Farmaya, Badi Bi Mujhe Pehchana? Usne Arz Kiya, Nahi! Farmaya Main Wo Shaks Hoon Jo Fala Din Tumahra Mehmaan Hua Tha! Budiya Ne Ba-Gaur Dekha Aur Boli Haan-Haan Pehchan Gayi, Wakayi Aap Meri Zhopdi May Tashrif Laye The!Hazrat Imaam Hasan Radi-Allahu-Ta'aala-Anhu Ne Hukm Farmaya Ki Ek Hazaar Bakriyan Kharidker Is Budiya Ko Di Jaye Aur Sath Hi Ek Hazaar Dinaar Nakdh Bhi Diya Jaye!

Chunanche, Taamil-A-IrshadKi Gayi Aur Budiya Ko Ek Hazaar Bakriyan Aur Ek Hazaar Dinaar De Diya Gaya Aur Fir Hazrat Imaam Hasan Radi-Allahu-Ta'aala-Anhu Ne Apne Gulam Ko Sath Karke Us Budiya Ko Hazrat Imaam Hussain Radi-Allahu-Ta'aala-Anhu Ke Paas Bhej Diya! Hazrat Imaam Hussain Radi-Allahu-Ta'aala-Anhu Ne Usse Pucha Ki Bhai Sahab Ne Tumeh Kya Diya? Budiya Ne Jawab Diya Ki Ek Hazaar Bakriyan Aur Ek Hazaar Dinaar! Hazrat

Imaam Hussain Radi-Allahu-Ta'aala-Anhu Ne Bhi Ek Hazaar Bakriyan Aur Ek Hazaar Dinaar Us Budiya Ko Inayat Farmaye! Fir Aapne Gulam Ke Sath Us Budiya Ko Hazrat Abdullah Bin Jafar Radi-Allahu-Ta'aala-Anhu Ke Paas Bhej Diya! Unohne Pucha Ki Dono Bhaiyon Ne Tumeh Kya Diya? Wo Boli 2 Hazaar Bakriyan Aur 2 Hazaar Dinaar! Hazrat Abdullah Ibne Jafar Radi-Allahu-Ta'aala-Anhu Ne Bhi Usko 2 Hazaar Bakriyan Aur 2 Hazaar Dinaar Ata Farma Diye!Wo Budiya 4 Hazaar Bakriyan Aur 4 Hazaar Dinaar Leker Apne Khawindh Ke Paas Aa Gayi Aur Kehne Lagi, Yeh Inaam Un Sakhiyon Ne Inayat Farmaya Hain Jisko Main Bakri Khilayi Thi!
(Kimiya-A-Sa-aadat Pg-259)
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SABAK
Ehle Baith Ijaam Ka Gharana Sakhi Gharana Hain! Budiya Ne Bagair Jane-Pehchane Sirf Ek Bakri Khilayi Aur Ehle-Baith Ki Sakhawat Se Maala-Maal Hogayi!Fir Jo Un Pak Logon Ki Jaan-Pehchan Kar Unke Naam Kisi Nyaaz Ka Isaal Karega To Wo Kyon Na Deen Wa Duniya May Kaamyab Hoga!










🕳️HAZRAT~E~UMAR IBN KHATTAB RADI'ALLAHU TA’ALA ANHU🕳️


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*HAZRAT~E~UMAR IBN KHATTAB RADI'ALLAHU TA’ALA ANHU:- POST [ 1 ]* 
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          🌀 *Laqab : Farooqe Aazam*🌀

💫 _Aap ki wiladat 586 A.D. me Makka me hui._💫
✴ *_Walid ka naam Khattab ibn Nufayl aur Walida ka Naam Hantamah binti Hisham ibn al-Mugheerah hai. Aap Quraish ke Banu Adi kabile se ta’alluk rakhte hain._*

❇ _Elane Nubuwwat ke kuchh waqt baad RASOOLALLAH ﷺ ke hukm se musalmano ke ek giroh NE Abyssinia hijrat ki. Hazrat Umar ko jab ye pata chala to Quraish me ikhtelaf Na ho iske liye aapko qatl karne ka irada kiya._

✴ *_Jab talwar lekar chale to raste me aap ke dost Nuaim mile, jis ne islam apna liya tha lekin zaahir Nahi kiya tha. Us ne kaha ke ‘Pehle jaakar apne Ghar me apni behan ki khabar lo.’_*

❇ _Ye sunkar Hazrat Umar apni behan ke ghar pahunche to dekha ke unki behan aur behnoi Saeed bin Zaid Tilawate Qur'an *(Surah Taha)* kar rahe hain. Aap ne gusse me apni behan ko dhakka dekar girakar jakhmi kar diya to unki behan boli ke ‘Agar hamari jaan bhi chali jaae to bhi ham islam nahi chhodenge.’ Ye Sunkar aap ne wo KAGAZ uthaya jis me Qur’an ki Aayate likhi thi. Padhte hi dil ka Aalam badal Gaya. Aap talwar ke saath RASOOLALLAH ﷺ ki baargah me pahunche aur talwar Rakhkar kalma padh Liya.._

✴ *_Aur is ke baad jaakar Quraish ke sardar Amr ibn Hishām aur Abu Sufyan ibn Harb ko apne musalman hone ki khabar de di. Is tarah aap 616 A.D. me 30 baras ki umr me islam dakhil hue._*

❇ _Islam Apnane ke baad kuchh waqt baad aapne Huzoor ﷺ se puchha ke ‘Ya RASOOLALLAH ﷺ Kya ham IBADATE ILAHI karke kuchh galat kar rahe hain. Aap ﷺ ne farmaya ke ‘Bilkul nahi.’ Hazrat Umar ne farmaya ‘To phir aaj ham bagair kisi ke khauf ke khule AAM ALLAH ki ibadat karenge.’_

✴ *_Phir aap ne kuchh musalmano ke saath Ka’aba Shareef ke paas jaakar kaafiro se kaha ‘Agar kisi ko apne bacho ko yateem aur apni biwiyo ko bewa karna ho to wo musalmano ko ALLAH ki ibadat karne se roke. Is tarah aap ne pehli baar khule Aam namaz padhna Shuru karaya._*

❇ _622 A.D. me Huzoor ﷺ ke Madina aane ke baad aap bhi Makka se Hijrat karke Madina AA Gae. Aap ne din ke waqt be-khauf apne chachazad bhai Saeed ibn Zaid ke saath hijrat ki._

_♻To Be Continue.


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*HAZRAT~E~UMAR IBN KHATTAB RADI'ALLAHU TA’ALA ANHU:- POST [ 2 ]* 
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✴ _Aap ishqe rasool ke saath har sunnato hadees par Amal karte the aur Har waqt aap ki ta’azeem karte the aur dushmane rasool se kabhi rishta nahi rakhte the._

❇ *_Ek baar RASOOLALLAH ﷺ ki baargah me ek MUSALMAN aur ek yahudi aaye aur apna jaghda bataya. Musalman ne is yahudi se zameen kharidi thi aur us me ek kuan tha. Dono ke darmiyan ye tay hua tha ke ek din yahudi uska pani istemal karega aur ek Din musalman istemal karega. Ek baar yahudi ki bari me musalman ne paani nikal liya._*

✴ _IS baat ko lekar dono me jhagda hua. Jab kisi tarah is ka hal na nikla to yahudi ne kaha ke ‘Aao, ham tumhare Nabi ke paas chalte hain aur un se iska faisla karate hain.’ Musalman ne ye sochkar khush tha ke ‘Main Musalman hu, Is liye Huzoor ﷺ mere haq me hi faisla sunaenge.’ Huzoor ﷺ ne dono ki baat sunne ke baad yahudi ke haq me faisla diya._

❇ *_Musalman ne socha ke kisi bhi wajah se RASOOLALLAH ﷺ Ne yahudi ke haq me faisla de diya hoga. Wo Hazrate Abu bakr Siddiq ke paas aaya aur sari baat batai aur faisla karne ke liye kaha. Hazrate Abu bakr ne keh diya ke ‘Huzoor ﷺ ne jo faisla bata diya hai, use koi badal nahi sakta.’ Phir wo Hazrate Umar Farooq ke paas aaya aur sari baat batai. Aap foran andar jaakar talwar lekar aaye aur musalman ki gardan kaat di. Musalmano me kohram ho gaya ke Hazrate Umar ne musalman ko maar dala._*

✴ _Huzoor ﷺ Ne aap ko bulakar haqeeqat puchhi to aap ne kaha ke ‘Jo aap ke faisle ke khilaf ho aur aapki baat na maane wo musalman ho hi nahi sakta. Wo islam ki aur be-izzati kare isse pehle maine uski gardan kaat di._

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*HAZRAT~E~UMAR IBN KHATTAB RADI'ALLAHU TA’ALA ANHU:- POST [ 3 ]* 
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🌀 _Ek baar aap ne Ka’abatullah ke Tawaf ke dauran Hajre Aswad se mukhatib hokar farmaya tha ke ‘Aye Hajre Aswad, Tu jannati patthar hai, Lekin mujhe na koi nuqsan pahuncha sakta hai, na koi nafa de sakta hai. Main sirf is liye tujhe chumta hu ke maine mere Aaqa ﷺ ko tujhe chumte hue dekha hai.’_

🔮 *_Huzoor ﷺ Ne farmaya hai ke ‘Mere baad Agar koi Nabi hota to woh Umar Umar ibn Khattab hota.’ Aap ashra e mubashira me samil hain. Aap ka laqab ‘Farooq’ hai ya’ni Haq aur Batil me farq batane wala (Farooqe Aazam ya’ni tamam Farooq me sab se bada). Aap ki Adalat mashhoor Hai. Aap bahut ache Muqarir (Khateeb) the._*

💫 _AAP KI BETI HAFSA HUZOOR ﷺ KE NIKAH ME AAI HAI._ 💫

❇ *_Aap ke mashware par Hazrate Abu bakr Siddiq ke zamane me Qur’an majeed ko jama karke kitaab banana ka kaam shuru kiya gaya, jo Hazrat Usman Ghani ke zamane me mukammal hua._*

✴ _Hazrate Abu bakr Siddiq ne Hazrat Usman Ghani ko Hazrat Umar Farooq ko Khalifa banana ki wasiyat ki thi.13 Hijri me Aap Hazrate Abu bakr Siddiq Radi'Allahu Ta’Ala Anhu ke baad dusre Khalifa hue. Aap ke zamane me Islami saltanat Fars (Iran) aur Misr (Egypt) aur Rom tak faili._

❇ *_Aap ke zamane me Mahe Ramzan me Tarawih ki namaz ba-jama’at padhana shuru hua. Aur is ke baare me aap ne farmaya ke ‘Ye ek Achchi bid’at hai.’_*

_♻To Be Continue......🔜🔜💝_



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*HAZRAT~E~UMAR IBN KHATTAB RADI'ALLAHU TA’ALA ANHU:- POST [ 4 ]* 
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✴ _Aap ne har sube me ek Wali (Provincial governor) Aur unke taabe Wali e ASGAR (Junior governor) muqarrar kiya. ilawa iske Katib (Chief Secretary), Katib-ud-Diwan (Military Secretary), Sahib-ul-Kharaj (Revenue Collector), Sahib-ul-Ahdath, (Police chief), Sahib-Bait-ul-Maal (Treasury Officer) aur Qazi (Chief Judge) bhi muqarrar kiye._

❇ *_Aap hamesha musalmano ki khush-haali aur falah ke liye aur unki pareshaniyo ko door karne ki koshish karte. Aap kai baar raat me khufiya (libas badalkar) apni riyaha ke haalat jaanne ke liye nikalte._*

✴ _Ek baar aap ek makaan ke paas se guzre. Aap ne bacho ke rone ki aawaz suni. Aap ne dastak di to ek Aurat ne darwaza khola. Aap ne bacho ke rone ki wajah puchhi. To us Aurat ne bataya ke ‘Mere bache bhuke hain. Aur mere paas unhe khilane ke liye koi chiz nahi. Mene bahut der se paani se bhara hua bartan Aag par Rakhkar unhe behla rahi hu ke jab khana tayyar ho jaaega to khilaungi. Ab to bache thakkar so gae hain.’_

❇ *_Aap ne kaha ke ‘Main kuchh intazam karta hu.’ Aap ne baitul maal me se khane ka saaman nikala aur us aurat ko laakar diya. Us aurat ne dua dete hue kaha ke ‘Kaash, Aap Ameerul mo’mineen hote.’ Aap ne apna chehra kholkar use farmaya ke ‘Main hi Umar ibn Khattab hu. Mujhe muaf kar dena ke meri hukoomat me tumhe is tarah taklif bardasht karni padi.’_*

💫 _AAP KI 9 BIWIYA AUR 9 BETE AUR 4 BETIYA HUE._💫

*(1) Zainab bint Mazhun se*
_3 bete : Abdulallah, Abdur Rahman, Abdur Rahman,_
_1 beti : Hafsa_
*(2) Umm Kulsum bint Jarwila Khuzima se*
_2 bete : Ubaidullah, Zaid_
*(3) Quraybah bint Abi Umayyah al-Makhzumi*
*(4) Umm Hakim bint al-Haris ibn Hisham se*
_1 beti : Fatima_
*(5) Jamilah bint Ashim ibn Sabit se*
_1 beta : Asim_
*(6) Atikah bint Zaid ibn Amr se*
_1 beta : Iyaad_
*(7) Umm Kulthum bint Ali ibn Abi Talib se*
_1 beta : Zaid (Ibnul Khalifatain)_
_1 beti : Ruqayyah_
*(8) Luhyah se*
_1 beta : Abdur Rahman_
*(9) Fukayhah se*
_1 beti : Zainab_



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*HAZRAT~E~UMAR IBN KHATTAB RADI'ALLAHU TA’ALA ANHU:- POST [ 5 ]* 
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🔶 _23 Hijri (644 A.D.) me Firoz (Abu Lulu) ne apne maalik Mughira ibn Shu'ba (jo Basra ke Subedaar (governor) the) ke khilaf bahut zyada mehsool Wasool karne ke bare me Hazrate Umar se shikaayat ki thi. Magar aap ne use ye keh diya tha ke ‘Ye mehsool barabar hai.’ Is baat se gussa hokar usne Hormuzan, Ka'ab al-Ahbar aur Jafinah ke saath milkar aap ko qatl karne ki saazish banai._

✳ *_22 Zil-Hijja ke din Fajr ki namaz ke waqt Hazrate Umar jab masjid me the tab Abu Luhu ne khanjar se hamla kiya aur aap ke pet me 6 waar karke jakhmi kar diya aur aapke badan se tez raftaar se khoon nikalna jaari ho gaya._*

✴ _Abu Luhu ne bhagne ki koshish ki, Lekin ashaba ne use nakaam kar diya. Bhagne ki koshish me usne 12 ashaba ko jakhmi kar diya aur phir khud ko khanjar marke khudkushi kar Li. Aap ne 4 din jakhmo se bahut taklif me bistar me guzare._

🌀 *_Is dauran aapne Abdur Rahman bin Awf, Saad ibn Abi Waqqas, Talha ibn Ubaidullah, Usman ibn Affan, Ali ibn Abi Talib aur Zubair ibn al-Awwam ki committee banakar unhe naya Khalifa mukarrar karne zimmedari de di._*

❇ _Aur is dauran Suhayb ar-Rumi ko aarzi khalifa banaya gaya. Aap 26 Zil-Hijja, 23 Hijri (644 A.D.) ko 58 baras ki umr me shaheed hue. Aap ko Huzoor ﷺ ke Roza Mubarak ke Andar Hazrate Abu bakr Siddiq ke bagal me dafn kiya gaya hai._

🔮 *_ALLAH TA'ALA uske Habeeb ﷺ ke sadqe me aur Hazrate Umar Farooq Radi'Allahu Ta'Ala Anhu aur Ashaba ke waseele se Sab ko mukammal ishqe Rasool Ata farmae aur Sab ke Iman ki hifazat farmae aur Sab ko nek Amal karne ki taufiq Ata farmae aur Sab ko duniya wa Aakhirat me kamyabi ata farmae aur Sab ki nek jaiz murado ko puri farmae. Aameen_*

*《..Alhamdulillah Mukammal..》*

🅱️ बहारे शरीअत ( हिस्सा- 03 )🅱️

_____________________________________   _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 089)*_ ―――――――――――――――――――――             _*🕌नमाज़ पढ़ने का तरीक...