Thursday, December 17, 2020

✳️सवाल जवाब और गुस्ल का बयान✳️

सवाल जवाब और गुस्ल का बयान

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        जानवरों का बयान           

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 पोस्ट(1)*


सवाल- अल्लाह तआला ने सबसे पहले किस जानवर को पैदा किया?
*जवाब- मछली को।*
(हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 372)

सवाल- जानवरों में बाज़ घरेलू और बाज़ जंगली कैसे हुऐ?
*जवाब- जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम तमाम रूऐ ज़मीन के ख़लीफा बनाऐ गऐ तो हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ज़मीन पर तशरीफ लाऐ और आपने तमाम रूऐ ज़मीन के जानवरों को आवाज़ दी कि अल्लाह तआला ने तुम पर ख़लीफा मुकर्रर किया है उनके हुक्म की इताअत व फरमाँ बरदारी करो इस आवाज़ पर तमाम दरयाई जानवरों ने अपना अपना सर पानी से निकालकर इताअत व फ़रमाबरदारी का इज़हार किया और खुश्की के तमाम जानवर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के पास जमा हो गए फिर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने हर जानवर को करीब बुलाकर उसपर अपना हाथ रखना शुरू कर दिया जो जानवर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के करीब आऐ और उनपर आपका हाथ पहुँचा वह अहली(घरेलू यानी पाले जाने वाले)हुऐ जैसे घोड़ा,बकरी,कुत्ता,ऊँट,बिल्ली वगैरह और जो जानवर दूर रहे उनपर आपका हाथ नहीं पहुँचा वह वहशी (जंगली) हुऐ जैसे नील गाय हिरन खरगोश वगैरह।*
(तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 171)

सवाल- किन जानवरों की कुरबानी जाइज़ है।
*जवाब- तीन किस्म के जानवरों की कुरबानी जाइज़ है,(1)ऊँट(2)गाय(3)बकरी भैंस गाय में दाख़िल और भेड़ और दुम्बा बकरी में दाख़िल है उनकी भी कुर्बानी हो सकती है।*
(फ़तावा आलमगीरी जिल्द 4 सफ़्हा 80)

सवाल- वह कौनसा जानवर है जिसका गोश्त खाने के बाद वुजु करना मुस्तहब है?
*जवाब- ऊँट का गोश्त खा लेने के बाद वुजु करना मुस्तहब है।*
(दुर्रे मुख्तार मअ रददुल मुहतार जिल्द 1 सफ़्हा 63)

सवाल- जानवरों में आदतन हमल की मुद्दत क्या है?
*जवाब- हाथी में हमल की मुद्दत ग्यारह महीने और ऊँट घोड़े गधे में एक साल और गाय भैंस में नौ महीने और बकरी में पाँच महीने बिल्ली में दो महीने कुत्ते में चालीस दिन और तमाम परिन्दों के लिये इक्कीस दिन है।*
(रददुल मुहतार जिल्द 5 सफ़्हा 432)

सवाल- क्या जानवरों को भी माहवारी का खून आता है?
*जवाब- हाँ तीन जानवरों को आता है,(1)खरगोश(2)बिज्जू(3)चमगादड़।*
(हयातुल हैवान जिल्द 1 सफ़्हा 101/हाशिया कन्जुद्दकाइक़ सफ़्हा 13)

सवाल- किन जानवरों का गोश्त खाना हराम व म्मनूअ है?
*जवाब- सब की तफ़सीर तो दुशवार है अलबत्ता कुछ उसूल बयान किये जाते है जिनसे जुज़इय्यात मालूम हो सकते हैं,(1)हर वह जानवर जो कीले(पन्जे) से शिकार करता हो उसका खाना हराम है जैसे'शेर,गीदड़,लोमड़ी,बिज्जू वगैरह,*
*(2) हर वह परिन्दा जो पन्जे से शिकार करता हो उसका खाना हराम है जैसे शिकरा,बाज़,चील,हशरातुल अर्द वगैरह,*
*(3)इसी तरह वह सारे जानवर हराम व म्मनूअ है जिनके गोश्त से इन्सानी जिस्म को नुकसान पहुँचे या वह जानवर ऐसा खुद उनकी ग़िज़ा नापाकी पहुँचे या वह जानवर ऐसा हो कि खुद उनकी ग़िज़ा नापाकी और गन्दगी हो और शरीफ़ तबीअत को उनके खाने से क़ब्ज़ हो उस उसूल के तहत तमाम हशरातुल अर्द ज़हरीले जानवर गन्दे और मुर्दार वाले चरिन्दे और परिन्दे सब हराम व म्मनूअ है,*
*(4) इसी तरह वह जानवर जो जिस्म में किसी हिस्सी खराबी का सब्ब तो नहीं बनते मगर वह ख़बीसुन्नफ़्स और मूज़ी सिफ़त वाले है उनके खाने से भी मना किया गया है जैसे साँप बिच्छु कछुआ वगैरह।*
(अबु दाऊद शरीफ़ जिल्द 2 सफ़्हा 177/मुकद्दमा,/फ़तावा रिज़विया जिल्द 8 सफ़्हा 316)

सवाल- जिन जानवरों को बुतौं के नाम पर छोड़ा गया हो उनका गोश्त खाना कैसा है?
*जवाब- अगर मुसलमान ख़रीदकर उसको ज़िबह करे उसका खाना हलाल है।*
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 8 सफ़्हा 338)

सवाल- वह कौनसा जानवर है जिसके पालने पर नाम-ए-आमाल से दस नेकियाँ कम हो जाती है?
*जवाब- कुत्ता है हदीस शरीफ़ में है जो कुत्ता पाले रोज़ उसकी नेकियों में से दो क़ीरात कम हों सिर्फ दो किस्म के कुत्तों की इजाज़त है एक शिकारी कुत्ता उसके लिये जिसे खाने या दवा वगैरह सही फ़ायदे के लिए शिकार की हाजत हो दूसरा वह कुत्ता जो खेती या घर वगैरह की हिफ़ाज़त के लिऐ हो और हिफ़ाज़त की वाकई जरूरत भी हो।*
(मिश्कात शरीफ जिल्द 2 सफ़्हा 359/फ़तावा रिज़विया जिल्द 10 निस्फ अव्वल सफ़्हा 196)

सवाल- वह कौनसे जानवर है जिसके मारने पर सवाब है?
*जवाब- छिपकली या गिरगिट हदीस शरीफ में है कि जो शख़्स गिरगिट या छिपकली को पहली बार में मारेगा तो उसके नामऐआमाल में सौ नेकियाँ लिखी जायेंगी और दूसरी बार में उससे कम और तीसरी बार में उससे भी कम।*
(मुस्लिम शरीफ़ जिल्द 2 सफ़्हा 358)

सवाल- किन जानवरों को मारने से मना किया गया है?
*जवाब- चींटी,शहद की मक्खी,मेढक,लटूरा हुदहुद।*
(अबु दाऊद शरीफ़ 2 सफ़्हा 358/हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 86)


*जानवरों का बयान पोस्ट(2)आख़िरी*


सवाल- हुज़ूरे अनवर सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम ने कितने जानवरों को मारने की ताकीद फरमाई है?
*जवाब- छः किस्म के जानवरों को मारने की ताकीद फरमाई है(1)काटखाने वालाकुत्ता(2)चूहा(3)बिच्छू(4)चील(5)कव्वा(6)सांप।*
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 10 निस्फ अव्वल सफ़्हा 100)

सवाल- क्या जानवरों में भी फ़ासिक होते है?
*जवाब- हाँ हदीस शरीफ में कुछ जानवरों को फ़ासिक कहा गया है जैसे कव्वा,चील,चूहा,बिच्छू,कटखना कुत्ता छिपकली वगैरह।*
(मुस्लिम शरीफ़ जिल्द 1 सफ़्हा 318)

सवाल- वह कौनसा परिन्दा है जिसकी उम्र एक हज़ार साल तक होती है?
*जवाब- गिध्द।*
(हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 349)

सवाल- वह कौनसा जानवर है जो आगे-नमरूद को(जिस में हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम डाले गये थे)अपने मुँह में पानी लेकर बुझा रहा था?
*जवाब- मेंढक।*
(हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 86)

सवाल- वह कौनसा परिन्दा है जो आतिशे नमरूद में अपनी चौंच से पानी का कतरा डाल रहा था ताकि आग बुझ जाऐ और अल्लाह के खलील को नुक़सान न पहुँचे?
*जवाब- हूद हूद।*
(हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 86)

सवाल- वह कौनसा परिन्दा है जो ज़मीन के अन्दर का पानी ऊपर से देखकर बता देता है कि यहाँ पानी इतने फिट पर निकलेगा?
*जवाब- हूद हूद।*
(कुरान-ए-मुकद्दस सूरऐ नमल)

सवाल- वह कौनसा परिन्दा है जो हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के पास ख़बर लाया था कि यमन की हुकमराँ एक औरत है?
*जवाब- हूद-हूद।*
(कुरान-ए-मुकद्दस सूरऐ नमल)

सवाल- वह कौनसा जानवर है जो आतिशे नमरूद में फूँक मार रहा था ताकि अल्लाह के खलील के लिए आग भड़क उठे और आपको तकलीफ़ पहुँचे?
*जवाब- वह जानवर गिरगिट या छिपकली है।*
(ख़ाज़िन जिल्द 4 सफ़्हा 244)

सवाल- वह कौनसा परिन्दा है जो आदमी को नमाज़ के लिये बेदार करता है और अल्लाह के रसूल ने उसे बुरा कहने से मना फ़रमाया?
*जवाब- वह परिन्दा मुर्गा है।*
(मिश्कात शरीफ जिल्द 2 सफ़्हा 361)

सवाल- वह कौनसा जानवर है जो कभी पानी नहीं पीता?
*जवाब- शुतर मुर्ग और गोह।*
हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 357)

सवाल- कौनसा परिन्दा अल्लाह का लश्कर है?
*जवाब- टिड्डी अल्लाह का लश्कर है उसके सीने पर यह इबारत लिखी हुई है "नहनु जुन्दल्लाहिल आज़म"(हम अल्लाह का अज़ीम लश्कर हैं)।*
(हयातुल हैवान जिल्द 1 सफ़्हा 234)

सवाल- क्या जन्नत में जानवर भी दाखिल होंगे?
*जवाब- हाँ जन्नत में दस जानवर दाख़िल होंगे।(1)हुजूरे अनवर सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम का बुराक,(2)हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम की ऊँटनी,(3)हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का बछड़ा,(4)हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम का मेंढा,(5)हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की गाय,(6)हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की मछली,(7)हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम का खच्चर,(8)हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम की चीटी,(9)बिलक़ीस का हूद-हूद(10)असहाबेकहफ़ का कुत्ता।*
(अलइशबार वन्नज़ाइर व हमवी शरह इश्बार सफ़्हा 583)

सवाल- क्या इन जानवरों के इलावा भी कुछ जानवर जन्नत में दाख़िल होंगे?
*जवाब- हाँ जैसे मोर,घोड़ा,और वह जानवर जो देखने में खूबसूरत है या वह परिन्दा जिसकी आवाज़ सुरीली और अच्छी है या वह जानवर जिनका गोश्त जन्नतियों को पसन्द होगा पहले जन्नत की गिजा के वास्ते जन्नत में जाऐंगे।*
(तफ़सीर अज़ीज़ी पारा 30 सफ़्हा 63)

सवाल- क्या कुछ जानवर जहन्नम में भी जाऐंगे?
*जवाब- हाँ वह जानवर जो मर्ज हैं जैसे साँप,बिच्छू,वगैरा जहन्नम में काफिरों को अज़ाब देने के लिये जाऐंगे उनको खुद कोई तकलीफ न होगी जिस तरह अज़ाब के फ़रिश्तों को कोई तकलीफ नहीं होती।*
(तफ़सीर अज़ीज़ी पारा 30 सफ़्हा 63/अलमलफूज जिल्द 4 सफ़्हा 80)

सवाल- बाकी जानवर कहाँ जाऐंगे?
*जवाब- मिट्टी कर दिये जाएंगे उनको मिट्टी होता देखकर काफिर कहेंगे काश हम भी उन्हीं की तरह मिट्टी हो जाते।*
(अलमलफूज जिल्द 4 सफ़्हा 80)



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*जानदार की तस्वीर हराम*

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*एक बार पढ़ लीजिये अल्लाह और उसके रसुले पाक का हुक्म यानी शरीयत का हुक्म सिर्फ मोमीनो के लिए है*
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📷 🔥तस्वीर की हुरमत का बयान
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🍀हदीस पाक🍃 *हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम* ने फरमाया:-
📷 💫हर तस्वीर बनाने वाला *जहन्नमी है अल्लाह तआला हर एक तस्वीर(Photo) के बदले जो उसनें बनाईं है। *एक मखलूक पैदा करता है* कि वो उसको दोजख में *अजाब दे*।
📚( *सही मुस्लिम*)
🔥हदीस🌹हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया कयामत में सबसे *ज्यादा अजाब* तस्वीर(Photo) बनाने वाले को होगा।
📚( *सही बुखारी, सही मुस्लिम*)

🔥हदीस🌹 *हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया:- तस्वीर बनाने वाले को(Photo graphar) को अजाब होगा उस वक्त तक कि वो अपने बनाये हुए फोटो में रूह न फूंक दे *और ये उसके बस की बात नहीं*।
📚 *सही बुखारी*

🔥हदीस🍃 *हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया:- कयामत में दोजख से एक गर्दन निकलेगी जिस की 2 आँखें जिनसे वो देखेगी और 2 कान होंगे जिनसे वो सुनेगी और एक जबान होगी जिनसे बोलेगी वो कहेगी मैं 3 शख्स पर मुसल्लत ( *भारी* ) होगी।
👊🏻1:- *मुशरीक*
👊🏻2:- *सरकश*
👊🏻3:- *तस्वीर बनाने* वाला(photographar)
📚 *सूनन तीरमीजी*

🔥🔥✏ *कयामत के दिन* अल्लाह तआला की बारगाह में सबसे *ज्यादा सख्त तरीन अजाब उन* *तस्वीर बनाने वालों पर है जो खुदा* *के बनाएं हुए कि नकल करें*
📚 *बुखारी शरीफ*

🔥🔥✏ *हजरत अब्बास* *रदीयल्लाहो अन्हु*ने फरमाया:-" कि अगर तुम्हारे लिए ऐसा करना जरूरी हो जाए तो शजर व हजर जैसी शक्ल बनाओं
जिसमें रूह और जान न हो।
📚 *मिशकात शरीफ-बाबे तस्वीर फस्ले अव्वल*

🔥🔥हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने ईरशाद फरमाया :-जिस घर में कुत्ता और *तस्वीर (जानदार)* हो, उस घर में रहमत के फरिश्ते दाखिल *नहीं* होते।
📚फतवाए रजवीया जिल्द 9 सफा 143

🔥🔥📝फिर है कि अहदीस इस बारे में तसवीर पर है की जिसका कसदन इनकार करने वाला *गुमराह बद दीन है।*

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📝नोट🌟मेरे अजिज दोस्तों इन हदीसे पाक को पढने के बाद उन लोगों को सोचना चाहिए जो अपनी

     🖥 *प्रोफाइल पर*🖼

में अपनी खुद की या किसी जानदार की फोटो रखते है।

💢 मकसद सिर्फ *और* सिर्फ *इस्लाह है* किसी का दिल दुखा हो तो माफ करना।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
✔क्या आप जानते है...... तस्वीर ! ....आज तस्वीर में हम इतने मुबतिला हो गए है......
Whatsapp, Fb Mobile, Reader Books, Maltimidia ,
*रब्बे करीम की पनाह*

🌹ताजदारे अम्बीया सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने ईरशाद फरमाया:-गिरजाघर में न जाओ कि वहां तस्वीर होती है और जो तस्वीर बनाते है वो *बदतरीन मखलूक है*।
📚 *बुखारी शरीफ* जिल्द1,सफा 62,मुस्लिम1/201,फतवाए रजवीया 8/146
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*आप भी अमल करे और दुसरो तक
भी इस मेसेज को जरुर सेंड करे
मेसेज पडकर जो भी इस हराम काम
से बचेगा इस का सवाब आप को भी मीलेगा
          *इनशा अल्लाह*
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*क्या हदीस शरीफ का इनकार करने*
*वाला नबीये पाक का गुलाम हो सकता है ??? अब फैसला आप करे*




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इस्लाम में हर नया काम गुमराही और गुनाह नहीं

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*【पोस्ट न.= 01】*

*_﷽-الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ_*
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      💫💫 _*【इस्लाम में हर नया काम गुमराही और गुनाह नहीं】*_💫💫
~*_________________________________________*~

*_मुसलमानों में कुछ ऐसी बातें राइज हो गई हैं जो ऐसी शक्ल में रसूल उल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और सहाबा किराम के ज़माने में न थीं। अगर्चे बाद में इनका रिवाज हुआ लेकिन इन में कोई दीनी व इस्लामी मसलिहत है और खिलाफ शरअ कोई बात भी इन में नहीं पाई जाती और वह कुरआन व हदीस के किसी हुक्म के खिलाफ़ नहीं है तो इनको करने में कोई हर्ज नहीं है इनको बिदअत व गुमराही कहना सरासर नादानी है। जैसे बुजुर्गों के नाम पर सदका व ख़ैरात करना अहबाब व आम मुस्लिमीन को खिलाना पिलाना जिसे नियाज़ दिलाना कहते हैं फातिहा दिलाना कुरआन ख्वानी करना उर्स करना महफिल मीलाद शरीफ का इनइकाद अज़ान के बाद नमाज़ की याद दहानी के लिए मस्जिद में सलात पुकारना। कब्रों पर अज़ान देना बारहवी शरीफ के दिन रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलादते शरीफा की खुशी मनाना वगैराह यह सब काम अच्छे हैं और इनको करने में कोई हर्ज नहीं है जबकि इनमें कोई ऐसी ज़्यादती न हो जो खिलाफ़ शरअ हो और शरियते इस्लामिया के दायरे में ही किये जाये कुछ लोग कहते है कि यह सब बाते इसलिए गुनाह हैं कि हुज़ूर के ज़माने में इनका कोई वुजूद न था हांलाकी इनकी अस्ल हकीकत उस ज़माने में भी थी यानी किसी न किसी शक्ल में यह हुज़ूर के ज़माने में भी पाये जाते थे, और बिदअत यानी नया काम गुमराही तब होता है जबकि वह सरकार सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने में किसी भी शक्ल में न हुआ और इसको करने में किसी शरई हुक्म की मुखालिफत होती हो।_*

 *_अगर इस्लाम में हर वह काम विदअत गुमराही है जो हुज़ूर के ज़माने में न था तो मदारिस कायम करना चन्दे करना इल्म नहव व सर्फे बलाग़त व फसाहत पढ़ना मदारिस में सालाना खत्म बुख़ारी के जल्से दस्तार वन्दी मस्जिदों पर मीनार बनाना इल्म उसूल व फिका पढ़ना ऐराब यानी जबर जेर और पेश लगे हुऐ कुरआन पढ़ना पढ़ाना और छापना। चालीस दिन मुकर्रर करके तबलीग के लिये निकलना यह सब काम भी हुज़ूर के ज़माने में न थे लिहाज़ा यह भी गुमराही हो जायेगी खुलासा यह कि अहादीस से यह बात साबित है हर नया काम गुमराही नहीं अगर इसकी अस्ल हुज़ूर के ज़माने में हो और इसको करने में कोई दीनी भलाई या इस्लाम और मुसलमानों का नफा हो।_*
 _अब इस सिलसिले में अहादीस मुलाहेज़ा फ़रमाइये_

हदीद:- *_हज़रत जरीर बिन अब्दुल्लाह से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि जिसने इस्लाम में कोई अच्छा तरीका निकाला तो इसको उसका अज्र व सवाब मिलेगा और जितने लोग उस पर अमल करेंगे उन सबका सवाब भी उस को मिलेगा और उनके सवाब में कोई कमी नहीं की जायेगी और जिस ने इस्लाम में कोई बुरा तरीका निकाला तो उस पर उसका गुनाह होगा और जितने उस पर चलेंगे उन सब का गुनाह भी उस पर होगा और उन गुनाहों में भी कोई कमी नहीं की जोयगी।_*

 *📚 मुस्लिम, जिल्द 1, किताबुज्ज़कात, सफ़्हा 327*
 *📚 मिश्कात किताबुल इल्म, सफ़्हा 33*

 *_इस हदीस की शरह में इमाम नबवी(अलमूतवफा.676 हिज़री) फ़रमाते हैं इस हदीस से हुज़ूर के फ़रमान और हर नया काम बिदअत है और हर बिदअत गुमराही की तखसीस हो जाती है। और बेशक इस हदीस में हुज़ूर ने नये कामों को गुमराही फ़रमाया है जो बातिल हों और उन बिदअतों को जो मज़मूम और बुरी हों और बिदअत की पाँच अकसाम है।_* (1)वाजिब, (2)मन्दूब, (3)हराम, (4)मकरूह, (5)मुबाह,

 *📚हाशियाये मुस्लिम सफ़्हा 327*

 *_इससे खूब ज़ाहिर हुआ कि इमाम नबवी का मसलक यही था कि बिदअत की पाँच किस्में हैं लिहाज़ा हर बिदअत और नये काम को गुमराही नहीं कहना चाहिए।_*

 _➡ पोस्ट ज़ारी रहेगी........._
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*【पोस्ट न.= 02】*

*_﷽-الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ_*
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      💫💫 _*【इस्लाम में हर नया काम गुमराही और गुनाह नहीं】*_💫💫
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हदीस:- *_हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि सल्लललाहो वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जिसने सवाब व यक़ीन की नियत के साथ।रमज़ान में तरावीह की नमाज़।पढ़ी उसके गुज़िश्ता गुनाह माफ कर दिये जाते हैं। इब्ने शहाब कहते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम दुनिया से तशरीफ ले गये और बात इतने ही तक रही और हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ की खिलाफत में और हज़रत उमर के शुरू दौरे खिलाफत में भी यही चलता रहा (याना बा कायदा बा जमाअत तरावीह की नमाज़ नहीं पढ़ी जाती थी) अब्दुर्रहमान कहते हैं कि मैं हज़रत उमर के साथ एक दिन रमज़ान की रात में मस्जिद में गया तो लोगो को अलग अलग नमाज़ पढ़ते देखा कोई अकेला पढ़ रहा है किसी के साथ चन्द लोग नमाज़ पढ़ रहे हैं_*

 *_हज़रत उमर ने फ़रमाया मेरी राय में अगर मैं इन लोगों को एक इमाम के साथ जमा कर देता तो बिहतर होता। फिर इस ख्याल को अम्ली जामा पहनाया और सबको हज़रत उबई इब्ने कअब की इमामत पर जमा फरमा दिया हज़रत अब्दुर्रहमान कहते हैं फिर मैं अगली रात हज़रत उमर के साथ मस्जिद में गया तो देखा सब लोग नमाज़े तरावीह एक ही इमाम के साथ बा जमाअत अदा कर रहे हैं हज़रत उमर ने फ़रमाया यह बिदअत (नया काम ) बहुत अच्छा है।_*

 *📚 बुखारी जिल्द 1, बाब फज़ले मन क़ामा रमज़ान, सफ़्हा 269*
 *📚 मिश्कात, सफ़्हा 115*

 *_इस हदीस शरीफ से खूब वाज़ेह हो गया कि हज़रत उमर रदियल्लाहु ताअला अन्हु के नज़दीक हर नया काम बिदअते गुमराही नहीं और यह कि बिदअत और नये काम कुछ अच्छे भी होते हैं। लेकिन आज कल कुछ लोगों को यह हदीसें नज़र कहां आती हैं उन्हें तो जिस काम से इस्लाम को फ़ायदा भी होता हो तब भी बिदअत व गुमराही दिखती है कि यह इस्लाम में ऐसा काम कब हुआ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने हुआ हो तो बताओ या साहबा के दौर में हुआ तो बताओ वगैराह वगैराह उन लोगों को इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि इस नये काम से दीन को फ़ायदा मिल रहा है बस कहने से मतलब है बहरहाल अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त महफूज़ फ़रमाए ऐसे लोगों से और मौला ताअला हम सबके इमान व अक़ीदे की हिफाज़त फ़रमाए और सच्चे पक्के मसलके आ'ला हज़रत पर ताउम्र चलने की तोफ़ीक अता फ़रमाए।_* *आमीन*

 _➡ पोस्ट ज़ारी रहेगी........_
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*【पोस्ट न.= 03】*

*_﷽-الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ_*
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      💫💫 _*【इस्लाम में हर नया काम गुमराही और गुनाह नहीं】*_💫💫
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📖 हदीस:- *_हज़रत ज़ैद इब्ने साबित रदियल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते है कि जंग यमामा के ज़माने में हजरत अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु तआला अन्हु ने मुझको बुलाया तो देखा हज़रत उमर रदियल्लाहु ताअला अन्हु भी पास बैठे हैं। हज़रत अबू बक्र रदियल्लाहु तआला अन्हु ने मुझसे फ़रमाया कि यह उमर मेरे पास आये और कहा यमामा की लड़ाई में कुरआन के कारी बहुत तादाद में शहीद हो गये हैं और मुझको ख़तरा है कि यूँही लड़ाई में कारी शहीद होते रहे तो कुरआन का बहुत सा हिस्सा हाथ से चला जायेगा। मेरी राय है कि आप कुरआन को जमा करने का हुक्म दें।_*

 *_हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया कि मैंने उमर के इस कहने पर उनसे कहा कि आप वह काम कैसे करेंगे जिस को हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने न किया हो? तो उमर ने मुझसे कहा लेकिन काम है तो अच्छा तो उमर बार-बार यह बात मुझसे कहते रहे। यहाँ तक के अल्लाह तआला ने मेरा सीना खोल दिया और मेरी राय भी अब वही है जो उमर की राय है। रावी हदीस ज़ैद बिन साबित रदियल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं फिर मुझसे हज़रत अबू बक्र ने फ़रमाया तुम जवान आदमी हो और अकलमन्द भी हो और हमको तुम पर एतबार है तुम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने में वही लिखते रहे तो कोशिश करके करआन को जमा करो।_*

 *_हज़रत ज़ैद रदियल्लाहु तआला अन्हु कहते हैं खदा की कस्म अगर वह लोग मुझको पहाड़ ढाने का हुक्म देते तो वह भी मेरे लिये इससे आसान था मैंने कहा आप लोग वह काम कैसे करेंगे जो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने न किया हो इन लोगों ने फ़रमाया लेकिन काम है तो अच्छा फिर बराबर अबू बक्र रदियल्लाहु तआला अन्हु मुझसे यह बात दोहराते रहे यहाँ तक के अल्लाह तआला ने मेरा सीना खोल दिया जिस तरह इनका सीना इस काम के लिये खोल दिया था। फिर मैंने कुरआन करीम को खुजूर की शाखों पत्थर के टुकड़ों और लोगों के सीनों से तलाश करके जमा करना शुरू कर दिया। यहाँ तक के सूरह तौबा की आखिरी आयात (लकद जाअकुम रसूल) से लेकर आखिर सूरह तक हज़रत खुजैमा अंसारी रदियल्लाहु तआला अन्हु के पास थी और किसी के पास न थी। हज़रत ज़ैद रदियल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि यह जमा शुदा नुस्खा हज़रत अबू बक्र म सिद्दीक़ रदियल्लाहु तआला अन्हु के पास रहा फिर इनके विसाल के बाद हज़रत उमर रदीयल्लाहु तआला अन्हु के पास और इनके विसाल के बाद इनकी साहिब ज़ादी उम्मुल मोमिनीन हज़रत हफसा रदियल्लाहु तआला अन्हु के पास।_*

 *📚 बुख़ारी, जिल्द 2, बाब जमउल कुरआन, सफ़्हा 745*
 *📚 मिश्कात, सफ़्हा 193*

 *_इस हदीस के शरह में शेख अब्दुल हक दिहलवी लमआत में फ़रमाते हैं। यानी इस हदीस से साबित है कि वह काम यानी जमा कुरआन बिदअते हसना यानी अच्छी बिदअत है।_*

 _➡ पोस्ट ज़ारी रहेगी.........._
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*【पोस्ट न.= 04】*

*_﷽-الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ_*
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      💫💫 _*【इस्लाम में हर नया काम गुमराही और गुनाह नहीं】*_💫💫
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हदीस:- *_हज़रत साइब इब्ने यज़ीद से मरवी है कि जुमे के दिन एक अज़ान उस वक़्त होती थी जब इमाम मिम्बर पर तशरीफ लाते हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने में और हज़रत अबू बक्र रदियल्लाहु तआला अन्हुमा के दौर में तो जब हज़रत उस्मान ग़नी रदियल्लाहु तआला अन्हु की खिलाफ़त का ज़माना आया और आबादी ज़्यादा हुई तो उन्होंने मुकामे ज़ौरा पर एक अज़ान का इज़ाफा फ़रमाया यानी अब दो दो अज़ाने होने लगी।_*

 *📚 बुख़ारी, जिल्द 1, बाबुल अज़ान यौमल जुमा, सफ़्हा 124*

 *_इस हदीस से भी मालूम हुआ कि किसी दीनी मसलहत या ज़रूरत से अगर कोई अमल ईजाद किया जाये तो वह गुमराही नहीं जैसे हज़रत उस्मान ग़नी रदियल्लाहु तआला अन्हु ने अवाम की ज़्यादती के पेशे नज़र जुमा में एक अज़ान का इज़ाफा किया जो आज तक सारी दुनिया में होती है वरना हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने में नमाज़े जुमा में सिर्फ एक ही अजान होती थी।_*

 _➡ पोस्ट ज़ारी रहेगी..........._
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*【पोस्ट न.= 05】*

*_﷽-الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ_*
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      💫💫  _*【इस्लाम में हर नया काम गुमराही और गुनाह नहीं】*_💫💫
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हदीस:-  *_हज़रत बिलाल हारिस से मरवी है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जिसने किसी सुन्नत को राइज किया जबकि मेरे बाद लोग उस को बिल्कुल छोड़ चुके थे तो उसको इस पर अमल करने वाले सारे लोगों का सवाब मिलेगा। और इन के सवाब में कोई कमी न की जायेगी और जिस ने ऐसी बिदअत नये काम को ईजाद किया जो गुमराही है तो इस पर अमल करने वाले का गुनाह होगा और इनके गुनाह में भी कमी नहीं आयेगी।_*

 *📚 तिर्मिज़ी, जिल्द 2, बाबुल अख्ज़ बिस्सुन्नत, सफ़्हा 92*
 *📚 मिश्कात, किताबुल इतिसाम, सफ़्हा 30*

 *_इस हदीस शरीफ में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला वसल्लम ने बिदअत के आगे ज़लालत की कैद लगाकर वाज़ह फ़रमाया कि हर बिदअत और नया काम गुनाह नहीं बल्कि वही जो ज़लालत यानी गुमराही हो। गोया कि बिदअत की तकसीम और उसका अच्छा और बुरा दोनों तरह का होना खुद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से मन्कूल है।_*
*_इस हदीस की शरह में मुल्ला अली कारी फरमाते हैं। यानी बिदअत के साथ ज़लालत का लफ्ज़ इस लिये लाया गया ताकि बिदअत हस्ना को शामिल न हो।_*

 *📚 मिरकात, जिल्द 1, सफ़्हा 202*

 *_खुलासा यह कि नियाज़ फातिहा मीलाद शरीफ सलात व सलाम, उर्स और मज़ारात की हाज़िरी कब्र पर आज़ान वगैराह को बिदअत व नाजायज़ कहकर रोकने वालों को इन हदीसों से सबक हासिल करना चाहिये। हक यह है कि यह सब काम अच्छे हैं हाँ वह लोग गलत फहमी का शिकार हैं जो उन्हें फर्ज़ वाजिब समझते हैं और फर्ज़ व वाजिब समझ कर करते हैं। फर्ज़ तो इस्लाम में पांचों वक़्त की नमाज़ रमज़ान के रोज़े हैं माल की ज़कात निकालना है जूये शराब लाटरी सनीमें गाने तमाशों से भी बचना भी फर्ज़ है।_*

 *_जो लोग नमाज़ रोज़े को छोड़ कर हराम कामों में है लगे रहते हैं और नियाज़ फातिहा करते हैं और उर्स व मज़ारात की है हाज़िरी को इस्लाम समझे हुये हैं यह लोग भी सख़्त गलत फहमी और बड़ी भूल में हैं और जो अल्लाह के रसूल और दूसरे बुज़ुर्गाने दीन की शान में बेअदब होते हैं गुस्ताखियां करते हैं वह बड़े बदनसीब खुदा और रसूल के दुश्मन और जहन्नम का ईधन हैं खुलासा यह अल्लाह तआला की इबादत हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के बताये हुए तरीके पर करना फर्ज़ व ज़रूरी है और यही इस्लाम है और इसके साथ अल्लाह वालों से मोहब्बत के इज़हार के लिये नियाज़ व फातिहा होती रहे तो यह बिहतरीन बात है। इसमें कोई गुनाह नहीं है जबकि यह उर्स व मीलाद वगैराह शरीअत के दायरे में हों इनमें कोई खिलाफ़े शरअ बात न हो जैसे नौटंकी, ढोल, बाजे, गाने, तमाशे, औरतों की बेपरदगी वगैरहा।_*

*《..Alhamdulillah Mukammal..》*


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       GUSL KA BAYAN.     

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✅ *GUSL KA BAYAN* ✅ *PART :- 01*

SAWAAL: Gusl karne ka tariqa kya hai ?

JAWAAB: *Gusal karne ka tariqa ye hai ki phele gusal ki niyyat karke doono haath gatton tak* *teen baar dhoye fir istinja ki jagah dhoye uske baad badan par agar kahi* *najaasate haqiqiya yaani peshaab Ya paakhana waghaira ho to use door kare fir* *namaaz jaisa Wuzu kare magar pawoon na dhoye ‘haan’ agar chowki ya* *patthar wagairah oonchi cheez par nahaye to* *pawoon bhi dhole. Iske baad badan par Tel Ki Tarah paani chupde fir* *teen baar dahine kandhe par paani bahaye aur fir* *teen baar baaye kandhe par fir sar par aur* *tamaam badan par teen baar paani bahaye Tamam badan par haath* *phere aur malein fir nahalene ke baad fauran kapda pehen le.*

 *📚 ANWAR E SHARIAT (hindi edition page no :-28)*
⏩ _Cont...._


✅ *GUSL KA BAYAN* ✅ *PART :- 02*
SAWAAL: Gusl me kitni baate farz hai ?

JAWAAB: *Gusl me teen(3) baate farz hai, Kulli karna, Naak me saqt haddi tak paani* *chadhaana, Tamaam zahir badan par sar se pawoon tak paani Bahana.*

 *📚 ANWAR E SHARIAT (hindi edition page no :-28)*
⏩ _Cont....


✅ *GUSL KA BAYAN* ✅ PART :- 03
SAWAAL: Gusl me kitni baate sunnat hai ?

JAWAAB: *Gusl me ye baate sunnat hai, Gusl ki niyyath karna doono haath gatton tak teen baar dhona, Istinja ki jagah dhona, Badan par jaha kahi najaasat ho usse door karna, namaaz jaisa Wuzu karna, Badan par teil ki tarah paani chupadna, Dahine* *kandhe fir baaye kandhe fir sar par aur tamaam badan par teen baar paani bahana tamaam* *badan par haath pherna aur malna, Nahane me Qibla rukh na hona aur kapda pehan kar nahana ho toh koyi harz nahi, Aisi jagah nahana ki koyi na dekhe, nahate waqt kisi qism ka* *kalaam na karna, Koyi dua na padhna, Aurto ko baithkar nahana, nahane ke baad fauran kapda pehen lena* .

 *📚 ANWAR E SHARIAT (hindi edition page no :-29)*
⏩ _Cont....


✅ *GUSL KA BAYAN* ✅ *PART :- 04*
SAWAAL: Kin surathon me Gusl karna farz hai ?

JAWAAB: *Mani Ka Apni Jagah Se Shahwat Ke Sath Juda Hokar Uzwa Se Nikalna, Ihtilam, Hashfa Yani Sare zakar Ka Aurat Ke Aage Ya Piche Ya Mard Ke Piche Dakhil Hona Dono Par Gusl Farz Karta Hai. Haiz Se Farigh Hona. Nifas ka Khatm Hona.*

 *📚 ANWAR E SHARIAT (hindi edition page no :-29)*
⏩ _Cont....


✅ *GUSL KA BAYAN* ✅ *PART :- 05*
SAWAAL: Kin Waqton Me Gusl Karna Sunnat Hai ?

JAWAAB: *Juma, Eid, Bakraeid, Arfa ke din aur Ehraam baandhte waqt nahana sunnat hai.*

 *📚 ANWAR E SHARIAT (hindi edition page no :-29)*
⏩ _Cont....


✅ *GUSL KA BAYAN* ✅ *LAST PART :- 06*
SAWAAL: Kin surathon me Gusl karna mustahab hai ?

JAWAAB: *Waqoofe arfath, Waqoofe mujadlafa, Hazariye haram, Hazariye sarkare aazam Swallallaahu alaihi wa sallam, Tawaaf, Dukhulemina, Teeno din jamron par kankariya maarne ke liye, Shabe baraat, Shabe qadr, Arfa ki raat, Majlise Milad shareef aur deegar majlise khair ki haziri ke liye, Murda nehlane ke* *baad, Majnoon ko junoon jaane ke baad, Gashi se ifaaqa ke baad, Nasha jaate rehne ke baad,* *Gunah se touba karne ke liye, Naya kapda pehen ne ke liye, safar me wapis ke baad,* *Istihaaza band hone ke baad, Namaaz e kusoof, khusoof, Istisaqa, Khauf, Taareeqi aur sakth* *aandhi ke liye, Badan par najaasat lagi ho aur ye maloom na ho ki kis jagah hai, Inn sab* *surathon me Gusl karna mustahab hai.*

 📚 *ANWAR E SHARIAT (hindi edition page no :-29-30)*

*《..Alhamdulillah Mukammal..》*


*Suwal*
*Napaki kin kin chizo se hoti hai, ?*

*Jawab* Me sail ke is Suwal se itna samajh paa raha hu Ki wo puchhna chahta hai kab admi napak Ho jata hai, kab ghusl farz/wajib hota hai *5 Chize paai jaye to Insan par ghusl wajib hota Hai,* jinka zikr hum aage kuchh mukhtasar Tafsil se karenge.

*1. Mani* ka apani jaga se shehwat (sex) ke sath nikalne se ghusl wajib hota hai, maslan: kisi ne gande
khyal jama kar apne hi hath se (mazallah) mani nikali to ghusl wajib hai, or agar ye mani shehwat ke sath
jhatke ke sath naa nikli bas gandi chiz ko dekhne se qatra ya safed pani nikla or uska nikalna maloom bhi
nahi hui to wo mani nahi yani uspe ghusl wajib nahi.

*2. Ehtilaam:‐* Sote me mani ka nikalne se ghusl wajib hai, Isme shart hai ki. Kapde par nishan paya jaye.
Agar ehtilaam hona yaad hai, ya khwab yaad hai, Magar kapde par mani ka koi nishan nahi to ghusl wajib nahi,

*3. Dukhul:‐* Koi mard apne sharmgah (penis) ko kisi aurat ki Sharmgah (vagina) me ya Peechhe dubar
(bum) me dakhil kare. Mard, mard ki Peechhe dakhil kare, in suraton me ghusl wajib Dono par hai, chahe
mani nikle ya nahi

*4. Haiz‐* Jab aurat haiz se farig ho jaye to ghusl wajib hai.

*5. Nifas‐* Aulad ki wiladat ke bad jo aurat ko khoon ata hai Use nifaas kehte hai, usse khoon se farig hone
ke bad. Madani Mashwara:
Yaqeenan, har aqil baligh musalman par in baato ka sikhna Farz hai, magar, baz log sharm se in choze ko
nahi sikhte Or naa kisi se puchhte hai, or kabhi in bato ko kisi aalim e deen Ki bargah me jaa kar sikhte
hai, Khuda bhala kare sail ka ki isne logo ke liye ye Suwal karke aasani kar di. Allah tala ise dono jahan me
bhalaiyan ata kare.
Or humne har chiz ka zikr saaf saaf byan Kar diya. or masail sikhne me logo ko allah ka ye farman bhi
yaad rakhna chahiye ki Quran me Allah Ka irshad hai:
*“Aur Allah Haq farmane me nahi sharmata”*

*(Para:22, sureh:ahzab, ayat:53)*
*ٰ ُ واللہ تعالی أعلم بالـصـواب*
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🔽Islam Me Machli Halal kaise ?
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Jawab :

Irshad Baari Tala hai :

''Tumhare leye Dariya k Sekaar Aur Uska khana Halal keya Gaya''
[Sureh No-5, Al-Ma'idah,Ayat No-96]

Hadees
Hazrat Abu Huraira Radhiallahu 'anhu se Rewayat hai k Rasullah Sallahu Alaihe Wasallam ne Samundar k Paani k Mutalliq Farmaya :

''Eska Paani Paak hai Aur Eska Murda'ar Halal hai''

[Sahi Abu Daood Hadees No-76 kitab al Taharat]

Hazrat Abu Ubaida Radhiallahu 'anhu ki Qayadat me Vook se Nedhaal lasker jab Samunder k kenare Pahuche tou Allah Tala ne Ambar Machli Ata deya, Fer Rasullah Sallahu Alaihe Wasallam se eske Mutalliq Daryaft keya Gaya Tou huzoor ﷺ ne Farmaya :

''Allah Tala k Deya hua Rizk khao Aur Ager Usse kuch Bacha hua kuch Hai tou Hume v Khelao''

[Bukhare Sareef Hadees No-4361,4362,5493 kitab al Zabah wal saed ]


Ahnaaf : Machli k Elawa Tamam Paani k (Murdaar) janwer Haram hai.
jamhur : Paani k Wo janwer jo Paani k Elawa Jenda Nahi rah Sakte , goya wo kisi Tarah Mout Aaye Sab Halal hai.

[Bada al Snaa jild-5 Safa-35]

note:- Zingaa khana bi Makrooh hai ise nahi khana chahiye

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🅱️ बहारे शरीअत ( हिस्सा- 03 )🅱️

_____________________________________   _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 089)*_ ―――――――――――――――――――――             _*🕌नमाज़ पढ़ने का तरीक...