Friday, October 30, 2020

📕 🅰️ बहारे शरीअत (जिल्द - 2️⃣) 🅰️📗

*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 01)*_
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_*( 1 ) इस किताब में पूरी कोशिश की गई है कि इस की इबारत आसान हो और समझने में कोई दिक्कत न हो और कम इल्म लोग औरतें और बच्चे भी इस किताब से फायदा हासिल कर सके फिर भी इल्म बहुत मुश्किल चीज है यह मुमकिन नहीं कि इल्मी दुश्वारियाँ बिल्कुल जाती रहें । किताब पढ़ने पर बहुत से ऐसे मौके आयेंगे कि इल्म वालों से समझने की ज़रूरत पड़ेगी लेकिन इतना फायदा तो जरूर होगा कि इल्म वालों की तरफ तवज्जोह होगी ।*_

 _*( 2 ) इस किताब में मसाइल की दलीलें न लिखी जायेंगी कि अव्वल तो दलीलों को समझना हर शख्स का काम नहीं दूसरे दलीलों की वजह से ऐसी उलझन पड़ जाती है कि मसला समझना दुश्वार हो जाता है लिहाजा हर मसअले में हुक्म बयान कर दिया जायेगा और अगर किसी साहब को दलाइल का शौक हो तो वह फतावाए रज़विया शरीफ का मुतालआ ( पढ़ा ) करें कि उसमें हर मसले की ऐसी तहकीक की गई है जिसकी नज़ीर आज दुनिया में मौजूद नहीं और उस में हजारहा ऐसे मसाइल मिलेंगे जिनसे उलमा के कान भी आशना नहीं ।*_

_*( 3 )कोशिश ऐसी की गई है कि इस किताब में इख्तिलाफ का बयान न होगा कि अवाम के सामने जब दो मुखतलिफ बातें पेश हों तो हैरान रह जाते हैं और सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि किस पर अमल किया जाये और बहुत सी ख्वाहिश के बंदे ऐसे भी होते हैं कि जिसमें अपना फायदा देखते हैं उसे इख्तियार कर लेते हैं यह समझ कर नहीं कि यही हक है बल्कि यह खयाल कर के कि इस में अपना मतलब हासिल होता है फिर जब कभी दूसरे में अपना फायदा देखा तो उसे इख्तियार कर लिया और यह नाजाइज है कि यह शरीअत की पैरवी नहीं बल्कि नफ्स की पैरवी है । लिहाजा हर मसअले में सही हुक्म बयान कर दिया जायेगा कि हर शख्स उस पर अमल कर सके अल्लाह तआला तौफीक दे और मुसलमानों को इस से फायदा पहुँचाये ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 6*_




_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 03)*_
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_*🕋अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है*_

 _*📝तर्जमा : - " और आदमी मैंने इसी लिए पैदा किये कि वह मेरी इबादत करें " । हर थोड़ी सी अक्ल वाला भी जानता है जो चीज जिस काम के लिए बनाई जाये उस काम में न आये तो बेकार है तो इन्सान जो अपने खालिक और मालिक को न पहचाने उस की बंदगी व इबादत न करे वह नाम का आदमी है हकीकतन वह आदमी नहीं बल्कि एक बेकार चीज़ है , तो मालूम हुआ कि इबादत ही से आदमी आदमी है और इसी में दुनिया और आखिरत की भलाई है । लिहाजा हर इन्सान के लिए इबादत की किस्में , अरकान , शराइत और अहकाम का जानना जरूरी है बगैर इल्म के अमल नामुमकिन है । इसी वजह से इल्म सीखना फर्ज है इबादत की अस्ल ईमान है , बगैर ईमान इबादत बेकार कि जड़ ही नहीं तो सब बेकार , दरख्त उसी वक़्त फल फूल लाता है कि उस की जड़ काइम हो जड़ जुदा हो जाने के बाद आग की खुराक होजाता है इसी तरह काफिर लाख इबादत करे उस का सारा किया धरा बर्बाद और वह जहन्नम का ईंधन ।*_

_*🕋अल्लाह तआला फरमाता है_*

_*📝तर्जमा : - " काफिरों ने जो कुछ किया हम उस के साथ यूँ पेश आये कि उसे बिखरे हुए ज़रें की । तरह कर दिया ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 6/7*_




_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 04)*_
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_*जब आदमी मुसलमान हो लिया तो उस के जिम्मे दो किस्म की इबादतें फर्ज़ हैं एक वह जिसका तअल्लुक हाथ पैरों वगैरा से है । दूसरा वह जिसका तअल्लुक दिल से है दूसरी किस्म के अहकाम वगैरह इल्मे सुलूक में बयान होते हैं और पहली किस्म से फिक्ह बहस करता है और इस किताब में मैं पहली किस्म को ही बयान करना चाहता हूँ फिर जिस इबादत को ज़ाहिरी बदन से तअल्लुक है वह दो किस्म की हैं या वह मुआमला कि बन्दे और खास उसके रब के दरमियान है । बन्दों के आपस में किसी काम का बनाव - बिगाड़ नहीं जैसे नमाज़े पंज गाना , रोज़ा कि हर शख्स बिना दूसरे के उन्हें अदा कर सकता है चाहे दूसरे को शिरकत की ज़रूरत हो जैसे नमाजे जमाअत व जुमा व ईदैन में कि बे - जमाअत नामुमकिन है मगर उस से सब का मकसूद सिर्फ मअबूदे बरहक की इबादत है न कि अपने किसी काम का बनाना । दूसरी किस्म वह है कि बन्दों के आपस में तअल्लुकात ही की इस्लाह ( यानी भलाई ) उस में मद्दे नज़र है जैसे निकाह या खरीद व फरोख्त वगैरा । पहली किस्म को इबादत कहते हैं और दूसरी किस्म को मुआमलात । पहली किस्म में अगरचे कोई दुनियावी नफअ बज़ाहिर न हो और मुआमलात में जरूर दुनियावी फायदे ज़ाहिर में मौजूद हैं बल्कि ज़ाहिरी फायदे ही ज़्यादा नज़र आते हैं मगर इबादत दोनों हैं जब कि मुआमलात भी अगर खुदा व रसूल के हुक्म के मुवाफ़िक किये जायें तो सवाब पायेगा वरना गुनाह और अज़ाब का सबब है पहली किस्म यानी इबादत चार हैं पहली नमाज , रोज़ा , हज और जकात , इन सब में सब से ज़्यादा अहम नमाज़ है और यह इबादत अल्लाह को बहुत महबूब है । लिहाज़ा हम को चाहिए कि सब से पहले इसी को बयान करें मगर नमाज़ पढ़ने से पहले नमाज़ी का पाक होना बहुत ज़रूरी है क्यूंकि पाकी व तहारत नमाज़ की कुंजी है । लिहाज़ा तहारत के मसाइल बयान होंगे उस के बाद नमाज़ के मसाइल बयान होंगे ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 7*_




बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 05)*_
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_*🚿तहारत यानी पाकी का बयान*_

_*🕌नमाज के लिये पाकी ऐसी जरूरी चीज़ है कि बिना पाकी के नमाज़ होती ही नहीं बल्कि जान बूझ कर बगैर तहारत नमाज अदा करने को हमारे उलमा कुफ्र लिखते हैं । और क्यों न हो कि उस बेवुजू या बेगुस्ल नेमाज़ पढ़ने वाले ने इबादत की बे अदबी और तौहीन की नबी ﷺ ने फ़रमाया है कि जन्नत की कुंजी नमाज़ है और नमाज़ की कुंजी तहारत है । इस हदीस को इमाम अहमद ने जाबिर रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत किया कि एक रोज नबी ﷺ सुबह की नमाज़ में सूरए रूम पढ़ रहे थे , बीच में शुबह हुआ । नमाज के बाद इरशाद फरमाया कि उन लोगों का क्या हाल है जो हमारे साथ नमाज़ पढ़ते हैं और अच्छी तरह तहारत नहीं करते ।उन्हीं की वजह से इमाम को किरअत में शुबह पड़ता है । इस हदीस को नसई ने शबीब इब्ने अबी रूह से उन्होंने एक सहाबी से रिवायत किया कि बगैर कामिल तहारत के नमाज़ पढ़ने की यह नहूसत है तो बे तहारत नमाज़ पढ़ने की नहूसत की क्या पूछना । तिर्मिज़ी में है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि तहारत निस्फ ( आधा ) ईमान है । यह हदीस हसन है ।*_


_*🚿तहारत की दो किस्में है : - 1 . सुगरा 2 . कुबरा . तहारते सुगरा वुजू है । और तहारते कुबरा गुस्ल । जिन चीजों में सिर्फ वुजू लाज़िम होता है उन को हदसे असगर और जिन चीजों से नहाना फर्जी उन को हदसे अकबर कहा जाता है । अब आप के सामने फिक्ह में बोले जाने वाले कुछ अलफाल की तारीफ लिखी जाती है ।*_

_*👉🏻फर्जे एअतिकादी : - वह फर्ज है जो दलीले कतई से साबित हो यानी ऐसी दलील से साबित हो जिसमें कोई शक न हो उसका इन्कार करने वाला हनफी इमामों के नज़दीक मुतलक काफिर है और अगर यह एअतिकादी फर्ज आम खास पर खुला हुआ दीने इस्लाम का मसला हो और उसका कोई इन्कार करे तो वह ऐसा काफिर है कि जो उसके कुफ्र में शक करे वह खुद काफिर है । बहरहाल जो किसी फर्जे एअतिकादी को बिना किसी सही शरई मजबूरी के जानबूझ कर एक बार भी छोड़े वह फासिक गुनाहे कबीरा का मुरतकिब और जहन्नम के अज़ाब का मुस्तहिक है जैसे नमाज रुकू सजदा ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 7/8*_




 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 06)*_
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_*💎फर्जे अमली : - वह फर्ज है जिसका सुबूत ऐसा कतई तो न हो मगर शरई दलीलों से मुजतहिद की नज़र में यकीन है कि बिना उस के किये आदमी बरीउज़्ज़िम्मा न होगा यहाँ तक कि अगर वह किसी इबादत के अन्दर फर्ज है तो वह इबादत बिना उस के बातिल व बेकार होगी और उसका बिलावजह इन्कार फिस्क व गुमराही है । हाँ अगर कोई शरई दलीलों में नज़र रखने वाला शरई दलीलों से उसका इन्कार करे तो कर सकता है । जैसे मुजतहिद इमामों के इख़्तिलाफ़ात कि एक इमाम किसी चीज़ को फ़र्ज़ कहते हैं और दूसरे नहीं । जैसे हनफ़ियों के नज़दीक वुजू में चौथाई सर का मसह करना फ़र्ज़ है और शाफिई मजहब में एक बाल का और मालिकी मज़हब में पूरे सर का मसह फर्ज है हनफ़ियों के नज़दीक वुजू में बिस्मिल्लाह शरीफ़ का पढ़ना और नियत करना सुन्नत है लेकिन हम्बली और शाफ़िई मजहब में फ़र्ज़ है और इसके अलावा और बहुत सी मिसालें हैं । इस फर्जे अमली में हर आदमी उसी की पैरवी करे जिसका वह मुकल्लिद है । अपने इमाम के खिलाफ बिना शरई जरूरत के दूसरे इमाम की पैरवी जाइज़ नहीं ।*_

 _*💠वाजिबे एअतिकादी : - वाजिबे एअतिकादी वह है कि दलीले जन्नी से उसकी ज़रूरत साबित हो । फर्जे अमली और वाजिबे अमली इसी की दो किस्में हैं और वह इन्हीं दोनों में मुन्हसिर है यानी घिरी हुई है । ( दलीले जन्नी वह दलील है जिस के दुरूस्त और ना दुरूस्त होने पर फैसला मुश्किल हो )*_

 _*💠वाजिबेअमली : - वह वाजिबे एअतिक़ादी है कि बिना उसके किये भी बरीज्जिम्मा होने का एहतिमाल ( शक ) हो मगर गालिबे जन ( गालिब गुमान ) उस की ज़रूरत पर है और अगर किसी इबादत में उसका बजा लानां ज़रूरी हो तो इबादत बे उसके नाक़िस ( अधूरी ) रहेगी मगर अदा हो जायेगी । मुजतहिद दलीले शरई से वाजिब का इन्कार कर सकता है और किसी वाजिब का एक बार भी जान बूझ कर छोड़ना सगीरा मुनाह है और कई बार छोड़ना गुनाहे कबीरा है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 8*_




 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 07)*_
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_*सन्नते मुअक्कदा : - वह जिस को हुजूर अकदस ﷺ ने हमेशा किया हो अलबत्ता बयाने जवाज़ ( जाइज़ होने के बयान ) के वास्ते कभी छोड़ भी दिया हो या वह कि उस के करने की ताकीद की हो मगर छोड़ने का रास्ता बिल्कुल बन्द न किया हो इसी सुन्नते मुअक्कदा का छोड़ना गुनाह और करना सवाब है और कभी छोड़ने पर इताब और उस की आदत सज़ा का मुस्तहक होता है ।*_

_*सुन्नते गैर मुअक्कदा : - वह है कि शरीअत की नज़र में ऐसी चीज़ हो कि उसके छोड़ने को नापसन्द रखे मगर इस हद तक नहीं कि शरीअत उस पर अज़ाब की वईद फरमाये । इस बात से आम है कि हुजूर ने उसको हमेशा किया है या नहीं । उस का करना सवाब और न करना अगरचे आदत के तौर पर हो अज़ाब का सबब नहीं ।*_

_*मुस्तहब : - वह कि शरीअत की नज़र में उसका करना पसन्द हो मगर उसके छोड़ने पर कुछ नापसन्दी न हो चाहे हुजूर अकदस ﷺ ने उसे किया या करने के लिये फरमाया या आलिमों ने पसंद किया हो अगरचे उसका जिक्र हदीस में न आया हो फिर भी उसका करना और न करने पर कुछ नहीं ।*_

_*मुबाह : - वह है जिसका करना और न करना बराबर हो ।*_

 _*हरामे कतई : - यह फर्ज का मुकाबिल ( विलोम ) है । इसका एक बार भी जान बूझ कर करना गुनाहे कबीरा है । इसका करने वाला फासिक है और इससे बचना फर्ज़ और सवाब है ।*_

 _*मकरूहे तहरीमी : - यह वाजिब का मुकाबिल है । इसके करने से इबादत नाकिस यानी अधूरी हो जाती है और करने वाला गुनाहगार होता है अगरचे इसका गुनाह हराम से कम है और चन्द बार इसका करना गुनाहे कबीरा है ।

 _*इसाअत : - जिसका करना बुरा और कभी कभी करने वाला इताबे इलाही का मुस्तहक और बराबर करने वाला अज़ाब का मुस्तहक है और यह सुन्नते मुअक्किदा के मुकाबिल है ।*_

 _*मकरूहे तन्जीही : - जिसका करना शरीअत को पसंद नहीं मगर इस हद तक नहीं कि उस पर अज़ाब की वईद आये यह सुन्नते गैर मुअक्किदा के मुकाबिल है ।*_

 _*खिलाफे औला : - वह कि जिसका न करना बेहतर था अगर किया तो कुछ हरज और अजाब नहीं । यह मुस्तहब का मुकाबिल है । इन बातों के बताने के लिये मुख़्तलिफ किताबों में मुख्तलिफ अल्फाज़ मिलेंगे मगर यही सबका निचोड़ है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 9*_




  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 08)*_
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_*💦वुजू का बयान*_

_*🕋अल्लाह तआला फरमाता है कि*_

 _*📝तर्जमा : - " ऐ ईमान वालो जब तुम नमाज़ पढ़ने का इरादा करो ( और वुजू न हो तो अपने मुँह और कोहनियों तक हाथों को धोओ और सरों का मसह करो और टखनों तक पाँव धोओ " ।*_

 _*मुनासिब मालूम होता है कि अब वुजू की फजीलत में चन्द हदीसें लिखी जायें फिर उसी मुतअल्लिक अहकामे फिक्ही का बयान हो ।*_

_*📗हदीस न . 1 : - इमाम बुखारी और इमाम मुस्लिम ने हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्ह से रावी हुजूरे अकदस ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि कियामत के दिन मेरी उम्मत इस हालत में बुलाई जायेगी कि मुँह , हाथ और पैर वुजू की वजह से चमकते होंगे तो जिस से हो सके चमक ज्यादा करे ।*_

_*📗हदीस न 2 : - सही मुस्लिम में हजरते अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुजूर सय्यदे आलम ﷺ ने सहाबा से इरशाद फरमाया कि क्या मैं तुम्हे ऐसी चीज़ न बता दूं कि जिसके सबब अल्लाह तआला खतायें माफ कर दे और दर्जे बलंद करे । सहाबा ने अर्ज किया हाँ या रसूलल्लाह ! हुजूर ने फरमाया जिस वक़्त वुजू नगावार होता है उस वक़्त अच्छी तरह पूरा वुजू करना और मस्जिदों की तरफ ज्यादा जाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज का इन्तेजार करना इसका सवाब ऐसा है जैसा काफिरों की सरहद पर इस्लामी शहरों की हिमायत के लिये घोड़ा बाँधने का सवाब है ।*_

_*📗हदीस न . 3 : - इमाम मालिक व नसई अब्दुल्लाह सनाबिही रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी रसूलुल्लाह ﷺ फरमाते हैं कि मुसलमान बन्दा जब वुजू करता है तो कुल्ली करने से उसके मुँह के गुनाह गिर जाते हैं और जब नाक में पानी डाल कर नाक साफ किया तो नाक के गुनाह निकल गये और जब मुँह धोया तो उसके चेहरे के गुनाह निकले यहाँ तक कि पलकों के निकले और जब हाथ धोये तो हाथों के गुनाह निकले यहाँ तक कि हाथों के नाखूनों से निकले और जब सर का मसह किया तो सर के गुनाह निकले यहाँ तक कि कानों से निकले और जब पाँव धोए तो पाँवों की खतायें निकलीं यहाँ तक कि नाखूनों से फिर उसका मस्जिद में जाना और नमाज इस पर ज्यादा ( सवाब ) है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 9/10*_





_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 09)*_
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'*📚हदीस न . 4*_
              _*. . . . . . ✍🏻बज्जाज़ ने हसन असनाद के साथ रिवायत की कि हजरते उसमान गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु ने अपने गुलाम हमरान से वुजू के लिये पानी माँगा और सर्दी की रात में बाहर जाना चाहते थे । हमरान कहते हैं कि मैं पानी लाया उन्होंने मुँह हाथ धोये तो मैंने कहा अल्लाह आपको किफायत करे रात तो बहुत ठंडी है उस पर उन्होंने फ़रमाया कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सुना है । कि जो बंदा अच्छी तरह पूरा वुजू करता है अल्लाह तआला उस के अगले पिछले गुनाह बख्श देता है ।*_


 _*📚हदीस न . 5*_
                _*. . . . . . ✍🏻तबरानी ने औसत में हज़रते अमीरूल मोमिनीन मौला अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो सख्त सर्दी में कामिल वुजू करे उसके लिये दूना सवाब है ।*_

 _*📚हदीस न . 6*_
                _*. . . . . . ✍🏻इमामे अहमद इब्ने हम्बल ने हजरते अनस रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की कि हजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो एक - एक बार वुजू करे तो यह जरूरी बात है और जो दो - दो बार करे तो उसको दूना सवाब है और जो तीन - तीन बार धोये तो यह मेरा और अगले नबियों का वुजू हैं ।*_

_*📚हदीस न . 7*_
               _*. . . . . . ✍🏻सही मुस्लिम में उकबा इब्ने आमिर रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो मुसलमान वुजू करे और अच्छा वुजू करे फिर खड़ा हो और ज़ाहिर व बातिन से अल्लाह की तरफ ध्यान देकर दो रकअत नमाज़ पढ़े तो उसके लिये जन्नत वाजिब हो जाती है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 10/11*_




_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 10)*_
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_*हदीस न . 8 : - मुस्लिम में हज़रते अमीरूल मोमिनीन फ़ारूके आज़म उमर इब्ने ख़त्ताब रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि तुम में से जो कोई वुजू करे कामिल वुजू करे फिर पढ़े*_

_*اَشْهَدُ اَنْ لَّآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَ اَشْهَدُ اَنَّ مُحَمَّدً اعَبْدُهٗ وَرَسُولُهٗ*_

_*📝तर्जमा : - " मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नहीं वह अकेला है उस का कोई शरीक नहींऔर मैं गवाही देता हूँ कि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उस के बन्दे और उसके रसूल हैं । " तो उसके लिये जन्नत के आठों दरवाजे खोल दिये जाते हैं जिस दरवाजे से चाहे दाखिल हो जाये ।*_

_*हदीस : - न . 9 तिर्मिज़ी ने हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत किया है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो मोमिन आदमी वुजू पर वुजू करे उसके लिए दस नेकियाँ लिखी जायेंगी ।*_

 _*हदीस न . 10 : - इब्ने खुजैमा अपनी सहीह में रावी हैं कि अब्दुल्लाह इब्ने बुरीदा अपने वालिद से रिवायत करते हैं कि एक दिन सुबह को हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रते बिलाल को बुलाया और फरमाया कि ऐ बिलाल किस अमल ( काम ) के सबब तू जन्नत में मुझ से आगे - आगे जा रहा था , मैं रात जन्नत में गया तो तेरे पाँव की आहट अपने आगे पाई । बिलाल रदियल्लाहु तआला अन्हु ने अर्ज की कि या रसूलल्लाह जब मैं अज़ान कहता हूँ तो दो रकअत नमाज़ पढ़ लिया करता हूँ और मेरा जब कभी वुजू टुटता वुजू कर लिया करता । हुजूर ने फ़रमाया इसी वजह से ।*_

_*हदीस न . 11 : - तिर्मिज़ी व इब्ने माजा सईद इब्ने जैद रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जिसने बिस्मिल्लाह नहीं पढ़ी उसका वुजू नहीं यानी पूरा वुजू नहीं । उसके मअ्नी यह हैं जो दूसरी हदीस में इरशाद फरमाया ।*_

_*हदीस न . 12 : - दारे कुतनी और बैहकी में अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि हुजूर ने इरशाद फ़रमाया है कि जिसने बिस्मिल्लाह कह कर वुजू किया उसका सर से पाँव तक सारा बदन पाक हो गया और जिसने बगैर बिस्मिल्लाह वुजू किया उसका उतना ही बदन पाक होगा जितने पर पानी गुजरा ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 11*_




*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 11)*_
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_*हदीस न . 14 : - तबरानी बइसनादे हसन हज़रते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अगर यह बात न होती कि मेरी उम्मत पर शाम ( भारी ) होगा तो मैं उनको वुजू के साथ मिस्वाक करने का हुक्म फरमा देता ( यानी फ़र्ज़ कर देता और कुछ रिवायतों में फर्ज का लफ्ज़ भी आया है )*_

_*हदीस न . 15 : - इसी तबरानी की एक रिवायत में है कि सय्यदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उस वक़्त तक किसी नमाज़ के लिये तशरीफ न ले जाते जब तक कि मिस्वाक न कर लेते ।*_

 _*हदीस न . 16 : - सही मुस्लिम शरीफ में हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि हुजूर बाहर से जब घर में तशरीफ़ लाते सब से पहला काम मिस्वाक करना होता ।*_

 _*हदीस न . 17 : - इमाम अहमद हजरते इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत करते हैं कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मिस्वाक का इन्तिजाम रखो कि वह सबब है मुँह की सफाई और रब तबारक व तआला की रज़ा का ।*"

 _*हदीस न . 18 : - अबू नईम हज़रते जाबिर रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाह तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि दो रकअतें जो मिस्वाक करके पढी जाये । बे मिस्वाक की सत्तर रकअतों से अफज़ल हैं ।*_

 _*हदीस न . 19 : - एक और रिवायत में है कि जो नमाज़ मिस्वाक कर के पढ़ी जाये वह उस नमाज से सत्तर हिस्से अफज़ल है जो बिना मिस्वाक के पढ़ी जाये ।*_

 _*हदीस न . 20 : - मिश्कात शरीफ़ में हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि दस चीजें फितरत से हैं ( यानी उनका हुक्म हर शरीअत में था ) 1 . मूछे कतरना 2 . दाढ़ी बढ़ाना 3 . मिस्वाक करना 4 . नाक में पानी डालना 5 . नाखुन तराशना 6 . उँगलियों को धोना 7 . बगल के बाल दूर करना 8 . नाफ के नीचे के बाल मूंडना 9 . इस्तिन्जा करना ( नजासत निकलने की जगह को पाक करना ) 10 . कुल्ली करना ।*_

 _*हदीस न . 21 : - हजरते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि बन्दा जब मिस्वाक कर लेता है फिर नमाज़ को खड़ा होता है तो फरिश्ता उसके पीछे खड़े होकर किरात सुनता है फिर उससे करीब होता है यहाँ तक कि अपना मुँह उसके मुँह पर रख देता है ।*_

 _*मशाइखे किराम फरमाते हैं कि जो मोमिन आदमी मिस्वाक की आदत रखता हो तो मरते वक़्त उसे कलिमा पढ़ना नसीब होगा और जो अफयून ( अफीम ) खाता हो मरते वक़्त उसे कलिमा नसीब न होगा ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 11/12*_




*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 12)*_
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_*📚अहकामे फ़िक्ही*_

_*📝वह आयते करीमा जो ऊपर लिखी गई है उससे यह साबित है कि वुजू में चार फ़र्ज़ हैं*_

_*👤1 मुहँ धोना।*_

_*🤳2 . कोहनियों समेत दोनों हाथों को धोना।*_

 _*3 . सर का मसह करना।*_

_*👣4 . टखनों समेत दोनों पाँव का धोना ।*_

_*💎फायदा : - किसी उज्व के धोने के यह मअनी हैं कि उस उज्व के हर हिस्से पर कम से कम दो - दो बूंँदें पानी बह जाये । भीग जाने या तेल की तरह पानी चुपड़ लेने या एक आध बूंद बह जाने को धोना नहीं कहेंगे न उससे वुजू या गुस्ल अदा हो । ्इस बात का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है लोग इसकी तरफ ध्यान नहीं देते और नमाज़े अकारत जाती हैं यानी बरबाद होती हैं । बदन में कुछ जगह ऐसी हैं कि जब तक उनका खास ख्याल न किया जाये उन पर पानी नहीं बहेगा जिसकी तशरीह हर उज्व में की जायेगी किसी जगह मौज़ए हदस ( हदस की जगह ) पर तरी पहूँचने को मसह कहते हैं ।*_

 _*💫1 .मुँह धोना : - लम्बाई में शुरू पेशानी से ( यानी सर में पेशानी की तरफ का वह हिस्सा जहाँ से आम तौर पर बाल जमने शुरू होते हैं । ठोड़ी तक और चौड़ाई में एक कान से दूसरे कान तक मुँह है इस हद के अन्दर चमड़े के हर हिस्से पर एक बार पानी बहाना फर्ज है ।*_

 _*✍🏻मसअ्ला : - जिस के सर के अगले हिस्से के बाल गिर गये या जमे नहीं उस पर वहीं तक मुँह धोना फर्ज है जहाँ तक आदत के मुवाफिक बाल होते हैं और अगर आदत के खिलाफ किसी के नीचे तक बाल जमे हों तो उन ज्यादा बालों का जड़ तक धोना फर्ज है ।*_

_*✍🏻मसअ्ला : - मूंछों , भवों या बच्ची ( यानी वह बाल जो नीचे के होंट और ठोड़ी के बीच में होते हैं ) के बाल ऐसे घने हो कि खाल बिल्कुल न दिखाई दे तो चमड़े का धोना फ़र्ज़ नहीं और अगर उन जगहों के बाल घने न हों तो जिल्द का धोना भी फर्ज है ।

 _*✍🏻मसअ्ला : - अगर मूंछे बढ़कर लबों को छुपा लें तो अगरचे मूंछे घनी हों उनको हटाकर लब का धोना फर्ज है ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 12/13*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 13)*_
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_*💎मसअला : - दाढ़ी के बाल अगर घने न हों तो चमड़े का धोना फर्ज है और अगर घने हों तो गले की तरफ दबाने से जिस कद्र चेहरे के घेरे में आयें उनका धोना फर्ज है और जड़ों का धोना फर्ज़ नहीं और जो हल्के से नीचे हों उनका धोना ज़रूरी नहीं और अगर कुछ हिस्से में घने हों और कुछ छिदरे हों तो जहाँ घने हों तो वहाँ बाल और जहाँ छिदरे हों उस जगह जिल्द ( खाल ) का धोना फर्ज है ।*_

 _*💎मसअला : - लबों का हिस्सा जो आदत में लब बन्द करने के बाद जाहिर रहता है उसका धोना फर्ज है अगर कोई खूब ज़ोर से लब बन्द कर ले कि उस में का कुछ हिस्सा छुप गया कि उस पर पानी न पहुँचा न कुल्ली की कि धुल जाता तो वुजू न हुआ । हाँ वह हिस्सा जो आम तौर पर आदत में मुँह बन्द करने से जाहिर नहीं होता उस का धोना फर्ज़ नहीं ।*_

 _*💎मसअला : - रूखसार ( गाल ) और कान के बीच जो जगह है जिसे कन्पटी कहते हैं उसका धोना फर्ज है । हाँ उस हिस्से में जितनी जगह दाढ़ी के घने बाल हों वहाँ बालों का और जहाँ बाल न हों तो जिल्द का धोना फर्ज है ।*_

 _*💎मसअला : - नथ का सूराख अगर बन्द न हो तो उस में पानी बहाना फर्ज है अगर तंग हो तो पानी डालने में नथ को हिलाये वरना ज़रूरी नहीं ।*_

 _*💎मसअला : -आँखों के ढेले और पपोटों की अन्दरूनी सतह का धोना कुछ ज़रूरी नहीं बल्कि चाहिये कि उस से नुकसान है ।*_

 _*💎मसअला : - मुँह धोते वक़्त आँखें जोर से नीचे लीं कि पलक के करीब एक हल्की सी तहरीर बन्द हो गई और उस पर पानी न बहा और वह आदत में बन्द करने से ज़ाहिर रहती हो तो वुजू हो जायेगा मगर ऐसा करना नहीं चाहिये और अगर कुछ ज़्यादा धुलने से रह गया तो वुजू न होगा ।*_

 _*💎मसअला : - आँख के कोए पर पानी बहना फर्ज है मगर सुर्मे का जिर्म ( कण ) कोए या पलक में रह गया और वुजू कर लिया लेकिन पता न चला और नमाज पढ़ ली तो हरज नहीं नमाज हो गई और वुजू भी हो गया और अगर मालूम है तो उसे छुड़ा कर पानी बहाना जरूरी है ।*_

 _*💎मसअला : - पलक का हर बाल पूरा धोना फर्ज है और अगर उस में कीचड़ वगैरा कोई सख्त चीज | जम गई हो तो उसका छुड़ाना फर्ज है ।*_

_*2 . हाथ धोना : - इस हुक्म में कोहनियाँ भी शमिल हैं ।*_

_*💎मसअला - अगर कोहनियों से नाखून तक कोई जगह ज़र्रा भर भी धुलने से रह जायेगी तो वुजू न होगा ।*_

_*💎मसअला : - हर किस्म के जाइज नाजाइज़ गहने , छल्ले , अगुँठियाँ , पहुँचियाँ , कंगन , काँच और लाख वगैरा की चूड़ियाँ और रेशम के लच्छे वगैरा अगर इतने हों कि नीचे पानी न बहे तो उतार कर धोना फर्ज हैं और अगर सिर्फ हिलाकर धोने से पानी बह जाता हो तो हिलाना जरूरी है और अगर ढीले हों कि बिना हिलाये भी नीचे पानी बह जायेगा तो कुछ ज़रूरी नहीं ।*_

 _*💎मसअला : - हाथों की आठों घाईयाँ , उंगलियों की करवटों और नाखूनों के अन्दर जो जगह खाली है और कलाई का हर बाल जड़ से नोक तक उन सब पर पानी बह जाना ज़रूरी है । अगर कुछ भी रह गया या बालों की जड़ों पर पानी बह गया और किसी एक बाल पर पानी न बहा तो वुजू न हूआ मगर नाखुनों के अन्दर का मैल मुआफ है ।*_

 _*💎मसअला : - अगर किसी की छह उंगलियाँ हैं तो सबका धोना फर्ज है और अगर एक मोढ़े पर दो हाथ निकले तो जो पूरा है उसका धोना फर्ज है और दूसरे का धोना फर्ज नहीं मुस्तहब है मगर उस दूसरे हाथ का वह हिस्सा जो पूरे हाथ के फ़र्ज़ की जगह से मिला हो उतने का धोना फर्ज है ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 13/14*_





 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 14)*_
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 . _*3 . सर का मसह करना : - ( चौथाई सर का मसह करना फर्ज है ।*_

_*💎मसअला : - मसह करने के लिए हाथ तर होना चाहिये चाहे साथ में तरी उज्व ( अंगो ) के धोने के बाद रह गई हो या नये पानी से हाथ तर कर दिया हो ।*_

_*💎मसअला : - किसी उज्व के मसह के बाद जो हाथ में तरी बाकी रह जायेगी वह दूसरे उज्व के मसह के लिये काफी न होगी ।*_

 _*💎मसअला : - सर पर बाल न हों तो जिल्द की चौथाई और जो बाल हों तो खास सर के बालों की चौथाई का मसह फर्ज है और सर का मसह इसी को कहते हैं ।*_

_*💎मसअला : - इमामे ( पगड़ी ) टोपी और दुपट्टे पर मसह काफी नहीं हाँ अगर टोपी या दुपट्टा इतना बारीक हो कि तरी फूट कर चौथाई सर को तर कर दे तो मसह हो जायेगा ।*_

 _*💎मसअला : - सर से जो बाल लटक रहे हों उस पर मसह करने से मसह न होगा ।

 _*4 . पाँव धोना - चौथा फर्ज पाँव को गट्टों समेत एक बार धोना है । छल्ले और पाँव के गहनों का वही हुक्म है जो ऊपर बताया गया है ।*_

 _*💎मसअला - कुछ लोग किसी बीमारी की वजह से पाँव के अँगूठों में इतना खींच कर तागा बाँध लेते हैं कि पानी का बहना तो दर किनार तागे के नीचे तर भी नहीं होता उनको इससे बचना ज़रूरी है नहीं तो ऐसी सूरत में वुजू नहीं होता।*_

_*💎मसअला : - घाईयों और उंगलियों की करवटें तलवे , एड़ियाँ , कोंचे सबका धोना फर्ज है ।*_

_*💎मसअला : - बदन के जिन आजा का धोना फर्ज है उन पर पानी बह जाना शर्त है । यह जरूरी नहीं कि कस्द और इरादे से पानी बहाये बल्कि अगर बिना इख्तियार भी उन पर पानी बह जाये ( जैसे पानी बरसा और वुजू के हर हिस्से से दो दो कतरे बह गये ) तो वुजू के हिस्से धुल गये और सर का चौथाई हिस्सा धुल गया तो ऐसी सूरत में वुजू की शर्त पूरी हो गई या कोई आदमी तालाब में गिर पड़ा और वुजू के हिस्से पर पानी गुजर गया तो भी वुजू हो गया ।*_

_*💎मसअला : - जिस चीज़ की आदमी को आम या खास तौर पर ज़रूरत पड़ती रहती है अगर उसमें ज्यादा एहतियात की जाये तो हरज हो तो वह माफ है । नाखूनों के अन्दर या ऊपर या और किसी धोने की जगह पर उस के ' लगे रह जाने से अगरचे जिर्मदार हो अगरचे उस के नीचे पानी न पहुँचे अगरचे सख्त चीज़ हो वुजू हो जायेगा जैसे पकाने गूंधने वालों के लिये आटा , रंगरेज , के लिये रंग का जिर्म , औरतों के लिये मेंहदी का जिर्म , लिखने वालों के लिये रोशनाई का जिर्म , मजदूर के लिए गारा मिट्टी आम लागों के लिये कोए या पलक में सुर्मे का जिर्म इसी तरह बदन का मैल मिट्टी , गुबार मक्खी मच्छर की बीट वगैरा।*_

 _*💎मसअला : - किसी जगह छाला था और वह सूख गया उसकी खाल जुदा कर के पानी बहाना जरूरी नहीं बल्कि उसी छाले की खाल पर पानी बहा लेना काफी है फिर उस को जुदा कर दिया तो अब भी उस पर पानी बहाना ज़रूरी नहीं ।*_

 _*💎मसअला : - मछली का सिन्ना अगर वुजू के हिस्से पर चिपका रह गया तो वुजू न होगा कि पानी उस के नीचे न बहेगा ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 14/15*_




*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 15)*_
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_*💦वुजू की सुन्नतें*_


_*💎मसअला : - वुजू पर सवाब पाने के लिये अल्लाह तआला का हुक्म बजा लाने की नियत से वुजू करना ज़रूरी है नहीं तो वुजू तो हो जायेगा सवाब नहीं होगा ।*_

_*💎मसअला : - वुजू बिस्मिल्लाह से शुरू करे और अगर वुजू से पहले इस्तिन्जा करे तो इस्तिन्जा करने से पहले भी बिस्मिल्लाह कहे मगर पाख़ाने में जाने बदन खोलने से पहले कहे कि नजासत की जगह में पाखाने में और बदन खोलने के बाद अल्लाह का ज़िक्र मना है ।*_

 _*💎मसअला : - वुजू शुरू यूँ करे कि पहले हाथों को गट्टों तक तीन - तीन बार धोये अगर पानी बड़े बर्तन में हो और कोई छोटा बर्तन भी नहीं कि उसमें पानी उंडेल कर हाथ धोये तो उसे चाहिये कि बायें हाथ की उंगलियाँ मिलाकर सिर्फ उंगलियाँ पानी में डाले हथेली का कोई हिस्सा पानी में न पड़े और पानी निकाल कर दाहिना हाथ गट्टे तक तीन बार धोये फिर दाहिने हाथ को जहाँ तक धोया है बिला तकल्लुफ पानी में डाल सकता है और उस से पानी निकाल कर बायाँ हाथ धोये यह उस सूरत में है कि हाथ में कोई नजासत न लगी हो वर्ना बर्तन में हाथ डालना किसी तरह जाइज़ नही अगर नापाक हाथ बर्तन में डालेगा तो पानी नापाक हो जायेगा ।*_

_*💎मसअला : - अगर छोटे बर्तन में पानी है या पानी तो बड़े बर्तन में है मगर वहाँ कोई छोटा बर्तन मौजूद है और उसने बे धोये हाथ पानी में डाल दिया बल्कि उंगली का पोरा या नाखून डाला " वह सारा का सारा पानी वुजू के काबिल न रहा जैसा कि हिदाया , फतहुल कदीर और फतावा काजी खाँ में है क्यूँकि वह पानी मुस्तअमल ( इस्तेमाल किया हुआ ) हो जाता है यह उस वक़्त है कि जितना हाथ पानी में पहुँचा उस का कोई हिस्सा बे धुला हो वर्ना अगर पहले हाथ धो चुका और उस के बाद हदस न हुआ ( वुजू टूटने का सबब न पाया गया ) तो जिस कद्र हिस्सा धुला हुआ हो उतना पानी में डालने से मुस्तअमल न होगा अगरचे कोहनी तक हो बल्कि गैर - जुनुब ( जिस पर गुस्ल फ़र्ज़ न हो यानी पाक शख्स ) ने अगर कुहनी तक हाथ धो लिया तो उसके बाद बगल तक डाल सकता है कि अब उस के हाथ पर कोई हदस बाकी नहीं । हाँ जुनब कुहनी से ऊपर उतना ही हिस्सा डाल सकता है जितना धो चुका है कि उस के सारे बदन पर हदस है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 15/16*_





_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 16)*_
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_*💦वुजू की सुन्नतें*_

_*💎मसअला : - जब सोकर उठे तो पहले हाथ धोये इस्तिन्जे से पहले भी और बाद भी कम से कम तीन - तीन बार दाहिने , बायें , ऊपर , नीचे के दाँतों में मिस्वाक करे और हर बार मिस्वाक को धो ले । मिस्वाक न तो बहुत सख्त हो न बहुत नर्म और मिस्वाक पीलू जैतून या नीम वगैरा कड़वी लकडी की हो , मेवे या खुश्बूदार फूल के पेड़ की न हो छंगुलिया के बराबर मोटी और ज्यादा से ज्यादा एक बालिश्त लम्बी हो और इतनी छोटी भी न हो कि मिस्वाक करने में परेशानी हो जो मिस्वाक एक बालिश्त से ज़्यादा हो उस पर शैतान बैठता है । मिस्वाक जब करने के काबिल न रहे तो उसे दफन कर देना चाहिए या किसी ऐसी जगह रख दे कि किसी नापाक जगह न गिरे क्यूँकि एक तो वह सुन्नत के अदा करने का ज़रिआ है इसलिये उसकी ताज़ीम चाहिए । दूसरे यह कि मुसलमानों के थूक को नापाक जगह गिरने से बचाना चाहिए इसीलिए पाख़ाने में थूकने को हमारे उलमा अच्छा नहीं समझते ।*_

 _*💎मसअला : - मिस्वाक दाहिने हाथ से करना चाहिये और मिस्वाक इस तरह हाथ मे ली जाये कि छंगुलिया मिस्वाक के नीचे और बीच की तीन उंगलियाँ ऊपर और अँगूठा सिरे पर नीचे हो और मुट्ठी न बँधे ।*_

_*💎मसअला : - दाँतों की चौड़ाई में मिस्वाक करे लम्बाई में नहीं चित लेट कर मिस्वाक न करे ।*_

 _*💎मसअला : - पहले दाहिने जानिब के ऊपर के दाँत मांझे फिर बाईं जानिब के ऊपर के दाँत फिर दाहिनी तरफ के नीचे के दाँत और फिर बाई तरफ के नीचे के ।*_

 _*💎मसअला : - जब मिस्वाक करना हो तो उसे धो लें और मिस्वाक करने के बाद भी उसे धो डालें , ज़मीन पर पड़ी न ' छोड़ें बल्कि खड़ी रखें और उसे इस तरह खड़ी रखें कि उस के रेशे वाला हिस्सा ऊपर रहे ।*_

 _*💎मसअला : - फिर तीन चुल्लू पानी से तीन कुल्लियाँ करे कि हर बार मुँह के अन्दर हर हिस्से पर पानी बह जाये और रोज़ादार न हो तो गरारा करे ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 16*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 17)*_
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_*💦वुजू की सुन्नतें*_

_*💎मसअला : - फिर तीन चुल्लू से तीन बार नाक में पानी चढ़ाये कि जहाँ तक नर्म गोश्त होता है हर बार उस पर पानी बह जाये और रोज़ादार न हो तो नाक की जड़ तक पानी पहुँचाये और यह दोनों काम दाहिने हाथ से करे फिर बायें हाथं से नाक साफ करे ।*_

_*💎मसअला : - मुँह धोते वक़्त दाढ़ी का खिलाल करे अगर एहराम बाँधे हुए हो तो खिलाल न करे खिलाल का तरीका यह होगा कि उंगलियों को गले की तरफ से दाखिल करे और सामने निकाले ।*_

 _*💎मसअला : - हाथ पाँव की उंगलियों का खिलाल करे पाँव की उंगलियों का खिलाल बायें हाथ की छंगुलिया से करे इस तरह कि दाहिने पाँव में छंगुलिया से शूरू करे और अँगूठे पर ख़त्म करे और बायें पाँव में अँगूठे से शुरू कर के छंगुलिया पर खत्म करे और अगर बे खिलाल किये पानी उंगलियों के अन्दर से न बहता हो तो खिलाल फ़र्ज़ है यानी पानी पहुँचाना अगरचे बे खिलाल हो जैसे घाईयाँ खोलकर ऊपर से पानी डाल दिया या पाँव हौज़ में डाल दिया ।*_

_*💎मसअला : - वुजू के जो हिस्से धोने के हैं । उनको तीन - तीन बार हर मरतबा इस तरह धोये कि कोई हिस्सा न रह जाये नहीं तो सुन्नत अदा न होगी ।*_

_*💎मसअला : - अगर यूँ किया कि पहली मरतबा कुछ धुल गया और दूसरी बार कुछ और तीसरी बार कुछ कि तीनों बार में पूरा उज्व धुल गया तो यह एक ही बार धोना होगा इस तरह वुजू तो हो जायेगा लेकिन सुन्नत के खिलाफ़ है क्योंकि इसमें चुल्लूओं की गिनती नहीं बल्कि पूरा उज्व धोने की गिनती है कि उज्व का धोना तीन बार हो अगरचे कितने ही चुल्लूओं से धोना पड़े ।*_

 _*💎मसअला : - पूरे सर का एक बार मसह करना और कानों का मसह करना और तरतीब कि पहले मुँह फिर हाथ धोये फिर सर का मसह करे फिर पाँव धोये अगर तरतीब के खिलाफ वुजू किया था और कोई सुन्नत छोड़ गया तो वुजू तो हो जायेगा लेकिन ऐसा करना बुरा है और अगर सुन्नते मुअक्कदा के छोड़ने की आदत डाली तो गुनहगार है और दाढ़ी के जो बाल मुँह के दायरे से नीचे हैं उनका मसह सुन्नत और धोना मुस्तहब है और वुजू के हिस्सों को इस तरह धोना कि पहले वाला उज्व सूखने न पाये ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 16/17*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 18)*_
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_*💦वुजू के मुस्तहब्बात*_

 _*💫बहुत से वुजू के मुस्तहब भी ऊपर ज़िक्र हो चुके और जो कुछ बाकी रह गये हैं वह लिखे जाते हैं ।*_

 _*💎मसअला : - दाहिनी तरफ़ से शूरू करे मगर दोनों रुखसार कि इन दोनों को साथ ही साथ धोयेंगे ऐसे ही दोनों कानों का मसह साथ ही साथ होगा । हाँ अगर किसी के एक ही हाथ हो तो मुँह धोने और मसह करने में भी दाहिने से पहल करे । उंगलियों की पुश्त से गर्दन का मसह करना । वुजू करते वक़्त काबे की तरफ ऊँची जगह बैठना । वुजू का पानी पाक जगह गिराना । पानी गिरते वक़्त वुजू के हिस्सों पर हाथ फेरना ख़ास कर जाड़े में । पहले तेल की तरह पानी चुपड़ लेना ख़ास कर जाड़े में । अपने हाथ से पानी भरना । दूसरे वक़्त के लिये पानी भर कर रखना । वुजू करने में बगैर ज़रूरत दूसरे से मदद न लेना । अँगूठी पहने हुए हो तो उसको हिलाना जब कि ढीली हो ताकि उसके नीचे पानी बह जाये । अगर ढीली न हो तो उसका हिलाना फर्ज है । कोई मजबूरी न हो तो वक़्त से पहले वुजू करना । इत्मिनान से वुजू करना । आम लोगों में जो मशहूर है कि वुजू जवानों की तरह और नमाज बूढ़ों की तरह यानी वुजू जल्दी करे लेकिन ऐसी जल्दी न चाहिए कि जिससे कोई सुन्नत या मुस्तहब छूट जाये । कपड़ों को टपकते कतरों से महफूज रखना । कानों का मसह करते वक़्त भीगी छंगलियाँ कानों के सराख में दाखिल करना । जो आदमी पूरे तौर पर वुजू करता का कि कोई जगह बाकी न रह जाती हो उसे कोयों टखनों , एड़ियों , तल्वों , कूचों , घाईयों और कहनियों का खास तौर पर ख्याल रखना मुस्तहब है और बे - ख्याली करने वालों को तो फर्ज़ है कि अकसर देखा गया है कि यह जगहें सूखी रह जाती हैं और यह बात बे - ख्याली से होती है और ऐसी बे - ख्याली हराम है और इन बातों का ख्याल रखना फर्ज है ।*_



_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 17/18*_




_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 19)*_
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_*💦वुजू के मुस्तहब्बात*_

 _*वुजू का बर्तन मिट्टी का हो ताँबे वगैरा का हो तो भी हरज नहीं मगर उस पर कलई हो । अगर वुजू का बर्तन लोटे की किस्म से हो तो उसे बाई तरफ रखे और तश्त की किस्म से हो तो दाहिनी तरफ । आफताबे ( लोटा ) में दस्ता लगा हो तो दस्ते को तीन बार धो लें और हाथ उस के दस्ते पर रखे । दाहिने हाथ से कुल्ली करना और नाक में पानी डालना । बायें हाथ से नाक साफ करना । बायें हाथ की छंगुलिया नाक में डालना । पाँव को बायें हाथ से धोना । मुँह धोने में माथे के सिरे पर ऐसा फैला कर पानी डालें कि ऊपर का भी कुछ हिस्सा धुल जाये ।*_

_*📍तम्बीह : - बहुत से लोग ऐसा करते हैं कि नाक , आँख या भवों पर चुल्लू डाल कर सारे मुँह पर हाथ फेर लेते हैं और यह समझते हैं कि मुँह धुल गया हालाँकि पानी का ऊपर चढ़ना कोई मअनी नहीं रखता इस तरह धोने में मुँह नहीं धुलता और वुजू नहीं होता । दोनों हाथों से मुँह धोना । हाथ पाँव धोने में उंगलियों से शूरू करना । चेहरे और हाथ पाँव की रौशनी वसी करना यानी जितनी जगह पर पानी बहाना फर्ज है उसके आस पास कुछ बढ़ाना जैसे आधे बाजू और आधी पिंडली तक धोना सर में मसह का मुस्तहब तरीका यह है कि अँगूठे और कलिमे की उंगली के सिवा एक हाथ की बाकी तीन उंगलियों का सिरा दूसरे हाथ की तीन उंगलियों के सिरे से मिलायें और पेशानी के बाल या खाल पर रख कर गुद्दी तक इस तरह ले जायें कि हथेलियाँ सर से जुदा रहें वहाँ से हथेलियों से मसह करता वापस लाये और कलिमे की उंगली के पेट से कान के अन्दरूनी हिस्से का मसह करें और अँगूठे के पेट से कान की बैरूनी सतह ( बाहरी हिस्सा ) का और उंगलियों की पुश्त से गर्दन का मसह करना । हर उज्व धोकर उस पर हाथ फेर देना चाहिए कि बूंदें बदन या कपड़े पर न टपकें , खास कर जब मस्जिद में जाना हो कि कतरों का मस्जिद में टपकना मकरूहे तहरीमी है । बहुत भारी बर्तन से कमज़ोर आदमी वुजू न करे क्योंकि बे एहतियाती से पानी गिरेगा । जुबान से कह लेना कि वुजू करता हूँ । हर उज्व के धोते या मसह करते वक़्त वुजू की नियत का हाज़िर रहना ।*_



_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 18*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 20)*_
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_*💦वुजू की दुआये*_

_*वुजू में जो दुआयें पढ़ी जाती हैं उनका पढ़ना मुस्तहब है नीचे मुस्तहब दुआयें लिखी जाती हैं ।*_

_*1 . वुजू करते वक़्त बिस्मिल्लाह शरीफ़ पढ़ें ।*_                               

  _*📝तर्जमा : - " अल्लाह के नाम से शूरू जो बहुत मेहरबन रहमत वाला ।" और दूरूद शरीफ पढ़े ।*_

_*अल्लाह हुम्म सल्लि अला सय्यदिना व मौलाना मुहम्मदिव व आलिही व असहाबिही अजमईन ।*_

_*📝तर्जमा : - “ ऐ अल्लाह तू रहमत नाज़िल फ़रमा हमारे सरदार और हमारे मौला मुहम्मद ( सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ) पर और उनकी आल , असहाब सब पर ।*_

 _*2 दूसरा कलिमा पढ़े और बिस्मिल्लाह , दुरूद शरीफ और यह कलिमा हाथ धोते वक़्त पढ़ना मुस्तहब है दूसरा कलिमा यह है:- अश्हदु अल लाइलाह इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीका लहू व अश्हदु अन्न सय्यदिना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू ।_*

 _*📝तर्जमा : - " मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं और गवाही देता हूँ कि हमारे सरदार मुहम्मद ( सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ) उसके बन्दे और रसूल हैं ।*_


_*3 . कुल्ली करते वक़्त यह दुआ पढ़ें :- अल्लाहुम्मा अइन्नी अला तिलावतिलकुर्आनि व . जिकरिका व शुक्रिका व हुस्नि इबादतिका ।*_

_*📝तर्जमा : - " ऐ अल्लाह तू मेरी मदद कर कि कुर्आन की तिलावत और तेरा ज़िक्र और शुक करूँ और तेरी अच्छी इबादत करूँ ।*_

 _*4 . नाक में पानी डालते वक़्त यह दुआ पढ़े : - अल्लाहुम्मा अरिहनी राइहतलेजन्नति वला तुरिहनी राइहतन्नारि ।*_

_*📝तर्जमा : - " ऐ अल्लाए तू मुझे जन्नत की खुशबू सुंघा और जहन्नम की बू से बचा ।*_


_*5 . और मुँह धोते वक़्त यह दुआ पढ़े : - अल्लाहुम्म बय्यिद वजही यौमा तबयदु वजूहून व तसवदु वजूहुन ।*_

_*📝तर्जमा : - " ऐ अल्लाह तू मेरे चेहरे को उजला कर , जिस दिन कि कुछ मुँह सफेद होंगे और कुछ सियाह होंगे ।*_

_*6 . सीधा हाथ धोते वक़्त यह हुआ पढ़े : - " अल्लाहुम्म अअतिनी किताबी बियमीनी व हासिबनी हिसाबन यसीरन " ।*_

 _*📝तर्जमा : - " ऐ अल्लाह मेरा नामए आमाल दाहिने हाथ में दे और मुझ से आसान हिसाब कर ।*_

_*7. बायाँ हाथ धोते वक़्त यह दुआ पढ़े : - अल्लाहुम्म ला तुअतिनी किताबी बिशिमाली वला मिन वराइ जहरी ।*_

_*📝तर्जमा : - “ ऐ अल्लाह मेरा नामए आमाल न बायें हाथ में दे और न पीठ के पीछे से " ।*_

 _*8. सर का मसह करते वक़्त यह दुआ पढ़े : - अल्लाहुम्म अजिल्लनी तहता अर्शिका यौमा ला ज़िल्ल इल्ला जिल्ल अर्शिका ।*_

_*📝तर्जमा : - “ ऐ अल्लाह तू मुझे अपने अर्श के साये के साये में रख जिस दिन तेरे अर्श के साए के सिवा कहीं साया न होगा ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 18/19*_







  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 22)*_
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_*💦वुजू में मकरूह चीजें*_

_*1 . औरत के वुजू या गुस्ल के बचे हुए पानी से वुजू करना ।*_

 _*2 . वुजू के लिये नजिस जगह ( नापाक जगह ) बैठना।*_

_*3 . नजिस जगह वुजू का पानी गिराना।*_

 _*4 . मस्जिद के अन्दर वुजू करना।*_

_*5 . वजू के किसी उज्व से लोटे वगैरा में पानी का कतरा टपकाना।*_

_*6 . पानी में रेठ या खंखार डालना।*_

_*7 . किब्ले की तरफ़ थूक या खंखार डालना या कुल्ली करना।*_

_*8 . बे ज़रूरत दुनिया की बात करना।*_

_*9 . ज्यादा पानी खर्च करना।*_

_*10 . इतना कम ख़र्च करना कि सुन्नत अदा न हो।*_

 _*11 . मुँह पर पानी मारना।*_

_*12 . मुँह पर पानी डालते वक़्त फूंकना।*_

_*13 . एक हाथ से मुँह धोना कि यह राफ़ज़ियों और हिन्दुओं का तरीका है।*_

_*14 . गले का मसह करना।*_

 _*15 . बायें हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी डालना।*_

_*16 . दाहिने हाथ से नाक साफ करना।*_

_*17 . अपने वुजू के लिये कोई लोटा वगैरा खास कर लेना।*_

_*18 . तीन नये पानियों से तीन बार सर का मसह करना।*_

 _*19 . जिस कपड़े से इस्तिन्जे का पानी खुश्क किया हुआ हो उस से वुजू के हिस्से पोंछना।*_

_*20 . धुप के गर्म पानी से वुजू करना।*_

_*21 . होंट या आँखे ज़ोर से बंद करना और अगर कुछ सूखा रह जाये तो वुजू न होगा । हर सन्नत का छोड़ना मकरूह है ऐसे ही हर मकररूह का छोड़ना सुन्नत है ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 19*_




_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 23)*_
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_*💦वुजू के मुतफर्रिक ( विभिन्न ) मसाइल।*_

_*💫मसअला : - अगर वुजू न हो तो नमाज सजदए तिलावत , नमाजे जनाजा और कुर्आन शरीफ छूने के लिए वुजू करना फर्ज है ।*_

_*💫मसअला : - तवाफ के लिए वुजू वाजिब है ।*_

_*💫मसअला - गुस्ले जनाबत से पहले और जुनुब को खाने , पीने , सोने और अजान , इकामत और जुमा और अरफा में ठहरने और सफा और मरवा के दरमियान सई के लिए वुजू कर लेना सुन्नत है ।*_

_*💫मसअला - सोने के लिए और सोने के बाद और मय्यत के नहलाने या उठाने के बाद और सोहबत से पहले और जब गुस्सा आ जाये उस वक़्त और ज़बानी कुर्आन शरीफ पढ़ने पढ़ाने , और जुमा ईद बकर ईद के अलावा बाकी खुतबों के लिए , दीनी किताबों को छूने के लिये , सत्रे गलीज यानी पेशाब पखाने की जगह को छूने के बाद , झुट बोलने , गाली देने , बुरी बात कहने काफिर से बदन छू जाने , सलीब या बुत छूने , कोढ़ी या सफेद दाग वाले से छू जाने , बगल खुजलाने से जब कि उसमें बदबू हो गीबत करने , कहकहा लगाने यानी ज़ोर से हँसने से , लग्व यानी बेहूदा अशआर पढ़ने , ऊँट का गोश्त खाने , किसी औरत के बदन से अपना बदन बिना रूकावट के छू जाने से और वुजू वाले आदमी के नमाज पढ़ने के लिए इन सब सूरतों में वुजू करना मुस्तहब है ।*_

_*💫मसअला : - जब वुजू जाता रहे वुजू कर लेना मुस्तहब है ।*_

_*💫मसअला : - नाबालिग पर वुजू फर्ज नहीं है मगर उन्हें वुजू कराना चाहिए ताकि आदत हो और वुजू करना आ जाये और वुजू के मसअलों से आगाह हो जायें ।*_

_*💫मसअला : - लोटे की टोटी न ऐसी तंग हो कि पानी मुश्किल से गिरे और न ऐसी फैली हुई हो कि ज़रूरत से ज्यादा गिर जाये । बल्कि दरमियानी हो ।*_

_*💫मसअला : - चुल्लू में पानी लेते वक्त ध्यान रखें कि पानी न गिरे कि फुजूल खर्ची होगी । ऐसा ही जिस काम के लिए चुल्लू में पानी लें उसका अन्दाज़ रखें जरूरत से ज्यादा न लें जैसे नाक में पानी डालने के लिये आधा चुल्लू काफ़ी है तो पूरा चुल्लू न लें कि फुजूल खर्ची है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 21*_





 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 24)*_
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_*💦वुजू के मुतफर्रिक ( विभिन्न ) मसाइल।*_

_*💫मसअला : - हाथ , पाँव , सीना और पीठ पर बाल हों तो हड़ताल वगैरा से साफ कर डालें या तरशवा लें नहीं तो पानी ज्यादा खर्च होगा ।*_

_*👉🏻फाइदा : - वलहान एक शैतान का नाम है जो वुजू में वस्वसा डालता है उसके वस्वसे से बचने के लिए बेहतरीन तदबीरें यह हैं।*_

_*1 . अल्लाह तआला की तरफ रुजू यानी तवज्जोह करना ।*_

_*2 . और यह पढ़ना चाहिए :- اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ اشَّْیطٰنِرَّجِیْم*_

_*📝तर्जमा : - " मैं अल्लाह की पनाह माँगता हूँ शैतान मरदूद से ।*_

 _*3 . और यह पढ़ना चाहि:-وَلَاحَوْلَ وَلَا قُوَّۃَ اِلَّابِللّٰهِ*_

_*📝तर्जमा : - " और नहीं है कोई ताकत और कुव्वत अल्लाह के सिवा ।*_

 _*4 . और सूरए नास पढ़ना चाहिए ।*_

_*5 . और यह पढ़ना चाहिए : -اَمَنْتُ بِاللّٰهِ وَرَسٌوْلِهِ*_

_*📝तर्जमा : - मैं ईमान लाया अल्लाह और उसके रसूल पर ।*_

 _*6 और यह पढ़ना चाहिए : -*_
_*ھُوَالْاَوَّلُ وَالٔاٰ خِرُ وَالظَّا ھِرُ وَلْبَا طِنُ وَھُوَ بِکُلّ شَیْءِ عَلِیْم*_

_*📝तर्जमा : - वही अव्वल है वही आखिर है वह जाहिर है और बातिन ( छिपा हुआ ) है और वह हर चीज का जानने वाला है ।*_

 _*7 . और यह पढ़ना चाहिए : -*_
_*سُبْحَانَ الْمَلِکِ الْخَلَّا قِ اِنْ یَّشایُذْھِبْکُمْ وَیَاْتِ بِخَلْقٍ جَدِیْدِ وَمَا ذٰلِکَ عَلَی اللّٰهِ*_

_*📝तर्जमा : - " अल्लाह पाक है मालिक और खल्लाक है अगर अल्लाह चाहे तो तुम्हें ले जाये और एक नई मखलूक ले आये और यह अल्लाह पर कुछ दुश्वार नहीं ।*_

 _*👉🏻" इन दुआओं के पढ़ने से वसवसा जड़ से कट जायेगा और वसवसे का बिल्कुल ख्याल न करने से भी वसवसा दूर हो जाता है यानी शैतान जो बार बार दिल में वसवसे डाले तो जब तक यकीन न हो उन वसवसों की तरफ ध्यान न दे , यूँ समझे कि कोई पागल बक रहा है । इस से भी वसवसा कट जाता है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 21/22*_




 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 25)*_
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_*💦वुजू तोड़ने वाली चीज़े का बयान ।*_


_*💫मसअला : - पेशाब , पाखाना वदी मजी मनी कीड़ा और पथरी मर्द या औरत के आगे पीछे से निकलें तो वुजू जाता रहेगा ।*_

_*💫मसअला : - अगर मर्द का खतना नहीं हुआ है और सूराख से इन चीजों में से कोई चीज़ निकली मगर अभी खतने की खाल के अन्दर ही है जब भी वुजू जाता रहा ।*_

 _*💫मसअला : - यूँही औरत के सूराख यानी पेशाब की जगह से कोई नजासत ( नापाकी ) निकली मगर ऊपर की खाल के अन्दर है फिर भी वुजू जाता रहेगा ।*_

_*💫मसअला : - औरत के आगे से ऐसी रतूबत जिसमें खून की मिलावट न हो उससे वुजू नहीं टुटता अगर कपड़े में लग जाये तो कपड़ा पाक है ।*_

 _*💫मसअला : - मर्द या औरत के पीछे से अगर हवा निकले तो वुजू टूट जाता है ।*_

 _*💫मसअला : - मर्द या औरत के आगे से हवा निकली या पेट में ऐसा ज़ख्म हो गया कि झिल्ली तक पहुँचा उससे हवा निकली तो वुजू नहीं जायेगा ।*_

 _*💫मसअला : - औरत के दोनों मकाम फट कर एक हो गये तो उसे जब हवा निकले चाहे आगे से ही निकलने का शुल्हा हो फिर भी इहतियात यही है कि वुजू कर ले ।*_

 _*💫मसअला : - अगर मर्द ने पेशाब के सूराख में कोई चीज़ डाली फ़िर वह उस में से लौट आई तो वुजू नहीं जायेगा ।*_

 _*💫मसअला : - अगर हुकना ( ऐनिमा ) लिया और दवा बाहर आ गई या कोई चीज़ पाख़ाने की जगह में डाली और वह बाहर निकल आई तो वुजू टूट जायेगा ।*_

_*💫मसअला : - मर्द अगर ज़कर ( लिंग ) के सूराख में रूई रखे और रूई ऊपर से सूखी है मगर जब निकाली तो तर निकली ऐसी सूरत में रूई निकालते ही वुजू टुट जायेगा । इसी तरह औरत का हाल है कि उसने पेशाब की जगह में कपड़ा रखा और ऊपर से कोई तरी नहीं लेकिन जब कपड़े को बाहर निकाला तो कपड़ा खून या किसी और नजासत से तर निकला तो अब वुजू टुट जायेगा ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 22*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 26)*_
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_*💦वुजू तोड़ने वाली चीज़े का बयान ।*_

_*💫मसअला : - खून , पीप या पीला पानी कहीं से निकल कर बहा और उस बहने में ऐसी जगह पहुंचन की सलाहियत थी जिसका वुजू या गुस्ल में धोना फ़र्ज़ है तो वुजू जाता रहा अगर सिर्फ चमका या उभरा और बहा नहीं जैसे सुई की नोंक या चाकू का किनारा लग जाता है और उभर या चमक जाता है या खिलाल किया या मिस्वाक की या उंगली से दांत मांझा या दाँत से कोई चीज़ काटी उस पर खून का असर पाया या नाक में उंगली डाली उस पर खून की सुर्थी आगई मगर वह खून बहने के लाइक नहीं था तो वुजू नहीं टूटा और अगर बहा ऐसी जगह बहकर नहीं आया जिसका धोना फर्ज हो तो वुजू नहीं टूटा जैसे आँख में दाना था और टूट कर अन्दर ही फैल गया बाहर नहीं निकला या कान के अन्दर दाना टूटा और उसका पानी सूराख से बाहर न निकला तो इन सूरतों में वुजू बाकी रहेगा ।*_

 _*💫मसअला : - जख्म में से खून वगैरा निकलता रहा और यह बार बार पोंछता रहा कि बहने की नौबत न आई तो ध्यान करे कि अगर न पोंछता तो बह जाता या नहीं अगर बह जाता तो वुजू टूट गया वर्ना नहीं ऐसे ही अगर मिट्टी या राख डाल कर सुखाता रहा तो उसका भी वही हुक्म है ।*_

 _*💫मसअला : - फोड़ा या फुन्सी निचोड़ने से खून बहा अगरचे ऐसा हो कि न निचोड़ता तो न बहता जब भी वुजू जाता रहेगा ।*_

 _*💫मसअला : - आँख , कान , नाफ , और छाती वगैरा में दाना या नासूर या कोई बीमारी हो इन वजहों से जो आँसू या पानी बहे तो वुजू टूट जायेगा ।*_

_*💫मसअला : - जख्म से या नाक कान या मुँह से कीड़ा या जख्म से कोई गोश्त का टूकड़ा ( जिस पर खून पीप या कोई और चीज़ जो बहने वाली न थी ) कट कर गिरी तो वुजू नहीं टूटेगा ।*_

_*💫मसअला : - कान में तेल डाला था और एक दिन बाद कान या नाक से निकला तो वुजू नहीं टूटेगा ऐसे ही अगर मुँह से निकला वुजू नहीं टुटेगा । हाँ अगर यह मालूम हो कि दिमाग से उतर कर मेदे में गया और मेदे से आया है तो वुजू टूट जायेगा ।*_

_*💫मसअला : - छाला नोच डाला अगर उसमें का पानी बह गया तो वुजू जाता रहा वरना नहीं ।*_

_*💫मसअला : - थूक के साथ अगर मुँह से खून निकला अगर खून थूक से ज्यादा है तो वुजू टुट जाएगा वरना नहीं ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 22/23*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 27)*_
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_*💦वुजू तोड़ने वाली चीज़े का बयान ।*_

_*🌟फायदा : - थूक के ज्यादा और कम होने की पहचान यह है कि थूक का रंग अगर सुर्ख हो जाये तो खून ज्यादा समझा जाएगा और अगर पीला रहे तो कम ।*_

 _*💫मसअला : - अगर जोंक या बड़ी किल्ले ने खून चूसा और इतना पी लिया कि अगर खुद निकलता तो बह जाता तो टूट जाएगा वर्ना नहीं ।*_

 _*💫मसअला : - अगर छोटी किल्ली , लूँ , खटमल , मच्छर और पिस्सू ने खून चूसा तो वुजू नहीं जायेगा ।*_

_*💫मसअला : - अगर नाक साफ की और उसमें से जमा हुआ खून निकला तो वुजू नहीं टूटेगा ।*_

_*💫 मसअला : - नारू यानी वह बीमारी जिसमें बदन से धागे की तरह एक चीज़ निकलती है उस से रतूबत बहे तो वुजू जाता रहेगा और डोरा निकला तो वुजू बाकी है ।*_

_*💫मसअला : - अंधे की आँखों से मर्ज की वजह से जो रतूबत निकलती है उस से वुजू टूट जाता है ।*_

_*💫मसअला : - खून , पानी , खाना या पित की मुँह भर कै हो तो उससे वुजू टूट जाता है ।*_

_*🌟फाइदा : - मुँह भर कर कै का मतलब यह है कि उसका आसानी से रुकना मुश्किल हो ।*_

_*💫मसअला : - बलगम की कै अगर ज्यादा भी हो तो उस से वुजू नहीं टूटेगा ।*_

 _*💫मसअला : - अगर खून से थूक ज्यादा न हो तो बहते खून की कै से वुजू टूट जाता है और जमा हुआ खून है तो वूज नहीं जाएगा जब तक मुँह भर कर न हो ।*_

_*💫मसअला : - पानी पिया और पानी मेदे में उतर गया और वही पानी साफ कै में आया अगर मुँह भर है तो वुजू टूट जायेगा और वह पानी भी नजिस है और अगर सीने तक पहुँचा था और उस ( फन्दा ) लगा और निकल आया तो न वह पानी नापाक है और न उससे वुजू कि जायेगा ।*_

 _*💫मसअला : - अगर थोड़ी - थोड़ी कई बार कै हुई और सबको मिलाकर मुँह भर है तो अगर एक ही मतली से है तो वुजू टूट जायेगा और अगर मतली जाती रही और उसका असर दूर हो गया और फिर नये सिरे से मतली शुरू हुई और कै आई और दोनों मर्तबा की अलग - अलग मुँह भरना मगर दोनों जमा की जाये तो मुँह भर हो जाये तो इससे वुजू नहीं टूटेगा । फिर अगर यह कै एक ही जगह में हो तो वुजू कर लेना बेहतर है ।*_

 _*💫मसअला : - कै में सिर्फ कीड़े या साँप निकलें तो वुजू नहीं टूटेगा और अगर उसके साथ कुछ पानी भी है तो देखा जायेगा कि रतूबत या पानी मुँह भर है या नहीं अगर मुँह भर है तो वुजू टूट जायेगा वरना नहीं ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 23/24*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 28)*_
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_*💦वुजू तोड़ने वाली चीज़े का बयान ।*_

_*💫मसअला : - सो जाने से वुजू जाता रहता है जब कि दोनों सुरीन ( चूतड़ ) खूब न जमें हों और न ऐसी हालत पर सोया हो जिस से गाफिल होकर नींद न आ सके जैसे उकरू बैठ कर सोया या चित या पट या करवट लेट कर या एक कोहनी पर तकिया लगा कर या बैठ कर सोया मगर एक करवट को झुका हुआ कि एक या दोनों सुरीन उठे हुए हों या नंगी पीठ पर सवार है और जानवर ढाल पर उतर रहा है या दो जानू बैठा और पेट रानों पर रखा कि दोनों सुरीन जमे न रहें या चार जानू है और सर रानों या पिंडलियों पर है या जिस तरह औरतें सजदा करती हैं उसी हालत पर सो गया इन सब सूरतों में वुजू जाता रहेगा और अगर नमाज़ में इन सूरतों में से किसी सूरत पर जान बूझ कर सोया तो वुजू भी गया और नमाज़ भी गई वुजू कर के सिरे से नियत बाँधे और अगर बिला इरादा सोया तो वुजू कर के जिस रुक्न में सोया था वहाँ से अदा करेगा और नमाज का दोबारा पढ़ना बेहतर है ।*_

_*💫मसअला : - दोनों सुरीन ( चूतड़ ) जमीन या कुर्सी या बैंच पर हैं और दोनों पाँव एक तरफ फैले हये या दोनों सुरीन पर बैठा है और घुटने खड़े हैं और हाथ पिंडलियों को घेरे हुए हों चाहे जमीन पर हों , दो जानू सीधा बैठा हो या चार जानू पालथी मारे या जीन पर सवार हो या नंगी पीठ पर सवार हो मगर जानवर चढ़ाई पर चढ़ रहा है या रास्ता बराबर है या खड़े खड़े सो गया या रुकु की सूरत पर या मर्दो के मसनून सजदे की शक्ल पर तो इन सूरतों में वुजू नहीं जायेगा और अगर नमाज में यह सूरतें पेश आई तो न वुजू जाये न नमाज , हाँ अगर पूरा रुक्न , सोते ही में अदा किया तो उसका लौटाना ज़रूरी है और अगर जांगते में शुरू किया फिर सो गया तो अगर जागते में रुक्न के पूरा होने की मिकदार अदा कर चुका है तो वही काफ़ी है नहीं तो पूरा कर लें ।*_

_*💫मसअला : - गर्म तन्दूर के किनारे पांव लटकाये बैठ कर सो गया तो वुजू कर लेना मुनासिब है ।*_

_*💫मसअला : - बीमार लेट कर नमाज़ पढ़ रहा था अगर नींद आ गई तो वुजू टुट जायेगा ।*_

_*💫मसअला - ऊँघने या बैठे - बैठे झोके लेने से वुजू नहीं जाता ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 24*_

_*📍बाकी अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_




  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 29)*_
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_*💦वुजू तोड़ने वाली चीज़े का बयान ।*_

_*💫मसअला - नमाज वगैरा के इन्तिज़ार में कभी कभी नींद आ जाती है और नमाजी नींद को पू करना चाहता है तो कभी ऐसा गाफिल हो जाता है कि उस वक़्त जो बातें हुई उनकी उसे बिल्कुल खबर नहीं बल्कि दो तीन आवाजों में उसकी आँख खुली और अपने ख्याल में वह यह समझता है कि सोया न था तो उसके इस ख्याल का एअतिबार नहीं अगर कोई मोअतबर आदमी कहे कि तू गाफिल था यहाँ तक कि तू ऐसा गाफिल था कि तुझे पुकारा गया लेकिन तूने जवाब नही दिया या बातें पूछी जायें और वह न बता सके तो उस पर वुजू लाज़िम है ।*_

_*🌟फाइदा : - आम्बियाए किराम अलैहिमुस्सलाम के सोने से उनका वुजू नहीं टूटता उनकी आँखें सोती हैं और दिल जागते हैं नींद के अलावा दूसरी चीजों से नबियों के वुजू टूटते हैं या नहीं इस में इख्तिलाफ है । सही यह है कि वुजू जाता रहता है यह नजासत की वजह से नहीं बल्कि उनकी अज़मते शान की वजह से है कि उनके फुजलात तैय्यब और पाक हैं जिनका खाना पीना हमारे लिए हलाल और बरकत का सबब हैं ।*_

_*मसअला : - बेहोशी , जुनून , गशी और इतना नशा कि चलने में पाँव लड़खड़ायें इन चीजों से वुजू टूटता है ।*_

 _*💫मसअला : - रुकूअ सजदे वाली नमाज़ में अगर बालिग आदमी इतनी जोर से हँसे कि आस पास वाले सुन लें तो वुजू टूट जायेगा और नमाज़ भी फासिद हो जायेगी और अगर इतनी जोर से हँसा कि खुद उसने ही सुना और आस पास वाले न सुन सकें तो वुजू नहीं जायेगा नमाज़ जाती रहेगी ।*_

 _*💫मसअला : - और अगर मुस्कुराया कि दाँत निकले और आवाज़ बिल्कुल नहीं निकली तो उस से न तो नमाज़ जायेगी और न वुजू टूटेगा ।*_

 मसअला : - मुबाशरते फाहिशा यानी मर्द आपने जकर ( लिंग ) को तुन्दी यानी तेजी की हालत में औरत की शर्मगाह या किसी मर्द की शर्मगाह से मिलाये या औरत औरत आपस मिलायें जब कि बीच में कोई कपड़ा वगैरा न हो तो इस से वुजू टूट जाता है ।


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 24/25*_

_*📍बाकी अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_




 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 30)*_
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_*💦वुजू तोड़ने वाली चीज़े का बयान ।*_

_*💫मसअला : - अगर मर्द ने अपने आले को जिसमें तेज़ी न थी औरत की शर्मगाह से लगाया तो औरत का वुजू जाता रहेगा लेकिन मर्द का वुजू नहीं जायेगा ।*_

_*💫मसअला : - बड़ा इस्तिंजा ढेले से करके वुजू किया अब याद आया कि पानी से न किया था और अब इस्तिंजा पानी से करना चाहता है तो अगर इस्तिंजा मसनून तरीके से यानी पाँव फैला कर साँस का जोर नीचे को दे कर इस्तिंजा करेगा तो वुजू जाता रहेगा और वैसे करेगा तो न जायेगा मगर वुजू कर लेना मुनासिब है ।*_

 _*💫मसअला : - फुड़िया बिल्कुल अच्छी होगई उसकी मुर्दा खाल बाकी है जिसमें ऊपर मुँह और अन्दर खला है यानी पीप वगैरा न हो अगर उसमें अन्दर पानी भर गया फिर दबा कर निकाला तो न वुजू जायेगा और न पानी नापाक होगा और अगर उसमें खून वगैरा की कुछ तरी बाकी है तो वुजू भी जायेगा और पानी भी नापाक होगा ।*_

_*💫मसअला : - आम लोगों में ' जो मशहूर है कि घुटना या सत्र ( यानी वह जगह जिसका छुपाना फर्ज है यानी पर्दे की जगह ) खुलने या अपना या पराया सत्र देखने से वुजू जाता रहता है । इसकी कोई अस्ल नहीं हाँ वुजू के आदाब में से है कि नाफ से जानू के नीचे तक सब सत्र छुपा हो बल्कि इस्तिजा के बाद फौरन छुपालेना चाहिए कि बिला जरूरत सत्र का खुला रहना मना है और दूसरों के सामने सत्र खोलना हराम है ।*_



_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 25/26*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 31)*_
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_*🌀मुतफ़र्रिक मसाइल*_

 _*🌟जो रतूबत इन्सान के बदन से निकले और उससे वुजू न टूटे वह नजिस नहीं जैसे खून कि बह कर न निकले या थोड़ी कै जो मुँह भर न हो वह पाक है ।*_

_*💫मसअला : - ख़ारिश या फुड़ियों में जब कि बहने वाली रतूबत न हो और सिर्फ चिपक हो और कपड़ा उस से बार बार छुकर कितना ही सन जाए पाक है ।*_

 _*💫मसअला : - सोते में राल जो मुँह से गिरे चाहे वह पेट से आये या बदबूदार हो पाक है और मर्दे । मुँह से जो पानी बहे वह नजिस है ।*_

_*💫मसअला : - आँख दुखते में जो आँसू बहता है नजिस है और उससे वुजू टूट जाता है इससे बचना बहुत जरूरी है । ( इस मसअले से बहुत से लोग गाफिल हैं , अकसर देखा गया है कि कुर्ते वगैरह से इस हालत में आँख पोंछ लिया करते हैं और अपने ख्याल में उसे और आँसू के जैसा समझते हैं । यह उनकी सख़्त गलती है और अगर ऐसा किया तो कुर्ता वगैरा नापाक हो जायेगा )*_


_*💫मसअला : - दूध पीते बच्चे ने दूध डाल दिया अगर यह मुँह भर है तो नजिस है । दिरहम से ज्यादा जिस जगह लग जाये उसे नापाक कर देगा लेकिन अगर यह दूध मेदे से नहीं आया बल्कि सीने तक पहुँच कर पलट आया तो पाक है ।*_

 _*💫मसअला : - वुजू के दरमियान में अगर रियाह यानी गैस निकले या कोई ऐसी बात हो जिससे वुजू जाता है तो नये सिरे से फिर वुजू करे क्यूँकि वह पहले धुले हुए बे - धूले हो गये ।*_

 _*💫मसअला : - चुल्लू में पानी लेने के बाद अगर हद्स हुआ यानी पेशाब पाखाना या रियाह वगैरा चीजें निकली तो वह पानी बेकार हो गया और वह किसी उज्व के धोने के काम नहीं आ सकता ।*_

 _*💫मसअला : - मुँह में इतना खून निकला कि थूक लाल हो गया अगर लोटे या कटोरे को मुँह से लगाकर कुल्ली के लिए पानी लिया तो लोटा कटोरा और सब पानी नापाक हो गया । चुल्लू से पानी लेकर कुल्ली करे और फिर हाथ धोकर कुल्ली के लिये पानी ले ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 26*_

_*📍बाकि अगले पोस्ट में ।*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_




 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 32)*_
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_*🌀मुतफ़र्रिक मसाइल*_

_*💫मसअला : - जो आदमी बावुजू ( वुजू से था ) अब उसे शक है कि वुजू है या टूट गया तो वुजू करने की उसे ज़रूरत नहीं , हाँ कर लेना बेहतर है जब कि यह शक वसवसे के तौर पर न हुआ करता हो और अगर वसवसा है तो उसे हर्गिज़ न माने इस सूरत में एहतियात समझकर एहतियात करना एहतियात नहीं बल्कि शैतान की इताअत है ।*_

 _*💫मसअला : - और अगर बेवुजू ( बगैर वुजू ) था अब उसे शक है कि मैंने वुजू किया या नहीं तो वह बिला वुजू है उसको वुजू करना ज़रूरी है ।*_

 _*💫मसअला : - यह मालूम है कि वुजू के लिए बैठा था और यह याद नहीं कि वुजू किया था या नही तो उसे वुजू करना ज़रूरी है ।*_

_*💫मसअला : - यह याद है कि पाखाना या पेशाब के लिये बैठा था मगर यह याद नहीं कि किया भी या नहीं तो उस पर वुजू फर्ज है ।*_

_*💫मसअला : - यह याद है कि कोई उज्व ( अंग ) धोने से रह गया मगर मालूम नहीं कि कौन उज्व था तो बायाँ पाँव धो ले ।*_

_*💫मसअला : - अगर मियानी में तरी लगी देखी मगर यह नहीं मालूम कि पानी है या पेशाब तो अगर यह उम्र का पहला वाकिआ है तो वुजू कर ले और अगर बार - बार ऐसे शुबहे पड़ते हैं तो उसकी तरफ तवज्जोह न करें कि यह शैतानी वसवसा है ।*_

 _*💫मसअला : - अगर वुजू के दरमियान किसी उज्व के धोने में शक हो जाये और यह ज़िन्दगी का पहला वाकिआ हो तो उसको धो ले और अगर अक्सर शक पड़ता है तो उसकी तरफ़ तवज्जोह न करे ऐसे ही अगर वुजू के बाद शक हो तो उसका कुछ ख्याल न करे ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 26/27*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 33)*_
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_*🚿 गुस्ल यानी नहाने का बयान 🚿*__

_*🕋अल्लाह तआला फरमाता है कि :*_

  _*📝तर्जमा : - " अगर तुम जुनुब हो तो खूब पाक हो जाओ यानी गुस्ल करो और फ़रमाता है कि :*_

_*📝तर्जमा : - " यहाँ तक कि वह हैज़ वाली औरतें अच्छी तरह पाक हो जायें । और अल्लाह तआला फरमाता है कि :*_

_*📝तर्जमा : - “ ऐ ईमान वालों नशे की हालत में नमाज़ के करीब न जाओ यहाँ तक कि समझने लगो जो कहते हो और न जनाबत्त की हालत में जब तक गुस्ल न कर लो मगर सफर की हालत में कि यहाँ पानी न मिले तो गुस्ल की जगह तयम्मुम है " ।*_

_*📚हदीस न . 1*_

                         _*✍🏻......सहीह बुखारी और मुस्लिम में हजरते आइशा सिद्दीका रदियल्लाह तआला अन्हा से रिवायत की गई है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जब जनाबत का गुस्ल फरमाते तो शुरूआत ऐसे करते कि पहले हाथ धोते , फिर नमाज़ जैसा वुजू करते फिर उंगलियाँ पानी में डाल कर उन से बालों की जड़ें तर फरमाते फिर सर पर तीन लप पानी डालते फिर तमाम जिल्द पर पानी बहाते ।*_

_*📚हदीस न . 2*_

                          _*✍🏻......इन्हीं किताबों में इब्ने अब्बास रदियल्ललाहु तआला अन्हुमा से मरवी है कि उम्मुल मोमिनीन हज़रते मैमूना रदियल्लाहु तआला अन्हा ने फरमाया कि नबी सल्लल्लाहु तआला तआला अलैहि वसल्लम के नहाने के लिए मैंने पानी रखा और कपड़े से पर्दा किया हुजूर ने हाथों पर पानी डाला और उनको धोया और फिर पानी डालकरं हाथों को धोया फिर दाहिने हाथ से बायें पर पानी डाला फिर इस्तिंजा फरमाया फिर हाथ ज़मीन पर मार कर मला और धोया फिर कुल्ली की और नाक में पानी डाला और मुंह और हाथ धोये फिर सर पर पानी डाला और तमाम बदन पर बहाया फिर उस जगह से अलग होकर पाँव मुबारक धोये । उसके बाद मैंने ( बदन पोंछने के लिए ) एक कपड़ा दिया तो हजूर ने न लिया और हाथों को झाड़ते हुए तशरीफ़ ले गये ।*_

 _*📚हदीस न . 3*_

                           _*✍🏻......बुखारी और मुस्लिम में उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि अन्सार की एक औरत ने रसुलूल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से हैज के बाद नहाने का सवाल किया । हुजूर ने उसको गुस्ल का तरीका बताया फिर फरमाया कि मुश्क लगा हुआ कपड़े का एक टुकड़ा लेकर उससे तहारत कर । उसने अर्ज किया कैसे उससे तहारत करू। फरमाया सुब्हानल्लाह उससे तहारत कर उम्मूल मोमिनीन फरमाती हैं कि मैंने उसे अपनी तरफ खींच कर कहा कि उससे खून के असर को साफ कर ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 27/28*_

_*📍बाकि अगले पोस्ट में ।*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 34)*_
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_*🚿 गुस्ल यानी नहाने का बयान 🚿*__

_*📚हदास न . 4*_

               _*. . . . . .✍🏻 इमाम मुस्लिम ने उम्मुल मोमिनीन उम्मे सलमा रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत की फरमाती हैं कि मैंने अर्ज की या रसूलल्लाह मैं अपने सर की चोटी मजबूत गूंधती हूँ तो क्या गुस्ले जनाबत के लिए उसे खोल डालूँ । फरमाया नहीं तुझको यही किफायत करता है कि सर पर तीन लप पानी डाल ले फिर अपने ऊपर पानी बहा ले पाक हो जायेगी यानी जब कि बालों की जड़े तर हो जायें और अगर इतनी सख्त गुंधी हों कि जड़ों तक पानी न पहूँचे तो खोलना फर्ज है ।*_

_*📚हदीस न . 5*_

                _*. . . . . .✍🏻अबू दाऊद इब्ने माजा और तिर्मिजी अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं कि हर बाल के नीचे जनाबत है तो बाल धोओ और जिल्द को साफ करो ।*_

 _*📚हदीस न . 6*_

                _*. . . . . .✍🏻 और अबू दाऊद ने हज़रते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो शख्स गुस्ले जनाबत में एक बाल की जगह बे धोये छोड़ देगा आग से ऐसे - ऐसा किया जायेगा ( यानी अजाब दिया जायेगा ) हज़रते अली फरमाते हैं कि इसी वजह से मैंने अपने सर के साथ दुश्मनी कर ली तीन बार यही फरमाया यानी सर के बाल मुंडा डाले कि बालों की वजह से कोई जगह सूखी न रह जाये ।*_

_*📚हदीस न . 7*_

               _*. . . . . .✍🏻असहाबे सुनने अरबआ ने उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत की है कि नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम गुस्ल के बाद वुजू नहीं फरमाते ।*_

_*📚हदीस न . 8*_

               _*. . . . . .✍🏻अबू दाऊद ने हज़रते याला रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक आदमी को मैदान में नहाते देखा फिर मिम्बर पर तशरीफ ले जाकर अल्लाह , की हम्द और सना के बाद फरमाया कि अल्लाह तआला हया फरमाने वाला और पर्दापोश है हया और पर्दा करने को दोस्त रखता है जब तुम में कोई नहाये तो उसे पर्दा करना लाज़िम है ।*_

 _*📚हदीस न . 9*_

                _*. . . . . .✍🏻बहुत सी किताबों में बहुतेरे सहाबए किराम से रिवायत है कि हुजूरे अकदस अलैहिस्सलातु वस्सलाम फ़रमाते हैं कि जो अल्लाह और पिछले दिन ( कियामत ) पर ईमान लाया हम्माम में बगैर तहबन्द के न जाये और जो अल्लाह और पिछले दिन पर ईमान लाया अपनी बीवी को हम्माम में न भेजे ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 28*_

_*📍बाकि अगले पोस्ट में।*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 35)*_
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_*🚿 गुस्ल यानी नहाने का बयान 🚿*_

_*📚हदीस न . 10*_

                _*. . . . . .✍🏻उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा ने हम्माम में जाने के बारे में सरकारे मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से पूछा फरमाया औरतों के लिए हम्माम में खेर नहीं । अर्ज की तहबन्द बाँध कर जाती हैं , फरमाया अगर्चे तहबन्द कुर्ते और ओढ़नी के साथ जायें ।*_

_*📚हदीस न . 11*_

                 _*. . . . . .✍🏻बुखारी और मुस्लिम में रिवायत है कि , उम्मुल , मोमिनीन , उम्मे सुलैम , रदियल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं कि उम्मे सुलैम रदियल्लाहु तआला अन्हा ने अर्ज की कि या रसूलल्लाह । अल्लाह तआला हक बयान करने से हया नहीं फरमाता तो क्या जब औरत को इहतिलाम हो तो उस पर नहाना है ? फरमाया हाँ जबकि पानी ( मनी ) देखे । उम्मे सलमा रदियल्लाह तआला अन्हा ने मुँह ढाँक लिया और अर्ज की कि या रसूलल्लाह ! क्या औरत को इहतिलाम होता है ? फरमाया हाँ ऐसा न हो तो किस वजह से बच्चा माँ की तरह होता है ।*_

_*💫फाइदा : - उम्महातुल मोमिनीन को अल्लाह तआला ने हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु तआला अलाह वसल्लम की खिदमते आलिया में हाज़िरी से पहले भी इहतिलाम से महफूज रखा था इसलिये कि इहतिलाम में शैतान दखल देता है और शैतान की मुदाखिलत से अजवाजे मुतहहरात पाक हैं इसी लिए उनको हजरते उम्मे सुलैम के इस सवाल पर तअज्जुब हुआ ।*_

_*📚हदीस न . 12*_

                 _*. . . . . .✍🏻अबू दाऊद और तिर्मिज़ी हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सवाल हुआ कि मर्द तरी पाये और इहतिलाम याद न हो । फरमाया गुस्ल करे और उस आदमी के बारे में पूछा गया कि ख्वाब का यकीन है और तरी ( असर ) नहीं पाता । फरमाया उस पर गुस्ल नहीं । उम्मे सुलैम ने अर्ज की कि औरत तरी को देखे तो उस पर गुस्ल है ? फरमाया हाँ औरतें मर्दो की तरह हैं ।*_

 _*📚हदीस न . 13*_

                  _*. . . . . .✍🏻तिर्मिज़ी में उन्हीं से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि मर्द के खतने की जगह ( हशफा ) औरत के मकाम में गायब हो जाये तो गुस्ल वाजिब हो जायेगा ।*_

_*📚हदीस न . 14*_

                  _*. . . . . .✍🏻सहीह बुखारी और मुस्लिम में अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है कि हज़रते उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से पूछा कि उनको रात में नहाने की ज़रूरत हो जाती है । फरमाया वुजू कर लो और उज्वे तनासुल ( लिंग ) को धो लो फिर सो रहो ।*_

 _*📚हदीस न . 15*_

                   _*. . . . . .✍🏻बुखारी और मुस्लिम में आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि फरमाती हैं कि नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सलम को जब नहाने की ज़रूरत होती और खाने या सोने का इरादा करते तो नमाज़ की तरह वुजू करते ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 28/29*_

_*📍बाकि अगले पोस्ट में।*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 36)*_
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_*🚿 गुस्ल यानी नहाने का बयान 🚿*_

 _*📚हदीस न . 16*_

               _*. . . . . .✍🏻मुस्लिम में अबू सईद खुदरी रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं कि जब तुम में कोई अपनी बीवी के पास जाकर दोबारा जाना चाहे तो वुजू कर ले ।*_

_*📚हदीस न . 17*_

               _*. . . . . .✍🏻तिर्मिज़ी इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत करते हैं कि रसुलुल्लाह सल्ल ल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि हैज़ वाली और जुनुबी औरतें कुर्आन में से कुछ न पढ़ें ।*_

 _*📚हदीस न . 18*_

               _*. . . . . .✍🏻अबू दाऊद ने उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत की कि हुजूर अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि उन घरों का रुख मस्जिद से फेर दो कि मैं मस्जिद को हैज़ वाली और जुनुबी ( जिनको नहाने की ज़रूरत हो ) औरतों के लिये हलाल नहीं करता ।*_

 _*📚हदीस न . 19*_

               _*. . . . . .✍🏻अबू दाऊद ने हज़रते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि मलाइका उस घर में नहीं जाते जिस घर में तस्वीर , कुत्ता और जुनुबी हों ।

 _*📚हदीस न . 20*_

               _*. . . . . .✍🏻अम्मार इब्ने यासिर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि फरिश्ते तीन शख्सों से करीब नहीं*_

 _*1 . काफिर का मुर्दा*_

_*2 . खुलूक ( यह एक तरह की खुश्बू जाफरान से बनाई जाती है ) जो मर्दो को हराम है*_

 _*3 . और जुनुबी मगर यह कि वुजू कर ले ।*_

 _*📚हदीस न . 21*_

                _*. . . . . .✍🏻इमामे मालिक ने रिवायत की कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जो खत अम्र इब्ने हज्म को लिखा था कि कुर्आन न छुए मगर पाक शख्स ।*

_*📚हदीस न . 22*_

              _*. . . . . .✍🏻इमाम बुखारी और इमामे मुस्लिम ने इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हमा । रिवायत की कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो जुमे को आए चाहिए कि वह गुस्ल कर ले ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 29/30*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 37)*_
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_*🚿गुस्ल के मसाइल 👉🏻(भाग 1)*_

_*💫गुस्ल के फर्ज होने के असबाब बाद में लिखे जायेंगे , पहले गुस्ल की हकीकत बयान की जाती है गुस्ल के तीन जुज हैं अगर उनमें से एक में भी कमी हुई गुस्ल न होगा चाहें यूँ कहो कि गुस्ल के तीन फर्ज हैं ।*_

 _*👉🏻1 . कुल्ली करना : - मुँह के हर पुर्जे गोशे होंट से हल्क की जड़ तक हर जगह पानी बह जाये अक्सर लोग यह जानते हैं कि थोड़ा सा पानी मुँह में लेकर उगल देने को कुल्ली कहते हैं अगर्च जुबान की जड़ और हल्क के किनारे तक न पहुँचे । ऐसे गुस्ल न होगा न इस तरह नहाने के बाद नमाज़ जाइज बल्कि फर्ज है कि दाढ़ों के पीछे गालों की तह में दाँतों की जड़ और खिड़कियों में जुबान की हर करवट में हल्क के किनारे तक पानी बहे ।*_

_*💫मसअला : - दाँतों की जड़ों या खिड़किये में कोई ऐसी चीज़ जमी हो जो पानी बहने से रोके तो उसका छुड़ाना ज़रूरी है अगर छुड़ाने में नुकसान न हो जैसे छालियों के दाने , गोश्त के रेशे और अगर छुड़ाने में नुकसान और हर्ज हो जैसे बहुत पान खाने से दाँतों की जड़ों में चुना जम जाता है या औरतों के दाँतों में मिस्सी की रेखें कि उनके छीलने में दाँतों या मसूढ़ों के नुकसान का ख़तरा है तो माफ है ।*_

_*💫मसअला : - ऐसे ही हिलता हुआ दाँत तार से या उखड़ा हुआ दाँत किसी मसाले वगैरा से जमाया गया और पानी तार , या मसाले के नीचे न बहे तो मुआफ है या खाने या पान के रेसे दांत में रह गये कि उसकी निगहदाश्त ( देख रेख ) में हरज़ है , हाँ मालूम होने के बाद उसको जुदा करना और धोना जरूरी है जब कि उनकी वजह से पानी पहुँचने में रुकावट हो ।*_

_*👉🏻2 . नाक में पानी डालना : - यानी दोनों नथनों में जहाँ तक नर्म जगह है धुलना , कि पानी को सूंघ कर ऊपर चढ़ाये बाल बराबर भी धुलने से न रह जाये , नहीं तो गुस्ल नहीं होगा अगर नाक के अन्दर रेंठ सूख गई है तो उसका छुड़ाना फ़र्ज़ है ।*_

_*💫मसअला : - बुलाक का सूराख अगर बन्द न हो तो उसमें पानी पहुँचाना ज़रूरी है फिर अगर तंग है तो बुलाक का हिलाना ज़रूरी है वर्ना नहीं ।*_

_*👉🏻3 . तमाम बदन पर पानी बहाना : - यानी सर के बालों से पाँवों के तलवों तक जिस्म के हर पुज्रे हर रोंगटे पर पानी बह जाना फर्ज है । अकसर लोग बल्कि कुछ पढ़े लिखे लोग यह करते हैं और समझते हैं कि गुस्ल हो गया हालाँकि कुछ उज्व ऐसे हैं कि जब तक उनकी खास तौर पर इहतियात न कीजिए तो नहीं धुलेंगे और गुस्ल न होगा लिहाजा तफसील से बयान किया जाता है ।*_

_*🌟वुजू के उज्वों में एहतियात की जो जगहें हैं हर उज्व के बयान में उनका ज़िक्र कर दिया गया है उनका गुस्ल में भी लिहाज़ ज़रूरी है और उनके अलावा गुस्ल की खास बातें नीचे लिखी जाती हैं ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 30/31*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 38)*_
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_*🚿गुस्ल के मसाइल 👉🏻(भाग 2)*_

_*💫1 . सर के बाल गुंधे न हों तो हर बाल पर जड़ से नोंक तक पानी बहना और गुंधे हों तो मर्द पर फर्ज़ है कि उनको खोलकर जड़ से नोक तक पानी बहाये और औरत पर सिर्फ जड़ तर कर लेना जरूरी है खोलना ज़रूरी नहीं । हाँ अगर चोटी इतनी सख्त गुंधी हो कि बे खोले जड़ें तर न होंगी तो खोलना ज़रूरी है ।*_

_*💫2 . कानों में बाली वगैरह ज़ेवर के सुराख का वही हुक्म है जो नाक में नथ के सूराख का हुक्म वुजू में बयान हुआ ।*_

_*💫3 . भवों और मूछों और दाढ़ी के बाल का जड़ से नोक तक और उनके नीचे की खाल का धुलना ज़रूरी है ।*_

_*💫4 . कान का हर पुर्जा और उसके सूराख का मुँह धोना ज़रूरी है ।*_

_*💫5 . कानों के पीछे के बाल हटा कर पानी बहायें ।*_

_*💫6 . ठोड़ी और गले का जोड़ कि बे मुँह उठाये न धुलेगा ।*_

 _*💫7 . बगलें बे हाथ उठाये न धुलेंगी ।*_

_*💫8 . बाजू का हर पहलू ।*_

_*💫9 . पीठ का हर ज़र्रा ।*_

_*💫10 . और पेट की बलटें उठाकर धोये ।*_

_*💫11 . नाफ को उंगली डाल कर धोये जब कि पानी बहने में शक हो ।*_

 _*💫12 . जिस्म का हर रोंगटा जड़ से लेकर नोक तक ।*_

_*💫13 . रान और पेडू का जोड़ ।*_

_*💫14 . रान और पिंडली का जोड़ जब बैठ कर नहाये ।*_

_*💫15 . दोनों चूतड़ के मिलने की जगह खास कर जब खड़े होकर नहाये ।*_

 _*💫16 . रानों की गोलाई ।*_

_*💫17 . पिंडलियों की करवटें धोये ।*_

 _*💫18 . ज़कर और फोतों के मिलने की जगहें बे जुदा किये न धुलेंगी ।*_

_*💫19 . फोतों की निचली सतह जोड़ तक धोये ।*_

_*💫20 . फ़ोतों के नीचे की जगह जोड़ तक ।*_

_*💫21 . जिसका खतना न हुआ हो तो अगर खाल चढ़ सकती हो तो चढ़ाकर धोये और खाल के अन्दर पानी चढ़ाये । औरतों को खास कर यह एहतियात ज़रूरी है ।*_

_*💫22 . ढलकी हुई पिस्तान को उठाकर धोना ज़रूरी है ।*_

_*💫23 . पिस्तान और पेट के जोड़ की धारी पर पानी बहाना ।*_

_*💫24 . औरतें अपने पेशाब के बाहर की हर जगह , हर कोने , हर टुकड़े , नीचे ऊपर ध्यान से धोयें , अन्दर उंगली डाल कर धोना वाजिब नहीं , मुस्तहबं है । ऐसे ही औरत अगर हैज़ और निफास से फारिग होकर गुस्ल करती है तो एक पुराने कपड़े से अन्दर के खून का असर साफ कर लेना मुस्तहब है ।*_

_*💫25 . माथे पर अफशा लगाई हो तो उसका छुड़ाना ज़रूरी है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 31*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 39)*_
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_*🚿गुस्ल के मसाइल 👉🏻(भाग 3)*_

_*💫मसअला : - बाल में गिरह पड़ जाये तो गिरह खोलकर उस पर पानी बहाना ज़रूरी नहीं ।*_

_*💫मसअला : - किसी ज़ख्म पर पट्टी वगैरा बँधी हो कि उस के खोलने में हरज हो या किसी जगह मरज़ या दर्द की वजह से पानी बहने से नुकसान होगा तो उस पूरे उज्व को मसह करे और न हो सके तो पट्टी पर मसह काफी है और पट्टी ज़रूरत की जगह से ज्यादा न रखी जाये नहीं तो मसह काफ़ी न होगा और अगर पट्टी ज़रूरत की ही जगह पर बँधी हो जैसे बाजू पर एक तरफ़ ज़ख्म है और पट्टी बाँधने के लिये बाजू की उतनी सारी गोलाई पर होना उसका ज़रूरी है तो उसके नीचे बदन का वह हिस्सा भी आयेगा जिसे पानी नुकसान नहीं करता तो अगर खोलना मुमकिन न हो अगर्चे यूँही कि खोलकर फिर वैसे न बाँध सकेगा और उसमें नुकसान का खतरा है तो सारी पट्टी पर मसह कर ले काफी है बदन का वह अच्छा हिस्सा भी धोने से माफ़ हो जायेगा ।*_

_*💫मसअला : - जुकाम या आँखों में सूजन वगैरा हो और यह गुमान सही हो कि सर से नहाने में से बढ़ जायेगा या दूसरे मर्ज़ पैदा हो जायेंगे तो कुल्ली करे नाक में पानी डाले और गर्दन से नहा । और सर के हर ज़र्रे पर भीगा हाथ फेर ले गुस्ल हो जायेगा । सेहत के बाद सर धो डाले बाद में गुस्ल के लौटाने की ज़रूरत नहीं ।*_

_*💫मसअला : - पकाने वाले के नाखून में आटा और लिखने वाले के नाखून पर सियाही और और लोगों के लिये मक्खी , मच्छर की बीट अगर लगी हो तो गुस्ल हो जायेगा । हाँ मालूम होने के बार उसका हटाना और उस जगह को धोना ज़रूरी है और पहले जो नमाज़ पढ़ी हो गईं ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 31/32*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 40)*_
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_*🚿गुस्ल की सुन्नतें*_

 _*🚿गुस्ल के मसाइल के बाद अब गुस्ल की सुन्नतें लिखी जाती है ।*_

_*🌟 1 . गुस्ल की नियत करना ।*_

 _*🌟2 . पहले दोनों हाथों को गट्टों तक तीन - तीन बार धोना ।*_

_*🌟3 . चाहे नजासत हो या न हो पेशाब , पाखाने की जगह का धोना ।*_

_*🌟4 . बदन पर जहाँ कहीं नजासत हो उसको दूर करना ।*_

_*🌟5 . फिर नमाज़ की तरह वुजू करना मगर पाँव नहीं धोना चाहिये हाँ अगर चौकी या पत्थर या तख्ने पर नहाये तो पाँव धो ले ।*_

_*🌟6 . फिर पूरे बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़ ले खास कर जाड़े के मौसम में ।*_

_*🌟7 . फिर तीन बार दाहिने मोंढे पर पानी बहायें ।*_

_*🌟8 . फिर बायें मोंढे पर तीन बार ।*_

_*🌟9 . फिर सर और तमाम बदन पर तीन बार पानी बहाये ।*_

_*🌟10 . फिर नहाने की जगह से अलग हट कर अगर पाँव नहीं धोये थे तो धो लें ।*_

_*🌟11 . नहाने में किब्ला रुख न हो ।*_

_*🌟12 . तमाम बदन पर हाथ फेरे ।*_

_*🌟13 . तमाम बदन को मले ।*_

_*🌟14 . ऐसी जगह नहाये कि उसे कोई न देखे और अगर यह न हो सके तो नाफ से घुटने तक का छिपाना जरूरी है अगर इतना भी न हो सके तो . तयम्मुम करे मगर ऐसा कम होता है ।*_

_*🌟15 . गुस्ल में किसी तरह की बात न करे ।*_

_*🌟16 . और न कोई दुआ पढ़े । नहाने के बाद तौलिया या रूमाल से बदन पोंछ डालें तो कोई हर्ज नहीं ।*_

_*💫मसअला : - गुस्लखाने की छत न हो या नंगे बदन नहाये बशर्ते कि इहतियात की जगह होता कोई हर्ज नहीं हाँ औरतों को बहुत ज़्यादा इहतियात की ज़रूरत है ।*_

_*🌟17 . औरतों को बैठ कर नहाना बेहतर है ।*_

_*🌟18 . नहाने के बाद फौरन कपड़े पहन लें जितनी चीजें वुजू में सुन्नत और मुस्तहब हैं उतनी ही नहाने में भी हैं मगर सत्र खुला हो तो किब्ले को मुँह करना नहीं चाहिये और तहबन्द व हो तो हर्ज नहीं ।*_

_*💫मसअला : - अगर बहते पानी जैसे दरिया या नहर में नहाया तो थोड़ी देर उसमें रुकने से तीन बार धोने और तरतीब और वुजू यह सब सुन्नतें हैं अदा हो गयीं इसकी भी जरूरत नहीं कि बदन के उज्व को तीन बार हरकत दे और तालाब वगैरा ठहरे पानी में नहाया तो बदन का तीन बार हरकत देने या जगह बदलने से तसलीस यानी तीन बार धोने की सुन्नत अदा हो जायेगी । मेंह में खड़ा हो गया तो यह बहते पानी में खडे होने के हुक्म में है । बहते पानी में वुजू किया तो वही थोड़ी देर उस में उज्व को रहने देना और ठहरे पानी में हरकत देना तीन बार धोने के काइम मकाम है ।*_

_*💫मसअला : - सब के लिये गुस्ल या वुजू में पानी की एक मिकदार मुकर्रर नहीं जिस तरह अवाम में मशहूर है यह महज बातिल है । क्योंकि एक लम्बा चौड़ा आदमी दूसरा दुबला पतला , एक के तमाम बदन पर बाल और दूसरे का बदन साफ एक की घनी दाढी दूसरा बगैर बाल का , एक के सर पर बड़े - बड़े बाल दुसरा मुंडा हुआ और इसी तरह दूसरी चीजों में फर्क है तो सबके लिये पानी की एक मिकदार कैसे मुमकिन है ।*_

_*💫मसअला : - औरत का हम्माम में जाना मकरूह है और मर्द जा सकता है मगर पर्दे का लिहाज़ जरूरी है । लोगों के सामने सत्र खोलना हराम है बगैर जरूरत सुबह तड़के हम्माम को न जाये कि इस तरह एक छुपी हुई बात लोगों पर जाहिर करना होगा ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 32/33*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 41)*_
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_*💫गुस्ल किन चीजों से फर्ज होता है ? 👉🏻(भाग 1)*_

_*👉🏻1 : - मनी का अपनी जगह से शहवत ( सम्भोग की ख्वाहिश की हालत को शहवत में होना कहते हैं ) के साथ जुदा होकर उज्व से निकलना गुस्ल के फर्ज होने का सबब है ।*_

_*💫मसअला : - अगर मनी शहवत के साथ जुदा न हुई बल्कि बोझ उठाने या ऊँचाई से गिरने की वजह से निकली तो नहाना वाजिब नहीं हाँ वुजू जाता रहेगा ।*_

_*💫मसअला : - अगर मनी अपनी जगह से शहवत के साथ निकली मगर उस आदमी ने अपने आले ( लिंग ) को ज़ोर से पकड़ लिया कि बाहर न हो सकी फिर शहवत खत्म होने के बाद उसने छोड़ दिया । अब मनी बाहर हुई तो अगर्चे मनी का बाहर निकलना शहवत से न हुआ मगर चुंकि अपनी जगह से शहवत के साथ निकली है लिहाज़ा गुस्ल वाजिब है इसी पर अमल है ।*_

_*💫मसअला : - अगर मनी कुछ निकली और पेशाब करने या सोने या चालीस कदम चलने से पहले नहा लिया और नमाज़ पढ़ ली अब बाकी मनी निकली तो नहाना ज़रूरी है क्योंकि यह उसी मनी का हिस्सा है जो अपनी जगह से शहवत के साथ जुदा हुई थी और पहले जो नमाज पढ़ी थी वह हो गई उसके लौटाने की ज़रूरत नहीं और अगर चालीस कदम चलने या पेशाब करने या सोने के बाद गुस्ल किया फिर मनी बिला शहवत के निकली तो गुस्ल जरूरी नहीं और यह पहली का बकिया नहीं कही जायेगी ।*_

_*💫मसअला : - अगर मनी पतली पड़ गई कि पेशाब के वक़्त या वैसे ही कुछ कतरे बिला शहवत निकल आये तो गुस्ल वाजिब नहीं अलबत्ता वुजू टुट जायेगा ।*_

_*👉🏻2 : - एहतिमाल यामी सोते से उठा और बदन या कपड़े पर तरी पाई और इस तरी के मनी या मज़ी होने का यकीन या एहतिमाल ( शक ) हो तो गुस्ल वाजिब है अगर्चे ख्वाब याद न हो और अगर यकीन है कि यह न मनी है और न मजी बल्कि पसीना या पेशाब या वदी या कुछ और है तो अगर्चे एहतिलाम याद हो और इन्जाल ( यानी मनी का निकलना ) का मज़ा ध्यान में हो गुस्ल वाजिब नहीं और अगर मनी न होने पर यकीन करता है और मज़ी का शक है तो अगर ख्वाब में एहतिलाम होना याद नहीं तो गुस्ल नहीं वरना है ।*&

 _*💫मसअला : - अगर एहतिलाम याद है मगर उसका कोई असर कपड़े वगैरा पर नहीं तो गुस्ल वाजिब नहीं होगा ।*_

_*💫मसअला : - अगर सोने से पहले शहवत थी आला काइम था अब जागा और एहतिलाम का असर पाया और मज़ी होने का ज्यादा गुमान है और एहतिलाम याद नहीं तो गुस्ल वाजिब नहीं जब तक कि उसके मनी होने का ज़्यादा गुमान हो जाये और अगर सोने से पहले शहवत ही न थी या थी मगर सोने से पहले दब चुकी थी और जो निकला उसे साफ कर चुका था तो मनी के यकीन की जरूरत नहीं बल्कि मनी के एहतिमाल ( शक ) से ही गुस्ल वाजिब हो जायेगा । यह मसला ज़्यादा वाकेअ होता है और लोग इससे बेखबर हैं इसलिये इस चीज़ का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 33/34*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 43)*_
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_*💫गुस्ल किन चीजों से फर्ज होता है ? 👉🏻(भाग 3)*_

_*💫मसअला : - औरत की रान में जिमा किया और इन्जाल के बाद मनी फर्ज में गई या कुँवारी से जिमा किया और इन्जाल भी हो गया मगर बुकारत का पर्दा जाइल नहीं हुआ तो औरत पर नहाना वाजिब नहीं । हाँ अगर औरत के हमल रह जाये तो अब गुस्ल वाजिब होने का हुक्म है और मुजामअत के वक़्त से जब तक गुस्ल नहीं किया है उस पर तमाम नमाज़ों का दोहराना जरूरी है ।*_

_*💫मसअला : - औरत ने अपनी फर्ज में उंगली या जानवर या मुर्दे का ज़कर या और कोई चीज़ रबड़ या मिट्टी वगैरा की कोई चीज़ ज़कर की तरह बनाकर डाली तो जब तक मनी न निकले गुस्ल वाजिब नहीं । अगर जिन्न आदमी की शक्ल बनकर आया और औरत से जिमा किया तो हश्फे के गायब होने ही से गुस्ल वाजिब होगया । आदमी की शक्ल पर नहो तो जब तक औरत को इन्जाल न हो गुस्ल वाजिब नहीं यूँही अगर मर्द ने परी से जिमा किया और वह उस वक़्त इन्सानी शक्ल में नहीं तो बगैर इन्जाल गुस्ल वाजिब नहीं होगा और अगर इन्सानी शक्ल में है तो सिर्फ हश्फा गायब होने से गुस्ल वाजिब हो जायेगा ।*_

_*💫मसअला : - जिमा के गुस्ल के बाद औरत के बदन से मर्द की बाकी मनी निकली तो उससे गुस्ल वाजिब नहीं होगा अलबत्ता वुजू जाता रहेगा ।*_

_*🌟फायदा : - इन तीनों वजहों से जिस पर नहाना फर्ज हो उसको जुनुब और उन असबाब ( वजहों ) को जनाबत कहते हैं ।*_

 _*👉🏻4 : - हैज से फारिग होना।*_

_*👉🏻5 : - निफास का खत्म होना ।*_

_*💫मसअला : - बच्चा पैदा हुआ और खून बिल्कुल न आया तो सही यह है कि गुस्ल वाजिब है हैज़ और निफास की तफसील हैज़ के बयान में आयेगी इन्शाअल्लाह ।*_

_*💫मसअला : - काफिर मर्द और औरत पर नहाना ज़रूरी था इसी हालत में दोनों मुसलमान हुए तो सही यह है कि उन पर गुस्ल वाजिब है हाँ अगर इस्लाम लाने से पहले गुस्ल कर चुके हों या किसी तरह तमाम बदन पर पानी बह गया हो तो सिर्फ नाक में बांसे तक पानी चढ़ाना काफी है क्यूँकि यही वह चीज़ है जो काफिरों से अदा नहीं होती , पानी के बड़े - बड़े चूंट पीने से कुल्ली का फर्ज अदा हो जाता है और अगर यह भी बाकी रह गया हो तो उसे भी करे । गर्ज जितने आज़ा का गुस्ल में धुलना फर्ज है , जिमा वगैरा असबाब के बाद अगर वह सब कुफ्र की हालत में ही धुल चुके थे तो इस्लाम के बाद दोबारा गुस्ल करना ज़रूरी नहीं वर्ना जितना हिस्सा बाकी हो उतने को धोलेना फर्ज है और मुस्तहब तो यह है कि इस्लाम के बाद पूरा गुस्ल करे ।*_

_*💫मसअला : - मुसलमान मय्यत का नहलाना मुसलमानों पर फर्जे किफाया है अगर एक ने नहला दिया तो सब के सर से उतर गया और अगर किसी ने नहीं नहलाया तो सब गुनाहगार होंगे ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 35*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 44)*_
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_*💫गुस्ल किन चीजों से फर्ज होता है ? 👉🏻(भाग 4)*_

_*💫मसअला : - पानी में मुसलमान का मुर्दा मिला उसका भी नहलाना फर्ज है फिर अगर निकालने वाले ने गुस्ल के इरादे से मुर्दे को निकालते वक़्त गोता दिया तो गुस्ल हो गया नहीं तो अब नहलायें ।*_

_*💫मसअला : - पाँच वक्तों में नहाना सुन्नत है :*_
_*1 जुमा*_
_*2 . ईद*_
_*3 बकरईद*_
_*4 . अरफे के दिन ।एहराम बाँधते वक़्त । इन सब के लिए नहाना मुस्तहब है ।*_

_*1 . मैदाने अरफ़ात में ठहरने के वक़्त*_
_*2 . मुजदलफा में ठहरने के वक़्त*_
_*3 . हरम शरीफ में हाज़िरी के लिए*_
_*4 . हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के रौजे पर हाजिरी के लिए*_
_*5 . तवाफ के वक़्त*_
_*6 . मिना में दाखिल होने के लिए*_
_*7 . जमरों पर कंकरियाँ मारने के लिये ( तीनों दिन )*_
_*8 . शबेबरात में*_
_*9 . शबे कद्र में*_
_*10 . अरफे की रात में*_
_*11 . मीलाद शरीफ की मजलिस के लिये ।*_
_*12 . दूसरी नेक मजलिसों में हाज़िर होने के लिये*_
_*13 . मुर्दा नहलाने के बाद*_
_*14 . पागल के पागलपन जाने के बाद*_
_*15 . बेहोशी से फायदे के बाद*_
_*16 . नशा जाते रहने के बाद*_
_*17 . गुनाह से तौबा करने लिए*_
_*18 . नया कपड़ा पहनने के लिए*_
_*19 . सफर से आने वाले के लिए*_
_*20 . इस्तेहाजा का खून बन्द होने के बाद*_
_*21 . नमाजे कुसूफ़*_
_*22 . नमाजे खुसूफ*_
_*23 . नमाजे इस्तिस्का*_
_*24 . नमाजे खौफ*_
_*25 . अंधेरी*_
_*26 . सख्त आँधी के लिए*_
_*27 . और अगर बदन पर नजासत लगी और यह पता न चल सका कि नजासत किस जगह है तो इन तमाम सूरतों में गुस्ल मुस्तहब है ।*_

_*💫मसअला : - हज करने वाले पर दसवीं ज़िलहिज्जा को पाँच गुस्ल हैं ।*_

_*1 . मुजदलफा में ठहरने*_
_*2 . मिना में दाखिल होने*_
_*3 . जमरे पर कंकरियाँ मारने*_
_*4 . मक्के में दाखिल होने*_
_*5 . और कबा शरीफ के तवाफ करने के लिए गुस्ल है जबकि न . 3 , 4 , और 5 . यह तीन पिछले काम भी दसवीं ही को करें और जुमे का दिन है तो जुमे का गुस्ल करें ऐसे ही अगर अरफ़ा या ईद जुमे के दिन पड़े तो यहाँ वालों पर दो गुस्ल होंगे ।*_

_*💫मसअला : - जिस पर चन्द गुस्ल हों सब की नियत से एक गुस्ल कर लिया तो सब अदा हो जायेंगे और सबका सवाब मिलेगा ।*_

_*💫मसअला : - अगर औरत पर नहाना ज़रूरी हो और उसने अभी गुस्ल नहीं किया है और इसी बीच उसे हैज़ शुरू हो गया तो चाहे अब नहा ले या हैज़ खत्म होने के बाद नहाये उसे इख्तियार है ।*_

_*💫मसअला : - अगर किसी पर गुस्ल वाजिब हो और वह जुमा या ईद के दिन नहाया और जुमा और ईद वगैरा की नियंत कर ली तो सब अदा हो गये और उसी गुस्ल से जुमे और ईद की नमाज़ पढ़ सकता है ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 36*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 45)*_
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_*💫गुस्ल किन चीजों से फर्ज होता है ? 👉🏻(भाग 5)*_

_*💫मसअला : - औरत को नहाने या वुजू के लिये पानी मोल लेना पड़े तो उसकी कीमत शौहर के ज़िम्मे है जबकि औरत पर गुस्ल और वुजू वाजिब हो या बदन से मैल दूर करने के लिए नहाये ।*_

_*💫मसअला : - जिस पर गुस्ल वाजिब है उसे चाहिए कि नहाने में देर न करे हदीस शरीफ में है कि जिस घर में जनबी हो उसमें रहमत के फरिश्ते नहीं आते और अगर इतनी देर कर चुका कि नमाज़ का आखिरी वक़्त आ गया लो अब फौरन नहाना फर्ज है क्यूँकि अगर देर करेगा तो गुनाहगार होगा । और अगर खाना खाना चाहता है या औरत से जिमा करना चाहता है तो वुजू कर ले या हाथ मुँह धो ले या कुल्ली कर ले और अगर वैसे ही खा पी लिया तो गुनाह नहीं मगर मकरूह है और मुहताजी लाता है और बे नहाये या बे वुजू किये जिमा कर लिया तो भी गुनाह नहीं मगर जिस को एहतिलाम हुआ हो बे नहाये उसे औरत के पास न जाना चाहिए ।*_

 _*💫मसअला : - मजानम अगर रात को जुनुब हुआ तो अच्छा यही है कि फज्र तुलू होने से पहले नहा ले ताकि रोजे का हर हिस्सा जनाबत से खाली हो और अगर नहीं नहाया तो भी रोजा तो हो ही जायेगा मगर अच्छा यह है कि गरारा कर ले और नाक में जड़ तक पानी चढ़ा ले । यह दोनो काम फर्ज से पहले कर ले कि रोजे में न हो सकेंगे और अगर नहाने में इतनी देर की कि दिन निकल आया और नमाज कजा कर दी तो यह और दिनों में भी गुनाह है आर रमज़ान में तो और ज्यादा ।*_

_*💫मसअला : - जिसको नहाने की जरूरत हो उसको मस्जिद में जाना , तवाफ करना , कुर्आन शरीफ छूना , अगर्चे उसका सादा हाशिया या जिल्द या छोली छुए या बे छुये देख कर , या जुबानी पढ़ना या किसी आयत का लिखना या आयत का तावीज़ लिखना या ऐसा तावीज छूना या ऐसी अंगूठी पहनना जिस में हुरूफे मुकत्तआत हों हराम है ।*_

_*💫मसअला : - अगर कुर्आन शरीफ जुज़दान में हो तो जुज़दान पर हाथ लगाने में हरज नहीं ऐसे ही रुमाल वगैरा किसी ऐसे कपड़े से पकड़ना जो न अपना ताबे हो न कुर्आन मजीद का तो जाइज़ है कि कुर्ते की आस्तीन , दुपट्टे के आँचल से यहाँ तक कि चादर का एक कोना उसके मोंढे पर है तो दूसरे कोने से छूना हराम है क्योंकि यह सब उसके ताबे हैं और जैसे चोली कुर्आन शरीफ के ताबेअ है तो उसका छूना भी हराम है ।*_

_*💫मसअला : - आगर कुर्आन की आयत दुआ की नियत से या तबर्रुक के लिए पढ़े जैसे:-*_
_*بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ*_

_*📝तर्जमा : - " अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान रहमत वाला " या अल्लाह तआला का शुक्र अदा करने या छींक आने के बाद :-*_
_*الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ*_
_*पढ़े ।*_

_*📝तर्जमा : - " सब खूबियाँ अल्लाह को जो मालिक सारे जहान वालो का ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 36/37*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 46)*_
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_*💫गुस्ल किन चीजों से फर्ज होता है ? 👉🏻(भाग 6)*_

_*या परेशानी की खबर पर यह आयत पढ़े ।*_
_*اِنَّا لِلّٰهِ وَاِنَّ اِلِیْهِ رٰجِعُنْ*_
  _*📝तर्जमा : - हम अल्लाह के लिए हैं और हमको उसी की तरफ फिरना है । या अल्लाह की तारीफ की नियत से पूरी सुरए फातिहा या आयतुल कुर्सी या सुरए हश्र की पिछली तीन आयतें*_
_*ھُواللّٰهُ الّ‌َذِیْ*_
_*पढीं ।और इन सब सूरतों में कुर्आन शरीफ पढ़ने की नियत न हो तो कुछ हर्ज नहीं । ऐसे ही तीनों कुल बगैर कुल के लफ्ज़ बनियत सना पढ़ सकता है और लफ्जे कुल के साथ नहीं पढ़ सकता अगर्चे सना ही की नियत से हो क्यूँकि इस सूरत में उनका कुर्आन होना तय है इसमें नियत को कुछ दखल नहीं ।*_

_*💫मसअला - बेवुजु को कुर्आन मजीद या उसकी किसी आयत का छूना हराम है बिना छुये जुबानी देख कर पढ़े तो कोई हर्ज नहीं ।*_

_*💫मसअला : - रुपये पर आयत लिखी हो तो उन सबको यानी बे वुजू वालों जिन पर नहाना जरूरी है और हैज और निफास वालियों को उसका छूना हराम है । हाँ अगर थैली में हो तो थैली उठाना जायज़ है । ऐसे ही जिस बर्तन या गिलास पर सूरत या आयत लिखी हो उसका छूना भी उनको हराम है और उसका इस्तेअमाल सब को मकरूह मगर जबकि खास शिफा की नियत हो ।*_

_*💫मसअला : - कुर्आन शरीफ देखने में उन सब पर कुछ हर्ज नहीं अगरचे हुरूफ पर नज़र पड़े और अल्फाज़ समझ में आयें और ख्याल में पढ़े जायें ।*_

_*💫मसअला - और उन सब को फिक्ह , तफसीर और हदीस की किताबों का छूना मकरुह है और अगर उनको किसी कपड़े से छूना चाहे अगरचे उसको पहने या ओढ़े हुए हो तो कोई हर्ज नहीं मगर उन किताबों में आयत की जगह हाथ रखना हराम है ।*_

_*💫मसअला : - इन सब को तोरात , ज़बूर इन्जील को पढ़ना छूना मकरूह है ।*_

_*💫मसअला : - दुरूद शरीफ और दुआओं के पढ़ने में उन्हें कुछ हर्ज नहीं मगर अच्छा यह है कि तुज या कुल्ली कर के पढ़ें ।*_

_*💫मसअला : - उन सब को अजान का जवाब देना जाइज है ।*_

_*💫मसला : - मुसहफ शरीफ ( कुर्आन ) अगर ऐसा हो जाये कि पढ़ने के काम में न आये तो उसे कफना कर लहद खोद कर , ऐसी जगह दफन करें जहाँ पैर पड़ने का खतरा न हो ।*_

_*💫मसअला - काफिर को मुसहफ न छूने दिया जाये और हुरूफों को उससे बचाया जाये ।*_

_*💫मसअला : - कुर्आन सब किताबों से ऊपर रखें फिर तफसीर फिर हदीस फिर बाकी दीनियात मरतबे के एअतिबार से ।*_

_*💫मसअला : - किताब पर कोई दूसरी चीज़ न रखी जाये यहाँ तक कि कलम दवात और यहाँ तक कि सन्दूक जिस में किताब हो उस पर भी कोई चीज़ न रखी जाये ।*_

_*💫मसअला : - मसाइल या दीनियात की किताबों के वरकों में पुडिया बाँधना । जिस दस्तरख्वान पर कुछ लिखा हुआ हो उसको काम में लाना या बिछौने पर कुछ लिखा हो तो उसको काम में लाना मना है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 37/38*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 47)*_
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_*💧पानी का बयान*_

_*🕋अल्लाह तआला फ़रमाता है ।*_

_*📝तर्जमा : - " आसमान से हमने पाक करने वाला पानी उतारा " । और फरमाता है ।"*_

_*📝तर्जमा : - " आसमान से तुम पर पानी उतारता है कि तुम्हें उससे पाक करे और शैतान की पलीदगी तुम से दूर करे " ।*_

_*📚हदीस न . 1 : - इमामे मुस्लिम ने हज़रते अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की कि रसूलुल्ला सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि तुम में से कोई शख्स जनाबत की हालत में रुके हुए पानी में न नहाये ( यानी थोड़े पानी में जो दह - दरदा न हो इसलिए कि दह - दर दह बहते पानी के हुक्म में है ) लोगों ने कहा तो ऐ अबू हुरैरह ! कैसे करे कहा उसमें से लेले ‌।*_

_*📚हदीस न . 2 : - सुनने अबू दाऊद व तिर्मिज़ी और इब्ने माजा में हकम इब्ने अम्र रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इस बात से मना फ़रमाया कि औरत की तहारत से बचे हुए पानी से मर्द वुजू करे ।*_

_*📚हदीस न . 3 : - इमामे मालिक व अबू दाऊद और तिर्मिज़ी अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत करते हैं कि एक शख्स ने हुजूर सल्लल्लाह तआला अलैहि वसल्लम से पूछा कि हम दरिया का सफर करते हैं और अपने साथ थोड़ा सा पानी ले जाते हैं तो अगर उससे वुजू करें तो प्यासे रह जायेंगे तो क्या समुद्र के पानी से हम वुजू करें फरमाया उस का पानी पाक है और उस का मरा हुआ जानवर हलाल है यानी मछली ।*_

_*📚हदीस न . 4 : - अमीरुल मोमिनीन हज़रते फारूके आजम रदियल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया कि धूप के गर्म पानी से गुस्ल मत करो कि वह बर्स पैदा करता है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 38/39*_

_*📍बाकी अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 48)*_
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_*💫किस पानी से वुजू जाइज़ है और किस से नहीं ?*_

_*📍तम्बीह : - जिस पानी से वुजू जाइज़ है उससे गुस्ल भी जाइज़ और जिससे वुजू नाजाइज है उस से गुस्ल भी नाजाइज है ।*_

_*💫मसअला : - मेंह , नदी , नाले , चश्में , समुन्दर , दरिया , कुँयें , बर्फ और ओले के पानी से वुजू जाइज़ है ।*_

_*💫मसअला : - जिस पानी में कोई चीज़ मिल गई कि बोल चाल में उसे पानी न कहें बल्कि उसका कोई और नाम हो गया जैसे शर्बत या पानी में कोई ऐसी चीज़ डालकर पकायें जिस से मकसूद मैल काटना न हो जैसे शोरबा , चाय , गुलाब या और अर्क उससे वुजू और गुस्ल जाइज़ नहीं।*_

_*💫मसअला : - अगर ऐसी चीज़ मिलायें या मिलाकर पकायें जिस से मकसद मैल काटना हो जैसे साबुन या बेरी के पत्ते तो वुजू जाइज़ है । जब तक पानी का पतलापन बाकी रहे और अगर पानी सत्तू की तरह गाढ़ा हो गया तो वुजू जाइज़ नहीं ।*_

_*💫मसअला : - और अगर पानी में कोई पाक चीज़ मिली जिससे रंग या बू या मज़े में फर्क आ गया मगर उसका पतलापन न गया जैसे रेता , चूना या थोड़ी जाफरान तो वुजू जाइज़ है और जो जाफरान का रंग इतना आ जाये कि कपड़ा रंगने के काबिल हो जाये तो वुजू जाइज़ नहीं यूँही पुड़िया के रंग का हुक्म है और अगर इतना दूध मिलगया कि दूध का रंग गालिब न हुआ तो वुजू जाइज़ है , वरना नहीं । गालिब मगलूब की पहचान यह है कि जब तक यह कहें कि पानी है जिस में कुछ दूध मिल गया तो वुजू जाइज़ है और जब उसे लस्सी कहें तो वुजू नाजाइज़ और अगर पत्ते गिरने या पुराने होने की वजह से रंग बदले तो कुछ हर्ज नहीं लेकिन अगर पत्तों से पानी गाढ़ा हो गया तो उस पानी से वुजू जाइज़ नहीं ।*_

_*💫मसअला : - बहता पानी कि उसमें तिनका डाल दें तो बहा ले जाये वह पानी पाक और पाक करने वाला है । नजासत पड़ने से नापाक न होगा जब तक कि उस नजासत से पानी का रंग , बू और मज़ा न बदले और अगर नजिस चीज़ से रंग या , बू और मजा बदल जाये तो पानी नापाक हो जायेगा । अब यह उस वक़्त पाक होगा कि नजासत नीचे बैठ कर उसके औसाफ ठीक हो जायें या पाक पानी इतना मिले कि नजासत को बहा ले जाये या पानी के रंग , बू और मज़ा ठीक हो जाये और अगर पाक चीज़ ने रंग , मजा और बू को बदल दिया तो उससे वुजू करना और नहाना जाइज है जब तक दूसरी चीज़ न हो जाये ।*_

_*💫मसअला - मुर्दा जानवर नहर की चौडाई में पड़ा हो और उसके ऊपर से पानी बहता है और जो पानी उससे मिल कर बहता है उस से कम है , जो उसके ऊपर से बहता है या ज्यादा है या बराबर हर जगह से वुजू जाइज है यहाँ तक कि किसी वस्फ में तब्दीली न आये ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 39/40*_

_*📍बाकी अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_







  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 49)*_
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_*💫मसअला : - छत के परनाले से बारिश का पानी गिरे वह पाक है अगचे उस पर जगह - जगह नजासत पड़ी हो अगर्चे नजासत परनाले के मुँह पर हो , अगर्चे जो पानी नजासत से मिलकर गिरता हो वह आधे से कम या बराबर या ज्यादा हो जब तक नजासत से पानी के किसी हालत में तब्दीली न आये । यही सही है और इसी पर एअतिमाद है और अगर मैंह रुक गया और पानी का बहना खत्म हो गया तो अब वह ठहरा हुआ पानी और जो छत से टपके नजिस है ।*_

_*💫मसअला : - ऐसे ही नालियों से बरसात का बहता पानी पाक है जब तक नजासत का रंग , बू या मज़ा उसमें जाहिर न हो रहा उससे वुजू करना अगर उस पानी में दिखाई पड़ने वाले नजासत के जरें ऐसे बहते जा रहे हों कि जो चुल्लू लिया जायेगा उसमें एक आध जर्रा नजासत का भी जरूर होगा जब तो हाथ में लेते ही नापाक हो गया । उससे बुजू हराम है वरना जाइज है और बचना बेहतर है ।*_

_*💫मसअला : - नाली का पानी कि बारिश के बाद ठहर गया अगर उसमें नजासत के टुकड़े मालूम हो । या रंग और बू का पता चले तो नापाक वर्ना पाक है ।*_

_*💫मसअला : - दस हाथ लम्बा दस हाथ चौड़ा जो हौज़ हो उसे दह - दर - दह कहते हैं । ऐसे ही बीस हाथ लम्बा पाँच हाथ चौड़ा या पच्चीस हाथ लम्बा चार हाथ चौड़ा । गर्ज कुल लम्बाई चौडाई सौ हाथ हो तो वह दह - दर - दह है यानी उसका क्षेत्रफल सौ हाथ हो । अगर हौज गोल हो तो उसकी गोलाई लगभग साढ़े . पैतीस हाथ हो । सौ हाथ लम्बाई न हो तो छोटा हौज़ है उसके पानी को थोड़ा कहेंगे अगर्चे कितना ही गहरा हो ।*_

_*📍तम्बीह : - हौज के बड़े छोटे होने में खुद उस हौज की नाप का एअतिबार नहीं बल्कि जो उसमें पानी है उसकी ऊपरी सतह देखी जायेगी अगर हौज बड़ा है मगर अब पानी कम होकर दह - दर - दह न रहा तो वह इस हालत में बड़ा हौज़ नहीं कहा जायेगा और हौज उसी को न कहेगे जो मस्जिदों और ईदगाहों में बना लिये जाते हैं बल्कि हर वह गडढा जिसकी पैमाइश सौ हाथ हो वह बड़ा हौज है और उससे कम है तो छोटा ।*_

_*💫मसअला : - दह - दर - दह हौज में सिर्फ इतना दल यानी गहराई काफी है कि उतनी पैमाइश में जमीन कहीं से खुली न हो और यह जो बहुत किताबों में फरमाया है कि लप या चुल्लू में पानी लेने से जमीन न खुले उसकी हाजत उसके ज्यादा रहने के लिये है कि इस्तेमाल के वक़्त अगर पानी उठाने से जमीन खुल गई तो उस वक्त पानी सौ हाथ की पैमाइश में न रहा । ऐसे हौज का पानी बहते पानी के हुक्म में है नजासत पड़ने से नापाक न होगा जब तक नजासत से रंग , या बूँ या मजा न बदले और ऐसा हौज अगर्चे नजासत पड़ने से नापाक न होगा मगर जान बूझ कर उसमें नजासत डालना मना है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 40*_

_*📍बाकी अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 50)*_
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_*💫मसअला - बड़े हौज के नजिस न होने की यह शर्त है कि उसका पानी मुत्तसिल ( मिला हुआ ) हो तो ऐसे हौज में अगर लठा या कड़ियाँ गाड़ी गई हों तो उन लट्ठो कड़ियों के अलावा बाकी जगह अगर सौ हाथ है तो बड़ा है वर्ना नहीं यानी लट्ठा या कड़िये वगैरह ने जगह घेरी और वह जगह 100 हाथ में से कम हो जायेगी तो वह बड़ा हौज़ नहीं रहा अल्बत्ता पतली - पतली चीजें जैसे घास , निरकुल खेती हो तो उसके मुत्तसिल ( मिले ) होने में फर्क न आयेगा ।*_

_*💫मसअला : - बड़े हौज़ में ऐसी नजासत पड़ी कि दिखाई न दे जैसे शराब या पेशाब तो उस हौज़ के हर तरफ से वुजू जाइज है और अगर देखने में आती हो जैसे पाखाना या मरा हुआ जानवर तो जिस तरफ वह नजासत हो उस तरफ वुजू न करना बेहतर है दूसरी तरफ वुजू करे ।*_

_*📍तम्बीह : - जो नजासत दिखाई दे उसे " मरइय्या और जो नहीं दिखायी दे उसे ''गैर मरइय्या" कहते हैं ।*_

_*💫मसअला : - ऐसे हौज़ पर अगर बहुत से लोग जमा होकर वुजू करें तो भी कुछ हर्ज नहीं अगर्चे वुजू का पानी उसमें गिरता हो । हाँ उसमें कुल्ली डालना और नाक सिनकना नहीं चाहिए कि पाकीज़गी के खिलाफ है ।*_

_*💫मसअला : - तालाब या बड़ा हौज ऊपर से जम गया मगर बर्फ के नीचे पानी की लम्बाई चौड़ाई मुत्तसिल दह - दर - दह के मिकदार है और सूराख करके उससे वुजू किया तो जाइज़ है अगरचे उसमें नजासत पड़ जाये और अगर मुत्तसिल दह - दर - दह नहीं और उसमें नजासत पड़ी तो नापाक है फिर अगर नजासत पड़ने से पहले उसमें सूराख कर दिया और उससे पानी उबल पड़ा तो अगर दह - दर - दह के मिकदार फैल गया तो अब नजासत पड़ने से भी पाक रहेगा और उसमें दल का वही हुक्म है जो ऊपर गुज़र चुका ।*_

_*💫मसअला : - अगर खुश्क तालाब में नजासत पड़ी हो और मेंह बरसा और उसमें बहता हुआ पाक पानी इस कद्र आया कि बहाव रुकने से पहले दह - दर - दह हो गया तो वह पानी पाक है और अगर उस मेंह से दह - दर - दह से कम रहा और दोबारा बारिश से दह - दर - दह हुआ तो सब नजिस है । हाँ अगर वह भर कर बह जाये तो पाक हो गया अगर्चे हाथ दो हाथ बहा हो ।*_

_*💫मसअला : - दह - दर - दह पानी में निजासत पड़ी फिर उस का पानी दह - दर - दह से कम हो गया तो वह अब भी पाक है । हाँ अगर वह नजासत अब भी उस में बाकी हो और दिखाई देती हो तो अब नापाक हो गया अब जब तक भरकर बह न जाये पाक न होगा ।*_

_*💫मसअला : - छोटा हौज नापाक हो गया फिर उसका पानी फैलकर - दह - दर - दह हो गया तो अब भी नापाक है मगर पाक पानी अगर उसे बहा दे पाक हो जायेगा ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 40/41*_

_*📍बाकी अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 51)*_
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_*💫मसअला : - कोई हौज़ ऐसा है कि ऊपर से तंग और नीचे से कुशादा है यानी ऊपर दह - दर - दह नहीं और नीचे दह - दर - दह या ज्यादा है अगर ऐसा हौज भरा हुआ हो और नजासत पड़े तो नापाक है । उसका पानी घट गया और वह दह - दर - दह हो गया तो पाक है ।*_

_*💫मसअला : - हुक्के का पानी पाक है अगर्चे उसके रंग , बू और मज़े में तब्दीली आजाये उस से वुजू जाइज़ है । किफायत की मिकदार उस के होते हुए तयम्मुम जाइज़ नहीं जैसे सारा वुजू कर लिया और एक पाँव धोना बाकी है कि पानी ख़त्म होगया और हुक्के में पानी इतना मौजूद है कि उस पाँव को धोसकता है तो उसे तयम्मुम जाइज़ नहीं मंगर वुजू करने के बाद अगर उज्व में बू आगई तो जब तक बू जाती न रहे मस्जिद में जाना मना है और वक़्त में गुन्जाइश हो तो इतना रूक कर नमाज पढ़े कि वह उड़ जाये उस से वुजू करने का हुक्म उस वक़्त दिया गया कि दूसरा पानी न हो बिला ज़रूरत उस से वुजू करना न चाहिए ।*_

_*💫मसअला : - जो पानी वुजू या गुस्ल करने में बदन से गिरा वह पाक है मगर उस से वुजू या गुस्ल जाइज़ नहीं ऐसे ही अगर बे वुजू शख्स का हाथ या उंगली या पोरा या नाखून या बदन का कोई टुकड़ा जो वुजू में धोया जाता हो इरादे या बगैर इरादा दह - दर - दह से कम पानी में बे धोये हा पड़ जाये तो वह पानी वुजू और गुस्ल के लाइक न रहा इसी तरह जिस पर नहाना फर्ज है उसके जिस्म का कोई बे धुला हुआ हिस्सा पानी से छू जाये तो वह पानी वुजू और गुस्ल के काम का न रहा अगर धुला हुआ हाथ या बदन का कोई हिस्सा पड़ जाये तो हर्ज नहीं ।*_

_*💫मसअला : - अगर हाथ धुला हुआ है मगर फिर धोने की नियत से डाला और यह धोना सवाब की काम हो जैसे खाने के लिए या वुजू के लिए तो यह पानी मुस्तअमल ( इस्तेमाल किया हुआ ) होगया यानी वुजू के काम का न रहा और उस पानी को पीना भी मकरूह है ।*_

_*💫मसअला : - अगर ज़रूरत से हाथ पानी में डाला जैसे पानी बड़े बर्तन में है कि उसे झुका नहीं सकता न कोई छोटा बर्तन है कि उस से निकाले तो ऐसी सूरत में ज़रूरत भर हाथ पानी में डाल कर उस से पानी निकाले या कुँए में रस्सी डोल गिर गया और बे घुसे नहीं निकल सकता और पानी भी नहीं कि हाथ पाँव धोकर घुसे तो इस सूरत में अगर पाँव डालकर रस्सी निकालेगा तो पानी मुस्तमल न होगा इस मसला को बहुत कम लोग जानते हैं लोगों को जानना चाहिए ।*_

_*💫मसअला : - इस्तेमाल किया हुआ पानी अगर बिना इस्तेमाल किये हुए पानी में मिल जाये जैसे वुजू या गुस्ल करते वक़्त पानी के कतरे लोटे या घड़े में टपकें तो अगर अच्छा पानी ज्यादा है तो यह वुजू और गुस्ल के काम का है वर्ना सब बेकार हो गया ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 41/42*_

_*📍बाकी अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 52)*_
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_*💫मसअला : - पानी में हाथ पड़ गया या और किसी तरह मुस्तअमल होगया और यह चाहे कि यह काम का होजाये तो अच्छा पानी उस से ज्यादा उस में मिला दें और उसका यह तरीका भी है कि एक तरफ से पानी डालें कि दूसरी तरफ बह जाये तो सब काम का हो जायेगा ऐसे ही नपाक पानी को भी पाक कर सकते हैं ऐसी ही हर बहती हुई चीज़ अपनी जिन्स या पानी । से उबाल देने से पाक हो जायेगी ।*_

_*💫मसअला : - किसी पेड़ या फल के निचोड़े हुये पानी से वुजू जाइज़ नहीं जैसे केले का पानी या अंगूर , अनार और तरबूज़ का पानी और गन्ने का रस ।*_

_*💫मसअला : - जो पानी गर्म मुल्क में गर्म मौसम में सोने चाँदी के सिवा किसी और धातु के बर्तन में धूप में गर्म हो गया तो जब तक गर्म है उस से वुजू और गुस्ल न करना चाहिये और न उसको पीना चाहिए बल्कि बदन को किसी तरह न पहुंचना लगना चाहिए यहाँ तक कि अगर उस से कपड़ा भीग जाये तो जब तक ठंडा न हो ले उस के पहनने से बचें क्योंकि उस पानी के इस्तेमाल से बर्स का खतरा है फिर भी अगर वुजू या गुस्ल कर लिया तो हो जायेगा ।*_

_*💫मसअला : - छोटे छोटे गड्ढों में पानी है और उसमें नजासत का पड़ना मालूम नहीं तो उस से वुजू जाइज है ।*_

_*💫मसअला - काफिर की यह खबर कि यह पानी पाक है या नापाक तो वह खबर मानी न जाया दोनों सूरतों में पानी पाक रहेगा कि यह पानी की अस्ली हालत है ।*_

_*💫मसअला : - नाबालिग का भरा हुआ पानी कि शरीअत की रौशनी में वह नाबालिग उस पानी का मालिक हो जाये उसे पीना , उससे नहाना वुजू करना या और किसी काम में लाना उसके माँ बाँप या जिसका वह नौकर है उसके सिवा किसी को जाइज़ नहीं अगर्चे वह इजाजत भी दे दे अगर वुजू कर लिया तो वुजू हो जायेगा लेकिन गुनाहगार होगा यहाँ से उस्तादों को सबक लेना चाहिए कि अकसर वह नाबालिग बच्चों से पानी भरवा कर अपने काम में लाया करते हैं इसी तरह बालिग का भरा हुआ पानी बिना इजाज़त खर्च करना भी हराम है ।*_

_*💫मसअला : - नजासत से पानी का रंग बू और मज़ा बदल गया तो उस को अपने इस्तिमाल में भी लाना नाजाइज़ और जानवरों को पिलाना भी जाइज नहीं हाँ गारे वगैरा के काम में लासकतें है मगर उस गारे मिट्टी को मस्जिद की दीवार वगैरा में खर्च करना जाइज नहीं ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 42/43*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_




 _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 53)*_
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_*⛲कुँए का बयान⛲*_

_*1💫मसअला : - कुँए में आदमी या किसी जानवर का पेशाब या बहता हुआ खून ताड़ी सेंधी किसी तरह कि शराब का कतरा नापाक लकड़ी या नापाक कपड़ा या और कोई नापाक चीज़ गिरी तो कुँऐ का सारा पानी निकाला जायेगा ।*_

_*2💫मसअला : - जिन चौपायों का गोश्त नहीं खाया जाता उनके पेशाब , पाखाने से कुँए का पानी नापाक हो जायेगा । यूँही मुर्गी और बत्तख की बीट से भी नापाक हो जायेगा इन सब सूरतों में सब पानी निकाला जायेगा ।*_

_*3💫मसअला : - मेंगनियाँ , लीद और गोबर अगर्चे नापाक हैं लेकिन कुँए में अगर थोड़ा गिर जायें तो ज़रूरत की वजह से मुआफ़ हैं । पानी पर नापाकी का हुक्म न लगाया जायेगा और उड़ने वाले हलाल जानवर जैसे कबूतर चिड़िया की बीट या शिकारी परिन्दे जैसे चील , शिकरा या बाज़ की बीट गिर जाये तो नापाक न होगा । यूँही चूहे और चमगादड़ के पेशाब से भी नापाक न होगा ।*_

_*4💫मसअला : - पेशाब की बारीक बुन्दकियाँ सुई की नोंक की तरह और नजिस गुबार पड़ने से नापाक न होगा ।*_

_*5💫मसअला : - जिस कुँए का , पानी नापाक हो गया उसका एक कतरा भी पाक कुँए में पड़ जाये तो यह भी नापाक हो गया , जो हुक्म इसका है वही उसका हो गया । युही डोल , रस्सी और घडा जिनमें नापाक कुँए का पानी लगा था कुँए में पड़े तो वह पाक भी नापाक हो जायेगा ।*_

_*6💫मसअला : - कुँए में आदमी बकरी या कुत्ता या और कोई खून वाला जानवर या उनके बराबर या उनसे बड़ा जानवर गिर कर मर जाये तो कुल पानी निकाला जायेगा ।*_

_*7💫मसअला : - मुर्गा , मुर्गी , बिल्ली , चूहा , छिपकली या और कोई जानवर जिसमें बहता हुआ खुन हो कुँए में मर कर फूल जाये या फुट जाये कुल पानी निकाला जायेगा और अगर यह सब कुँए से बाहर मरे और फिर कुँए में गिर गये जब भी यही हुक्म है ।*_

_*8💫मसअला : - छिपकली या चूहे की दुम कट कर कुँए में गिरी अगर्चे फूली फटी न हो कुल पानी निकाला जायेगा मगर उसकी जड़ में अगर मोम लगा हो तो बीस डोल निकाला जायेगा अगर बिल्ली ने चूहे को दबोचा और वह जख्मी हो गया फिर उससे छूट कर कुँए में गिरा तो सारा पानी निकाला जाएगा ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 43/44*_

*_📍बाकि अगले पोस्ट में_*

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_






  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 54)*_
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_*9💫मसअला : - चूहा , छछुँदर , चिड़िया , छिपकली , गिरगिट , या उनके बराबर या उनसे छोटा कोई खून वाल जानवर कुँए में गिर कर मर गया तो बीस डोल से तीस डोल पानी निकाला जायेगा यानी अगर बड़ा डोल है तो बीस डोल और छोटा डोल है तो तीस डोल पानी निकाला जायेगा ।*_

_*10💫मसअला : - कबूतर मुर्गी या बिल्ली गिर कर मरे तो चालीस से साठ डोल तक निकाला जायेगा यानी अगर बड़ा डोल है तो चालीस डोल और छोटा डोल है तो साठ डोल पानी निकाला जायेगा ।*_

_*11💫मसअला : - आदमी का बच्चा जो ज़िन्दा पैदा हुआ आदमी के हुक्म में है । बकरी का छोटा बच्या बकरी के हुक्म में है ।*_

_*12💫मसअला : - जो जानवर कबूतर से छोटा हो चूहे के हुक्म में है और जो बकरी से छोटा हो मुर्गी के हुक्म में है ।*_

_*13💫मसअला : - दो चूहे गिर कर मर जायें तो वही बीस से तीस डोल पानी निकाला जाए और तीन चार या पाँच हों तो चालीस से साठ तक और छ : हों तो कुल पानी निकाला जायेगा ।*_

_*14💫मसअला : - दो बिल्लियाँ मर जायें तो सब पानी निकाला जायेगा ।*_

_*15💫मसअला : - मुसलमान मुर्दा नहलाने के बाद कुँए में गिर जाये तो पानी निकालने की हर्गिज़ जरूरत नहीं और शहीद गिर जाये और बदन पर खून न लगा हो तो भी कुछ ज़रूरत नहीं और अगर खून लगा था और बहने के काबिल न था तो भी कुछ ज़रूरत नहीं अगर्चे वह खून उसके बदन पर से धुल कर पानी में मिल जाये और अगर बहने के काबिल खून उसके बदन से अलग होकर पानी में मिल जाये और अगर बहने के काबिल खून उसके बदन पर लगा हुआ है और सूखा गया है और शहीद कि गिरने से उसके बदन से अलग होकर पानी में न मिला जब भी पानी पाक रहेगा कि शहीद का खून जब तक उसके बदन पर है कितना ही हो पाक है । हाँ यह खून उसके बदन से जुदा होकर पानी में मिल जाये तो अब नापाक है ।*_

_*16💫मसअल : - काफ़िर मुर्दा अंगर सौ बार भी धोया गया हो कुँए में गिर जाये तो उसकी उंगली या नाखून पानी से लग जाये पानी नजिस हो जायेगा ।*_

_*17💫मसअला : - कच्चा बच्चा या जो बच्चा मुर्दा पैदा हुआ अगर कुँए में गिर जाये तो सब पानी निकाला जायेगा अगर्चे गिरने से पहले नहला दिया गया हो ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 44*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_




  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 55)*_
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_*18: 💫मसअला : - बे वुजू और जिस आदमी पर नहाना फर्ज़ हो अगर बिला ज़रूरत कुँए में उतरें और उसके बदन पर नजासत न लगी हो तो बीस डोल पानी निकाला जायेगा और अगर डोल निकालने के लिये उतरा तो कोई हर्ज नहीं ।*_

_*19: 💫मसअला : - सुअर कुँए में अगर गिर जाये और अगर्चे न मरे कुँए का पानी नाजिस हो गया और सब पानी निकाला जायेगा ।*_

_*20: 💫मसअला - सुअर के सिवा और कोई जानवर कुँए में गिरा और जिन्दा निकला और उसके जिस्म पर नजासत का यकीन न हो और पानी में उसका मुँह न पड़ा तो पाक है उसका इस्तेमाल जाइज मगर बीस डोल पानी निकालना बेहतर है और अगर उसके बदन पर नजासत लगी रहने का यकीन हो तो सारा पानी निकाला जायेगा और अगर उसका मुँह पानी में पड़ा तो उसके लुआब और उसके झूटे का जो हुक्म है वही हुक्म उस पानी का है अगर झूटा नापाक या मशकूक हो तो सारा पानी निकाला जायेगा और अगर मकरूह है तो चूहे वगैरा में बीस डोल , मुर्गी छूटी हुई में चालीस और जिसका झूटा पाक हैं उस मे भी बीस डोल निकालना बेहतर है मसलन बकरी गिरी और जिन्दा निकल आई तो बीस डोल निकालें ।*_

_*21 :💫मसाला : - कुँए में वह जानवर गिरा जिसका झुटा पाक या मकरूह है और उसमें से पानी कुछ न निकाला और वुजू कर लिया तो वुजू हो जायेगा ।*_

_*22 :💫मसअला : - जूता या गेंद , कुँए में गिर गई और उसका नजिस होना यकीनी है तो कुल पानी निकाला जायेगा नहीं तो बीस डोल और खाली नजिस होने का ख्याल एअतेबार के लाइक नहीं ।*_

_*23: 💫मसअला : - जो जानवर पानी में पैदा होता है अगर कुँए में मर जाये या मरा हुआ गिर जाये तो नापाक न होगा अगर्चे फूला फटा हो मगर फट कर उसके टुकड़े अगर पानी में मिल गये तो उस पानी का पीना हराम है ।*_

_*24: 💫मसअला : - खुश्की और पानी के मेंढ़क का एक हुक्म है । यानी उसके मरने बल्कि सड़ने से भी पानी नजिस न होगा मगर जंगल का बड़ा मेंढक जिस में बहने के काबिल खून होता है उसका हुक्म चूहे की मिस्ल है पानी और खुश्की के मेंढक में फर्क यह है कि पानी के मेंढक की उंगलियों के दरम्यान झिल्ली होती है और खुश्की वाले में नहीं ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 44/45*_

_*📍बाकि अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 56)*_
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_*25💫मसअला : - जिसकी पैदाइश पानी में न हो मगर पानी में रहता हो जैसे बत्तख तो उसके मर जाने से पानी नापाक हो जायेगा ।*_

_*26💫मसअला : - बच्चे या काफिर ने पानी में हाथ डाल दिया तो अगर उनके हाथों का नजिस होना मालूम है जब तो जाहिर है कि पानी नजिस है नहीं तो नजिस तो नहीं है लेकिन दूसरे पानी से वुजू करना बेहतर है ।*_

_*27💫मसअला : - जिन जानवरों में बहता हुआ खून नहीं होता जैसे मच्छर और मक्खी वगैरा तो उनके मरने से पानी नजिस न होगा ।*_

_*✨फायदा : - मक्खी अगर सालन वगैरा में गिर जाये तो उसे डुबो कर फेंक दें और सालन को काम में लायें ।*_

_*28💫मसअला : - मुर्दार की हड्डी जिसमें गोश्त या चिकनाई लगी हो अगर पानी में गिर जाये तो वह पानी नापाक हो गया , कुल निकाला जाये और अगर गोश्त या चिकनाई न लगी हो तो पाक है मगर सुअर की हड्डी हर हालत में नापाक है चाहें उसमें गोश्त या चिकनाई हो या न हो ।*_

_*29💫मसअला : - जिस कुँए का पानी नापाक हो गया उसमें से जितना पानी निकालने का हुक्म है निकाल लिया गया तो अब वह रस्सी डोल जिससे पानी निकाला है पाक हो गया धोने की जरूरत नहीं ।*_

_*30💫मसअला : - कुल पानी निकालने का यह मतलब है कि इतना पानी निकाल लिया जाये कि अब डोल डालें तो आधा भी न भरे । कुँए की मिट्टी निकालने की जरूरत नहीं और न दीवार धोने की जरूरत है क्योंकि वह दीवार पाक हो गई ।*_

_*31💫मसअला : - कुँए से बीस तीस डोल या सब पानी निकालने के लिये कहा जाता है उसका मतलब यह है कि पहले उस चीज को उसमें से निकाल लें जो उसमें गिरी है फिर पानी निकालें अगर वह चीज़ उसमें पड़ी रही तो कितना ही पानी निकालें बेकार है ।*_

_*32💫मसअला : - और अगर वह सड़ गल कर मिट्टी हो गई या वह चीज़ खुद नाजिस न थी । किसी नाजिस चीज़ के लगने से नजिस हो गई हो जैसे नाजिस कपड़ा और उसका निकाल मुश्किल हो तो अब सिर्फ पानी निकालने से पाक हो जायेगा ।*_

_*33💫मसअला : - जिस कुँए का डोल ख़ास हो तो उसी का एअतेबार है उसके छोटे बड़े होने का का लिहाज़ नहीं और अगर उसका कोई खास डोल न हो तो कम से कम एक साअ ( यह एक ऐ पैमाना होता है जिसमें दो किलो पैंतालीस ग्राम गेहूँ आ जाता है ) पानी उस में आ जाये ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 45/46*_

_*📍बाकि अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_




  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 57)*_
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_*34: 💫मसअला : - डोल भरा हुआ निकलना ज़रूरी नहीं अगर कुछ पानी छलक कर गिर गया या टपर कर गिर गया मगर जितना बचा वह आधे से ज्यादा है तो वह पूरा ही डोल गिना जायेगा ।*_

_*35: 💫मसअला : - अगर डोल मुकर्रर है मगर जिस डोल से पानी निकाला वह उससे छोटा या बड़ा है या डोल मुकर्रर नहीं और जिससे निकाला वह एक साअ से कम या ज्यादा है तो इन सूरतो में हिसार कर के उसे मुकर्रर या एक साअ के बराबर कर लें ।*_

_*36: 💫मसअला : - अगर कुँए से मरा हुआ जानवर निकला तो अगर उसके गिरने और मरने का वक़्त मालूम है तो उसी वक़्त से पानी नाजिस है उसके बाद अगर किसी ने उससे वुजू या गुस्ल किया तो न वुजू हुआ और न गुस्ल । उस वुजू और गुस्ल से जितनी नमाजें पढ़ीं सब को लौटाये क्यूँकि वह नमाजें नहीं हई ऐसे ही उस पानी से कपड़े धोये या किसी और तरीके से उसके बदन या कपड़े में लगा तो कपड़े और बदन का पाक करना ज़रूरी है और उनसे जो नमाजें पढ़ीं उनका लौटाना फर्ज है । और अगर वक़्त मालूम नहीं तो जिस वक़्त देखा गया उस वक़्त से नाजिस करार पायेगा अगर्चे फला फटा हो और उससे पहले पानी नाजिस नहीं और पहले जो वुजू या गुस्ल किया या कपड़े धोये तो कुछ हर्ज नहीं आसानी के लिए इसी पर अमल है ।*_

_*37: 💫मसअला : - जो कुँआ ऐसा है कि उसका पानी टूटता ही नहीं चाहे जितना ही पानी निकालें और उसमें नजासत पड़ गई या उसमें कोई ऐसा जानवर मर गया जिसमें कुल पानी निकालने का हुक्म है तो ऐसी हालत में हुक्म यह है कि मालूम कर लें कि उसमें पानी कितना है वह सब निकाल लिया जाये , निकालते वक़्त जितना ज़्यादा होता गया उसका कुछ लिहाज़ नहीं और यह मालूम कर लेना कि इस वक़्त कितना पानी है उसका एक तरीका तो यह है कि दो परहेज़गार मुसलमान जिनको यह महारत हो कि पानी की चौड़ाई गहराई देखकर बता सकें कि इस कुँए में इतना पानी है वह जितने डोल बतायें उतने निकाले जायें । और दूसरा तरीका यह है कि उस पानी की गहराई किसी लकड़ी या रस्सी से ठीक तरीके से नाप लें और कुछ लोग फुर्ती से सौ डोल निकालें फिर पानी नापें जितना कम हुआ उसी हिसाब से पानी निकाल लें , कुँआ पाक हो जायेगा । उसकी मिसाल यह है कि पहली बार नापने से मालूम हुआ कि पानी जैसे दस हाथ है फिर सौ डोल में एक हाथ कम हुआ तो दस हाथ में दस सौ यानी एक हजार डोल हुए ।*_

_*38: 💫मसअला - जो कुआँ ऐसा है कि उसका पानी टूट जायेगा मगर उसमें उसके फट जाने या दूसर नुकसान का खतरा है तो भी उतना ही पानी निकाला जाये जितना उस वक़्त उस में मौजूद है पाना तोड़ने की ज़रूरत नहीं ।*_

_*39: 💫मसअला : - कुँए से जितना पानी निकालना है उसमें इख्यार है कि एक दम से उतना निकालें या थोड़ा - थोड़ा कर के दोनों हालतों में पाक हो जायेगा ।*_

_*40: 💫मसअला : - मुर्गी का ताज़ा अन्डा जिस पर अभी रतूबत लगी हो पानी में पड़ जाये तो नाजिस न होगा यूँही बकरी का बच्चा पैदा होते ही पानी में गिरा और मरा नहीं जब भी नापाक न होगा ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 46/47*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_







_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 58)*_
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_*💠आदमी और जानवर के झूठे का बयान 💠*_

_*1: 💫मसअला : - आदमी चाहे जुनुब हो या हैज़ और निफास वाली औरत हो उसका झूठा पाक है । काफिर का झूटा भी पाक है मगर उससे बचना चाहिये जैसे थूक , रेठ और खंखार कि पाक है मगर आदमी उन से घिन करता है और इससे बहुत बदतर काफिर के झूटे को समझना चाहिये ।*_

_*2: 💫मसअला : - किसी के मुंह से इतना खून निकला कि थूक में सुर्खी आ गई और उसने फौरन पानी पिया तो यह झूटा नापाक है और सुर्खी जाती रहने के बाद उस पर लाज़िम है कि कुल्ली करके मुँह पाक करे और अगर कुल्ली न की और चन्द बार थूक का गुज़र नजासत की जगह पर हुआ चाहे निगलने में या थूकने में यहाँ तक कि नजासत का असर न रहा तो पाकी हो गई उसके बाद अगर पानी पियेगा तो पाक रहेगा अगरचे ऐसी सूरत में थूक निगलना सख्त नापाक बात और गुनाह है ।*_

_*3: 💫मसअला : - मआजअल्लाह शराब पीकर फौरन पानी पिया तो वह पानी नापाक हो गया और अगर इतनी देर ठहरा कि शराब का हिस्सा थूक में मिल कर हलक से उतर गया तो नापाक नहीं मगर शराबी और उसके झूटे से बचना ही चाहिये ।*_

_*4: 💫मसअला : - शराबी पी मूछे बड़ी हों कि शराब मूछों में लगी तो जब तक उनको पाक न करेगा तो जो पानी पियेगा वह पानी और बर्तन दोनों नापाक हो जायेंगे ।*_

_*5: 💫मसअला : - मर्द को गैर औरत का और औरत को गैर मर्द का झूटा अगर मालूम हो कि फुलानी औरत या फुलाने मर्द का झूटा है तो लज्जत के तौर पर खाना पीना मकरूह है मगर उस खाने और पानी में कोई कराहत नहीं आई और अगर मालूम न हो कि किसका है या लज्ज़त के तौर पर खाया पिया न गया हो तो कोई हर्ज नहीं बल्कि कुछ सूरतों में बेहतर है जैसे बा शरअ आलिम या दीनदार पीर का झूटा कि उसे तबर्रुक जानकर लोग खाते पीते हैं ।*_

_*6: 💫मसअला : - जिन जानवरों का गोश्त खाया जाता है चौपाये हों या परिन्दे उनका झूटा पाक है अगर्चे नर हों जैसे गाय , बैल , भैंस , बकरी , कबूतर और तीतर वगैरा और जो मुर्गी आज़ाद छुटी फिरती हो और गन्दगी पर मुँह मारती हो उसका झूटा मकरुह है और बन्द रहती है तो पाक है ।*_

_*7: 💫मसअला : - ऐसे ही कुछ गायें जो गन्दगी खाती हैं उनका झूटा मकरुह है और अगर अभी नजासत खाई और उसके बाद कोई ऐसी बात न पाई गई जिससे उसके मुँह की पाकी हो जाती ( जैसे जारी पानी में पीना या जो पानी जारी न हो उसमें तीन जगह से पीना ) और इस हालत में पानी में मुँह डाल दिया तो नापाक हो गया । इसी तरह अगर बैल , भैंसे और बकरे नरों ने मादा का पेशाब सूंघा और उससे उनका मुँह नापाक हुआ और निगाह से गाइब न हुए और न इतनी देर गुज़री कि जिसमें पाक हो जाता तो - उनका झूटा नापाक है और अगर चार पानियों में मुँह डालें तो पहले तीन नापाक और चौथा पाक है ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 47/48*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 59)*_
―――――――――――――――――――――

_*8: 💫मसअला : - घोड़े का झूटा पाक है ।*_

_*9: 💫मसअला : - सुअर , कुत्ता , शेर , चीता , भेड़िया , हाथी , गीदड़ और दूसरे दरिन्दों का झुठा नापाक है ।*_

_*10: 💫मसअला : - कुत्ते ने बर्तन में मुँह डाला तो अगर वह चीनी या धात का है या मिट्टी का रोगनी या इस्तेमाल में लाये हुआ चिकना बर्तन तो तीन बार धोने से पाक हो जायेगा नहीं तो हर बार सुखा कर पाक होगा । हाँ चीनी के बर्तन में बाल हो या और बर्तन में दरार हो तो तीन बार सुखाकर पाक होगा , सिर्फ धोने से पाक न होगा ।*_

_*11: 💫मसअला : - मटके को कुत्ते ने ऊपर से चाटा तो उसमें का पानी नापाक न होगा ।*_

_*12: 💫मसअला : - उड़ने वाले शिकारी जानवर जैसे शिकरा , बाज़ बहरी और चील वगैरा का झूठा मकरुह है और यही हुक्म कौए का है और अगर उनको पाल कर शिकार के लिये सिखा लिया हो और चोंच में नजासत न लगी हो तो उसका झूठा पाक है ।*_

_*13: 💫मसअला : - घर में रहने वाले जानवर जैसे बिल्ली , चूहा , साँप और छिपकली का झूठा मकरुह है ।*_

_*14: 💫मसअला : - अगर किसी का हाथ बिल्ली ने चाटना शुरू किया तो चाहिये कि फौरन हाथ खींचे ले । यँही छोड़ देना कि चाटती रहे मकरूह है और हाथ धो लेना चाहिये अगर बे धोये नमाज़ पढ़ ली तो हो जायेगी मगर धोना औला है यानी ज्यादा अच्छा है ।*_

_*15: 💫मसअला : - बिल्ली ने चूहा खाया और फौरन बर्तन में मुँह डाल दिया तो पानी नापाक हो गया और अगर जुबान से मुँह चाट लिया कि खून का असर जाता रहा तो नापाक नहीं ।*_

_*16: 💫मसअला : - पानी में रहने वाले जानवर का झूठा पाक है चाहे उनकी पैदाइश पानी में हो या न हो ।*_

_*17: 💫मसअला : - गधे खच्छर का झूठा मशकूक ( शक वाला ) है यानी उसके वुजू के काबिल होने में शक है और इसीलिये उससे वुजू नहीं हो सकता क्योंकि जब हदस का यकीन हो वह यकीन मशकूक तहारत से दूर न होगा ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 48*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 60)*_
―――――――――――――――――――――

_*18: 💫मसअला : - जो झूठा पानी पाक है उससे वुजू और गुस्ल दोनों जाइज़ है मगर जिस पर नहाना ज़रूरी हो उसने अगर बगैर कुल्ली के पानी पिया तो उसके झूठे पानी से वुजू जाइज़ नहीं कि वह पानी इस्तेअमाली हो गया ।*_

_*19: 💫मसअला : - अच्छा पानी होते हुए मकरूह पानी से वुजू गुस्ल मकरूह और अगर अच्छा पानी मौजूद नहीं तो कोई हर्ज नहीं इसी तरह मकरूह झूठे का खाना पीना मालदार को मकरूह है गरीब मुहताज को बिला कराहत जाइज़ है ।*_

_*20: 💫मसअला : - अच्छा पानी होते हुए शक वाले पानी से वुजू और गुस्ल जाइज़ नहीं और अच्छा पानी न हो तो उसी से वुजू और गुस्ल कर ले और साथ ही साथ तयम्मुम भी करे और अच्छा यह है कि वुजू पहले करे और अगर तयम्मुम पहले कर लिया और वुजू बाद में किया जब भी कोई हर्ज नहीं और इस सूरत में वुजू और गुस्ल में नियत करनी ज़रूरी है और अगर वुजू किया और तयम्मुम न किया या तयम्मुम किया और वुजू न किया तो नमाज़ न होगी ।*_

_*21: 💫मसअला : - मशकूकं झूठे को खाना पीना न चाहिये अगर मशकूक पानी अच्छे पानी में मिल गया तो अगर अच्छा पानी ज़्यादा है तो उस से वुजू हो सकता है वर्ना नहीं ।*_

_*22: 💫मसअला : - जिसका झुठा नापाक है उसका पसीना और लुआब भी नापाक और जिसका झूठा पाक उसका पसीना और लुआब भी पाक और जिस का झूठा मकरूह उसका लुआब और पसीना भी मकरूह है ।*_

_*23: 💫मसअला : - गधे , खच्चर का पसीना अगर कपड़े में लग जाये तो कपड़ा पाक है चाहे कितना ही ज्यादा लगा हो ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 48/49*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_




_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 61)*_
―――――――――――――――――――――

_*📜तयम्मुम का बयान*_

_*🕋अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है*_

_*📝तर्जमा : - " अगर तुम बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें का कोई पाखाने से आया या औरतों से मुबाशिरत ( हमबिस्तरी ) की और पानी न पाओ तो पाक मिट्टी का कस्द ( इरादा ) करो तो अपने मुँह और हाथों का उस से मसह करो " ।*_

_*📚हदीस न . 1 : - सही बुखारी में हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि वह फरमाती हैं कि हम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ एक सफर में गये यहाँ तक कि जब बेदा या जातुल जैश ( जगह के नाम ) में पहुँचे तो मेरी हैकल टुट गई । हुजूर उसे तलाश करने के लिये ठहर गये और लोग भी हुजूर के साथ ठहरे । वहाँ पानी न था और न लोगों के साथ पानी था । लोगों ने , हज़रते अबू बक्र से कहा कि क्या आप नहीं देखते कि सिद्दीक़ा ने क्या किया , हुजूर को और सबको ठहरा लिया और न यहाँ पानी है और न लोगों के साथ पानी है । फ़रमाती हैं कि हज़रते अबु बक्र रदियल्लाहु तआला अन्हु आये और हुजूर अपना सरे मुबारक मेरे जानू पर रखकर आराम फरमा रहे थे । उन्होंने फ़रमाया तूने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और लोगों को रोक लिया हालाँकि न यहाँ पानी है न लोगों के साथ पानी है । उम्मल मोमिनीन फ़रमाती हैं कि मुझ पर सख्ती की और अल्लाह ने जो चाहा उन्होंने कहा और अपने हाथ से मेरी कोख में कोंचना शुरू किया मैं हट सकती थी मगर चुंकि हुजूर मेरे जानू पर सर रख कर आराम फरमा रहे थे इसलिये मैं हिल भी न सकी । जब सुबह हुई तो हुजूर उठे । वह जगह ऐसी थी कि वहाँ पानी न था तो अल्लाह तआला ने तयम्मुम की आयत उतारी और लोगों ने तयम्मुम किया । उस पर उसैद इब्ने हुज़ैर रदियल्लाहु तआला अन्हु ने कहा ऐ आले अबू बक्र यह तुम्हारी पहली बरकत नहीं यानी ऐसी बरकतें तुम से होती ही रहती हैं । फ़रमाती हैं कि जब मेरी सवारी का ऊँट उठाया गया तो वह हैकल उसके नीचे मिली ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 49*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_





  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 62)*_
―――――――――――――――――――――

_*📜हदीस न . 2 : - मुस्लिम शरीफ में हज़रते हुजैफा से रिवायत है कि हुजूर अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जिनसे हम लोगों पर फजीलत दी गई है यह तीन बातें है ।*_

_*1 . हमारी सफे फरिश्तों की सफों की तरह की गई ।*_
_*2 . हमारे लिये तमाम जमीन मस्जिद कर दी गई ।*_
_*3 . और जब हमें पानी न मिले तो ज़मीन की खाक हमारे लिये पाक करने वाली बनाई गई ।*_

_*📜हदीस न . 3 : - इमाम अहमद व अबू दाऊद व तर्मिज़ी अबू ज़र रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत करते हैं कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि पाक मिट्टी मुसलमान का वुजू है अगर्चे दस बर्स पानी न पाये और जब पानी पाये तो अपने बदन को पानी पहुँचाये यानी नहाये और वुजू करे कि यह उसके लिये बेहतर है ।*_

_*📜हदीस न . 4 : - अबू दाऊद और दारमी ने अबू सईद खुदरी रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की है कि वह फरमाते हैं कि दो आदमी सफर में गये , नमाज़ का वक़्त आ गया उनके साथ पानी न था । पाक मिट्टी पर तयम्मुम करके नमाज़ पढ़ ली फिर वक़्त के अन्दर ही पानी मिल गया । इनमें से एक साहब ने वुजू करके दोहराई और दूसरे ने न दोहरायी फिर जब हुजूर के पास दोनों पहुँचे और इस बात का जिक्र किया तो जिसने नमाज़ न लौटाई थी उससे फरमाया कि तू सुन्नत को पहुंचा यानी सुन्नत अदा की और तेरी नमाज हो गई और जिसने वुजू कर के नमाज़ दोहराई थी उससे फरमाया तुझे दूना सवाब है ।*_

_*📜हदीस न . 5 : - सही बुखारी और मुस्लिम में इमरान रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हम एक सफर में नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ थे । हुजूर ने नमाज़ पढ़ाई जब नमाज़ पढ़ चुके तो देखा कि एक आदमी लोगों से अलग बैठा हुआ है जिसने कौम के साथ नमाज न पढ़ी थी । हुजूर ने फरमाया कि ऐ शख्स तूझको नमाज़ पढ़ने से किस चीज़ ने रोका । उसने कहा कि मुझे नहाने की ज़रूरत है और पानी नहीं है । हुजूर ने फरमाया कि मिट्टी ले यानी तयम्मूम करो कि वह तुम्हारे लिये काफी है ।*_

_*📜हदीस न . 6 : - सहीहैन मे अबू जहीम इब्ने हारिस से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम बेअरे जमल की तरफ ( मदीने शरीफ में एक मकान है ) से तशरीफ ला रहे थे एक शख्स ने हुजूर को सलाम किया आप ने उसका जवाब न दिया यहाँ तक कि एक दीवार की तरफ़ गये और मुँह और हाथों का मसह किया फिर उसके सवाल का जवाब दिया ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 49/50*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_




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🅱️ बहारे शरीअत ( हिस्सा- 03 )🅱️

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