Friday, October 30, 2020

🕳️ कुछ अहम हदीस शरिफ 🕳️

*बिस्मिल्लाह शरीफ़ दुरुस्त पढे़*_
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                 *🌷بِسئمِ اللَّهِ الرَّحئمَنِ الرَّحِيئم🌷*

_*पढ़ने में दुरुस्त मख़ारिज से हुरूफ़ की अदाएगी लाज़िमी हैं ! और कम से कम इतनी आवाज़ भी ज़रूरी हैं कि रुकावट न होने की सूरत में अपने कानों से सुन सके !*_

_*👉🏻जल्द बाज़ी में कुछ लोग हुरूफ़ चबा जाते हैं, जान बूझ कर इस त़रह़ पढ़ना मना हैं और मा'ना फ़ासिद होने की सूरत में गुनाह !*_

_*लिहाज़ा जल्दी जल्दी पढ़ने की आ़दत की वजह से जो लोग ग़लत़ पढ़ ड़ालते हैं वो अपनी इस्लाह़ कर ले, नीज़ जहां पूरी बिस्मिल्लाह शरीफ़ पढ़ने की कोई ख़ास वजह मौजूद न हो और जल्दी भी हो तो वहां सिर्फ़ "बिस्मिल्लाह" कह ले तब भी ह़रज नही !*_

_*📕 आसान नेकियां, सफ़ह़ा-20*_
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  _*"देवबंदी" से मसला पूछना हराम"*_
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_*💫और अगर उनका बताया हुआ कोई मसला अगर सही भी निकले तो उस से यह न समझा जाए कि यह आलिम है, या उनके मसाईल भी सही होंगे ! दुनिया में कोई ऐसा फ़िर्क़ा नहीं जिसकी कोई न कोई बात सही न हो !*_

_*मसलन यहूद व नसारा की यह बात सही है कि मूसा अलैहिस्सलातु वस्सलाम नबी हैं, क्या इससे यहूदी और नसरानी सच्चे हो सकते है !*_

_*रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम फरमाते हैं- बड़ा झूठा भी कभी सच बोलता है !*_

_*📕 फतावा रज़्वीया, जिल्द 4, सफ़ा 222*_
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                   _*उबासी और शैत़ान*_
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_*नमाज़ में जानबूझ कर जमाही (उबासी) लेना मकरूहे तह़रीमी हैं और खुद ब खुद आए तो हरज नही मगर रोकना मुस्तह़ब हैं!*_

_*अगर (जमाही) रोके से न रुके तो होंठ को दांतों से दबाए और इस पर भी न रुके तो दाहिनां या बायां हाथ मुंह पर रख दे या आस्तीन से मुंह छुपा ले!*_

_*क़ियाम में दाहिने हाथ से ढ़ाकें और दुसरे मौके पर बाएं हाथ से!*_

_*📕 मराक़िल फ़लाह़*_

_*अम्बियाए किराम अ़लैहिमुस्सलातो वस्सलाम जमाही से मह़फ़ूज़ हैं इसलिए कि इसमें शैत़ान का दख़्ल हैं!*_

_*🌹नबिय्ये करीम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि*_

_*"जमाही शैत़ान की त़रफ़ से हैं, जब तुम में किसी को जमाही आए तो जहां तक मुम्किन हो रोके"!*_

_*☝🏻इस ह़दीसे पाक को इमाम बुख़ारी व मुस्लिम ने सह़ीह़ैन में रिवायत किया!*_

_*कुछ रिवायतों में हैं कि शैत़ान मुंह में घुस जाता हैं!*_

_*कुछ रिवायतों में हैं कि शैत़ान देख कर हंसता हैं!*_

_*उ़लमाए किराम फ़रमाते हैं कि जो जमाही में मुंह खोल देता हैं शैत़ान उसके मुंह में थूक देता हैं और वो जो क़ाह क़ाह की आवाज़ आती हैं वह शैत़ान का क़हक़हा हैं जो मुंह बिगड़ा देखकर ठट्टा लगाता हैं और वो जो (मुंह से) रुतूबत निकलती हैं वो शैत़ान का थूक हैं!*_

_*इस (उबासी) को रोकने की बेहतर तरक़ीब ये हैं कि जब (जमाही) आती मालूम हो तो दिल में ख़याल करे कि अम्बियाए किराम अ़लैहिमुस्सलातो वस्सलाम इससे मह़फ़ूज़ हैं तो फ़ौरन (जमाही) रुक जाएगी!*_

_*📕 रद्दुल मुह़तार*_
_*📕 बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा-3, सफ़ह़ा-219,220*_
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                         _*माँ के कदम*_
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_*💫एक रोज एक शख्स ने हजरते अबू इसहाक से जिक्र किया कि रात को ख्वाब मे मैने आपकी दाढी याकुत व जवाहीर से मुरस्सा जडी हुई देखी है अबू इसहाक फरमाने लगे तूने सच कहॉ रात मैने अपनी मॉ के कदम चूमे थे यह उसकी बरकत है और फिर एक हदीस सुनाई कि नबीए करीम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम फरमाते है खुदा तआला ने लौहे महफुज पर यह लिख दिया है की मै खुदा हु मेरे सिवा कोई इबादत के लायक नही जिस शख्स के वालिदैन उस पर राजी होगे मै भी उस से राजी हु*_

_*📕 नुजहतूल मजालिस, बाब बिर्रुल वालिदैन, जिल्द 1, सफा 168*_

_*📝सबक:- नबीए करीम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम का इरशाद है कि आखिर जमाना मे अक्का उम्मुहु व अताआ जौज तहू मिश्कात*_

_*आदमी मॉ का नाफरमान और बीवी का ताबेदार बन जाए इस किस्स के लोगो से मॉ के कदम चूमने की तवक्कू अबस है हॉ ऐसे लोग बीवीयो के कदम जरूर चूमते है मॉ के कदम चूमने की बरकत से हजरते इसहाक रजिअल्लाहु अन्हु की दाढी याकूत व जवाहिर से मुरस्सा हो गई*_

_*और आज कल मॉ इंसान नेक मॉ के कदमो की बरकत थी कि दाढ़ी के बालो से याकुत व जवाहिर जुड गए और यह माड्रन शौहर की माड्रन बीवी के कदमो की नुहूसत (मनहुसियत ) है कि दाढ़ी के बाल भी उड गए मैने माड्रन मसनवी मे लिखा है कि मर्द हो कर मर्द का चेहरा नही क्यो कि रूख पे रेश का सेहरा नही,*_

_*👑मस्लके आला हजरत -जिन्दाबाद 👑*_

_*🌹अल्लाह तआला हम तमाम मुसलमानो को अपने मॉ कि खिदमत करने कि तौफिक बख्से,,,, आमीन..!*_
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_*"हुज़ूर दाफे-उल-बला हैं"*_
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_*हर वह बात जिस से हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम का इख़्तियार साबित हो या नब्वी कमालात पर दलालत करे वहाबिया इसका इंकार करते हैं ! और हुज़ूर की तंक़ीस व तौहीन के दरपे हो जाते हैं हालांकि अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल ने अपने महबूब सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को उलूहीयत के सिवा हर वस्फ़े कमाल अता फरमाया है !*_

_*☝🏻अहले सुन्नत व जमाअत का अक़ीदा है कि हुज़ूर दाफ़े-उल-बला हैं अपनी उम्मत से बलाओं को टालते है, बल्कि हुज़ूर के गुलामों में भी हुज़ूर के वसीले से ये वस्फ़ है कि वह मुमिनीन से बलाओं को दूर करते है !*_

_*वहाबिया के हसद व जलन का आलम यह है कि वह कहतें है कि दरूदे ताज पढ़ना जाईज़ नही (माज़अल्लाह) क्योंकि इसमें हुज़ूर के लिए "दाफ़े-उल-बला वल-वबा" के जुमले वारिद हुऐ है !*_

_*📜इस मज़्मुन के मुतअल्लिक़ एक सवाल के जवाब में आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा बरैलवी कुद्देसा सिर्रहू फरमाते है*_

_*💫रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम बेशक दाफ़े-उल-बला है ! उनकी शाने अज़ीम तो अरफ़ा व आला है उनके ग़ुलाम दफ़अ बला फरमाते है !*_

_*🌹हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते है मेरा नाम "उहीद" इस लिए हुआ कि मैं अपनी उम्मत से आतिशे दोज़ख़ को दफ़अ फरमाता हूं !*_

_*📕 इब्ने असाकिर*_

_*🔥दोज़ख़ से बदतर और क्या बला होगी जिसके दाफ़े हुज़ूर अक़्दस हो !*_

_*हुज़ूर फरमाते है कि मैं जिनका मददगार हूँ अली मुर्तज़ा उनके मददगार हैं कि हर मकरूह को उससे दफ़ा करते है !*_

_*📕 फतावा रज़्वीया, जिल्द 11, सफ़ा 81*_
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               _*"नाम मुबारक का अदब"*_
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_*एक रोज़ मौलाना हसनैन रज़ा खाँ साहब बराय जवाब कुछ इस्तिफ़्ते सुना रहे थे और जवाब लिख रहे थे ! एक कार्ड पर इस्मे जलालत लिख गया, उस पर आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा बरैलवी ने इरशाद फरमाया..*_

_*💫याद रखो कि मैं कभी तीन चीज़ें कार्ड पर नहीं लिखता*_

_*🔖इस्मे जलालतुल्लाह...*_
_*🔖और मुहम्मद और अहमद...*_
_*🔖और न कोई आयते करीमा...*_

_*मसलन अगर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम लिखना हो तो यूं लिखता हूँ, हुज़ूर अक़्दस अलैहि अफ़्ज़लुस्सलातु वस्सलाम या इस्मे जलालत की जगह मौला तआला !*_

_*📕 अल-मल्फूज़ अव्वल, सफ़ा 115*_
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       _*👞"जूते की नजासत का हुक्म"👟*_
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_*👞जूते पर अगर पेशाब पड़ गया और उस पर खाक जम गई तो ऐसे मिलने से जिस से उसका असर ज़ाइल हो जाए पाक हो जाऐगा वरना बग़ैर धोए पाक न होगा !*_

_*✨अगर नजासत जुर्म वाली हो तो उसे ज़मीन पर रगड़ देने से जूता पाक हो जाएगा !*_

_*📕 फतावा रज़्वीया, जिल्द 2, सफ़ा 56*_
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                _*मनी पाक है या नापाक*_
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_*✨मनी मुतलक़ नापाक ही है सिवा उन पाक नुत्फ़ों के जिन से तख़्लीक़ हज़राते अंबिया अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम हुई और ख़ुद अंबिया-ए-किराम अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम के नुत्फ़े कि उनका पेशाब भी पाक़ है, यूंही तमाम फ़ुज़ला !*_

_*📕 फतावा रज़्वीया, जिल्द 2, सफ़ा 138*_
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 _*नंगे सर खाना ख़िलाफ़े सुन्नत*_
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_*✅ जो बिस्मिल्लाह कह कर खाता है, शैतान उसके साथ नही खा सकता और जो बग़ैर बिस्मिल्लाह के खाए शैतान उसके साथ खाएगा अगरचे सर पर सौ कपड़े हो ! नंगे सर खाना हुनूद की रस्म और ख़िलाफ़े सुन्नत है हाँ उज़्र हो तो हरज नहीं !*_

_*📕 फ़ैज़ाने आला हज़रत, पेज नं 413*_

_*📝अक्सर लोगों में देखा गया है कि इस अज़ीम सुन्नत से महरूमी है ! मिल्लत से गुजारिश है कि खाते वक़्त सर हमेशा ढक कर रखें !*_

_*🌹🌹जज़ाकअल्लाह ख़ैर.!*_
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_*नफ्स का बयान*_
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_*🔘 अल्लाह ने इंसान के नफस को इस बेहतरीन तरीके से बनाया कि वो बुराई और अच्छाई में साफ़ फर्क महसूस कर लेता है.*_

_*💫जब कोई इंसान कोई नेक काम करता है तो उसे अन्दर से एक ख़ुशी महसूस होती है एक सुकून वो अपने अन्दर महसूस कर सकता है, और जब कोई इंसान शुरू में किसी बुरे काम का इरादा करता है तो उसके दिल में एक खटक सी पैदा होती है..!*_
_*वो खटक बहुत कीमती है.*_

_*कुरआन हमें बताता है कि जो इंसान दिल की इस आवाज़ की कद्र करता है तो इसमें और ज्यादा बेहतरी आती है जिससे इंसान और बेहतर तरीके से अच्छाई और बुराई को समझ लेता है.*_

_*📍लेकिन जो इंसान इस आवाज़ की कद्र नहीं करता तो धीरे धीरे यह आवाज़ बंद हो जाती है यहाँ तक कि फिर इंसान उस गुनाह को गुनाह महसूस नहीं कर पाता.*_

_*यह अल्लाह की खास हिदायत है जो उसने हर इंसान के अन्दर रखी है, यह एक तराज़ू की तरह है जिसमे हर अमल तौल कर देखा जा सकता है, यह इतनी कीमती चीज़ है कि कुरआन में अल्लाह ने फ़रमाया है कि जिसने इसे सवारा वो कामयाब हो गया और जिसने इसे दबाया वो बर्बाद हो गया.*_

_*📕 सूरेह शम्स आयत 7-10 से मफहूम*_
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                 _*अच्छी बात करने वाले*_
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_*जन्नत के अजीमुश्शान महल अच्छी गुफ्तगु करने वाले को मिलेगे*_

_*📝जन्नत के वो हसीन दिलकश महल जिन मे शीशे की मानिन्द आर पार नजर आता है अच्छी गुफ्तगु करने वाले को अता किए जाएगे चुनान्चे हजरते अली रजि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है नबीए करीम ﷺ ने फरमाया जन्नत मे बाला खाने है जिन के बैरून हिस्से अन्दर से और अन्दर के हिस्से बाहर से नजर आते है ये किस के लिए होगे मदनी आका ﷺ ने फरमाया जो अच्छी गुफ्तगु करे*_

_*📕 तिर्मिजी शरीफ़*_

       _*📌 अच्छी बात करना सदका है 📌*_

_*📝अच्छी बात करना चुप रहने से अफजल है और चुप रहना बे मकसद बात कहने ने अफजल जब कि बुरी बात कहना तो हर वक्त बुरा ही बुरा है और अच्छी बात करना सदका है लिहाजा हजरते अबू हुरैरा रजिअल्लाहु अन्हु मरवी है हुजुर नबीए करीम करीम ﷺ रऊफुर रहीम ने फरमाया अच्छी बात सदका.!*_

_*📕 बुखारी व मुस्लिम*_

_*अच्छे अख्लाक वाले इस्लामी भाई कियामत के रोज सरकारे ﷺ के ज्यादा करीब होगे और दोनो जहॉ मे महबुब भी है बातूनी लोग सरकार ﷺ को ना पसन्द है..!*_
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_*गुनाह मिटा दिये जाते है*_
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_*हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया जो 100 मर्तबा "سُبْحَانَ اللّٰهِ وَبِحَمْدِهِ" (सुब्हान'अल्लाह व बेहमदिही) पढ़ता है उसके गुनाह मिटा दिये जाते है अगर्चे समुन्दर के झाग के बराबर हो।*_

_*📕 सुनन तिर्मिज़ी, 5/287*_

_*सोने का पहाड़ सदक़ा करने का षवाब हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया जिस के लिए रात में इबादत करना दुशवार हो या वो अपना माल खर्च करने में बुख्ल से काम लेता हो या दुश्मन से जिहाद करने से डरता हो तो वो कसरत से "سُبْحَانَ اللّٰهِ وَبِحَمْدِهِ" (सुब्हान'अल्लाह व बेहमदिही) पढ़ा करे क्यू की ऐसा करना अल्लाह को अपनी राह में सोने का पहाड़ सदक़ा करने से ज़्यादा मसनद है।*_

_*📕 मजमउ जवाइद 10/112*_

_*जन्नत में खजूर का दरख्त हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया जो "سُبْحَانَ اللّٰهِ وَبِحَمْدِهِ" (सुब्हान'अल्लाह व बेहमदिही) पढ़ता है उस के लिये जन्नत में खजूर का एक दरख्त लगा दिया जाता है।*_

_*📕 मजमउ जवाइद 10/111*_
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     _*Un Mardo Aur Aurto Par LAANAT*_
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_*🌹Rasool’Allah (Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam) Ne LAANAT Ki Hai Un Mardo Ke Upar Jo Aurato Ki Mushahibat iqtiyaar Karte Hai Aur Un Aurato Par LAANAT Ki Hai Jo Mardo Ki Mushahibat iqtiyaar Karti Hai.*_

_*📕 Bukhari, Al-Fath 10/332*_

_*Aurat Ki Mushahibat Jo Mard Karte Hai Gale Me Chain Pehanna Chahe Wo Sona Ho Ya Chaandi, Haath Me Kadhe Ya Bracelet Pehanna, Kaano Me Baliya Pehanna, Mehandi Lagana, Sar Par Aurato Jaise Lambey Baal Rakhna, Make-up Karna, Daadhi Mundna, Kapdo Ko Takno Se Niche Latkana..*_

_*Mard Ki Mushahibat Jo Aurat Karti Hai Jeans/Shirt Pehanna, Sar Nanga Rakhna, Salwaar Ko Apne Takno Se Upar Rakhna, Tang (Tight) Kapde Pehanna, Sar Ke Baalo Ko Mardo Jaise Chote Karna, Mardo Jaise Chalna, Mardo Jaise Baat Karna.*_

_*Choti Bachion Ko Bachpan Se Hi Aadat Dale Ki Woh Sirf Aurton Wale Kapde Aur Baal Rakhe Rahe. ..Warna Balig Hone Tak Ye Unki Aadat Ban Jayegi.!*_
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           _*Maa Baap Ko Takleef Dena*_
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_*🔘 Maa Baap Ko Takleef Dena Haraam Hai*_

_*Maa Baap Ki Na Farmani Haraam, Sakht Haraam, Aur Gunah-e-kabira Hai, Balki Hr Ek Pr Farz Hai Ki Apne Maa Baap Ka Farmabardar Hokar Unke Sath Behtarin Sulook Kare..*_

_*🔖 Chunanche Allah Ta'ala Ne Quran E Pak Me Farmata Hai Ki..*_

_*✒ Tarzama E Kanzul Iman..*_

_*Aur Maa Baap K Sath Achha Sulook Karo Agar Tere Samne Inme Ek Ya Dono Budhape Ko Pahuch Jaye To Unse Hoo Na Kahna Aur Unhe Na Jhidakna Aur Unse Tazim Ki Baat Kahna Aur Unke Liye Aazizi Ka Bazu Bichha Narm Dili Se, Aur Arz Kr Ki Aye Mere Rab Tu In Dono Pr Raham Kr Jaisa Ki In Dono Ne Mujhe Chhutpan Me Pala Raham Kiya..*_

_*📕 Para 5 Bani Israil Ayat 23, 24*_

_*📚 Hadees Sharif Me Huzur Sallallaho Alaihi Wasallam Ne Gunah E Kabira Ka Bayan Farmate Huye Irshad Farmaya Ki..*_

_*📍Maa Baap Ki Nafarmani Wa Iza Rasani Gunah E Kabira Hai..*_
_*Hazrate Abu Huraira Raziallahu Anhu Se Riwayat Hai, Unhone Kaha Ki Huzur Sallallahu Alaihi Wasallam Ne 3 Martaba Farmaya Ki Us Shakhs Ki Naak Mitti Me Mil Jaye, In Alfaz Ko Sunkr Kisi Sahabi Ne Arz Kiya Ya Rasoolallah Sallallahu Alaihi Wasallam Kiski Naak Mitti Me Mil Jaye..*_

_*Toh Aaqa (Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam) Ne Farmaya Woh Shakhs Jo Apne Maa Baap Ko Paye Ki Unme Ek Ya Dono Budhape Me Ho Fir Woh Unki Khidmat Kr K Jannat Me Nahi Dakhil Hua To Uski Naak Mitti Me Mil Jaye (Yani Woh Zalil O Khwar Aur Na Murad Ho Jaye..*_

_*Sir Per Jo Phere Haath To Himmat Mil Jaaye, Maa Ek Baar Muskura De, To Jannat Mil Jaaye.*_
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   _*गुनाहों की माफ़ी का ज़रिया*_
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_*📚 हदीस शरीफ़:- हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:*_

_*जिसने इल्म हासिल किया तो ये हासिल करना उसके गुज़रे हुए गुनाहों का कफ़्फारा होगया,*_

_*हुज़ूर फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ्ती जलाल‌उद्दीन अहमद अमजदी रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं के इस हदीस शरीफ़ का ये मतलब हरगिज़ नहीं के तालिब ए इल्म जो गुनाह चाहे करे बल्के मतलब ये है के इल्म ए दीन हासिल करने से गुनाहे सग़ीरा माफ़ हो जाते हैं या ये मतलब है के अच्छी नियत से इल्म हासिल करना तौबा से उसके गुनाहों की माफ़ी का वसीला होगा,*_

_*📕 इल्म और उल्मा, सफ़ा 28*_

_*📚 हदीस शरीफ़:- हुज़ूर सैय्यद ए आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया*_

_*ख़ैर यानी इल्म की बातें सुनने से मौमिन कभी सैर नहीं होगा यहां तक के जन्नत में पहुंच जाएगा,*_

_*📕 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 34*_

_*📚 हदीस शरीफ़:- रसूल ए अकरम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया*_

_*जिसने इल्म ए दीन तलाश किया और उसे पा लिया तो उसके लिए सवाब का दोहरा (डबल) हिस्सा है और जिसने उसको नहीं पाया तो उसके लिए एक हिस्सा है,*_

_*📕 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 34*_

_*📚 हदीस शरीफ़:- हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:*_

_*ख़ुदा ए त‌आला ने मेरी तरफ वही फ़रमाई है के जो शख़्स इल्म की तलाश में किसी रास्ता पर चलेगा में उसके लिए जन्नत का रास्ता आसान कर दूंगा,*_

_*📕 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 36*_
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 _*बे-शुमार अल्लाह की रहमत*_
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_*बे-शुमार अल्लाह की रहमत नेक अमाल करने वालो पर*_

_*📚हदीस : हजरते अबु हुरैरा (रज़ीअल्लाहू तआ़ला अन्हु) से रिवायत है की, रसुलल्लाह! (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया :*_

_*"जो किसी मुस्लमान की एक दिनी तकलिफ दुर करेगा अल्लाह तआला उसकी क्यामत की मुसीबतो मे से एक मुसीबत दुर करेगा, जो किसी मुस्लमान की पर्दा-पोशी करेगा अल्लाह तआला दुनिया और आखिरत मे उसकी पर्दा-पोशी फरमायेगा।*_

_*🕋अल्लाह सुब्हानहु तआला उस बन्दे की मदद मे रहता है जब तक बन्दा अपने भाई की मदद मे होता है,*_

_*और जो कोई इल्म की तलब मे कोई रास्ता चले तो अल्लाह सुब्हानहु तआला उसके लिए जन्नत का रास्ता असान फरमा देता है।,*_

_*और जब कोई अल्लाह के घर (मस्जीद) मे जमा होकर अल्लाह की किताब (कुरआने पाक) की तिलावत करे और आपस मे अल्लाह की किताब को समझे और समझायें तो फरिश्ते उनको घेर लेते है और उन पर सकीना नजील होने लगता है और रहमत उनको ढ़ाप लेती है और अल्लाह उनका जिक्र अपने पास फरिश्तो मे फरमाता है। और जिसका अमाल उसको पिछे कर दे उसका नसब (खंदान) उसे आगे नही कर सकता है।*_

_*📕 सुनन इब्न मजा, वो-1, हदीस-225*_

_*✒मुहम्मद अरमान गौस*_
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*अख्लाक में पाकीज़गी*_
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_*जो अख्लाक के अंदर सबसे ज्यादा पाकीज़ा होगा*_

_*📚हदीस : हजरते जाबीर (रज़ीअल्लाहू तआ़ला अन्हु) ने रिवायत किया है के, रसुलल्लाह (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया :*_

_*"क्यामत के दिन तुममे सबसे ज्यादा मेरा महबुब और मुझसे मेरी मजलिस मे करिब तर वह शख्स होगा जो तुममे अख्लाक के अंदर सबसे ज्यादा पाकीज़ा होगा (जिसके अख्लाक बेहतरिन होंगे) और तुममे से ओ लोग मुझे न पसन्द है*_

_*और वही क्यामत के दिन मेरी मजलिस से सबसे ज्यादा दुर होंगे जो बहुत बातुनी और चिख चिख कर बातें करते है और साथ ही साथ मुताकब्बीर (तक्कबुर करनेवाला) भी है।*_

_*📕 अवारी ऊल मा-आरिफ, सफा-384*_

_*✒मुहम्मद अरमान गौस*_
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    _*तकब्बुर करने वाला*_
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_*🔥तकब्बुर करने वालों का तकब्बुर खाक मे मिला दिया जाएगा।*_

_*📚हदीस : रसुलल्लाह (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया :*_

_*"कयामत के दिन तकब्बुर करने वाले, चिटीयों की तरह आदमियों की सुरत मे उठाया जाएगा। हर तरफ से जिल्लत व रुसवाई उन्हें ढ़ाप देगी, फिर ओ लोग जहन्नम के एक कैद खाने की तरफ ढ़केला जाएगा जिसका नाम बुलस ह उनपर आग छा जाएगी और उन्हे दोजख की पिप पिलाई जाएगी जो सड़ा हुआ बदबुदार किचड़ है.!*_

_*📕 जमी अत तिर्मिधी, वो-2, हदीस-379*_

_*☝🏻अल्लाहु अकबर..!*_

_*✒मुहम्मद अरमान गौस*_
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 _*अल्लाह व उसके रसूल के वादे का लिहाज*_
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_*जब लोग अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) के वादे का लिहाज नहीं करेंगे*_

_*📚हदीस: नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) फरमाते है :*_

_*“जब लोग अल्लाह और उसके रसूल के वादे का पास (लिहाज) नहीं करेंगे , तो अल्लाह उनपर बैरुने दुश्मन को तसल्लुद कर देता है, और वो (बैरुने दुश्मन) इनकी सरवत का एक हिस्सा इनसे छीन लेता है |”*_

_*📕 सुनन इब्न माजा, हदीस 3262*_

_*आज आलमे इंसानियत का यही हाल है के –*_

_*नौउज़ुबिल्लाह! हमने अल्लाह और उसके रसूल (सलाल्लाहु अलैही वसल्लम) की इतनी नाफ़रमानी की है के अल्लाह ने हमपर ऐसे बैरुने दुश्मन को तसल्लुद किया के –*_

_*– “कमाते हम है, तेल हम निकालते है लेकिन उसका भाव बैरुने मुल्क में बैठकर कोई और तय करता है,..*_

_*– हमारे रुपये (Currency) का भाव वो तय करते है के डोलर के मुकाबले में आज कितना होगा ,..”*_

_*इसीको Capitalism कहते है जिसमे इंसानों पर सीधे हुकूमत नही किया जाता लेकिन पूरा Finance अपने कंट्रोल में रखा जाता है*_

_*तो ये होता है जब ईताअते-रसूल छोड़ दी जाती है तब बैरुने दुश्मन को अल्लाह तसल्लुद कर देता है..!*_

_*✒मुहम्मद अरमान गौस*_
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   _*भाई के सामने मुस्कुरा देना भी सदका है*_
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_*📚हदीस : हजरते अबु जर गिफारी (रजी अल्लाहु अन्हु सै रिवायत है की :*_

_*🌹रसुलल्लाह! (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया के :*_

_*"अए इमान वालो! तुम्हारा अपने भाई के सामने मुस्कुरा देना सदका है, भलाई का हुक्म देना सदका और बुराई से रोक देने भी सदका है।, किसी राह भटके को राह दिखाना भी तुम्हारे लिए एक सदका है।...!*_

_*📕 तिर्मिजी शरिफ*_

_*✒मुहम्मद अरमान गौस*_
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          _*दुसरों के ऐब छुपाने का सवाब*_
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_*📚हदीस : रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया :*_

_*"जो आदमी किसी मुस्लमान के ऐब को देख ले और फिर उसे छुपाये।,*_

_*तो इसे अल्लाह तआला ज्यादा सवाब अता करेगा।,*_

_*जैसे जिन्दा दफनायी बच्ची को कब्र से निकाल कर उसकी परवारिश करे और उसकी जिन्दगी का समान कर दे।,"*_

_*📕 मिश्कात 2-424*_

_*✒मोहम्मद अरमान गौस*_
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    _*भाई के लिए गैबाना दुआ कबुल होती हैं।*_
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_*📚हदीस : अबु दर्दा (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की :*_

_*🌹रसुलल्लाह (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया :*_

_*"किसी मुस्लमान की अपने भाई के लिए गैबाना दुआ कबुल होती हैं।,*_

_*उसके पास एक फरिश्ता है जिसकी ये जिम्मेदारी होती है की जब ओ अपने किसी भाई के लिए (गैबाना) कोई अच्छी दुआ करे तो ओ फरिश्ता कहता है की :*_

_*"तेरी ये दुआ अल्लाह कबुल करे और तेरे लिए भी ऐसी तरह की खैर अता फरमायें"*_

_*📕 मुस्लिम शरिफ*_

_*📝सबक : लिहाजा अपने तमाम भाई-बहनो के लिए हमेशा दुआ करें, की इसमे हम सब के लिए खैर ही खैर है..!*_
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    _*जो शख्स नमाज पाबन्दी से अदा करेगा*_
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_*📚हदीस : रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया :*_

_*"जो शख्स नमाज पाबन्दी से अदा करेगा तो ये उसके लिए क्यामत के दिन नुर होगी, (इसके इमान और अल्लाह से इसकी वफादारी) दलील होगी।, और जहन्नम से नेजात का सबब बन जाएगी।*_

_*और जो शख्स नमाज की पाबन्दी नही करेगा तो नमाज उसके लिए रौशनी दलील और निजात का सबब नही बनेगी और वह क्यामत के दिन करून हमाऑ और ओबई बिन खलफ के साथ होगा।*_

_*📕 अहमद, हदीस-6576*_

_*✒मुहम्मद अरमान गौस*_
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      _*बहन या बेटी की परवरिश का सिलाह*_
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_*📚हदीस : नबी-ए-करिम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया :*_

_*"जिस (मुस्लमान) ने अपनी एक भी लड़की या बहन की परवरिश की और उसे सराई अदब सिखाया, उसे प्यार व मुहब्बत से पेश आया और उनकी शादी (निकाह) करवा दी तो अल्लाह तआला उसे जन्नत मे दाखिल करेगा"*_

_*📕 अबु दाऊद, जिल्द-3, बाब-578, हदीस-1706, सफा-617*_

_*📚हदीस : नबी-ए-करिम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया :*_

_*"जो (मुस्लमान) लोग अपनी बच्चीयों को प्यार व मुहब्बत से परवरिश करेगें तो ओ बच्चीयां उनके लिये जहन्नम से आड़ (दिवार) बन जाएगी"*_

_*📕 तिर्मिजी शरिफ, जिल्द-1, बाब-1279, हदीस-1980, सफा-901*_
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_*अल्लाह तआला भी तुम से मुहब्बत करता है*_
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_*🌹हज़रत अबु हुरैरा (रज़ीअल्लाहू तआ़ला अन्हु) से रिवायत है की :*_

_*"रसुलल्लाह (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया : एक आदमी अपने (मुसलमान ) भाई से मुलाकात के लीए दुसरे गांव के तरफ़ गया।*_

_*🕋अल्लाह सुभानहु वा'ताला ने रास्ते में एक फ़रिश्ता को (इन्शानी शक्ल व सुरात में ) खड़ा कर दिया, ज़ब ओ आदमी वहां पहुंचा तो उस फ़रिश्ते ने पुछा : कहां जा रहे हो ? ओ कहने लगा इस बस्ती मे मेरा एक भाई है ,मैं उस से मुलाकत के लिए जा रहा हु।*_

_*फ़रिशते ने पुछा : क्या उस आदमी का तुम्हारे उपर कोइ एहसान है? ज़िसका बदला चुकाने के लिए तुम उस के पास जा रहे हो? कहने लगा : नही, उस का मेरे उपर कोई एहसान नही है मैं तो उस से अल्लाह के लिए मुहब्बत करता हु।*_

_*फ़रिशता कहने लगा; मुझे अल्लाह की तरफ़ से ये बताने के लिए भेज़ा गया है के अल्लाह तआला भी तुम से मुहब्बत करता है ज़िस तरह तुम अल्लाह के लिए अपने भाई से मुहब्बत करते हो।*_

_*📕 सही मुस्लिम, Vol- 6, हदीस 6549*_

_*🌹सुब्हान अल्लाह*_
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                _*मुनाफिको की पहचान*_
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_*📚हदीस : अब्दुल्लाह! बिन उमर (रज़ीअल्लाहू तआ़ला अन्हु) ब्यान करते है की :*_

_*🌹रसुलल्लाह (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया :*_

_*"चार आदते ऐसी है की जिनके अंदर भी ओ होंगी ओ मुनाफीक होगा..``*_

_*उन चार मे से अगर कोइ एक पाई जाएगी तो उसके अंदर निफाक की एक आदत होगी, यहां तक की उसे छोड़ दें।"*_

_*1)-जब बोले तो झुठ बोले।,*_
_*2)-वादा करे पुरा ना करे।,*_
_*3)-लड़े झगड़े तो गाली बाके।*_
_*4)-मुआहीदा (Deal) करे तो धोखा।,*_

_*📕 सहीह अल-बुखारी शरिफ*_

_*मुनाफिक ओ लोग होते हैं जिनके दिल ईमान से खाली है लेकीन ईमान वालो को धोखा देने के लिए मुंह से (जुबानी तौर पर) ईमान का दिखावा करते हैं।।*_
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_*नेमतों पर शुक्र अदा करने का अजर*_
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_*📚हदीस : अनस बिन मलीक (रजी अल्लाहु अन्हु) रिवायत है की रसुलल्लाह (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया :*_

_*"बेशक अल्लाह तआला बंदो से सिर्फ इतनी से बात से राजी हो जाता है कि ओ खाना खाये और फिर इस पर अल्लाह का शुक्र अदा करता हुवे (अल्हमदुल्लिह) कहे और पानी पिये और फिर इस पर अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए (अल्हमदुल्लिह) कहे"..!*_

_*📕 मुस्लिम शरिफ*_

_*🌹सुब्हान अल्लाह..!*_
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🅱️ बहारे शरीअत ( हिस्सा- 03 )🅱️

_____________________________________   _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 089)*_ ―――――――――――――――――――――             _*🕌नमाज़ पढ़ने का तरीक...