Saturday, November 28, 2020

अम्बियाऐ किराम का बयान



PART 1
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अम्बियाऐ किराम का बयान पोस्ट (1)

सबाल- नबी और रसूल किसे कहते है?
जवाब- नबी वह इन्सान है जिनकी तरफ अल्लाह की वही(यानी पैगाम)आता हो चाहे वह तबलीग़ पर मामूर हो या न हो रसूल उस शख्स को कहते हैं जिसकी तरफ अल्लाह की वही भी आती हो और तबलीग़ का हुक्म दिया गया हो।
(अलमोअतक़दुल मुन्तकद सफ़्हा 103/अलमोअतकदुल मुस्तनद सफ़्हा 113)

सवाल- सब नबी कितने हैं?
जवाब- एक लाख चौबीस हजार कम या ज्यादा।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफहा 46)

सवाल- उनमें रसूल कितने है?
जवाब- तीन सौ तेरह या तीन सौ पन्द्रह।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफहा 46/तबक़ाते इब्ने सअद जिल्द 1 सफहा 14)

सवाल- कुरान में कितनी नबियों के नाम लिखे हैं?
जवाब- कुल 26 नाम साफ-साफ लफ्जों में लिखें हैं,
(1)हज़रत आदम(अलैहिस्सलाम)
(2)हज़रत इदरीस(अलैहिस्सलाम)
(3)हज़रत नूह(अलैहिस्सलाम)
(4)हजरत हूद(अलैहिस्सलाम)
(5)हजरत सालेह(अलैहिस्सलाम)
(6)हजरत लूत(अलैहिस्सलाम)
(7)हजरत इब्राहिम(अलैहिस्सलाम)
(8)हजरत इस्माईल(अलैहिस्सलाम)
(9)हजरत इसहाक(अलैहिस्सलाम)
(10)हजरत याकूब(अलैहिस्सलाम)
(11)हजरत यूसुफ(अलैहिस्सलाम)
(12)हजरत जुलकिफल(अलैहिस्सलाम)
(13)हजरत शुऐब(अलैहिस्सलाम)
(14)हजरत मूसा(अलैहिस्सलाम)
(15)हजरत हारून(अलैहिस्सलाम)
(16)हजरत अलयसअ(अलैहिस्सलाम)
(17)हजरत इलयास(अलैहिस्सलाम)
(18)हजरत युनूस(अलैहिस्सलाम)
(19)हजरत उज़ैर(अलैहिस्सलाम)
(20)हजरत दाऊद(अलैहिस्सलाम)
(21)हजरत सुलैमान(अलैहिस्सलाम)
(22)हजरत अय्यूब(अलैहिस्सलाम)
(23)हजरत ज़करया(अलैहिस्सलाम)
(24)हजरत यहया(अलैहिस्सलाम)
(25)हजरत ईसा(अलैहिस्सलाम)
(26)हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम और तीन का बयान इशारे के तरीके पर हुआ है हजरत शमवील(अलैहिस्सलाम)हजरत यूशअ(अलैहिस्सलाम)और हजरत खिज़्र (अलैहिस्सलाम)।
(तफसीर अहमदी पेज 5/फ़तावा रिज़विया जिल्द 6 पेज 61)

सवाल- इनमें कितने नबी बहुत ज्यादा मरतबे वाले हुऐ है?
जवाब- पाँच हजरत नूह अलैहिस्सलाम, हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम,हजरत मूसा अलैहिस्सलाम,हजरत ईसा अलैहिस्सलाम,और इनमें भी सबसे बड़े हुजूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम।
(शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 116)

सवाल- काफिरो की तरह सबसे पहले कौनसे रसूल भेजे गऐ?
जवाब- हजरत नूह अलैहिस्सलाम।
(उम्दतुल क़ारी जिल्द 7 सफहा 436)

सवाल- क्या तमाम नबीयो का एक दीन था?
जवाब- हाँ लेकिन सब की शरीअत अलग-अलग और आमाल भी जुदा-जुदा थे।
(ख़ाज़िन जिल्द 2 सफ़्हा 50/अशिअअतुल लमआत जिल्द 4 सफ़्हा 458)

सवाल- क्या अंम्बिया ए किराम भी किसी की उम्मत हैं?
जवाब- हाँ तमाम नबी और रसूल अपने ज़मानो में और अब भी हुजूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम के उम्मती हैं और हुजूर सल्ललाहु अलैह वसल्लम नबियो के नबी हैं।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफहा 52/ज़रक़ानी जिल्द 6 सफ़्हा 164/फ़तावा रिज़विया जिल्द 9 सफ़्हा 12)

सवाल- बनी इस्राईल के सबसे पहले और आखरी नबी कौन हैं?
जवाब- बनी इस्माईल के सबसे पहले नबी हजरत युसुफ अलैहिस्सलाम और आखिरी नबी हजरत ईसा अलैहिस्सलाम हैं।
(ख़ाज़िन जिल्द 1 सफ़्हा 294/सावी जिल्द 1 पेज 139)

सवाल- बनी इस्राईल किसे कहते है?
जवाब- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम की औलाद को बनी इस्राईल कहते हैं।
(तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 176)


PART 2
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अंबियाऐ किराम का बयान पोस्ट(2)


सवाल- अरब कौम में कितने नबी पैदा हुऐ?
जवाब- अरब कौम में चार नबी पैदा हुऐ,
(1)हजरत हूद अलैहिस्सलाम,(2)हजरत सालेह अलैहिस्सलाम,(3)हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम,(4)हुजूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम।
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 1 सफ़्हा 120/तफसीर नसफी जिल्द 1 सफ़्हा 264)

सवाल- नबियों में सबसे ज्यादा लम्बी उम्र किसने पाई?
जवाब- हजरत नूह अलैहिस्सलाम ने।
(ख़ाज़िन जिल्द 1 सफ़्हा 518)

सवाल- क्या नबियों से गुनाह होना मुम्किन है?
जवाब- नहीं, तमाम नबी मासूम होते हैं उनसे किसी गुनाह का होना शरीअत में मुहाल है वह हर तरह के छोटे और बड़े गुनाह से महफूज होते हैं नुबुव्वत के बाद भी और पहले भी।
(शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 59)

सबाल- अचानक मौत किन किन नबियों की हुई?
जवाब- सिर्फ तीन नबियों की हुई,(1)हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम,(2)हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम,(3)हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम।
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 17)

सवाल- वह कौनसे नबी हैं जिनका नाम पैदा होने से पहले रख दिया गया?
जवाब- आखिरी नबी हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम,(2)हजरत यहया अलैहिस्सलाम,(3)हजरत ईसा अलैहिस्सलाम,(4)हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम,(5)हजरत याकूब अलैहिस्सलाम।
(अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 141)

सवाल- वह कौन से नबी हैं जिनके दो नाम रखे गऐ?
जवाब- हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम हमारे नबी का नाम मुहम्मद और अहमद और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम का नाम ईसा और मसीह रखा गया।
(अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 141)

सवाल- अरब में कितने नबी भेजे गऐ?
जवाब- पाँच नबी भेजे गऐ,(1)हजरत हूद अलैहिस्सलाम,(2)हजरत सालेह अलैहिस्सलाम,(3)हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम,(4)हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम,(5)और हमारे आका हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम।
(सावी जिल्द 1 सफ़्हा 225)

सवाल- किस नबी ने उम्मते मोहम्मदिया में पैदा होने कि तमन्ना की?
जवाब- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने।
(मदारजुन्नुबुव्वत जिल्द 1 सफ़्हा 114)

सवाल- कितने नबी जिन्दा हैं जिनको अभी मौत नहीं आई है?
जवाब- चार हैं हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम यह दोनों आसमान पर हैं और हजरत खिज़्र अलैहिस्सलाम और हजरत इलयास अलैहिस्सलाम यह दोनो जमीन पर हैं।
(शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 61/ख़ाज़िन जिल्द 4 सफ़्हा 204)

सवाल- वह कौन से नबी हैं जो अपनी जिन्दगी में कब्रे मुबारक में लेट गऐ और वहीं उनकी रूह कब्ज़ कर ली गई?
जवाब- हजरत हारून अलैहिस्सलाम।
(जज़बुल कुबूल पेज 55)

सवाल- किन नबियों ने अल्लाह से बिला वास्ते बात चीत की?
जवाब- हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने की।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 27)

सवाल- वह कौन से नबी हैं जिनके लिये मकड़ी ने जाला तना और वह दुश्मन की शरारत से महफूज रहे?
जवाब- एक हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम है जिनके लिये ग़ारे सौर के दरवाज़े पर मकड़ी ने जाला तना और दूसरे हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम है जब तालूत ने कत्ल करने का इरादा किया तो हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम एक ग़ार में जा छुपे जब तालूत को मालूम हुआ तो ग़ार पर तलाश करने गऐ तो मकड़ी ने जाला तन दिया जिसकी वजह से तलाश में नाकाम रहे ।
(हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 166)

सवाल- वह कौनसे दो नबी हैं जो क़यामत के दिन एक क़ब्र से उठेंगे?
जवाब- हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम।
(मिश्कात शरीफ जिल्द 2 सफ़्हा 480)


PART 3
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अंबियाऐ किराम का बयान पोस्ट(3)

सबाल- सबसे पहले किस नबी को पैदा किया गया?
जवाब- हजरत आदम अलैहिस्सलाम को।
(अलहिदायतुल मुबारकाह सफ़्हा 2)

सबाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत मैं कितने दिन रहे?
जबाब- बरोजे कयामत के आध दिन जिसकी मिक़दार दुनियावी दिनों से पांच सौ साल है।
(ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 55/तबक़ात इब्ने सअद जिल्द 1 सफ़्हा 17)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से कहाँ उतारे गऐ?
जवाब- हजरत आदम अलैहिस्सलाम सरान्दीप और हजरत हव्वा जददे में।
(सावी जिल्द 1 सफ़्हा 23)

सबाल- फिर दौनों की मुलाकात कहाँ हुई?
जवाब- बकरा ईद के चाँद की नौ तारीख को मकामे अरफात में हुई।
(ख़ाज़िन जिल्द 1 सफ़्हा 155)

सबाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत मे से निकलने के बाद गम में कितने साल तक रोते रहे?
जवाब- तीन सौ साल तक रोते रहे।
(ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 56 / मुदारिजुन्नुबुव्वत जिल्द 2 सफ़्हा 5)

सबाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की कुन्नियत क्या है?
जवाब- ज़मीन में "अबुलबशर" और जन्नत में "अबु मुहम्मद" थी।
(तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 173)

सबाल- बह कोनसे नबी हैं जो दुनिया पे एक हजार साल तक रहे लेकिन काभी जमीन का पानी नहीं पीया?
जबाब- हजरत आदम अलहिस्सलाम है कि पूरी जिन्दगी आपने बारिश का पानी पीते रहे।
(तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र पेज 172)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की जाहिरी जिन्दगी में कौन-कौन से नबी पैदा हुऐ?
जवाब- हजरत शीस अलैहिस्सलाम और हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 73)

सवाल- हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम को हजरत आदम अलैहिस्सलाम का कितना ज़माना मिला?
जवाब- सौ साल, लेकिन नबी होने का एलान करने का हुक्म हजरत आदम अलेहिस्सलाम के इन्तिकाल के दो सौ साल बाद किया।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 73)

सवाल- वह कौन से नबी है जिनका निकाह का खुतबा खुद खुदा ने पढा़ और खुदा ही ने निकाह पढ़ाया?
जवाब- हजरत आदम अलैहिस्सलाम हैं।
(सावी जिल्द 4 सफ़्हा 21/मुदारिजुन्नुबुव्वत जिल्द 2 सफ़्हा 5)

सवाल- वह कौन से नबी है जिनके निकाह का दैन महर हमारे नबी पर दुरूद पढ़ना था?
जवाब- हजरत आदम अलैहिस्सलाम आपके निकाह का दैन महर तीन या दस या बीस बार दुरूद पढ़ना था।
(तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 159/मुदारिजुन्नुबुव्वत जिल्द 2 सफ़्हा 4/मवाहिब लदिन्नया जिल्द 1 सफ़्हा 10)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का मशहूर मुनाज़रा कहाँ और किस हालत में हुआ?
जवाब- इसमें इख्तेलाफ हे कुछ के नजदीक आसमान में रूहों की मुलाकात के वक़्त यह मुनाज़रा हुआ और कुछ के नजदीक दौनों को आलमे ब़रज़ख(मौत के बाद की दुनिया) में ज़िन्दा करके यह मुनाज़रा कराया गया और कुछ के नजदीक हजरत आदम को हजरत मूसा के ज़माने जाहेरी में ज़िन्दा करके यह मुनाज़रा कराया गया।
(अशिअअतुल लमआत जिल्द 1 सफ़्हा 88)

सवाल- वह कौन से नबी हैं जिनके निकाह का खुतबा हजरत जिब्राईल ने पढ़ा और फ़रिश्ते गवाह बने?
जवाब- हजरत शीश अलैहिस्सलाम।
(ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 65)

सवाल- हिबतुल्लाह किस नबी का लक़ब है?
जवाब- हजरत शीश अलैहिस्सलाम का वजह यह है कि जब काबील ने हाबील को कत्ल कर दिया तो हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम को खुशखबरी दी कि खुदा ने हाबील के बदले में शीश को अता फरमाया।
(तबक़ात इब्ने सअद जिल्द 1 सफ़्हा 14/ सावी जिल्द 1 पेज 242)

सवाल- हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम का अस्ल नाम क्या है?
जवाब- अस्ल नाम अख्नक है इदरीस इसलिए कहते हैं कि उन्होनें सबसे पहले दर्स(सबक)दिया।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 35)

सवाल- हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम किस आसमान पर हैं?
जवाब- चौथे आसमान पर ।
(मिश्कात शरीफ जिल्द 2 सफ़्हा 527)

सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम का अस्ल नाम क्या है?
जवाब- अब्दुल गफ्फार या अब्दुल जब्बार नूह के माना हैं बहुत रोने वाला कियो की आप अपने नफ़स बहुत ज्यादा रोऐ या अपनी उम्मत के गुनाहों पर बहुत रोऐ इसलिये आपका लक़ब नूह पड़ गया।
(अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 184/ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 41)


PART 4

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अंबियाऐ किराम का बयान पोस्ट(4)

सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम ने कितने साल अपनी कौम को तबलीग फरमाई?
जवाब- साढ़े नौ सौ साल।(950)
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 157)

सवाल- शैखुल अंबिया (नबियों के शेख़) किस नबी को कहा जाता है?
जवाब- हजरत नूह अलैहिस्सलाम को।
(किसासुल अंबिया)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम और हजरत नूह अलैहिस्सलाम के बीच कितने साल का फासिला था?
जवाब- ग्यारह सौ साल का।
(सावी जिल्द 2 सफ़्हा 27)

सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम को कश्ती बनाना किसने सिखाई?
जवाब- अल्लाह तआला ने हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को भेजा जिन्होंने हजरत नूह अलैहिस्सलाम को कश्ती बनाना सिखाई।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 96)

सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती कितने वक़्त में तैयार हुई?
जवाब- दो साल में तैयार हुई उसकी लम्बाई तीन सौ गज़ और चौड़ाई पचास गज़ और ऊँचाई 30 गज़ थी।
(ख़जाइन पेज 326/सावी जिल्द 2 सफ़्हा 72)

सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती कितने तख्तों से तैयार हुई?
जवाब- एक लाख चौबीस हजार तख़्तों से और हर तख़्ते की पीठ पर एक एक नबी का नाम लिखा था और सबसे आखिरी तख्ते की पीठ पर "मुहम्मदर्रसूलुल्लाह" लिखा था।
(नुजहतुल मजालिस सफ़्हा 321)

सवाल- इस कश्ती में कितने दरजे बनाऐ गऐ थे?
जवाब- तीन दरजे बनाऐ गऐ थे,(1)सबसे नीचे दरजे में जंगली जानवर और शेर चीते वगैरह और साँप बिच्छु जमीन के कीड़े मकोडे वगैरह थे,(2)बीच में चौपाऐ वगैरह थे,(3)सबसे ऊपर दरजे में खुद हजरत नूह अलैहिस्सलाम और आपके साथी थे और हजरत आदम अलैहिस्सलाम का मुबारक जिस्म भी था खाने-पीने का सामान भी इसी में था और परिन्दे भी ऊपर ही के दरजे में थे।
(सावी जिल्द 2 सफ़्हा 182/ख़जाइन सफ़्हा 326/अलमलफूज जिल्द 1 सफ़्हा 73)

सवाल- हजरत नूह किस तारीख में कश्ती पर सवार हुऐ और किस तारीख में उतरे?
जवाब- दसवीं रजब को सवार हुऐ दसवीं मुहर्रम को खास जुमे के वक्त जूदी पहाड़ पर उतरे कुल छः महीने का वक़्त लगा।
(ख़जाइन सफ़्हा 328)

सवाल- उसमें कितने आदमी सवार थे जो तुफान से महफूज रहे?
जवाब- 80अस्सी आदमी सवार थे जिनमें दो नबी थे एक हजरत आदम अलैहिस्सलाम का ताबूत और खुद हजरत नूह अलैहिस्सलाम।
(जज़बुल कुबूल पेज 51/अलमलफूज जिल्द 1 सफ़्हा 73)

सवाल- अबुल अंबिया(नबियों के बाप)किस नबी का लक़ब है?
जवाब- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का वजह यह है कि आठ नबी हजरत आदम अलैहिस्सलाम,हजरत शीश अलैहिस्सलाम,हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम,हजरत नूह अलैहिस्सलाम,हजरत हूद अलैहिस्सलाम,हजरत सालेह अलैहिस्सलाम,हजरत लूत अलैहिस्सलाम ,हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम के इलावा बाकी सारे नबी आप ही की नस्ल से हुऐ आपके दो साहिबज़ादे नबी थे हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम और हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम ज्यादा तर नबी हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम की नस्ल हुऐ और हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम की नस्ल से सिर्फ आखरी नबी हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम पैदा हुऐ इसलिये हजरत ख़लील का लक़ब (पदवी नाम) अबुल अंबिया हुआ।
(मुहाजिरतुल अवाइल सफ़्हा 154/ नुजहतुल कारी जिल्द 6 सफ़्हा 501)

सवाल- अबुज्जैफ(मेहमान नवाज़)किस नबी का लक़ब है?
जवाब- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का।
(तफसीर अज़ीज़ी जिल्द 1 सफ़्हा 373)

सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ग़ार में कितने दिन रहे?
जवाब- पन्द्रह दिन जिसमें दिन एक महीने के बराबर और महीना साल के बराबर था।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 2 सफ़्हा 125)



PART 5

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अंबियाऐ किराम का बयान पोस्ट(5)

सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम किस उम्र में आग में डाले गए?
जवाब- 16 सोलह साल की उम्र में।
(शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी पेज 130)

सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को जिस आग में डाला गया था उसके लिये कितने दिनों तक लकड़ीयाँ जमा की गई थीं और कितने दिनों तक दहकाया गया था?
जवाब- एक महीने लकड़ीयाँ जमा की गई और सात दिन दहकाया गया था।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 96)

सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को आग में डालते वक़्त कौनसा लिबास पहनाया गया और किसने पहनाया गया और किसने पहनाया?
जवाब- रेशमी क़मीज थी जिसे हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने पहनाया और यह जन्नत से लाई गई थी।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 96)

सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने उम्मते मोहम्मदिया को कब सलाम कहलवाया?
जवाब- जब आखरी नबी हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम मेराज शरीफ़ के लिए तशरीफ ले जाने लगे और आसमान पर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई तो उस वक़्त उन्होंने आपकी मारेफ़त आपकी उम्मत को सलाम कहल वाया।
(मिश्कात शरीफ जिल्द 1 सफ़्हा 202)

सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम हजरत नूह अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितने साल का फासिला था?
जवाब- एक हजार साल का।
(सावी जिल्द 2 सफ़्हा 27)

सवाल- किस नबी को अबुल अरब(अरब वाले)और किस नबी को अबुल अजम(ग़ैर अरब वाले)कहा जाता है?
जवाब- हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम को अबुल अरब और हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम को अबुल अजम कहा जाता है
(सावी जिल्द 1 सफ़्हा 225)

सवाल- हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम और हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम में ज़बीहुल्लाह कौन है?
जवाब- हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम हैं।
(रददुल मुहतार जिल्द 1 सफ़्हा 587/ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 97)

सवाल- इन दोनों में उम्र के एतेबार से बड़े कौन थे?
जवाब- हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम से चौदह साल 14 साल बड़े थे।
(तफसीरे अज़ीज़ी सूरऐ बक़र पेज 401/अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 138)

सवाल- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम का लक़ब क्या था?
जवाब- इस्राईल यह सुरयानी जुबान का लफ्ज है जो "इसरा"और ईल दो लफ्जों से बना है इसरा का माना है "अब्द" और "ईल" का माना है "अल्लाह" यानी अब्दुल्लाह।
(तफसीरे नसफी जिल्द 1 सफ़्हा 44/तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 176)

सवाल- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम और हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम की जुदाई में कितने साल तक रोते रहे?
जवाब- तकरीबन अस्सी साल तक।
(ख़जाइन सफ़्हा 355)

सवाल- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम मिश्र में कितने साल रहे?
जवाब- 24 साल।
(ख़जाइन सफ़्हा 357)

सवाल- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम और हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितना फ़ासला था?
जवाब- 965 साल का।
(सावी जिल्द 2 सफ़्हा 27)

सवाल- हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम कुऐं में कितने दिन रहे?
जवाब- तीन दिन।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 3 सफ़्हा 219)

सवाल- किस उम्र में डाले गए?
जवाब- बारह साल की उम्र में।
(अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 138)

सवाल- हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम कैद खाने में कितने वक़्त रहे?
जवाब- 12 साल।
(ख़जाइन सफ़्हा 347)

सवाल- हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम ने मिश्र में कितने साल हुकूमत की?
जवाब- 90 साल।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 202)

सवाल- ख़तीबुल अंबिया(नबीयों को खिताब करने वाले)किस नबी का लक़ब है?
जवाब- हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम का चूंकि आप बहुत फसीह व बलीग़ कलाम फरमाया करते थे इसलिए आपका लक़ब ख़तीबुल अंबिया हुआ।
(ख़ाज़िन जिल्द 2 सफ़्हा 215)

सवाल- किस नबी का सब्र मशहूर है?
जवाब- हजरत अय्यूब अलैहिस्सलाम का।
(कुराने मुकद्दस सूरऐ सौद)

सवाल- हजरत अय्यूब अलैहिस्सलाम कितने दिन इम्तेहान व आज़माइश में मुब्तिला रहे?
जवाब- सात या आठरह साल।
(उम्दतुल क़ारी जिल्द 7 सफ़्हा 388/ ख़ाज़िन जिल्द 4 सफ़्हा 254)

सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम के पास कितने वक़्त रहे?
जवाब- 10 साल।
(ख़जाइन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 142)


PART 6
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अंबियाऐ किराम का बयान पोस्ट(6)

सवाल- हजरत अय्यूब अलैहिस्सलाम का इम्तिहान कैसा था?
जवाब- अल्लाह तआला ने पहले आपको हर तरह की नेमतें अता की थीं सूरत की खूबसूरती भी ज्यादा औलाद भी और माल भी बहुत ज़्यादा मगर औलाद मकान के गिरने से दबकर ख़त्म हो गई तमाम जानवर जिनमें हजारों ऊँट ओर बकरियां थीं बीमार होकर खत्म हो गऐ। इसी तरह तमाम खेतियाँ और बाग़ात भी तबाह हो गऐ कुछ भी बाक़ी न रहा फिर आप बीमार पड़े तमाम बदन में आबले पड़ गऐ और आपका जिस्म शरीफ ज़ख्मों से भर गया सब लोगों ने आपका साथ छोड़ दिया सिर्फ आपकी बीबी साहिबा आपके साथ रहीं और वही खिदमत करती रहीं सालों साल यही हालत रही फिर अल्लाह तआला ने आपकी दुआ क़बूल फरमाई और सारी तकलीफ़े दूर फरमा दीं यहाँ तक कि तमाम औलाद को ज़िंदा फरमा दिया और इतनी ही औलाद और इनायत की यही आपका इम्तेहान था।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 72/ख़जाइन सफ़्हा 476)

सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को किस दिन उनकी माँ ने दरया में डाला?
जवाब- जुमे के दिन।
(हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 26)

सवाल- आपकी माँ ने जिस सन्दूक में बन्द करके आपको दरया में डाला था वह सन्दूक कितने दिन पानी में बहकर फिरऔन के महल तक पहुँचा?
जवाब- तीन दिन में।
(नुजहतुल मजालिस जिल्द 2 सफ़्हा 419)

सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम की जुबान में लुकनत क़ब पैदा हुई?
जवाब- जब आप की उम्र तीन साल की थी तो फिरऔर एक दिन गोद में आपको खिला रहा था कि अचानक आपने उसके चहरे पर थप्पड़ मार दिया जिससे फिरऔन घबरा गया कि शायद यह वही बच्चा है जो मेरी हुकूमत को बर्बाद कर देगा फिरऔन ने आपको कत्ल करना चाहा लेकिन फिरऔन की बीवी आसिया ने यह कहकर टाल दिया कि अभी बच्चा है उसमें अक़ल व शऊर कहाँ है हजरत आसिया ने फिरऔन की तसल्ली के लिए एक तरफ़ आग का तबक़ रखा और दूसरी तरफ़ हीरे और जवाहरात का तबक़ रखा फिरऔन से कहा देख अगर इस बच्चे में अक़्ल व शऊर होगा तो अपना हाथ हीरे-जवाहरात की तरह बढ़ाऐगा वरना आग की तरफ़ हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने अपना हाथ हीरे जवाहरात की तरफ बढ़ाना चाहा लेकिन हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने आपका हाथ पकड़कर आग मे डाल दिया और आपने उसमें से एक अंगारा उठाकर अपने मुँह में रख लिया जिससे आपकी जुबान जल गई और उसी दिन से आपकी जुबान में लुकनत पैदा हो गई।
(तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 201/ख़ाज़िन जिल्द 4 सफ़्हा 217)

सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम फिरऔन के घर कितने दिन रहे?
जवाब- 30 साल।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 137/तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र पेज 203)

सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का मुकाबला कितने जादूगरों से हुआ था?
जवाब- 80 हज़ार जादूगरों से हुआ था।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 79)

सवाल- क्या सब जादूगर आप पर ईमान ले आऐ थे?
जवाब- हाँ सब के सब ईमान ले आऐ थे।
(तफसीर नईमी पारा 11 सफ़्हा 465)

सवाल- अल्लाह तआला ने हजरत मूसा अलैहिस्सलाम से तूर पहाड़ पर किस दिन बात चीत फरमाई?
जवाब- बकरा ईद की नौ तारीख को जुमे रात के के दिन।
(सावी जिल्द 2 सफ़्हा 84)

सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम और हजरत याकूब अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितने साल का फासला था?
जवाब- चार सौ साल का।
(सावी जिल्द 1 सफ़्हा 28)

सवाल- हजरत हारून अलैहिस्सलाम हजरत मूसा अलैहिस्सलाम से कितने साल बड़े थे?
जवाब- चार साल।
(जुमल जिल्द 3 सफ़्हा 67)

सवाल- हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम ने कितने साल हुकूमत की?
जवाब- 40 साल।
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 16)

सवाल- हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम जुबूर मुकद्दस कितनी आवाजों में पढ़ा करते थे?
जवाब- सत्तर आवाजों में पढ़ा करते थे।
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 16)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम ने हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम को अपनी उम्र में से कितने साल अता किये थे?
जवाब- 40 साल और कुछ के नजदीक 60 साल।
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 1 सफ़्हा 87-88)



PART 7
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अंबियाऐ किराम का बयान पोस्ट(7)

सवाल- अल्लाह तआला ने हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम पर किन चीज़ो को उनके बस में कर दिया था?
जवाब- पहाड़ो और परिन्दों को।
(कुराने मुकद्दस सूरऐ सौद)

सवाल- हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम की कितनी बीबियाँ थीं?
जवाब- 100 बीबियाँ थीं।
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 15)

सवाल- जब आपका इन्तिकाल हुआ तो आपके जनाजे के सात कितने अलीम थे?
जवाब- 40 हजार।
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 17)

सवाल- हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितने साल का फासिला था?
जवाब- 599 साल का।
(सावी जिल्द 2 सफ़्हा 27)

सवाल- अल्लाह तआला ने हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम के बस और कब्ज़े में किस चीज़ को कर दिया था उसके ज़रीऐ जहाँ चाहते चले जाते थे?
जवाब- हवाओं को।
(कुराने मुकद्दस)

सवाल- हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने कितने साल हुकूमत की?
जवाब- 40 साल।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 235)

सवाल- हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम की अंगूठी में क्या लिखा हुआ था?
जवाब- लाइला-ह इल्लल्लाहो मुहम्मदुर्र रसूलुल्लाह लिखा था।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 47)

सवाल- हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम किस उम्र में तख्त पर बैठे?
जवाब- 13 साल की उम्र मे।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 235)

सवाल- हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम की कितनी औरतें थीं?
जवाब- एक हजार जिनमें 300 कंवारियाँ और सात सौ बांदियाँ थी और कुछ के कौल की रौशनी में 300 बांदियाँ और सात सौ आजाद बीबियाँ थी और एक कौल यह भी है की 400 बीबियाँ थी और 600 बांदियाँ थीं।
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 29)

सवाल- हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम का लक़ब क्या है?
जवाब- जुन्नून और साहिबुल हूत
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 73)

सवाल- हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम मछली के पेट में कितने दिन रहे?
जवाब- इस बारे मे मुखतलिफ रिवायते है तीन दिन तक या सात दिन या चालीस दिन।
(हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 373/ ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 4258)

सवाल- हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम ने मछली के पेट में कौनसी दुआ पढ़ी थी जिससे मछली के पेट से बाहर निकल आए थे?
जवाब- लाइला-ह इल्ला अन-त सुबहा-न-क इन्नी कुन्तु मिन्ज्जालिमीन।
(कुराने मुकद्दस सूरऐ अंबिया)

सवाल- वह कौनसे नबी है जो बचपन में इन्तिकाल होने के बाद फिर एक नबी की दुआ से ज़िन्दा हो गऐ थे?
जवाब- वह हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम है जो बचपन में इन्तिकाल फरमा गऐ थे फिर 14 दिन के बाद हजरत इलयास अलैहिस्सलाम की दुआ से ज़िन्दा हो गऐ।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 73)

सवाल- वह कौनसे नबी है जो खुदतो 40 साल के जवान थे मगर उनके बेटे 120 साल के और पोते 90 के बूढ़े?
जवाब- वह हजरत उज़ैर अलैहिस्सलाम है जो इन्तिकाल के बाद सौ साल बाद दोबारा जिन्दा किये गये तो जवान थे मगर आपकी औलाद बढ़ी हो चुकी थी।
(तफसीर नईमी पारा 3 सफ़्हा 83)

सवाल- हजरत ज़करया अलैहिस्सलाम कब शहीद किये गये?
जवाब- हजरत यहया अलैहिस्सलाम की शहादत के एक दिन बाद।
(तफसीर नईमी जिल्द 7 सफ़्हा 655)

सवाल- वह कौन से नबी है जिन्होंने हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम की उम्मत के हाथों से दफ्न होने की तमन्ना की थी?
जवाब- वह हजरत दानियाल अलैहिस्सलाम है कि उन्होंने खुदा की बारगाह में दुआ की थी कि उन्हें मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम की उम्मत दफन करें रिवायत में है कि जब हजरत अबु मूसा अशअरी रदियल्लाहु अन्हु ने तस्तर का किला फतह किया तो उन्होंने हजरत दानियाल अलैहिस्सलाम को ताबूत में इस हाल में पाया कि उनके तमाम जिस्म और गर्दन की सब रगें बराबर चल रही थी फिर आपने उनको दफन किया हदीस शरीफ में है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम ने इरशाद फरमाया था जो हजरत दानियाल अलैहिस्सलाम का पता बता दे उसको जन्नत की खुशखबरी देना।
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 41/नुजहतुल मजालिस जिल्द 2 सफ़्हा 92)

सवाल- हजरत ज़करया अलैहिस्सलाम की शहादत किस तरह हुई?
जवाब- जब हजरत यहया अलैहिस्सलाम को ज़िबह किया गया तो उसके जुर्म में कुछ बनी इस्राईल को अल्लाह तआला की तरह से ज़मीन में घुंसा दिये गये उन लोगों ने हजरत ज़करया अलैहिस्सलाम को भी शहीद करना चाहा तो आप वहाँ से बचकर एक बाग़ में पहुँच गए इस बाग़ में एक दरख़्त ने आवाज दी कि ऐ अल्लाह के नबी मुझ में छुप जाइये वह दरख़्त फटा फटा और आप उसमें छुप गऐ फिर दरख़्त आपस में मिल गया उधर शैतान मरदूद ने जान लिया कि इसमें छुपे हुऐ हैं उन्होंने शैतान के कहने पर दरख़्त को आरे से चीर दिया और आप के दो टुकड़े (अल्लाहुअकबर) हो गऐ। फरिश्तों ने आपको गुस्ल देकर नमाज़-ए-जऩाजा अदा की फिर दफ़न कर दिया।
(किसासुल अंबिया सफ़्हा 266)

सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम को आसमान पे उठाने से कितने वक़्त पहले हजरत यहया अलैहिस्सलाम शहीद हुऐ?
जवाब- छः महीने पहले।
(तफसीर कबीर जिल्द 2 सफ़्हा 441)



PART 8
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अंबियाऐ किराम का बयान पोस्ट(8)

सवाल- वह कौन से नबी है जिनको सारी ज़मीन के ऊपर कोई बुरा नहीं कहता?
जवाब- वह हजरत यहया अलैहिस्सलाम हैं कि उन्होंने अल्लाह तआला कि बारगाह में दुआ की थी ऐ अल्लाह तआला तू मुझे ऐसा करदे मुझे कोई बुरा न कहे अल्लाह तआला ने इरशाद फरमाया ऐ यहया मैंने अपने लिये तो किया नहीं कोई मेरा शरीक बनाता है कोई फ़रिश्तों को मेरी बेटियाँ बताता है कोई कहता है मेरे लिये बेटा है लेकिन नबी की दुआ ख़ाली नहीं जाती यही वजह है कि तमाम नबियों को बुरा कहने वाले मौजूद हैं लेकिन हजरत यहया अलैहिस्सलाम को कोई बुरा नहीं कहता।
(अलमलफूज जिल्द 2 सफ़्हा 57)

सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम और हजरत यहया अलैहिस्सलाम के बीच कौनसा रिश्ता था?
जवाब- दोनों में मामू-भान्जे का रिश्ता था।
(सीरते हलबी जिल्द 1 सफ़्हा 434)

सवाल- हजरत यहया अलैहिस्सलाम की शहादत किस तरह हुई?
जवाब- बादशाह बनी इस्राईल अपने भाई की बेटी पर आशिक था उसने हजरत हजरत यहया अलैहिस्सलाम से इससे शादी के मुतअल्लिक पूछा तो आपने जवाब दिया वह तेरे लिए हराम है बादशाह चूँकि आपकी बहुत ज्यादा इज्जत व ताज़ीम करता था और आपके हर हुक्म की फरमां बरदारी करता था इसलिए हुक्म मान लिया लेकिन यह बात जब लड़की की माँ तक पहुँची तो वह गुस्से में भड़क उठी वह चाहती थी कि बादशाह की शादी उसकी लड़की से हो जाऐ बस उसके दिल में उसी दिन से हजरत यहया अलैहिस्सलाम की तरफ़ से दुश्मनी और हसद पैदा हो गया और हजरत यहया अलैहिस्सलाम को बीच में से खत्म करने की ठान ली एक दिन उसने अपनी लड़की को बहुत अच्छा पहनाकर और ज़ेवर से सजाकर बादशाह की खिदमत में भेज दिया और उसको बता दिया कि पहले बादशाह को शराब पिलाकर बेहोश कर देना फिर जब वह तुमसे अपनी ख़्वाहिश पूरी करना चाहे तो तुम इन्कार करना और कहना कि मुझे हजरत यहया अलैहिस्सलाम का सर चाहिये इस बद बख्त ने ऐसा ही किया बादशाह ने नशे की हालत मे चूर होकर जल्लाद को हुक्म दे दिया कि हजरत यहया अलैहिस्सलाम को ज़िबह करके फौरन उनका सर (अल्लाहुअकबर) तश्त में रखकर हाजिर करो जब ज़िबह करने के बाद सर सामने लाया गया तो आवाज़ आने लगी कि तेरे लिए हराम है (सुबहानअल्लाह) हराम है।
(ख़ाज़िन जिल्द 4 सफ़्हा 123/सावी जिल्द 2 पेज 289)

सवाल- क्या हजरत खिज़्र अलैहिस्सलाम नबी हैं?
जवाब- हाँ जमहूर का कौल है कि आप नबी हैं।
(तफसीर कबीर जिल्द 5 सफ़्हा 500/तकमीलुल ईमान सफ़्हा 41)

सवाल- आपका अस्ल नाम क्या है?
जवाब- बिल्याबिन मलकान और कुन्नियत अबुल अब्बास है।
(तकमीलुल ईमान सफ़्हा 41)

सवाल- फिर आपका लक़ब खिज़्र कैसे हुआ?
जवाब- आप जहाँ बैठते या नमाज पढ़ते हैं वहाँ की ज़मीन खुश्क हो तो हरी भरी हो जाती इसलिये यह आपका लक़ब हुआ।(खिज़्र का माना है हरा होना या करना)
(ख़ज़ाइनुल इरफ़ान सफ़्हा 436)

सवाल- हजरत खिज़्र अलैहिस्सलाम और हजरत इलयास अलैहिस्सलाम जब दौनों जमीन पर जिन्दा हैं
तो क्या खाते पीते हैं?
जवाब- हर साल दौनों हज व उमरा करते हैं और खत्मे हज पर ज़म-ज़म शरीफ के पास मिलते हैं और आबे ज़म-ज़म पीते हैं कि आइन्दा साल तक के लिए काफी होता है फिर किसी खाने पीने की जरूरत नहीं रहती।
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 9 सफ़्हा 108)

सवाल- क्या यह दोनो रमज़ान शरीफ का रोजा भी रखते हैं
जवाब- हाँ दोनों बैतूल मुकद्दस मे रमज़ान शरीफ का रोजा रखते हैं।
(ज़रक़ानी जिल्द 5 सफ़्हा 354)

सवाल- वह कौन से नबी हैं जिन्होंने पैदा होते ही लोगों के सवालों का जवाब दिया?
जवाब- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम है।
(कुराने मुकद्दस सूरऐ मरयम)

सवाल- आपका लक़ब क्या था?
जवाब- कलिमतुल्लाह। (अल्लाह का कालिमा)।
(शरह शिफा जिल्द 1 सफ़्हा 225)

सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितने नबी तशरीफ लाऐ?
जवाब- सत्तर हजार और कुछ के नजदीक चार हजार।
(सावी जिल्द 1 सफ़्हा 41)



LAST PART 9
‎ بسم الله الرحمن الرحيم‎
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अंबियाऐ किराम का बयान पोस्ट(9)आख़िरी

सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के बीच कितने सालों का फासला था?
जवाब- 1975 साल का।
(सावी जिल्द 1 सफ़्हा 41)

सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम ने अपनी जिंदगी में कितने मुदा को जिन्दा फरमाया?
जवाब- चार को जिन्दा फरमाया,(1) आज़र,(2)साम बिन नूह जिनको इन्तिकाल किये हुऐ हजारों साल गुजर चुके थे,(3)एक बुढ़िया का लड़का जिसका जनाज़ा आपके सामने से गुजर रहा था आपने दुआ फरमा वह जिन्दा होकर लाश उठाने वालों के कंधों से उतर पड़ा और कपड़े पहन कर घर आ गया काफ़ी वक़्त जिन्दा रहा उसकी औलाद हुई फिर मौत हुई,(4)एक आशिर की लड़की कि शाम को मरी थी फिर आपकी दुआ से जिन्दा हो गई।
(ख़ज़ाइनुल इरफान सफ़्हा 82)

सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम किस उम्र में आसमान पर उठाऐ गऐ?
जवाब- 120 साल की उम्र में।
(ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 34/जुमल जिल्द 1 सफ़्हा 280)

सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम किस आसमान पर है?
जवाब- दूसरे आसमान पर है।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 23)

सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम आसमान में क्या खाते पीते हैं?
जवाब- जब अल्लाह तआला ने आपको आसमान पर उठाया तो उठाने से पहले भूक प्यास नींद वगैरह तमाम इन्सानी ज़रूरतों को आपसे ख़त्म कर दिया यहाँ तक कि आपका हाल फ़रिशतों की तरह हो गया कि खाने-पीने के मोहताज नहीं रहे ज़मीन पर दोबारा तशरीफ लाने तक इसी तरह रहेगें।
(ज़रक़ानी जिल्द 5 सफ़्हा 202/तफसीर कबीर जिल्द 2 सफ़्हा 458/तफसीर जुमल जिल्द 1 सफ़्हा 280)

सवाल- क्या हजरत ईसा अलैहिस्सलाम अब भी ज़मीन के ऊपर आते हैं?
जवाब- हाँ मगर छुपकर और हज व उमरा भी करते हैं।
(ज़रक़ानी जिल्द 5 सफ़्हा 354)

सवाल- क्या हजरत ईसा अलैहिस्सलाम आसमान से नीचे आएंगे?
जवाब- हाँ कयामत के करीब तशरीफ लाएंगे।
(मिश्कात शरीफ जिल्द 2 सफ़्हा 480)

सवाल- फिर दुनिया में कितने साल रहेंगे?
जवाब- रिवायतों में इख्तेलाफ है,
कुछ के नजदीक सात साल,
(मुस्लिम शरीफ जिल्द 2 सफ़्हा 403)
कुछ के नजदीक चालीस साल,
(अबु दाऊद शरीफ 2 सफ़्हा 238/ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 35)
45 पैंतालीस साल।
(अशिअअतुल लमआत जिल्द 4 सफ़्हा 353)

सवाल- क्या आप शादी भी करेंगे?
जवाब- हाँ कबील-ए-जुहनिया की एक औरत से शादी फरमाऐंगे और आप की मर्द औलाद भी होगी।
(शरह शिफा जिल्द 1 सफ़्हा 209)

सवाल- इन्तिकाल के बाद कहाँ दफ्न होंगे?
जवाब- हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम के पहलू में।
(ज़रक़ानी जिल्द 8 सफ़्हा 296)






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अम्बियाऐ किराम का तफसीरे बयान
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⚪हजरत आदम अलैहिस्सलाम का बयान ⚪

 पोस्ट(1)》* *______________________________________*
सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम का नाम आदम क्यों हुआ?
*जवाब- आपका नाम आदम होने की कई वजह हैं(1)हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते है कि आपका नाम आदम इस मुनासबत से हुआ कि गंदुमी रंग की ज़मीन से वह मिट्टी ली गई जिससे आपके क़ालिब साक़िब की ख़मीर बनी(2)हज़रत साअलबी फरमाते है क्योंकि इबरानी ज़बान में मिट्टी को आदम कहते है इस मुनासबत से आपका नाम आदम रख दिया गया(3)हकीमुल उम्मत मुफ्ती यार खान साहब नईमी रहमतुल्लाह तआला अलैहि फरमाते है कि आदम तो अदीम से बना है जिसके माने हैं ज़ाहिरी ज़मीन क्योंकि आपका जिस्म पाक ज़ाहिरी ज़मीन की मुख्तालिफ मिट्टीयों से बना था इसलिए आपका नाम आदम हुआ।*
(अल अलक़ान फ़ी उलूमुल कुरआन जिल्द 3सफ़्हा175/तफ़सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा289)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की तख्लीक के लिये कितनी जगहों से कितनी मिक्दार में मिट्टी ली गई?
*जवाब- आपके कसरे क़ालिब को तैयार करने के लिए हजरत इजराईल अलैहिस्सलाम ने ज़मीन की चालीस जगहों से हाथ भरकर मुख्लिफ अतराफ़ व अकनाक से मिट्टी लोग और उसमें खुसूसियत मक्का व ताएफ को हासिल रही।*
(मआरिजनबुव्वत जिल्द1 सफहा23)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम के क़ालिब के ख़मीर में कौनसा पानी इस्तेमाल हुआ?
जवाब- आपके तोदाए ख़ाक मुब्दा पाक *पर चालीस दिनों तक ब-हुक्म ज़ुल जलाल"दरियाए माला माल"से जो कि अर्श अज़ीम के नीचे है जिसका दूसरा नाम बहरुल अहजान है बारिश होती रही जिससे वह मिट्टी गारे की शक़्ल इख्तियार कर गई और एक रिवायत है कि चालीस साल तक बारिश होती रही और एक कौल यह भी है कि सत्तर हजार मलाइका मुक़र्रबान ने बफुरकाने रहमान रहीक व सलसबील व कौसर के चश्मों से इस मिट्टी को तर किया।*
(मआरिज नबुव्वत जिल्द1 सफ़्हा25)
*______________________________________*
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)


 पोस्ट(2)》* *______________________________________*
सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम के जिस्म का कौनसा अजू कहाँ की मिट्टी से बनाया गया?
*जवाब- आपके जिस्म का हर अज़ू(हिस्सा)अक़ामीले अरज़ के अलग अलग हिस्से से बनाया गया क्योंकि आपका सर अक़्दस मक्का की मिट्टी से बनाया गया गर्दन अहसर बैतुल मुकद्दस की मिट्टी से सीना महर गंजीना अदन की मिट्टी से शिकम व पुश्त हिंदुस्तान की मिट्टी से दस्ते हक़ परस्त मश्रिक की मिट्टी से और कदम मोहतरम मग़रिब की मिट्टी से बनाए गए बाकी गोश्त व पोस्त रंग व पैर खून व ग़ज़ारीक वगैरह मुख़्तलिफ जगहों की मिट्टीयों से बनाए गए और हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि मैने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पुछा या रसूलुल्लाह"सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम"अल्लाह तआला ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम को किस तरह पैदा फरमाया कि उनके फरजंद एक दूसरे से नही मिलते जुलते फरमाया ऐ अब्दुल्लाह बिन अब्बास हक़ सुब्हानहु आज़म ने आदम अलैहिस्सलाम के रूए रौशन को मक्का मौज़्ज़मा की मिट्टी से बनाया सरे अनवर को बैतुल मुकद्दस की ख़ाक से मुसरगाने दिलिस्तान और चश्मे करम को दुनिया की ख़ाक से क़दम मोहतरम को हिंदुस्तान की ज़मीन से आज़ा को जजीरा सरंदीप की मिट्टी से और कमर को शहद की खाक से और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि बस ऐ अब्दुल्लाह अगर आदम"अलैहिस्सलाम"की ख़ाके पाक एक जगह से ली जाती तो आपके फ़रजंदों में से हर एक दूसरे से पहचाना न जाता सब एक ही शक़्ल के होते।*
(मआरिज नबुव्वत जिल्द1सफ़्हा25/मल्फूजात ख़्वाजा निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह तआला अलैहि सफ़्हा145)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की ख़मीर में खुशी का पानी कितना है और ग़म का पानी कितना है?
*जवाब- आपकी ख़ाक पाक पर चालीस दिनों तक बारिश होती रही चालीस दिनों में से उन्तालिस दिन रंज व ग़म का पानी बरसा और एक दिन खुशी व मुसर्रत का इसलिए बनी आदम को रंज व ग़म ज्यादा होते है और खुशी कम।*
(तफसीर नईमी जिल्द1सफ़्हा285)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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 पोस्ट(3)》* *______________________________________*

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की ख़मीर किस जगह तैयार की गई?
*जवाब- फ़रिश्तों ने अल्लाह तआला के हुक्म से मिट्टी का गारा उस जगह बनाया जहाँ आज बैतुलल्लाह शरीफ है।*
(तफसीर नईमी जिल्द1सफ़्हा285)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की ख़मीर में अल्लाह तआला ने कितने दिनों कारिगरी फरमाई?
*जवाब- खल्लाके काएनात अज्जे इस्मुहू ने चालीस दिनों तक जो कि दुनिया के चालीस हजार साल के बराबर है ख़ास अपने दस्ते कुदरत से तख्मीर व कारिगरी फरमाकर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के क़ालिब को तैयार किया और उनकी एक ऐसी हसीन व जमील सूरत बनाई कि आँखें हैरत से आपके जमाल बाकमाल से फैल जाती थीं।*
(मआरिज नबुव्वत जिल्द1सफ़्हा25)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की सूरते जमीला कहाँ बनाई गई?
*जवाब- अल्लाह तआला ने आपकी सूरत की तख्लीक मक्का मौज़्ज़मा और ताएफ के दरमीयान वादी नौमान में अरफ़ात के पहाड़ से मुत्तसिन फ़रमाई।*
(तफ़सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा285)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम का पुतला तैयार होने के कितने साल बाद जान डाली गई?
*जवाब- आपका ढांचा तैयार होने के चालीस साल बाद उसमें रूह फूँकी गई दुसरा कौल यह है कि हजरत आदम अलैहिस्सलाम का ढांचा वजूदी चालीस साल तक चमकती मिट्टी की शक़्ल में रहा फिर चालीस साल तक स्याह गारे की शक़्ल में फिर चालीस साल तक खनकती मिट्टी की शक़्ल में रहा इस तरह एक सौ बीस साल का अरसा गुजर जाने के बाद ख़ालिके काएनात ने उसमें रूह फूँक दी और हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का वजूद बावजुद कज़ाए वजूद में आया और एक रिवायत यह भी है कि अल्लाह तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को चालीस हज़ार साल तक अपनी निगाह ख़ास में रखा।*
(ख़ज़ाईनुल इरफान पारा29/अलबिदाया जिल्द1सफ़्हा86/हाशिया जलालैन सफ़्हा483/मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा25)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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 पोस्ट(4)》* *______________________________________*

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइस किस दिन और किस जगह हुई?
*जवाब- आप जुमा के दिन उस जगह कतमे आदम से मनसए वजूद में आए जहाँ आज ख़ाना-ए-क़ाबा है।*
(तफ़सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा309व318)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को सबसे पहले किस फ़रिश्ते ने सज्दा किया?
*जवाब- सबसे पहले सिदरत नशीन जिब्राईल अलैहिस्सलाम अमीन ने सज्दा किया फिर मीकाईल अलैहिस्सलाम ने फिर इसराफील अलैहिस्सलाम ने फिर इजराईल अलैहिस्सलाम ने फिर सारे फ़रिश्तों ने सज्दा किया ताअत में सबक़त करने की वजह से रूहुल अमीन को सबसे बड़ा दर्जा अता किया गया यानी ख़िदमते अंबिया अलैहिस्सलाम और तफ़सीर नईमी ही में तफसीर रुहुल बयान के हवाले से मस्तूर व मज्कूर है कि बाज़ हज़रात फरमाते है कि सबसे पहले हज़रत इसराफील अलैहिस्सलाम ने सज्दा किया इसी वजह से उनकी जबीं मुबारक पर सारा कुरआन लिख दिया गया।*
(ख़ज़ाईनुल इरफान पारा1रुकू4/तफ़सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा309)

सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम को किया जाने वाला सज्दा कितनी देर का था?
*जवाब- इस मुताल्लिक आइम्मा तफ़सीर इख्तिलाफ रखते हैं(1)यह सज्दा रोज़े जुमा वक़्ते जवाल से असर तक किया गया(2)फ़रिश्ते सौ बरस तक सज्दे में गिरे रहे(3)मलाइका पाँच सौ बरस तक सज्दे में गिरे रहे।इन मुख्तलिफ कौलों को इस तरह जमा किया जा सकता है कि अवल्लन मलाइका ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम को सज्दा किया जिसका इब्लीस पुरतब्लीस ने इंकार किया यह सज्दा थोड़ी देर तक रहा फिर फ़रिश्तों ने सर उठाकर देखा कि शैतान नाफ़रमान हजरत आदम अलैहिस्सलाम की तरफ पीठ फेरे खड़ा है तब उन्होंने दुसरा सज्दा किया इस सज्दे की तौफीक रफ़ीक के शुक्र में यह सज्दा रब्बुल अरबाय जल्लेअला के लिए था और सज्दा-ए-शुक्र था फिर जब मलाइका मुकार्रिबीन साजिदीन ने सर उठाकर देखा तो शैतान मरदूद मतरूद और मक़हूर हो चुका है सूरत मसख़ होकर खिंजीर का सा जिस्म और बंदर का चेहरा हो गया तब फ़रिश्तों ने हैबते इलाही से एक सज्दा किया ये तीन सज्दे हजरत आदम अलै हिस्सलाम की ही तरफ थे लेकिन तीनों अलग अलग किस्म के और उनकी मुद्दते अलैहिदा अलैहिदा।*
(ख़ज़ाईनुल इरफान पारा1रुकु4/तफ़सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा309/सावी जिल्द1सफ़्हा492/तफ़सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा310)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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पोस्ट(5)》* *______________________________________*

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को किस शान व शौकत के साथ जन्नत में पहुँचाया गया और कितने फरिश्तें आपके हमराह थे?
*जवाब- आपको सत्तर हजार जन्नती हल्ले पहनाए गए एक बहुत खूबसूरत ताज सर पर रखा गया कमर को जवाहर व जवाहारात से मुज़य्यन तख्त आली बख्त पर बिठाकर धीरे-धीरे बाग़ाने जन्नत पहँचाया गया इस तरह सात लाख मलाइका बाए सात लाख दाए सात लाख आगे पीछे सलवात व तहय्यात पेश कर रहे थे।*
(मआरिजनबुव्वत सफ़्हा39)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत में किस पेड़ का फल खाने से मना फरमाया गया था?
*जवाब- इस बारे में मुख्तलिफ रियायतें है(1)गेहूँ का पेड़ था(2)वह इंजीर का पेड़ था(3)वह पेड़ अंगूर का था(4)कोई ऐसा पेड़ था जिसके खाने से रफ़ाए हाजत की जरूरत होती है और जन्नत गंदगियों से पाक है(5)या वह खजूर का पेड़ था उल्मा-ए-अहले सुन्नत के नजदीक पहले कौल को तरजीह हासिल है।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा220/अलबिदाया वन्निहाया जिल्द1सफ़्हा74)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम व हजरते हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा में से पहले किसने शजरे ममनू का फल खाया और कितना खाया?
*जवाब- हज़रत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा ने शजरे ममनू के सात खोशे तोड़े थे पहले एक खुद ने खाया पाँच हजरत आदम अलैहिस्सलाम को दिए और एक महफ़ूज रखा।*
(मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा43)

सवाल- जन्नत का गेहूँ कितना बड़ा था?
*जवाब- जन्नत का गेहूँ बैल के गुर्दे के बराबर था शीरए शहद से ज्यादा शीरीं और मक्खन से ज्यादा लज़ीज दिल अज़ीज था।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा320)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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पोस्ट(6)》* *______________________________________*

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने शजरे ममनू का जो फल खाया था वह आपके शिकमे अतहर में कितने दिनों तक रहा?
*जवाब- हज़रते अली रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हु फरमाते है कि एक रोज हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में कुछ यहूदी आए और पूछा या रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम)हमने तौरेत में लिखा देखा है कि आपकी उम्मत पर तीस रोज़े फ़र्ज़ किये गये हैं आपने फरमाया यह बात सही है क्योंकि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने बहिश्ते बरी में जो दाना गंदुम शीरीं खाया था वह आपके शिकमे अतहर में तीस रोज़ तक रहा इस लिए तीस रोज़े फ़र्ज़ किये गए ।*
(महफ़ूजत हज़रत निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैहि सफ़्हा53)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के तने नूरी से जन्नती लिबास उतर जाने के बाद किस पेड़ के पत्तों से आपने सतरपोशी की?
*जवाब- शजरे ममनू का दाना खाना था कि हल्ले नूरी जसदे नूरी से जुदा हो गए आप रोने लगे और अज़ खुद जल्दी में बदन एमन छिपाने को जिस तरफ जाते वह पेड़ आपसे दूर होते आखिर आप इंजीर के चार पत्तो से जिस्म मुबारक को छिपाकर फिर अल्लाह तआला का ख़िताब हुआ अब बहिश्त से बाहर तशरीफ ले जाइए हज़रत आदम अलैहिस्सलाम आँखो में आँसू और सीने में गम लिए हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा का हाथ थामे बाहर तशरीफ लाए और बाज़ उल्मा ने यह भी कहा है कि आपने ऊँन के पेड़ पत्तों से सतरपोशी की थी।*
(मआरिजनबुव्वत सफ़्हा44)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और हजरत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा जन्नत से दुनिया में किस जगह उतारे गए?
*जवाब- इस बारे में अइम्मा तफ़सीर व मार्रिख़ीन पाकीज़ा तहरीर इख्तिलाफ रखते है कि हजरत आदम अलैहिस्सलाम व हजरते हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा जन्नत से दुनिया दारुल मलाम में कहाँ उतारे गए(1)हज़रत आदम अलैहिस्सलाम हिंदुस्तान में शहर सरंदीप के उस पहाड़ पर उतारे गए जिसको"नूद"कहते हैं हज़रत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा साहिल दरियाए हिंद पर लाई गयीं इसलिए महतब हव्वा का नाम जद्दा रखा गया और मोर को मरजुल हिंद में शैतान को नेसान में जो कि बसरा से कुछ फ़ासले पर है या जहाँ अब याजूज व माजूज की दिवार क़ायम है और साँप को बहिस्तान या असफ़हान में फेंका गया(2)हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हु फरमाते है कि हजरत आदम अलैहिस्सलाम को सफ़ा पर और हज़रते हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा को मरवा पर उतारे गए(3)हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हु फरमाते है कि हिंद के शहर वहना में उतरे(4)एक रिवायत है कि हजरत आदम अलैहिस्सलाम मक्का और ताएफ़ के दरमियान उतरे(5)बाज़ो ने यह भी कहा है कि हजरत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा मुज़दलफा पर उतारी गयीं और बाज़ ने कहा अरफा पर और इब्लीस ख़सीस को अबला पर जो बसरा या जद्दा के करीब एक पहाड़ है।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा330/हाशिया जलालैन सफ़्हा131)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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पोस्ट(7)》* *______________________________________*

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत में कितनी मुद्दत तक रहे?
*जवाब- इस ताल्लुक से इअम्मा तफ़ासीर के कई कौल है(1)आप बरोजे क़यामत के आधे दिन रहे जिसकी मिक्दार दुनिया के दिनों से पाँच सौ साल है(2)आप दोनो खुल्दे बरी में एक साअत रहे जन्नत की यह एक साअत एक सौ तीस साल की बराबर है(3)आप दोनों की फिरदौसे बरी में इकामत की मद्दत सौ साल है(4)बाज़ रिवायतों में मुद्दत इकामत साठ साल है।*
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द1सफ़्हा80)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने दौराने कयाम जन्नत में सबसे पहले कौनसा फल तनावुल फरमाया?
*जवाब- फिरदौसे बरी में आपने जो सबसे पहले फल तनावुल फरमाया वह अंगूर,इंजीर या ख़ूरमा था।*
(मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा 41)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से क्या क्या चीज़ साथ लाए?
*जवाब- वह चीज़े यह है(1)हज़रे असवद(2)आसाए मूसवी"हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का असा(3)हथौड़ा(4)संडासी(5)ईरन(6)कुछ सोना चाँदी(7)मुख़्तलिफ किस्म के बीज़(8)तीन किस्म के फल एक वे जो पूरे खाए जाते हैं जैसे सेब और दूसरे वह जिनका ऊपरी हिस्सा खाया जाता है और गुठली फेंक दी जाती है जैसे छुआरे वगैरह तीसरे वह जिनका ऊपरी हिस्सा फेंक दिया जाता है और अंदरूनी हिस्सा खाया जाता है जैसे सन्तरा वगैरह(9)जन्नती पेड़ो की पत्तियाँ या फूलों की पंखड़ियाँ(10)बेलचा(11)कुदाल(12)कंदर या सनोवर(13)ऊद"ख़शबूदार लकड़ी"(14)अंगुश्तरी"सुलैमान अलैहिस्सलाम की अंगूठी"।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा 330/तब्काते इब्ने साअद/सावी जिल्द1सफ़्हा30)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और हजरत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा के दरमियान कितने सालों तक जुदाई रही?
*जवाब- तीन सौ साल जुदाई रही और दुसरी रिवायत के मुताबिक दो सौ साल जुदाई रही और रिवायत यह भी है कि सौ साल तक दोनों गुरबत और बेचैनी में मुब्तला रहे।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द2सफ़्हा297/मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा240)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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पोस्ट(8)》* *______________________________________*

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और हजरत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा की मुलाकात किस जगह हुई और किस तरीख को हुई?
*जवाब- अल्लाह तआला ने तौबा कुबूल करने के बाद आप दोनों को9जिलहिज्जा को मिलाया क्योंकि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने हजरते हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा को पहचाना इसलिए उस रोज मुसर्रत अफ़रोज़ का नाम अरफ़ा रखा गया और जहाँ मिलाया उस मुकाम का नाम अरफात मशहूर हुआ।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द2सफ़्हा297)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का क़द कितना लंबा था और जिस्मे अतहर की चौड़ाई कितनी थी?
*जवाब- आप के क़दे सरमद की दराज़ी साठ हाथ थी आप जब खुल्दे बरीं से रौनक अफ़रोज दारे दुनिया हुए तो आप बहुत बुलंद कामत और लंबे बदन के थे कि पाए पाक आप का जमीन पर था और सर अक्दस आसमान से लगा हुआ फिर क़ादिर मुतलक़ ने आपके क़द को छोटा कर दिया यहाँ तक कि साठ हाथ रह गया और आपके जसदे नूरी की चौड़ाई सात हाथ थी।*
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द1सफ़्हा88से92)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम दुनिया में तशरीफ लाने के बाद कितने दिनों तक भूखे रहे?
*जवाब- चालीस रोज़ तक कुछ नही खाया एक रिवायत में चालीस साल का जिक्र है।*
(मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा47)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पैदल कितनी बार खाना-ए-काबा की जियारत के लिए गए थे?
*जवाब- आप कोह सरंदीप से या प्यादा से चालीस बार खाना-ए-काबा की जियारत को गए।*
(तारीख फिल कामिल जिल्द1सफ़्हा51)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जब जियारते बैतुल्लाह को चलते तो हर कदम मोहतरम का फासला कितना होता?
*जवाब- आप जब जियारते खाना-ए-काबा को चलते तो हर कदम मोहतरम का फासला पचास फरसख़ के बराबर होता था और एक रिवायत में है कि तीन दिन रात की मुसाफ़त का होता था।*
(मआरिजनबुव्वत सफ़्हा51)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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 पोस्ट(9)》* *______________________________________*

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम अपनी ख़ता पर कितने सालों तक रोते रहे?
*जवाब- आप तीन सौ साल तक इस क़द्र अश्कबार रहे कि हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को भी आपके रोने पर रोना आता और उन्होंने बारगाहे इलाही में आपकी सिफ़ारिश व शफाअत की और वह भी अक्सर हदीसों से साबित है कि अगर तमाम रूए ज़मीन के रोने वाले जमा किए जाए तो गिरया हज़रत आदम अलैहिस्सलाम बढ़ा हुआ होगा और तफ़सीर अलम नशरह में है आप अपनी जिल्लत पर दो सौ साल रोए और एक रिवायत के मुताबिक आप एक सौ अस्सी साल तक रोते रहे सत्तर साल तो पेड़ खाने पर सत्तर साल अपनी ख़ता पर और चालीस साल कतले हाबील पर और एक रिवायत में तीन सौ सत्तर साल है इन कौलो में पहले कौल तर्बियत दि जाती।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा337से339/तफ़सीर अलम नशरह सफ़्हा78/अलबिदाया वन्निसाया जिल्द1सफ़्हा80/मलफूजात ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह सफ़्हा142)

सवाल- हज़रत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा कितनी बार हामला हुई और कितनी औलादों से सरफराज हुई?
*जवाब- इस मुतालिक अकवाल वारिश है जो इस तरह है(1)बाद इत्तिसाल आदम हज़रत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा बीस बार हामला हुई और हमल में एक लड़का एक लड़की विलायत होती यानी कुल चालीस बच्चे(2)हज़रत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा के हर हमल से दो बच्चे होते मगर हज़रत शीस अलैहिस्सलाम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के अजदाद में से हैं इस लिए आप तन्हा पैदा हुए यानी कुल उन्तालिस बच्चे बीस साहबज़ादे और उन्नीस साहबज़दियाँ(3)चालीस बार हामला हुई और अस्सी बच्चे पैदा हुए(4)एक सौ बीस बच्चे पैदा हुए।*
(अल अतक़ान जिल्द2सफ़्हा2/तफ़सीर नईमी जिल्द4सफ़्हा416/तफ़्सीर अलम नशरह सफ़्हा78/मआरिजनबुव्वत सफ़्हा61)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के बच्चों के नाम क्या है?
*जवाब- बाज़ के नाम जो मिल सके है वह यह लिखे है"बच्चों के नाम"(1)क़ाबील(2)हाबील(3)आयत(4)शबूआ(5)हिंद(6)सरावीस(7)क़हूर(8)सनक(9)वारक़(10)शीस अलैहिस्सल्लाम(11)अब्दुल मुगीस(12)अब्दुल हारिस(13)वद(14)सवाअ(15)यगूस(16)यऊक(17)नसर(18)अब्दुल्लाह(19)उबैदुल्लाह(20)उबैदुर्रहमान।*
(अल अतक़ान फ़ी उमूमुल कुरआन जिल्द2सफ़्हा190/हाशिया जलालैन सफ़्हा146)
*बच्चीयों के नाम(1)अक़्लीमा(2)अशोर(3)जज़ूरा(4)अजूरा(5)उम्मे मुगीस(6)ल्यूदा।*
(अल अतक़ान जिल्द2सफ़्हा190/ख़जाइनुल इरफान पारा6रूकु9)
*______________________________________*
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
*______________________________________*



पोस्ट(10)》**______________________________________*
सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को कितनी ज़बानों का इल्म था और कितने पेशों में महारत रखते थे?
*जवाब- आपको सात लाख ज़बानों का इल्म था और एक हज़ार पेशों में महारते ताम्मा रखते थे मगर आपने खेती बाड़ी का पेशा इख्तियार फरमाया।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा291)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने सबसे पहले किस चीज की काश्तकारी की उसका बीज कहाँ से आया और बीजों की तादाद कितनी थी और वज़न कितना था और फिर उसकी फसल कैसी हुई?
*जवाब- आपने हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सल्लाम के जन्नत से लाए हुए गेहूँ के सात दानों की काश्त फरमाई अल्लाह तआला ने हर दाने के बदले एक लाख दाने उगाए और एक रिवायत में है कि हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम तीन दाने लाए उसमें से दो दाने आपने बोए जिससे गेहूँ की फ्सल हुई और एक दाने को हजरते हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा ने बोया जिससे जौ की फ़सल हुई और इन काश्त किए दानों का वज़न एक लाख आठ सौ दिरहम या एक हज़ार आठ सौ दिरहम का है।*
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द1सफ़्हा292/मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा48,49)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने सबसे पहले जो रोटी बनाई उसकी लम्बाई चौड़ाई क्या थी?
*जवाब- गेहूँ की फ्सल कटने के बाद आपने जो उसकी जो रोटी बनाई उसकी लंबाई और चौड़ाई पाँच सौ गज थी।*
(मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा49)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने दुनिया पर सबसे पहले किस चीज़ का लिबास पहना?
*जवाब- आपने इस दार दुनिया में सबसे पहले जो लिबास ज़ेबतन फरमाया वह भेड़ के बालों का था जिसे खुद तैयार किया था अपने लिए एक जुब्बा और हज़रते हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा के लिए एक लिफ़ाफा कमीज की तरह और एक ओढ़नी।*
(अलबिदाया जिल्द1सफ़्हा92/मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा48)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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पोस्ट(11)》* *______________________________________*
सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की ज़बान कौनसी थी?
*जवाब- आपकी ज़बान खुल्दे बरीं में अरबी थी जब बहिश्त से मुसीबतगाह दुनिया में तशरीफ लाए तो अरबी ज़बान सलब करली गई या भुला दी गई तोबा की कुबूलियत से पहले आप सुरयानी ज़बान में बातचीत फरमाया करते थे तोबा कुबूल होने के बाद फिर अरबी ज़बान जन्नत निशान अता हुई।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा349/मलफूजात ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैहि सफ़्हा8)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जब जन्नत में मुक़ीम थे उस वक़्त आपकी दाढ़ी कितनी लंबी थी और रंग कैसा था?
*जवाब- आप जब फ़िरदौसे बरीं में रहते थे उस वक़्त आपकी दाढ़ी मुबारक की लंबाई नाफ़ तक थी और वह बिल्कुल स्याह थी।*
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द1सफ़्हा97)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से दुनिया में तशरीफ लाए तो आपके जिस्म पाक के रंग में क्या तब्दीली हुई?
*जवाब- आप जब जन्नत से दुनिया में तशरीफ लाए तब आपके जिस्म मुबारक का रंग स्याह हो गया तोबा कुबूल होने के बाद आपको हुक्मे हुआ कि चाँद की तेरहवीं चौदहवीं और पंद्रहवीं का रोजा रखें चुनाँचे आपने ये रोज़े रखे और दिन तने रश्क चमन का तिहाई हिस्सा असल रंग पर आता रहा और पंद्रहवी तारीख को तमाम जिस्म पाक अपने असल रंग पर आ गया।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा339/मलफूजात ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैहि सफ़्हा8)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने अपनी उम्र में से किसको उम्र अता फरमाई और कितनी?
*जवाब- आपने अपनी उम्र में से चालीस साल हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम को अता कर दिए और फिर भूल गए इस वजह से बनी नौ इंसान में सहु व निसयान की बीमारी पैदा हो गई"इसका तफ़्सीली वाक़िआ यूँ है"कि जब परवरदिगार आलम ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम की पुश्त मुबारक से तमाम जुर्रियत आदमी की रुहें निकाली और अपनी रबूबियत व लिल्लाहियत का इक़रार लिया बनी आदम के इस इज्तिमा में हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने एक को खूब तर व ताजा और नुरानी देखकर पुछा खुदाया इनका नाम क्या है अल्लाह तआला ने जवाब दिया दाऊद है अर्ज की अल्लाह इनकी उम्र क्या है फरमाया साठ साल अर्ज की खुदाया इनकी उम्र और बढ़ा दे फरमाया नहीं हाँ अगर तुम अपनी उम्र से कुछ देना चाहो तो दे सकते हो अर्ज की बंदा नवाज़ मेरी उम्र कितनी है फरमाया एक हज़ार साल अर्ज की खुदावंद मेरी उम्र से चालीस साल दे दिए जाएं लिहाज़ा दे दिए गए और इस लेन-देन को लिख लिया गया जब आपकी उम्र शरीफ नौ सौ साठ साल हुई तो मलकुल मौत रूह क़ब्ज़ करने की ग़र्ज़ से हाजिर हुए तो हज़रत आदम अलैहिस्सलाम गोया हुए ए मेरे अल्लाह मेरी उम्र में से अभी तो चालीस साल बाकी है फरमाया वह तुम तो अपने बेटे दाऊद को दे चुके हो फिर जिसमें वह लेन देन लिखा हुआ था आपको दिखाया गया।*
(इब्ने कसीर पारा3रूकु7/मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा55)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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पोस्ट(12)》* *______________________________________*
सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम मर्जुल में कितने दिन मुब्तला रहे?
*जवाब- आपने ग्यारह दिन मर्जुल वफ़ात में मुब्तला रहकर आलमे विसाल की तरफ कूच फरमाया।*
(अलकामिल फ़ी तारीख़ जिल्द1सफ़्हा30)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के इंतिकाल के वक़्त इंसानों की तादाद कितनी थी?
*जवाब- आपने जब इस दारे दुनिया से कूच फरमाकर जवारे रहमत इलाही में नुजूल किया तो उस वक़्त आपकी औलाद की तादाद एक लाख थी और एक रिवायत के मुताबिक उस वक़्त आपकी औलाद की तादाद चालीस हज़ार थी और एक रिवायत के मुताबिक आपके विसाल हक़ के वक़्त औलाद की तादाद सात लाख तक पहुँच चकी थी।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द4सफ़्हा416व340/मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा61)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को गुस्ल किसने दिया?
*जवाब- हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम जन्नत से बहिश्ती बेरी के कुछ पत्ते और मुकरक्कब खुश्बू अपने साथ लाए और खुद हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को गुस्ल दिया।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा332)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तज़हीज़ व तकफ़ीन किसने की और कफ़न कहाँ का था और कितने कपड़ो का था?
*जवाब- आपकी तज़हीज़ व तक़फीन जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने की और कफ़न जन्नत के हल्ले का था जो हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ही लेकर आए थे आपका कफ़न तीन कपड़ो का था।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा44/हाशिया जलालैन1/13)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की नमाज़े जनाज़ा किस जगह और किसने पढ़ाई और पढ़ाई जाने वाली तकबीरों की तादाद कितनी थी?
*जवाब- तज़हीज़ व तकफ़ीन के बाद आपकी लाश मुबारक को फ़रिश्ते खाना-ए-काबा लाए एक रिवायत में यह भी वारिद है आपकी लाश मुबारक को आपकी औलाद में से सो डेढ़ सौ आदमी काबा में लाए और हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सल्लाम की इमामत में मलाइका ने नमाज़ अदा की नमाज़ में पढ़ी जाने वाली तकबीरों की तादाद चार थी और एक रिवायत के मुताबिक नमाज हज़रत शीस अलैहिस्सलाम ने पढ़ाई और पढ़ी जाने वाली तकबीरों की तादाद तीस थी पाँच तकबीरे नमाज की और पच्चीस तकबीरें आपके नाज़ व एज़ाज़ में पढ़ी गयीं और एक कौल तीन तकबीरों का भी है।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा332/अलबिदाया वन्निहाया सफ़्हा98/अल कामिल फ़ी तारीख जिल्द1सफ़्हा22/मआरिजनबुव्वत जिल्द1सफ़्हा63)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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पोस्ट(13)》आखिरी* *______________________________________*
सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की कब्र मुबारक कहाँ है?
*जवाब- अइम्मा तफ़सीर व मार्रिख़ीन पाकीज़ा तहरीर इस बारे में इख्तिलाफ रखते हैं कि आपकी मुबारक क़ब्र कहाँ है पहला कौल यह है कि आपकी क़ब्र मक्का मौज़्ज़मा से तीन मील फ़ासले पर मुकामें मिना में जहाँ कि हाजी लोग कुर्बानी करते हैं इसी जगह पर हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने हजरते इस्माईल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी पेश की थी यही मस्जिद ख़ैफ से मिली हुई आपकी क़ब्र शरीफ है दुसरा कौल यह है कि आपकी क़ब्र शरीफ कोह सरंदीप में है और तीसरा कौल यह है कि आपकी क़ब्र शरीफ उस पहाड़ पर है जिसपे आप जन्नत से उतारे गए थे चौथा कौल यह है कि आपकी क़ब्र अनवर ग़ारे ज़बल अबू काब़ीस में है जिसे गारुल कुबरा कहते हैं और पाँचवाँ कौल यह है कि इब्ने जरीर कहते है कि हजरत नूह अलैहिस्सलाम ने तूफान के मौके पर आपके और हज़रत हव्वा रज़ियल्लाहु-तआला-अन्हा के ताबूत शरीफ को बैतुल मुकद्दस में लाकर दफ़न फरमाया छटा कौल यह है कि इब्ने असाकर ने कहा आप का सर अक्दस मस्जिदे इब्राहिम के पास और पाँव मुबारक सखरए बैतुल मुकद्दस के पास है।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द1सफ़्हा332/मआरिजनबुव्वत सफ़्हा46/हाशिया जलालैन4/131/अल कामिल फ़ी तारीख जिल्द1सफ़्हा22/अलबिदाया जिल्द1सफ़्हा98)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के इंतिकाल पर मख़्लूक कितने दिनों तक रोती रही?
*जवाब- जब आपकी वफात हुई तो सात दिनों तक मख़्लूक रोती रही और इतने ही दिन चाँद और सुरज ग्रहन में रहे।*
(अलबिदाया वन्निहाया जिल्द1सफ़्हा98,99)

सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की उम्र कितनी हुई?
*जवाब- आपकी उम्र शरीफ से मुतालिक कई कौल हैं जिसकी तफ़्सीर यह है(1)इमाम नुव्वी रहमतुल्लाह तआला अलैहि के नजदीक हजार साल तक रुए ज़मीन पर आपका जिंदा रहना मशहूर है(2)इब्ने अबि ख़ैसमा की तहकीक यह है कि आप नौ सौ साठ साल जिंदा रहे(3)आपकी उम्र शरीफ नौ सौ चालीस साल हुई(4)आपकी उम्र शरीफ नौ सौ छत्तीस साल हुई(5)आपकी उम्र शरीफ लौहे महफूज में एक हज़ार साल है और तौरेत शरीफ में नौ सौ तीस साल।*
(अल अतक़ान जिल्द2सफ़्हा175/इब्ने कसीर पारा1/अलबिदाया जिल्द1सफ़्हा99)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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⚪हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम का बयान⚪

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    *《हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम》*
            *《का बयान पोस्ट(1)》*
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सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का जमाना हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम से कितने साल पहले है?
*जवाब- आप का जमाना हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की विलायत से सत्रा सौ साल पहले है।*
📚(हाशिया जलालैन 8/275)

सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के वालिद और वालिदा का नाम करता है?
*जवाब- आपके वालिद हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम हैं और वालिदा मौहतरमा का नाम औरय्या है।*
📚(अल विदाया 2/15)

सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का सिलसिला नसब किन वास्तों से इब्राहिम अलैहिस्सलाम तक पहुंचता है?
*जवाब- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम तक आपका सिलसिला नसब यूं है सुलैमान बिन दाऊद बिन ईशान बिन औवद बिन वाइर बिन सलमून बिन बख़शून बिन अमी बिन यारव बिन ख़ज़रून बिन फ़ारस बिन यहूदा बिन याकूब बिन इस्हाक बिन इब्राहिम अलैहिमुस्सलाम।*
📚(अल अतक़ान फी उलूमुल क़ुर‌आन 2/178)

सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम की कितनी बीवियां थीं?
*जवाब- आपकी एक हजार बीवियां थीं जिनमें तीन सौ कुंवारियां और सात सौ बांदियां थीं।*
📚(अल कामिल फ़ी तारीख़ 1/89)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
*(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)*
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    *《हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम》*
            *《का बयान पोस्ट(2)》*
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सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम को अपनी तमाम बीवियों में सबसे ज्यादा एतिबार किस बीवी पर था?
*जवाब- आपको अपनी तमाम बीवियों में सबसे ज्यादा एतिबार "जरादा" नामी बीवी पर था रफ़‌अ हाजत के लिए जाते तो अपनी अंगूठी उनको सौंप जाते।*
📚(इब्ने कसीर 23/8)

सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम कितनी उम्र में हुकूमत की गद्दी पर बैठे थे?
*जवाब- आप तेरह साल की उम्र में तख़्ते सल्तनत पर बैठे थे और एक रिवायत में बारह साल का जिक्र है।*
📚(अल अतक़ान फी उलूमुल कुर‌आन 2/178/ख़ज़ाइनुल इरफान 22/8/मदारिज नबुव्वत 1/61)

सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का लश्कर देख कर जिस चींटी ने कहा था ऐ चींटियो अपने बिलों में घुस जाओ कहीं हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम और उनका लश्कर तुमको कुचल न दे उस चींटी का नाम कया था?
*जवाब- उस चींटी का नाम ताखिया था और हज़रत हसन फरमाते हैं कि उसका नाम ख़रस था यह बनूं शैसान के कबीले से थी एक कौल यह भी है कि उस चींटी का नाम मंज़रा या ताहिया था।*
📚(शाने हबीबुर्रहमान 123/इब्ने कसीर 19/17/बैनस्सतूर जलालैन 318)

सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के साथ चींटियों का यह वाकिया किस जगह पेश आया?
*जवाब- यह वाकिआ शाम या ता‌एफ में से उस वादी में पेश आया जहां चींटियां बकसरत थीं।*
📚(ख़ज़ाइनुल इरफान 19/17)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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    *《हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम》*
            *《का बयान पोस्ट(3)》*
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सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के बारे में बात करने वाली यह चींटी बनावट के लिहाज से कैसी थी?
*जवाब- वह चींटी लंगड़ी थी बाज़ के कहते हैं कि यह चींटी मक्खियों की तरह परदार थी।*
📚(खज़ाइनुल इरफान 19/17/अल अतक़ान फी उलूमुल कुर‌आन 3/185/इब्ने कसीर 19/17)

सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने चींटी की इस बात को कितनी दूरी से सुन लिया था?
*जवाब- आपने चींटी की बात तीन मील दूर से ही सुन लिया था।*
📚(ख़ज़ाइनुल इरफान 19/17)

सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम को उस चींटी ने क्या हदिया पेश किया?
*जवाब- उस चींटी ने एक बैर बतौर हदिया पेश किया।*
📚(जमूल 3/368)

सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम से उस चींटी ने पूछा कि आपके वालिद का नाम दाऊद और आपका नाम सुलैमान क्यों गया?
*जवाब- इस चींटी ने आपसे मालूम किया कि आपके वालिद मोहतरम हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का नाम दाऊद क्यों रखा गया आपने फ़रमाया मुझे मालूम नहीं चींटी ने जवाब दिया"दावा यदावा मुदावा बमानी ईलाज"आपके अब्बा हुजूर ने अपने दिल का ईलाज किया इसलिए दाऊद नाम हुआ उस चींटी ने फ़िर से पूछा अच्छा यह बताइए कि आपका नाम सुलैमान क्यों रखा गया आपने फ़रमाया मुझे मालूम नहीं चींटी ने कहा सुलैमान बमानी सलीम व सलामती वाले आप सलीमुल कल़्ब वस्सुदूर हैं इसलिए आपका नाम सुलैमान रखा गया।*
📚(रूहुल मानी 19/179)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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    *《हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम》*
            *《का बयान पोस्ट(4)》*
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सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम और उल्लू के बीच जो सवाल जवाब हुए उनकी तफसील क्या है?
*जवाब- हज़रत इब्ने मस‌ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि आप फरमाते है कि एक दिन उल्लू हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम की खिदमत में हाज़िर हुआ सलाम व जवाब के बाद बात चीत यूं हुई.*
*हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया• ऐ उल्लू तू खेत की चीजें क्यों नहीं खाता? उल्लू ने जवाब दिया• इसलिए कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम इसी की वजह से बहिश्ते बरीं से निकाले ग‌ए। हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया• तू पानी क्यों नहीं पीता? उल्लू ने जवाब दिया• इसलिए की हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कौम उस्सी में ग़र्क हुई थी। हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया• तू आबादी में क्यों नहीं रहता? उल्लू ने जवाब दिया• इसलिए कि खंडरात और जंगल अल्लाह त‌आला मीरास है। जैसा कि फ़रमाने खुदावंदी है तर्जुमा: और कितने शहर हमने हलाक कर दिए जो अपनी ऐश पर उतर ग‌ए थे तो यह हैं उनके मकान कि उनके बाद उनमें सकूनत न हुई मगर कम और हम ही वारिस हैं। हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया• ऐ उल्लू जब तू वीरान जंगलों में बैठता है तो क्या कहता है? उल्लू ने जवाब दिया• में उस वक़्त यह कहता हुं ऐं इस बस्ती के रहने वालों तुम्हारी खुश ऐशी कहां चली ग‌ई। हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया• जब तू वीरान खंडरात से गुजरता है तो क्या कहता है? उल्लू ने जवाब दिया• में उस वक़्त कहता हूं बनी आदम के लिए अफ़सोस का मकाम है उनपर अज़ाब आ रहे हैं और वह उन अज़ाब व इक़ाब और सख़्तियों से ग़ाफिल होकर सोए हुए हैं। हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया• ऐ उल्लू तू दिन को क्यों नहीं निकलता रात को क्यों निकलता है? उल्लू ने जवाब दिया• इसलिए कि औलादें आदम एक दुसरे पर ज़ुल्म ढाते हैं। हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया• अच्छा तू मुझे यह बता कि जब तू बोलता है तो क्या कहता है? उल्लू ने जवाब दिया• में कहता हूं ऐ गफलत की नींद सोने वालों आख़िरत के लिए कुछ तैयारी कर लो और सफ़रे आखिर के लिए हर वक़्त तैयार रहो पाक है नूर पैदा करने वाला। इस बात चीत के बाद हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया वनी आदम के लिए उल्लू से ज्यादा नसीहत और शफ़्क़्क़त करने वाला कोई परिन्दा नहीं।*
📚(हयातुल हैवान2/651)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
📚(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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    *《हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम》*
            *《का बयान पोस्ट(5)》*
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सवाल- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम की हुदहुद का नाम क्या है जिसने मलका सबा बिल्क़ीस की खबर दी थी?
*जवाब- उसका नाम अन्फर था एक रिवायत में है कि उसका नाम अंबर है और एक रिवायत में याफ़ूर है।*
📚(इब्ने कसीर 15/19/व19/17/हाशिया जलालैन 23/318)

सवाल- हजरत बिल्कीस के वालिद और वालिदा का नाम क्या था?
*जवाब- आपके वालिद का नाम शराहील और वालिदा का नाम फारिआ था इब्ने जरीह कहते हैं कि आपके वालिद का नाम ज़िशर्ख़ और वालिदा का नाम बलता था एक कौल यह भी है कि वालिद का नाम शराहिल बिन मालिक बिन रय्यान और वालिदा का नाम क़ारिआ या रेहाना बिन्ते असकन था।*
📚(इब्ने कसीर 19/17/हाशिया जलालैन 9/319)

सवाल- हज़रत बिल्क़ीस ने हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के पास बतौर इम्तिहान कौन कौन से तोहफ़े भेजे थे?
*जवाब- जब बिल्क़ीस के पास हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का ख़त पहुंचा तो उन्होंने बतौर इम्तिहान कुछ तोहफ़े भेजे कि मालूम हो जाए कि हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम बादशाह है या नबी क्योंकि बादशाह इज़्ज़त व एहतिराम के साथ हदिया कुबूल करते हैं अगर वह बादशाह है तो हदिया कुबूल कर लेंगे और अगर नबी है तो कुबूल नहीं करेंगे लिहाज़ा बिल्क़ीस ने पांच सौ गुलाम और पांच सौ बांदियां बेहतरीन लिबास और ज़ेवरों के साथ आरासता करके उन्हें ऐसे घोड़ों पर बिठाया जिनकी काठियां सोने की और लगामें जवाहरात जड़ी थीं पांच सौ ईंटें सोने की और जवाहरात से सजा एक ताज और मुश्क व अंबर वग़ैरह एक ख़त अपने क़ासिद के साथ रवाना किया।*
📚(ख़ज़ाइनुल इरफान 19/18)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
📚(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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    *《हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम》*
            *《का बयान पोस्ट(6)》*
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सवाल- हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम को जब हुदहुद ने यह इत्तिला दी कि बिल्कीस का क़ासिद तोहफ़े लेकर आने को है तो हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने क्या करने को फ़रमाया?
*जवाब- जब बिल्क़ीस का क़ासिद तोहफ़े लेकर रवाना हुआ तो हुदहुद सुलैमानी यह सारा मंजर देखकर चल दिया और हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम को सारा किस्सा सुनाया आपने हुक्म दिया कि सोने चांदी की ईंटें बनाकर नौ फरसख़ तक उन्हीं ईंटों की सड़क बना दी जाए और उसके इर्द गिर्द सोने चांदी के अहाते की बुलंद दीवार बना दी जाए व बर के ख़ूबसूरत जानवर दाएं बाएं हाज़िर किए जाएं चुनांचे आपके हुक्म की तामील फौरन की गई सोने चांदी की सड़क और दिवार बन गयी खुश्की व तरी के ख़ूबसूरत जानवर भी हाज़िर कर दिए ग‌ए इधर बिल्कीस का क़ासिद अपने ख्याल में बड़ा किमती तौहफा ला रहा था मगर जब उसने सोने चांदी की बनी सड़क पर क़दम रखा और इर्द गिर्द सोने चांदी की बनी बुलंद दिवार देखी तो शर्म के मारे पानी पानी हो गया और सोचने लगा कि मैं बिल्कीस का यह तोहफ़ा किस मुंह से हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम की खिदमत में पेश करूं।*
📚(ख़ज़ाइनुल इरफान 19/18/रूहुल बयान)

सवाल- तख़्ते बिल्कीस किस चीज़ का बना हुआ था और उसकी लम्बाई चौड़ाई कितनी थी?
*जवाब- हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु फरमाते हैं कि बिल्कीस का तख़्त सोने चांदी का बना हुआ था और बड़े बड़े किमती जवाहरात से जड़ा हुआ था उसकी लम्बाई चौड़ाई और ऊंचाई तीस तीस गंज थी हज़रत मतालिक फरमाते हैं कि उसकी ऊंचाई अस्सी हाथ थी बाज़ ने कहा है कि उसकी लम्बाई अस्सी हाथ थी चौड़ाई चालीस हाथ और ऊंचाई तीस हाथ थी।*
📚(हयातुल हैवान 2/213/इब्ने कसीर 19/18)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
📚(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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 ⚪हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का बयान⚪

Hazrat Moosa or Firoon (Part 1)
Abrani Zuban Me “MOO” Pani Ko Kehty Hen,or “SA” Darakht Ko Kehty Hen. Kyn K Hazrat Moosa as Hazrat Bibi Aasiya sa Ko Pani or Darkht K Darmiyan Se Mily Thy, To Bibi Aasiya sa Ne Isi Nisbat Se Apka Naam “MOOSA” Rakha Tha.

Firon Ik Zalim Maghror, Or Sarkish Insaan Tha. Hazrat Mosa as K Saamny Boht Se Mojzay Pesh Kiye Thy, Magr Wo Haq Ki Tarf Na Aaya. Hazrat Mosa as Ne Subse Pehly “ASA” Ka Mojza Pesh Kia Tha. Jb Wo Phenka To Wo Saanp (Snake) Ban Gaya Or Phir Usne Boht Barry Azdaha Ki Shakal Akhtiar Kr Li.

Firon Ne Hazrat Moosa as Se Kaha K Khudara Isy Sambhalo, Hazrat Mosa as Ne Jb Usy Haath Lagaya To Wo Dobara “ASA” Ban Gae. Firon Ne Kaha K Hazrat Mosa as Jadogar He. Is Lye Usne Hazrat Mosa as K Muqably K Lye Mulk K Bary Bary Jadogaron Ko Bulaya.

Jb Jadogar Aae Unhon Jb Apni Rasiyan Phenki To Wo Saanp Ban Gaen. Ye Dekh Kr Hazrat Mosa as Ne Apni “ASA” Phenki. Wo Bara Azdha Ban Gae Or Jadogaron K Khayali Saanpon Ko Khaa Gaya. Jb Jadogaron Ne Ye Manzar Dekha To Wo Jan Gae K Hazrat Mosa as Jadogar Nai He.

Hazrat Mosa as Ne Dosra Mojza “YAD A BYZA” Ka Pesh Kia K Jb Wo Apna Hath Apni Jaib (POCKET) Me Dalty Or Bahir Nikalty To Wo Chand Ki Tarah Chamakny Lagta.

Hazrat Mosa as Ne Firon Se Kaha K Wo “Bani Israel” Ki Ghulami Khatam Kr K Unhen Misar (Country) Jany Ki Ijazat De. Magar Firon Ne Hazrat Mosa as Ka Ye Mutalba Man’ny Se Inkar Kr Dia.
Firon K Wazeer “Hamaan” Ne B Kaha K Bani Israel Ki Azadi Firon Or Usk Khandan K Lye Nuqsan Sabit Hogi.

Hazrat Mosa as Ne Tesra Mojza Ye Pesh Kia K “Darya_e_Neel” Me Apna ASA Mara To Usme Toofan Aa Gaya.Itna Bara Tofan Aaya K Jis Se Misar Ki Tamam Fasleen Tabah Ho Gaen. Or Tmam Sardaron K Makan Zameen Pr Gir Pary. Mojzay Ki Baat Ye Thi K Us Tofan Se Ghareebon K Makanon Ko Nuqsan Nai Punhcha.
Jb Firon Ne Ye Manzar Dekha To Hazrat Mosa as Se Kaha K Is Toofan Ko Rok Do, Me Bani Israel Ko Azad Kr Dounga. Jb Hazrat Mosa as Ne Phir Se Darya_e_Neel Me ASA Phenki To Wo Toofani Selab Ruk Gaya.
Seelab Ruk Gaya Or Halat Mamol Pr Aa Gae. Magar Firon Ne Apna Wada Pora Na Kia or Bani Israel Ko Azad Na Kia.

Is K Bad Hazrat Mosa as Ne 4tha Mojza Dikhaya. Hazrat Mosa as Ne ALLAH J.J Se Dua Ki. Or Firon Ki Qoum “JOOAIN” Musalat Kein. Jo Unk Kapron Or Saron Me Dakhil Hogaen Or Sara Din Unko Kat’tein Rahtien Jis Se Unka Chain OR Sukon Khatam Hogaya. Jooain Itni Hogaen K Unk Khany Or Pani Me B Shamil Hogaen Jis Se Unka Jeena Dushwar Ho gaya.
Firon Hazrat Mosa as K Pas Aaya Or Kaha K Is Azab Se Chutkara Dilwao Me Bani Israel Ko Azad Krta Hon.
Hazrat Mosa as Ne Dua Ki Azab Khatam Hogaya Magar Firon Ne Apna Wada Pora Na Kia.
(CONTINUE)



HAZRAT MOOSA OR FIRON (PART 2)
Firon Ki Baar Baar Wada Khilafi Ki Waja Se Moosa as Ne Allah (J.J) Se Dua Ki Or Is Baar Allah j.j Ne Mandak Musalat Kiye.Unhone Firoon Or Uski Qoum K Gharoon Pr Hamla Kia.Manadak Unk Kapron, Khana or Pani Pr Charh Jaty Thy.Mandakon Ki Waja Se Unki Zindagi Ka Aaram Or Sukoon Khatam Hogaya. Firoon Ne Hazrat Moosa as Se Kaha K Allah Se Dua Kro Ye Azab Khatam Hojae. Me Bani Israel Ko Azad Kr Dounga.

Hazrat Moosa as Ne Dua Ki Azab Khatm Hogaya Magar Firon Ne Apna Wada Pora Krny Se Saaf Inkar Kr Dia.
Is K Baad Kuch Arsa Allah j.j Ne Koi Azab Nazil Na Kia Magar Wo Log Apni Galt Rawash Pr Qaim Rahy. Is K Baad Allah j.j Ne Ik Or Azab Nazil Kia.

Misar Par Barish Ka Aik Bhi Qatra Tak Na Barsa.Nehren Khushk Hogaen, Or Chashmoon Ka Pani Zair e Zameen Chala Gaya. Faslain Jal Gaen Or Pory Misar Me Qahat Chaa Gae. Firon Hazrat Moosa as K Pas Aaya Or Kaha K ALLAH j.j Se Dua Kro Khushk Sali Khatam Ho. Men Wada Krta Hon Bani Israel Ko Azad Krounga.

Hazrat Moosa as Ne Phir Allah j.j Se Dua Ki.Allah j.j Ne Barish Barsae Or Khushksali Khatam Hogae. Is K Baad Kae Saal Tak Khush Hali Rahy Magar Firon Ne Apna Wada Pora Na Kia.

Is K Baad Allah J.J Ne Zaala Bari Ka Azab Nazil Kia. Aasman Se Surkh Rang K Olay Barsae Jis Se Ahl e Sharik K Khait Or Faslain Jal Gae.

Phir Firon Ne Hazrat Moosa as Se Kaha K Ap Ye Azab Dour Kr Den Me Bani Israel Ko Azad Kr Dounga. Hazrat Moosa as Ne Dua Ki Azab Khatam Hogaya Magar Firon Ne Bani Israel Ko Azad Na Kia.

Hazrat Moosa as K Ailan e Nabowat Ko 40 SaaL Guzar Gae To Ap Firon Or Uski Qoum Se Mayous Hogae Or Khuda Se Dua Ki K Firoon Or Uski Qoum Dolat Ki Wajah Se Sarkash Hogae He Or Dolat Ki Wajah Se Bani Israel Ko Apna Ghulam Banaya Howa He. Ya Allah Inko Zaleel o Khuwar Kr Or Unki Dolat Ko Be Qamati Kr.

Allah Ne Hazrat Moosa as Ki Dua Qabool Ki Or Unk Sona, Chaandi Ko Pathron Me Tabdeel Kr Dia Or Hazrat Moosa as Se Kaha K Tum Bani Israel Ko Lekar Rat K Waqt Ye Mulk Chor Do.

Bani Israel Waly Darya e Neel K Pas Jama Hogae.Jb Firoon Ko Pata Chala To Wo Apny Lashkar Ko Lekar Darya e Neel Ki Tarf Barha. Bani Israel Khofzada Hogae Or Hazrat Moosa se Kaha K Pechy Dushman He Or Aagy Darya Hum To Marny Waly Hen.

Hazrat Moosa as Ne Kaha K Allah Ka Wada Bar Haq He Hum Khereyat Se Guzarengy.
Hazrat Yousha as Jo Hazrat Moosa as K Janasheen Thy Wo Aagy Barhy Or Pani Pr Chalny Lagy.Magar Kisi Or Ko Jurrat Na Hoe K Pani Pe Chal Saky.

Allah K Hukam Se Hazrat Moosa as Ne Apni ASA Darya Me Phenky Jis Se 12 Raasty Ban Gae Jis se Bani Israel K 12 Qabeely Guzarny Thy. Bani Israel Darya Me Utri To Firon B Apny Lashkar K Sath Darya Me Utra.

Bani Israel K Log Jb Darya Se Nikal Gae To Darya Ki Mojeen Aapus Me Mil Gaen. Firon Apny Lashkar Sameet Doob Gaya. Firon Ne Marty Waqt Tooba Ki Magar Uski Tooba Qabool Na Hoe.
Darya e Neel Ne Hukam e Khuda Se Firon Ka Jism Uchaal Diya Jo Aaj Tak Namonae Ibrat He.
(REF: Haqaaiq Minaal Qurain P160 TO 179.)
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 ⚪हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम का बयान⚪

Part -- 01,*_
_*🌀 Hazrat Khizr Alaihissalam 🌀*_
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*Riwaytein* To Aapke Baare Me Beshumar Hain Magar Aapki Wiladat Aur Haalat Par Zyada Malumat Kitabon Me Darj Nahin Hai, Ek Riwayat Ke Mutabik Aapka Naam Baliya Ibne Malkaan Kunniyat Abul Abbas Aur Laqab Khizr Hai, Hazrat Zulkarnain Saam Bin Nooh Alaihissalam Ki Aulaad Hain Aap Hazrat Ibraheem Alaihissalam Par Imaan Laayein Yaani Unki Tayeed Ki, Aapka Laqab Khizr Hone Ki Wajah Ye Batayi Jaati Hai Ki Aap Jahan Baith Jaate Wahan Sabza Ug Jaata Isliye Aapko Khizr Ya Sabz Kaha Jaane Laga, Aapke Anguthe Me Haddi Nahin Hai Aur Unka Angutha Misl Baaki Ungliyo Ke Barabar Hai Aur Mashhoor Hai Ki Ek Musalman Se Uski Poori Zindagi Me Aap Ek Martaba Musaafa Zaroor Karte Hain, Aapne Apne Baad Ke Taqriban Har Nabi Wa Zyadatar Auliya Se Mulaqat Ki Hai.

_*📕 Rijalul Gaib, Safah 134-141*_

*Aalahazrat* Azimul Barkat Raziyallahu Taala Anhu Farmate Hain Ki Chaar Nabi Ab Bhi Zinda Hain Hazrat Eesa Alaihissalam Aur Hazrat Idrees Alaihissalam Ye Dono Hazraat Aasman Par Hain Aur Hazrat Ilyas Alaihissalam Khushki Me Bhatak Jaane Waalo Ko Raah Dikhane Ke Kaam Me Aur Hazrat Khizr Alaihissalam Paani Me Bhatak Jaane Waalo Ko Raah Dikhane Ki Khidmat Me Muallaq Hain, Huzoor Sallallahu Taala Alaihi Wasallam Se Aapki Mulaqat Saabit Hai.

_*📕 Almalfooz, Hissa 4, Safah 40*_

*Aapka Naam To Quran Me Zaarihan Nahin Likha Hai Magar Aapke Mutalliq Ishaara Zaroor Hai, Surah Kahaf Aayat 65 Ke Baad Aapke 2 Safar Ka Tazkira Hai Pahla To Hazrat Moosa Alaihissalam Se Mulaqat Ka Aur Doosra Hazrat Zulqarnain Ke Saath Aabe Hayaat Ka Safar Karna Aur Use Peekar Hamesha Ki Zindagi Pa Lena, To Chaliye Isi Safar Se Shuruaat Karte Hain ~*

*Ab* Tak 4 Aise Baadshah Guzre Hain Jinhone Poori Duniya Par Huqumat Ki Hai 2 Momin Hazrat Sikandar Zulqarnain Aur Hazrat Suleman Alaihissalam Aur 2 Kaafir Namrood Aur Bakhte Nasr, Aur Anqareeb Paanchwe Baadshah Hazrat Imam Menhdi Raziyallahu Taala Anhu Honge Jo Poori Duniya Par Huqumat Karenge, Jis Sikandar Ka Kissa Hum Logon Ne Duniyavi Itihaas Ki Kitabon Me Padha Hai Wo Sikandar Yunani Tha Jo Ki Kaafiro Mushrik Tha Magar Sikandar Zulkarnain Doosre Hain Aur Aap Saaleh Momin The.

_*📕 Alitqaan, Jild 2, Safah 178*_

*Hazrat* Sikandar Zulkarnain Hazrat Ibraheem Alaihissalam Ke Zamane Ke The Aur Aap Hazrat Ibraheem Alaihissalam Par Imaan Laaye Aur Unke Saath Tawafe Kaaba Bhi Kiya, Chunki Hazrat Khizr Alaihissalam Bhi Hazrat Ibraheem Alaihissalam Ki Baargah Me Haaziri Dete The Jahan Zulkarnain Se Hazrate Khizr Alaihissalam Ki Mulakat Huyi Aur Unki Sakhshiyat Ilmo Akhlaaq Ko Dekhkar Hazrate Zulkarnain Ne Unhein Apna Khaas Aur Wazeer Bana Liya, Hazrate Zulkarnain Ne Kitabon Me Padha Tha Ki Aulade Saam Me Se Ek Shakhs Aabe Hayaat Tak Pahunchega Aur Use Pa Lega, Jab Sikandar Zulkarnain Ne Ye Padha To Ek Azeem Lashkar Taiyar Kiya Jo Ki Magribo Shimaal Ki Jaanib Rawana Hua Aur Aapke Saath Aapke Wazeer Hazrate Khizr Alaihissalam Bhi Chale, Paani Ka Safar Khatm Hote Hote Wo Ek Aisi Jagah Pahunche Jahan Daldal Ke Siwa Kuchh Na Tha Aur Uspar Kashtiyan Bhi Na Chal Sakti Thi Magar Azm Ke Mazboot Hazrat Zulkarnain Ne Un Keechadon Par Bhi Kashtiyan Chalwa Di, Wahan Ek Jagah Unhein Keechad Me Suraj Doobta Hua Maloom Hua Wahan Se Nikalkar Wo Ek Aisi Waadi Me Pahunche Jahan Ek Qaum Aabad Thi Magar Wahan Ke Log Tahzeeb Aur Tamaddun Se Bilkul Khaali The, Jo Jaanwaro Ka Kachcha Gosht Khaate Unhi Ke Khaalo Ka Kapda Pahante Unka Na To Koi Deen Tha Aur Na Koi Mazhab, Aapne Un Logon Ko Deene Islam Ki Daawat Pesh Ki Jise Un Logon Ne Qubool Kar Liya Aur Phir Un Logon Ne Yajooj Majooj Ki Shikayat Ki, Ki Pahaad Ke Peechhe Se Ek Qaum Hum Par Hamla Karti Hai Jo Hamara Sab Kuchh Barbaad Kar Deti Hai Aap Hamein Us Zaalim Qaum Se Bachayein, Tab Hazrat Zulkarnain Ne Do Pahaado Ke Darmiyan Ek Deewar Qaayam Farmayi Wo Deewa Takriban 160 Kilometer Lambi 150 Fitt Chaudi Aur 600 Fitt Oonchi Hai,Isko Sidde Sikandari Kaha Jaata Hai Ise Is Tarah Banaya Gaya Ki Pahle Paani Ki Tah Tak Uski Buniyaad Khodi Gayi Aur Tah Me Patthar Pighlaye Hue Taambe Me Jamaye Gaye, Phir Lohe Ki Takhti Chaaron Taraf Lagakar Uske Lakdi Aur Koyla Bhara Gaya Uske Neeche Aaga Lagakar Oopar Se Pighla Hua Taamba Uske Zarre Zarre Me Pahunchaya Gaya Is Tarah Sidde Sikandari Banakar Hazrat Zulkarnain Aabe Hayaat Ki Talaash Me Phir Se Nikal Padte Hain ( *Ye Wahi Deewar Hai Jise Yajooj Majooj Roz Todte Hain Yajooj Majooj Ki Poori Tafseel Aasare Qayamat Ki Post Me Aayegi In Sha ALLAH Taala* ) Ab Unke Lashkar Ka Rukh Waadiye Zulmaat Ki Taraf Ho Gaya Tha Waadiye Zulmaat Ko Paar Karke Poora Kaafila Us Jagah Pahuncha Jahan Sirf Andhera Hi Andhera Tha, Us Andhere Me Poora Kaafila Kayi Dino Tak Bhatakta Raha Aur Titar Bitar Ho Gaya, Hazrat Khizr Alaihissalam Ko Ek Jagah Pyas Lagi Aap Ek Chashme Par Pahunche Wahin Gusl Kiya Wuzu Kiya Khoob Sairab Hokar Paani Piya Yahi Chashma Aabe Hayaat Tha, Jise Hazrate Khizr Alaihissalam Ne To Pa Liya Magar Kisi Aur Ke Muqaddar Me Na Tha So Sab Wahan Se Mayoos Laute Aur Aakhir Me Hazrat Zulkarnain Ko Shahre Babul Me Qaza Aayi.

📕 *Paara 16, Surah Kahaf, Aayat 83-99*
📕 *Paara 17, Surah Ambiya, Aayat 96*
📕 *Tafseer Khazayenul Irfan, S 362*
📕 *Rijabul Gaib, Safah 148--153*
📕 *Kya Aap Jaante Hain, Safah 188*
📕 *Tafseere Khaazin,Jild 4, Safah 204*
📕 *Zalzalatus Sa'at, Safah 12*


Part -- 02,*_
_*🌀 Hazrat Khizr Alaihissalam 🌀*_
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*Ab Hazrat Khizr Alaihissalam Ka Doosra Waqiya Suniye Iska Bhi Zikr Quran Me Maujood Hai ~*

*Huzoor Sallallahu Taala Alaihi Wasallam Irshaad Farmate Hain Ki Ek Martaba Bani Israyil Ne Hazrat Moosa Alaihissalam Se Poochha Ki Is Waqt Rooye Zameen Par Sabse Bada Aalim Kaun Hai To Aapne Farmaya Ki Main Hoon Aapki Is Baat Me Thoda Sa Guroor Ka Pahlu Tha Lihaza Rub Ne Itaab Farmate Huye Unse Kaha Ki Ae Moosa Tumse Bada Aalim Bhi Is Zameen Par Maujood Hai Yaani Ki Hazrat Khizr Alaihissalam, Unka Zikr Maula Taala Quran Muqaddas Me Kuchh Yun Irshaad Farmata Hai*

*KANZUL IMAAN* - _To Hamare Bando Me Se Ek Banda Paaya Jise Humse Apne Paas Se Rahmat Di Aur Use Apna Ilme Ladunni Ata Kiya._

*Ab Jab Hazrat Moosa Alaihissalam Ne Suna* _To Apne Kahe Par Naadim Huye Aur Us Shakhs Se Milne Ki Iltija Ki, RUB Ne Unhein Apne Saath Ek Bhuni Huyi Machhli Lekar Safar Karne Ko Kaha Aur Farmaya Ki Jahan Par Do Samandar Yaani Bahre Faaras Aur Bahre Room Milenge Yaani Majmaul Bahrain To Wahin Par Tumhari Ye Machhli Paani Me Gum Ho Jayegi Aur Tum Unko Pa Sakoge._

*_Hazrat Moosa Alaihissalam Apne Hone Waale Wali Ahad Hazrat Yoosha Bin Noon Alaihissalam Ke Saath Ek Machhli Ko Lekar Do Samandaro Ke Milne Ki Jagah Ko Dhoondne Nikal Pade, Dono Hazraat Ne Paani Ka Safar Shuru Kiya Ek Jagah Hazrat Moosa Alaihissalam Ko Neend Aa Gayi Aur Wo Bhuni Huyi Machhli Zinda Hokar Paani Me Kood Gayi Aur Ek Koh Sa Raasta Banate Hue Nikal Gayi Hazrat Yoosha Alaihissalam Ne Dekha To Magar Unhein Hazrat Moosa Alaihissalam Ko Batana Yaad Na Raha Aur Safar Jaari Rakha, Kuchh Der Baad Jab Hazrat Moosa Alaihissalam Ki Aankh Khuli To Aapne Khaane Ke Liye Wahi Machhli Maangi Tab Hazrat Yoosha Alaihissalam Ko Khayal Aaya Aur Unhone Saari Baat Hazrat Moosa Alaihissalam Ko Batayi, Tab Dono Hazraat Waapas Laute Aur Wahin Pahunche To Dekha Ki Paani Thahra Hua Hai Aur Usme Mehraab Ki Tarah Raasta Bana Hua Hai Dono Usi Raaste Par Chal Diye Kucch Door Aage Badhe To Ek Chattan Ke Qareeb Ek Shakhs Chaadar Odhe Leta Hua Tha Yahi Hazrat Khizr Alaihissalam The, Dono Hazraat Unke Paas Pahunche Salaam Kiya Jawab Mila Tab Hazrat Moosa Alaihissalam Ne Unhein Apne Aane Ka Maqsad Bataya Ki Unhein Bhi Kuchh Ilm Haasil Karna Hai Lihaza Unhein Apne Saath Rakhen, Magar Hazrat Khizr Alaihissalam Ne Mana Kiya Ki Tum Hamare Saath Hargiz Na Rah Sakoge Kyunki Hamare Kaam Par Tumse Sabr Na Ho Sakega Ispar Hazrat Moosa Alaihissalam Farmate Hain Ki Beshak Main Sabr Karunga To Hazrat Khizr Alaihissalam Ne Is Shart Par Ki Aap Unse Koi Sawal Nahin Karenge Unhein Apne Saath Rahne Ki Ijazat De Di._*

*Ab Wo Teeno Ek Saahil Par Pahunche Bahut Koshish Ki Ki Koi Naav Waala Unhein Dariya Ke Us Paar Chhod De Magar Unke Paas Darhamo Deenar Na The Lihaza Keemat Na Milne Ki Wajah Se Kisi Ne Bhi Unhein Us Paar Nahin Pahunchaya, Aakhir Kaar Ek Neik Kashti Waale Ne Bina Keemat Ke Aap Logon Ko Us Paar Chhodne Ke Liye Kashti Me Bitha Liya Magar Jab Kashti Beech Raaste Me Pahunchi Hazrat Khizr Alaihissalam Ne Uski Kashti Tod Daali Aur Usme Chhed Kar Diya, Ye Dekhkar Hazrat Moosa Alaihissalam Se Sabr Na Hua Aur Aapne Unse Kah Diya Ki Ek To Koi Hamein Is Paar Chhodne Ko Taiyar Na Tha Ek ALLAH Ke Bande Ne Hum Par Ehsaan Kiya Aur Aapne Uski Kashti Tod Di, Is Par Hazrat Khizr Alaihissalam Bole Ki Maine Pahle Hi Kaha Tha Ki Tum Hamare Saath Nahin Rah Sakoge Fauran Hazrat Moosa Alaihissalam Ne Maafi Maangi Aur Aage Se Aisa Na Karne Ka Waada Kiya, Phir Teeno Hazraat Aage Badhe.*

_Ek Jagah Kuchh Ladke Khel Rahe The Usme Ek Ladka Jo Sab Me Haseen Tha Jiska Naam Jeesoor Ya Zanbatoor Tha Hazrat Khizr Alaihissalam Ne Usko Qatl Kar Diya, Apne Saamne Ek Mazloom Ka Qatl Hote Dekh Hazrat Moosa Alaihissalam Se Zabt Na Ho Saka Aur Aap Gusse Me Phir Bol Pade Ki Aapne Jaan Ko Qatl Kar Daala, Hazrat Khizr Alaihissalam Ne Unhein Unki Baat Yaad Dilayi To Is Par Unhone Maazrat Chahi Ki Ek Aur Mauqa De Dijiye Ki Agar Abki Baar Maine Kuchh Kaha To Phir Mujhe Apne Se Juda Kar Dijiyega, Hazrat Khizr Alaihissalam Ne Unki Baat Maan Li Aur Sabhi Phir Aage Badh Chale._

_*📕 Paara 15, Surah Kahaf, Aayat 60-82*_
_*📕 Tazkiratul Ambiya, Safah 331*_



Part -- 03,*_
_*🌀 Hazrat Khizr Alaihissalam 🌀*_
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*Phir Teeno Ek Basti Me Pahunche* Jahan Kisi Ne Bhi Inki Mehman Nawazi Nahin Ki Din Bhar Bhooke Pyase Poore Gaanv Me Chakkar Kaatte Rahe, Thak Haarkar Shaam Ko Basti Se Chalne Lage Aur Jab Gaanv Ke Baahar Pahunche To Hazrat Khizr Alaihissalam Ne Dekha Ki Ek Makaan Ki Deewar Giri Jaati Hai, Aap Fauran Wahan Pahunche Aur Poori Mehnat Se Us Girti Huyi Deewar Ki Marammat Ki Aur Use Seedhi Kar Di Aur Unse Koi Ujrat Bhi Nahin Li, Ispar Hazrat Moosa Alaihissalam Phir Se Bole Ki Jis Basti Waalo Ne Hamare Liye Kuchh Bhi Nahin Kiya Aapne Bagair Ujrat Liye Unki Deewar Sahi Kar Di Kam Se Kam Ujrat To Le Lete, Ab Hazrat Khizr Alaihissalam Bole Ki Tumhara Uzr Poora Ho Chuka Hai Ab Tum Hamare Saath Nahin Rah Sakte Magar Jaate Jaate Un Teeno Ke Baatini Haalat Bhi Sunte Jao,

Pahli Wo Kashti Jo Maine Todi Thi To Wahan Ka Baadshah Bahut Hi Zaalim Hai Sabhi Kashti Waalo Ki Nayi Kashtiyan Chheenkar Apne Khazane Me Jama Kar Leta Hai, Agar Main Us Gareeb Ki Kashti Na Todta To Uski Kashti Bhi Usse Chhin Jaati Aur Uspar Rizq Ki Killat Aa Jaati Lihaza Jo Ehsaan Usne Humpar Kiya Tha Ki Bagair Ujrat Liye Dariya Ko Paar Karane Ka Ye Usi Ehsaan Ka Badla Tha Ki Kashti To Wo Phir Se Durust Kar Hi Lega,

Doosra Wo Nabalig Bachcha Jise Maine Qatl Kiya Uske Maa-Baap Momin The Aur Usko Bada Hokar Kaafir Hona Tha To Aulaad Ki Muhabbat Me Uske Maa-Baap Ka Imaan Khatre Me Pad Jaata Lihaza Unka Imaan Bachane Ke Liye Maine Use Qatl Kiya Aur Chunki Wo Bachpan Me Khud Bhi Ab Tak Kaafir Na Tha Lihaza Uspar Bhi Ehsaan Kiya,

Aur Teesri Ye Deewar Jo Maine Durust Ki To Ye Ghar 2 Yateem Bachchon Ka Hai Is Deewar Ke Neeche Inke Baap Ne Jo Ki Nek Aadmi Tha Inke Liye Kuchh Rupya Paisa Chhoda Hai Agar Ye Deewar Gir Jaati To Wo Khazana Khul Jaata Aur Gaanv Waale Sab Lootkar Le Jaate Ab Bachche Jab Bade Ho Jayenge Aur Apna Ghar Marammat Karayenge To Unka Khazana Unko Mil Jayega, Phir Hazrat Moosa Alaihissalam Wahan Se Wapas Laut Aaye.

_*📕 Paara 15, Surah Kahaf, Aayat 60-82*_
_*📕 Tazkiratul Ambiya,Safah 331*_

*Waise To Ye Poora Waqiya Hi Quran Me Darj Hai Magar Iske Aakhiri Ki Jumlo Par Kuchh Tawajjoh Dilana Chahta Hoon, Rub Taala Farmata Hai -*

*KANZUL IMAAN* - Aur Unka Baap Neik Aadmi Tha.

_*📕 Paara 16, Surah Kahaf, Aayat 82*_

*TAFSEER* - Un Do Bachcho Ka Naam Adram Aur Suraim Tha Aur Unke Baap Ka Naam Kaasikh Tha Aur Ye Shakhs Neik Parhezgar Tha, Riwayat Me Aata Hai Ki ALLAH Taala Apne Bande Ki Neki Ke Sabab Uski Aulaad Ko Aur Uski Aulaad Ki Aulaad Ko Aur Uske Kunbe Waalo Ko Aur Uske Muhalle Waalo Ko Apni Hifazat Me Rakhta Hai

_*📕 Khazayenul Irfan, Safah 361*_
_*📕 Ruhul Bayan, Paara 16, Safah 477*_

*Ek Taraf To Quran Aur Hadees Me Ye Likha Hai Ki Baap Ki Nekiyan Aulaad Ke Kaam Aati Hain Magar Wahin Doosri Taraf Kuchh Logon Ka Huzoor Sallallahu Taala Alaihi Wasallam Ke Baare Me Ye Kahna Hai Ki "Huzoor To Apni Beti Ke Bhi Kaam Nahin Aa Sakte To Wo Apne Ummatiyon Ko Kis Tarah Bachayenge Maaz ALLAH" To Un Kamzarfon Se Sirf Itna Kahna Chahunga Ki Ye Baat Tum Apne Aur Apne Baap Daada Ke Liye Kah Sakte Ho Ki Mere Aaqa Sallallahu Taala Alaihi Wasallam Tumhari Aur Tumhare Baap Daada Ke Kaam Nahin Aayenge, Aur Kaam Nahin Aayenge Se Muraad Ye Nahin Ki Wo Kaam Nahin Ayenge Balki Ye Ki Tumhari Auqaat Unse Madad Lene Ki Nahin Rahegi Lihaza Wo Tumhare Kisi Kaam Nahin Aayenge, Magar Hum To Unke Ghulam Hain Unke Ummati Hain Unke Bande Hain Hamara To Har Kaam Unhi Se Banta Hai Aur Unhi Se Banega Yahan Bhi Aur Wahan Bhi In Sha ALLAH Taala Lihaza Wo Hamare Kaam Aayenge Aayenge Aayenge,Baaki Ki Tafseel "Shafa'at" Ki Post Me Mulahza Karen*



Part -- 04,*_
_*🌀 Hazrat Khizr Alaihissalam 🌀*_
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◼️ Hazrat Khizr Alaihissalam Aur Hazrat Ilyas Alaihissalam Dono Har Saal Hajj Ke Mauqe Par Milte Hain Hajj Wa Umra Karte Hain Aabe Zam-Zam Sharif Peete Hain Jo Ki Unke Liye Saal Bhar Ki Giza Ka Kaam Karta Hai, Aur Baitul Muqaddas Me Dono Hazraat Ramzan Sharif Ka Roza Bhi Rakha Karte Hain.

_*📕 Fatawa Razviyah, Jild 9, Safah 108*_
_*📕 Zarkani, Jild 5, Safah 354*_

*Huzoor Sallalahu Taala Alaihi Wasallam Aur Hazrat Khizr Alaihissalam ~*

Ek Martaba Huzoor Sallallahu Taala Alaihi Wasallam Masjide Nabwi Sharif Me The Ki Kisi Ki Aawaz Suni To Aapne Hazrate Anas Raziyallahu Taala Anhu Ko Bheja Aur Kaha Ki Unko Mera Salaam Kaho Aur Kaho Ki Mere Liye Dua Karen, Jab Hazrat Anas Raziyallahu Taala Anhu Ne Unse Jaakar Kaha To Jawab Dene Ke Baad Wo Kahne Lage Ki Main Kya Unke Liye Dua Kar Sakta Hoon Unhein To Tamam Ambiya Ka Sardaar Banaya Gaya Hai Hum To Khud Unki Dua Ke Mohtaj Hain, Hazrat Anas Raziyallahu Taala Anhu Waapas Aaye Aur Unka Paighaam Sunaya To Huzoor Farmate Hain Ki Wo Hazrat Khizr Alaihissalam The.

◻️ Isi Tarah Huzoor Sallallahu Taala Alaihi Wasallam Ke Wisaal Ke Din Ek Shakhs Safon Ko Cheerta Hua Aage Pahuncha Aur Sahaba Ko Tasalli Di Aur Phir Wo Gaayab Ho Gaya To Hazrat Abu Bakr Siddiq Raziyallahu Taala Anhu Maula Ali Raziyallahu Taala Anhu Se Farmate Hain Ki Ye Hazrat Khizr Alaihissalam The To Aap Farmate Hain Ki Bilkul Main Unhein Pahchaanta Hoon.

◼️ Isi Tarah Ek Martaba Hazrate Umar Farooque Raziyallahu Taala Anhu Ek Namaze Janaza Me Shirkat Ke Liye Khade Hue To Door Se Ek Shakhs Ne Aawaz Di Ki Rukiye Main Bhi Shaamil Hota Hoon, Baad Namaz Jab Usko Dhoondha Gaya To Na Mila To Hazrat Umar Farooque Aazam Raziyallahu Taala Anhu Farmate Hain Ki Ye Hazrat Khizr Alaihissalam The.

◻️ Iske Alawa Aur Bhi Sahabaye Kiram Se Mulakaat Ka Tazkira Milta Hai Aur Bahut Se Buzurgane Deen Se Bhi Aapki Mulakaat Saabit Hai, Sabka Zikr Karne Ke Bajaye Un Buzurgon Ke Naam Par Hi Iqtifa Karta Hoon.

*Hazrat Daata Ganj Bakhsh Lahauri*
*Hazrat Makhdoom Ashraf Jahangeer Samnani*
*Hazrat Khwaja Bahauddin Nakshbandi*
*Hazrat Khwaja Abdul Khaliq Gajdwani*
*Huzoor Ghause Paak*
*Huzoor Mohiuddin Ibne Arbi*
*Hazrat Imaam Ahmad Bin Hambal*
*Hazrat Nizaami Ganjwi*
*Hazrat Ahmad Bin Alwi*
*Hazrat Shah Rukn Alam Multani*
*Hazrat Abdul Qahir Suharwardi*
*Hazrat Bishar Bin Haaris*
*Hazrat Khwaja Abdullah Ansari*
*Hazrat Abdul Shaikh Qalwi*
*Hazrat Maulana Jalaluddin Room*
*Hazrat Shaikh Saadi*
*Hazrat Khwaja Suleman Tansvi*
*Hazrat Khwaja Shamsuddin Siyalvi*
*Hazrat Ibne Jauzi*
*Hazrat Shaikh Badruddin Gaznavi*
*Hazrat Abdul Wahaab Muttaqi*
*Hazrat Jaafar Makki Sarhindi*
*Hazrat Kutubuddin Bakhtiyar Kaaki*
*Hazrat Muhammad Bin Samaak*
*Hazrat Abul Hasan Shaazli*
*Hazrat Shaikh Abu Madyan*
*Hazrat Abdurrahman Chhuhravi*

_*📕 Rijalul Gaib, Safah 154-198*_

*Ye Un Hazraate Muqaddasa Ke Naam Hain Jinke Baare Me Tafseel Se Kitab Me Likha Hai Aur Jis Tarteeb Se Wakyaat Darj The Maine Usi Tarteeb Se Sabka Naam Likh Diya Martabe Ke Lihaza Se Nahin Likha, Lihaza Isme Aitraz Karne Jaisi Koi Baat Nahin Hai Ki Falan Buzurg Pahle Ke Hain Aur Bade Hain To Unka Naam Baad Me Aur Neeche Likha Hai,Aur Aisa Bhi Nahin Hai Ki Jinka Naam Likha Hai Sirf Unhi Hazraat Se Hazrat Khizr Alaihissalam Ki Mulakaat Huyi Hai Baaki Iske Alawa Kisi Se Nahin, Nahin Balki Aur Kitabon Me Aur Bhi Buzurgane Deen Se Mulakaat Ke Ahwaal Likhe Ho Sakte Hain Balki Honge Hi,Usi Tarah Shahar Qaazi Allahabad Hazrat Mufti Shafiq Ahmad Sharifi Sahab Qibla Farmate Hain Ki Harat Makhdoom Ashraf Jahangeer Samnaani Rahmatullah Taala Alaihi Apni Kisi Kitab Me Likhte Hain Ki Hazrate Khizr Alaihissalam Har Aadhe Ghante Me 1 Baar Hazrat Sayyad Saalaar Mas'ood Gaazi Rahmatullah Taala Alaihi Ke Aastane Mubarak Bahraich Sharif Me Haaziri Dete Hain.*

*《..Alhamdulillah Mukammal..》*



🅱️ बहारे शरीअत ( हिस्सा- 03 )🅱️

_____________________________________   _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 089)*_ ―――――――――――――――――――――             _*🕌नमाज़ पढ़ने का तरीक...