Saturday, November 28, 2020

हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान

*《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (01)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलायत बसआदत हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के कितने साल बाद हुई?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम कि विलायत हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से छह हजार सात सौ पचास साल"6750"बाद हुई।*
(तफ़्सीर नईमी 4/416/मआरिजनबुव्वत 2/32)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलायत और हजरत नूह अलैहिस्सलाम के बीच कितना फासला है?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम कि विलायत शरीफ और हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के बीच चार हजार चार सौ नव्वे साल"4490"का फासला है।*
(मआरिजनबुव्वत 32 रुकन2)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के कितने साल बाद तशरीफ लाए?
*जवाब- हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के तीन हज़ार सत्तर साल"3070" के बाद ख़्वाजा काएनात सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम रौनक बख़्से आलम हुए।*
(मआरिजनबुव्वत 32 रुकन2)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की तशरीफ आवरी हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के कितने साल बाद हुई?
*जवाब- जमाना-ए-मूसा अलैहिस्सलाम के दो हज़ार तीन सौ साल"2300"मुकम्मल होने के बाद रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम दुनिया में रौनक अफ़रोज हुए।*
(मआरिजनबुव्वत 32रुकन दोम)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम रौनक अफरोजी हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के दिन बाद?
*जवाब- हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के एक हज़ार आठ सौ साल"1800"बाद हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तशरीफ लाए।*
(मआरिजनबुव्वत 32रुकन2)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के बीच का जमाना कितने साल का है?
*जवाब- इस सिलसिले में अइम्मा तफ़सीर व मार्रिख़ीन के कई कौल है(1)हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम के दरमियान पाँच सौ साल"550"का जमाना है(2)तफ़सीर जलालैन में इसकी मुद्दत पाँच सौ उनहत्तर साल"569"है(3)हज़रत क़दाता रज़ियल्लाहु तआला अन्हु कहते है कि पाँच सौ साठ साल"560"है(4)अबू उस्मान हिंद के मुताबिक छह सौ साल"600"है(5)एक कौल पाँच सौ साल"500"का भी है(6)चार सौ से कुछ ऊपर(7)छह सौ बीस साल के अक्वाल भी हैं।*
(ख़जाइनुल इरफान 20/8/जलालैन सफ़्हा 97/हाशिया41 जलालैन97/इब्ने कसीर 67)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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*《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (02)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का नसब शरीफ वालिद और वालिदा की तरफ़ से किस तरह है?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के नसब शरीफ़ को मवाहिब लदुन्निया में इस तरह बयान किया गया है मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुत्तलिब बिन हासिम बिन अब्दुल मुनाफ़ बिन कस्सी बिन कलाब बिन मर्रा बिन कअब बिन लव्वी बिन गालिब बिन फहर बिन मालिक बिन फजार बिन माद बिन अदनान यहां तक सिलसिला नसब में अरबाब सैर व असहाबे ख़बर और उल्मा इल्मुल अंसाब में सब का इतिफाक है इससे ऊपर का नसब मालूम नहीं क्योंकि अदनान से हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम से हज़रत आदम अलैहिस्सलाम तक बहुत इख्तिलाफ है चुनांचे किसी ने अदनान से हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम तक तीस ऐसी पुश्तों का ज़िक्र किया है जिनका कुछ अता पता नहीं और किसी ने इससे कम और किसी ने इससे ज्यादा पुश्तों का ज़िक्र किया है क्योंकि हमें उस पर एतिमाद नहीं और उल्मा के अकवाल के भी मुखालिफ है इसलिए हमने उनका ज़िक्र नहीं किया और वालिदा मोहतरमा की तरफ़ से सिलसिला नसब इस तरह है आमना रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम बिन वहब बिन अब्दे मुनाफ़ बिन जोहरा बिन कलाब बिन मर्रा बिन कलाब में जाकर दोनों सिलसिले मिल जाते हैं।*
(मदारिजनवुव्बत 2/7/मआरिजनवुव्बत2/7)

सवाल- हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु तअाला अलैहि वसल्लम के दादी दादा नानी नाना का नाम क्या है?
*जवाब- हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु तअाला अलैहि वसल्लम के दादा मोहतरम का नाम अब्दुल मुत्तलीब है दादी मोहतरमा का नाम फातिमा बिन उमरु और नाना जान का नाम वहब बिन अब्दे मुनाफ़ है नानी मोहतरमा का नाम बर्रा बिन अब्दुल उज़्जा है।*
(मआरिजनवुव्बत 1/153'157)

सवाल- हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का नुतफा जकिवा सदके रहम मादर में की माह और किस तारीख को करार पाया?
*जवाब- नुतफा ज़किया मुहम्मदिया सदफ रहम आमना रजियल्लाहु तआला अन्हा में कब करार पाया इसके बारे में तीन कोल है(1)अय्यामे हज़ की दरमियानी तशरीक के दिनों शबे जुमा को हुआ था(2)शबे जुमा अरफा को(3)बारहवीं जिलहिज्जा में हुआ कि हसरत अब्दुल्लाह जमार की रमी करके आए और मुकरबत की और इस ताल्लुक़ से हकीमुल उम्मत मुफ्ती यार खान रहमतुल्लाह तआला अलैहि नईमी में उसी जगह फरमाते है यह असल में रजब का महीना था जिसे कुफ्फार ने उसी साल जिलहिज्जा करार देकर हज किया था।*
(मदारिजनवुव्बत/मआरिजनवुव्बत/तफसीर नईमी 2/289)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)


   *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (03)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की पैदाइश किस मकान में हुई?
*जवाब- उस मकान में जो मक्का मोज्ज्मा में दार मुहम्मद बिन युसुफ के नाम से मशहूर है।*
(अल कामिल फी तारीख 1/185/मआरिजुन्नबववत 2/35)

सवाल- हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलायत मक्का मुअज्जमा के किस मोहल्ले में हुई?
*जवाब- उस मोहल्ले में जिसको अजकाकुल मोअललद कहते हैं।*
(मआरिजुन्नबववत 2/35)

सवाल- हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलायत के इंतिजाम जचखाना के लिए कौन कौनसी औरतें आयी थी और कहां से?
*जवाब- हज़रत आमना रजियल्लाहु तअाला अन्हा से रिवायत है कि जब आप पैदा हुए तो चार औरतें कि मक्का मुअज्जमा की औरतों से मुशावियत न रखती थीं आसमान से उतरी में उनको देखकर डरी उन औरतों ने कहा खोफ़ न करो हम चारों हज़रत हव्वा,सारा,हाजरा,और आसिया"रजियल्लाहु तआला अन्नाहुन्ना है हज़रत हव्वा रजियल्लाहु तआला अन्हा के पास सोने का तबक और सारा रजियल्लाहु तआला अन्हा के पास अबरीक नुकरा आबे कौसर से भरा हुआ हजरते हाजरा रजियल्लाहु तआला अन्हा के पास जन्नती इत्र और हज़रते आसिया रजियल्लाहु तआला अन्हा के पास मुंदील सबज़ सर मुबारक पर बांधकर इत्र बहश्त उसमें मल दिया।*
(तफ्सीर अलम नशरह96)

सवाल- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलादत में क्या-क्या खुसूसियात हैं?
*जवाब- आप शिकमें मादर में खतना शुदा गैर आलूदा पाक और नाफ़ बरीदा पैदा हुए।*
(मदारिज़नबुव्वत 1/222)

सवाल- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की दाया का नाम क्या है?
*जवाब- हजरत अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की वालिदा मोहतरमा हैं जिनका नाम शिफा है।*
(मआरिज़नबुव्वत 2/38)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)


  *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (04)》*
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सवाल- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने किन-किन औरतों का दुध पिया और कितने कितने दिन?
*जवाब- आपने आमना रज़ियल्लाहु तआला अन्हा का दुध पिया और चंद दिन सौबिया का दुध पिया उसके बाद हलीमा सदीया ने दुध पिलाने की सआदत हासिल की।*
(अल कामिल फ़ी तारीख 1/186/मदारिज़नबुव्वत 2/30)

सवाल- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को सौबिया ने कितने दिन दुध पिलाया?
*जवाब- एक रिवायत में सात रोज़ है और एक रिवायत में सत्ताईस रोज़ है।*
(अल कामिल फ़ी तारीख 1/186/मदारिज़नबुव्वत 2/42)

सवाल- हजरत हलीमा सादिया के बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की हिफाजत व देखभाल के फ़राईज़ किसने अंजाम दिए?
*जवाब- हलीमा सदिया रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के बाद उम्मे ऐमन रज़ियल्लाहु तआला अन्हा ने आपकी हिफाजत व देखभाल के फ़राईज़ अंजाम दिए यह उम्मे ऐमन रज़ियल्लाहु तआला अन्हा हजरत अब्दुल मुत्तलिब की बांदी थीं और वह हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को हजरत अब्दुल्लाह की मीरास में हासिल हुई थीं मवाहिब लदुन्निया से मालुम हुआ की उम्मे ऐमन रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के परवरिश के फ़राईज़ अंजाम देना सय्यैदा आमना रज़ियल्लाहु तआला अन्हा की रहमत के बाद था।*
(मदारिज़नबुव्वत 2/37)

सवाल- हुज़ूर सल्लल्लाहु तअाला अलैहि वसल्लम के रजाई भाई बहन कौन कौन हैं?
*जवाब- हज़रत सुल्ताने रिसालत हुज़ूर सल्लल्लाहु तअाला अलैहि वसल्लम के दुध शरीक भाईयों में से एक तो आपके चाचा हज़रत हम्जा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु हैं दूसरे अबू सलमा बिन अब्दुल असद शौहर उम्मे सलमा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हा उनकी वालिदा बर्रा बिन अब्दुल मत्तलिब जो आपकी फूफी हैं उनको और हुज़ूर सल्लल्लाहु तअाला अलैहि वसल्लम को हज़रत सौबिया ने बेटे मसरुह बिन सौबीया रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हा का दुध चार बरस के फर्क में पिलाया पहले हज़रत हम्जा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को आपके बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु तअाला अलैहि वसल्लम को और आपके बाद अबु सलमा अब्दुल्लाह बिन अब्दुल असद को तीसरे अबु सुफियान बिन हारिस को जो कि आपके चाचा हारिस के बेटे है उनको और आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तअाला अलैहि वसल्लम को हलीमा सादिया ने दुध पिलाया इनके अलावा इनके अलावा हलीमा सादिया की औलाद भी आपके रज़ाई भाई बहन हैं।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/842)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



  *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (05)》*
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सवाल- हुज़ूर सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम का सीना ए मुबारक कितनी बार शक़ किया गया और कब कब?
*जवाब- शक़े सदर चार बार हुआ(1)जब आप हुज़ूर सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम हलीमा सदिया के धर थे उस बार शक़े सदर में वह नुक़्ता था कि खेल की रग़बत जो लड़कों के दिल में होती है आपके दिल से दुर हो जाए और बुजुर्गो की तरह तमकीन और वक़ार हासिल हो(2)दस बरस की उम्र शरीफ़ में सीना मुबारक फ़रिश्तों ने चाक किया और शफ़क़्क़त और मैहरबानी से भर दिया ताकि ग़ज़ब और गुस्सा कि इस उम्र का मुक़्तज़ी है कि दबा रहे और मेहर व मुहब्बत कि गुनाहगार उम्मत को इसकी हाजत होती है ताकि गुनाहगार उम्मत को इसकी आदत हो जाए(3)बेअसत के करीब दिल मुकद्दस को चाक किया ताकि बारे"वही"का तहम्मुल हो और कलामें इलाही को समझने की कुब्ब हासिल हो(4)मैराज की रात यह वाक़ेअ हुआ कि दिल मुबारक में अनवार व तजल्लियाते और व मुआरिफ की इस्तेदाद और क़ाबलियत पैदा हो और आपका हौसला बक़द उन तरक्कियात में कमालात के कि इस रात इनायत होंगें वसीअ फराख़ हो जाए।*
(तफ्सीर अलम नशरह 10/16/म‌दारिज़नबुव्वत 1/222)

सवाल- वह हजरात कितने और कौन कौन से हैं जो हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की विलायत व इज़्हारे नबुव्वत से पहले आप पर ईमान लाकर मुशर्रफ बा इस्लाम हुए?
*जवाब- ऐसे खुशनसीब अफ़राद की तादाद हमें मिली वह यह है(1)तबा हमीरी शाह यमन"असद अबू करीब यमानी"(2)हबीब इब्ने नज़्ज़ार(3)ज़ैद बिन अमरू मवहिब जाहिलया"यह वह हजरात है जो विलायत से पहले सिर्फ आपके अवसाफ़ सुनकर ईमान लाए"(4)वरक़ा बिन नोफ़ल(5)वुहैरा राहिब"यह दो वह हजरात है जो हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम पर आपके इज़्हारे नबुव्वत से पहले ईमान लाए।*
(तफ्सीर अलम नशरह 60/हाशिया जलालैन 12/369/मदाऱिज नबुव्वत 2/41)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने मुल्के शाम का पहला शफर किस उम्र में किया?
*जवाब- बारह साल दो माह दस दिन की उम्र में किया।*
(मदारिज़नबुव्वत2/40/म‌आरिजुन्नबुव्वत2/54)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



  *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (06)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मैं दो ज़बीहों का बेटा हूं‌‌ यह दो जबीह के मिस्दाक कौन कौन हैं?
*जवाब- दो ज़बीहों से मुराद एक तो हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम हैं जिनकी में से आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम हैं दुसरे ज़बीह आपके वालिदे माजिद हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुत्तलिब हैं उनका ज़बीह नाम के साथ मौसू होने का वाक़िआ अस्हाबे अहादीस व मौर्रिख यूं बयान करते हैं{वाक़िआ}कौम जरहम जब मक्का से भाग खड़ी हुई और यमन की जानिब चली गई तो भागते भागते इब्ने अमरु बिन हारिस ने जो कौम का हाकिम था हजरे असवद को रुकने काबा से उखाड़ कर दो सोने की मुर्तियां को जो सोने व जवाहरात से जड़ी हुई थीं और चंद हथियार जो खाना-ए-काबा में थे सब को ज़म-ज़म के कुंए में छिपाकर उसे पाट दिया और जगह को ज़मीन के बराबर कर दिया धीरे धीरे उसका मुकाम और जगह भी किसी को याद नहीं रही ज़म-ज़म के कुंए का सिर्फ तजकिरा ही तज़किरा लोगों की ज़बान पर रह गया था और ज़म-ज़म का कुंआ उससी दिन से गुम और वेनिशान रहा अल्लाह त‌आला का इरादा जब ज़म-ज़म के कुंए को ज़हीर करने का हुआ तो अल्लाह त‌आला ने हज़रत मुत्तलिब को ख़्वाब में ज़म-ज़म के कुंए का मुकाम दिखाकर हुक्म दिया कि उससे ज़हीर करो हज़रत मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने जब हुक्मे इलाही को पूरा करने के लिए ज़म-ज़म के कुंए को खोदना चाहा तो कौमे कुरैश आड़े आई और लड़ने को तैयार हो गई क्योंकि ज़म-ज़म के कुंए की जगह दो बुत नसब थे जिनका नाम असाफ़ और नाएला था और कुरैश नहीं चहाते की बुतों कि जगह कुंआ खोदा जाए यह सिर्फ दो ही बाप बेटे थे हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु और आपका एक बेटा हारिस और सिवाय अल्लाह त‌आला के कोई उनका मद्दगार व साथ देने वाला न था फिर यह गालिब हुए और कुंआ खोदने के काम में मशगूल हो गए और उससी वक़्त हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने अपनी तन्हाई को महसूस किया और दुआ कि अगर अल्लाह त‌आला मुझको दस बेटे अता करे और चश्मा भी निकल आए तो में अपने एक बेटे की अल्लाह त‌आला की बारगाह में कुर्बानी कर दुंगा लिहाजा कुछ रोज़ कि महनत के बाद चश्मा भी निकल आया और फिर अल्लाह त‌आला ने हज़रत अब्दुल मुत्तलिब को दस बेटे भी अता किये ज़म-ज़म के कुंए को निकल आने की वज़ह से कुरैश हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु की इज़्ज़त व मंजिलत दोबाला हो गई सब उनकी बुज़ुर्गी और सरदारी के कायल हो ग‌ए जब हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु के सब बेटे बुगूल की हद को पहुंचे तो उन्होंने अपनी मानी हुई मन्नत पूरी करनी चाही और अपने तमाम बेटों को जमा करके तमाम हाल बयान किया और तमाम बेटों ने एक ज़बान होकर कहा आपको इख्तियार है अगर आप हम सब कि कुर्बानी देने पर राज़ी हैं तो हम सब तैयार हैं हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को अपने बेटों की यह इताअत और स‌आदतमंदी बहुत भली मालूम हुई और फ़रमाया पर्ची डालो जब पर्ची डाली गई तो इत्तिफाक कि बात कि कुर्रे का तीर सबसे छोटे बेटे हज़रत अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु के नाम निकला हज़रत अब्दुल्लाह अपने वालिद के नज़दीक बहुत महबूब और प्यारे थे क्योंकि आपकी पेशानी में हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ताबां रौशन था और वह साहब हुस्न व जमाल बड़े बहादुर पहलवान और तीर‌अंदाज थे इसके बावजूद हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु हज़रत अब्दुल्लाह को लेकर कुर्बानगाह की तरफ़ चले हज़रत अब्दुल्लाह के तमाम भाईयों बहनों रिश्तेदारों और कुरैश के सरदारों ने हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को हज़रत अब्दुल्लाह को ज़िब्हा करने से रोकना चाहा मगर हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु नहीं माने आखिर बड़ी खेंचतान के बाद के यह मामला सजा नामी काहिना कि तरफ़ रुजू किया गया जो हज़्ज़ाज में तमाम काहिनो में दाना और अक़्लमद थी तमाम माजरा सुन्ने के बाद उस काहिना औरत ने कहा तुम्हारे हिया एक आदमी का खून बहा दस ऊंट हैं बस तुम एक तरफ दस ऊंट को रखो और एक तरफ अब्दुल्लाह को रखो और कुर्रा डालो अगर कुर्रा ऊंटों के नाम निकल आए तो ऊंटों की कुर्बानी दे दो और अगर अब्दुल्लाह के नाम से निकल आए तो दस ऊंट और बड़ाकर बीस ऊंट अब्दुल्लाह के मुकाबले रखो और फिर कुर्रा डालो इसी तरह हर मर्तबा दस दस ऊंट बढ़ाते जाओ यहां तक कि कुर्रा ऊंटों के नाम पर निकल आए लिहाजा ऐसा ही किया गया और कुर्रा अब्दुल्लाह के नाम से ही निकलता रहा यहां तक कि ऊंटों की तादाद सौ हो गई तो ऊंटों के नाम पर कुर्रा निकला हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने अपनी तसल्ली के लिए दोबारा फिर कुर्रा डाला और अब हर मर्तबा ऊंटों के नाम ही कुर्रा निकलता हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने अल्लाह त‌आला का शुक्र अदा किया और हज़रत अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने ज़िब्ह से खुलासी पाई इसके बाद सौ ऊंटों को ज़िब्ह करके ख़ास व आम और दरिंदों और परिंदों को खिलाया गया फिर अरब में एक शख्स की द‌इय्यत सौ ऊंट मुकर्रर हो गई हालांकि उससे पहले दस ऊंट मुकर्रर थी।*
(मदारिज़नबुव्वत 2/16,17/तवारिख़ुल हवीब 9)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



 *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (07)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की मुहरे नबुव्वत जिस्म मुबारक के किस हिस्से में थी और उस मुहर की शक्ल व सुरत कैसी थी?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के दोनों कंधों के बीच मुहरे नबुव्वत थी मुहरें नबुव्वत एक ऐसी उभरी हुई चीज थी जो हमरंग बदन मुशाबह जस्दे अतहर और साफ नूरानी थी रावियों ने मुहरें नबुव्वत की सुरत व शक़्ल का भी जिक्र किया और समझाने के लिए तश्बीह इस्तेमाल कि है लिहाज़ा किसी ने इसे कबूतर के अंडे से और किसी ने सुर्ख़ ग़ुदूद"गोश्त की सख़्त गिरह"से जो आमतौर पर जिस्म पर होता है तश्बीह दी है मुराद यह है कि ग़ुदूद के तरह और सुर्ख़ से लाली की तरफ माइल है लिहाज़ा यह उस रिवायत से मुनाफी नहीं जिसमें कहा गया है कि मुहरें नबुव्वत का रंग जिस्मे अतहर के रंग के हमरंग था बल्कि इससे उस कौल का रद्द करना मकसूद था जिसमें है कि उसका रंग स्याह व सब्ज़ था और एक रिवायत में है कि मुहरें नबुव्वत ज़र्र हजला की मानिन्द ज़र्र बमानी तकमा"घुंडी"जो पैरहन के गिरेबान में होता है और हजला बमानी वह गोशा जहां दुल्हन को बिठाया जाता है बाज़ कहते हैैं कि हजला एक मशहूर परिन्दा और ज़र्र उसका अंडा है यह उस हदिस के मुवाफिक है जिसमें कहा गया है कि मुहरें नबुव्वत कबूतर के अंडे के मानिन्द थी और तिर्जिमी शरीफ़ की एक और हदीस में है कि मुहरें नबुव्वत गोश्त का एक टुकड़ा था एक और हदीस में मुश्त की मानिन्द आया है जिसमें सालैल की मानिन्द थे सालैल उन दोनों को कहते हैैं जो जिल्द के नीचे चने के दाने की मानिंद निकल आते हैं यह सब कुछ मुहरें नबुव्वत की जाहिरी शक़्ल व सुरत के बारे में था लेकिन उसके पिछे अल्लाह त‌आला का अज़ीम असर कार फ़रमान है जो हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के साथ मख़्सूस है जो किसी और नबी को हासिल नहीं हुआ।*
(म‌दारिज़ नबुव्वत 1/36,37)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की मुहरें नबुव्वत पर क्या लिखा था?
*जवाब- शेख़ इब्ने हजर मक्की रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि शरह मिश्कात में फरमाते हैं आपकी मुहरें नबुव्वत में लिखा हुआ था"अल्लाहु वहादहु लाशारिका लहु तवज़्ज़हु ह‌एसु कुन्ता फा इन्नाका मन्सुर"और हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु के मुताबिक मुहरें नबुव्वत पर"ला इलाहा इल्लल्लाह"के अल्फ़ाज लिखे हुए थे और एक रिवायत के मुताबिक"मुहम्मदुर्ररसूलल्लाह"के अल्फ़ाज थे।*
(मदारिज़ नबुव्वत 1/36/शवाहिद नबुव्वत 251)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के विसाले हक़ के बाद मुहरें नबुव्वत बाकी रही थी या नहीं?
*जवाब- बाज़ रिवायतों में आया है कि आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के विसाले हक़ के बाद मुहरें नबुव्वत रूपोश हो गई थी और इसी अलामत से मालूम हुआ कि हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने पर्दा फ़रमाया है क्योंकि लोगों में शुब्हा और इख़्तिलाफ वाक़ेअ हो गया था या इसलिए कि यह दलीलें नबुव्वत थी अब इसके इस बात की हाजत नहीं रही या फिर इस बात के कि अल्लाह त‌आला का कोई ख़ास भेद हो जिसे वह खुब जानता है लेकिन यह ग़लत है कि बाद विसाल नबुव्वत बाकी न रही क्योंकि नबुव्वत व रिसालत मौत के बाद भी बरक़रार रहती है।*
(मदारिज़ नबुव्वत 1/36)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



*《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (08)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को कितने मौजिजे अता हुए?
*जवाब- पैगंबरों को एक-एक या दो-दो मौजिज़े अता किए गए सबसे ज्यादा हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को अता हुए यानी नौ लेकिन हमारे हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को छह हजार मौजिज़े अता हुए रिवायतों में अता है कि हक़ यह है कि ख़ुद हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम सर से कदम मोहतरम तक मौजिज़ा हैं यानी शरीफ़ मौजिज़ा है बल्कि हर चीज़ मौजिज़ा है।*
(तफ्सीर न‌ईमी 1/237)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने किसकी ख़्वाहिश पर चांद के दो टुकड़े फरमाएं थे?
*जवाब- हबीब बिन मालिक वाली यमन की ख़्वाहिश पर और दुसरी रिवायत में है कि वलीद बिन मुग़रा,अबु जहल,आस बिन वाइस,आस बिन हिशाम,असवद बिन य़गूस,असवद बिन मुत्तलिब,ज़ामा बिन असवद नज़र बिन हारिस और ऐसे ही दुसरे अफराद की ख़्वाहिश पर हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने चांद के दो टुकड़े फरमाएं।*
(शाने हबीबुर्रहमान/दलाइल नबुव्वत उर्दू 244)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम का शक़े कमर का वाक़िआ किस जगह जाहिर पर फ़रमाया था और चांद के दो टुकड़े किस किस जगह पर दिख रहे थे?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने यह मौजिज़ा कोहे सफ़ा पर जाहिर फ़रमाया और चांद का एक टुकड़ा अबू कबीस पर और दुसरा कोहे क‌इक़ान पर दिखा।*
(शाने हबीबुर्रहमान 188/दलाइल नबुव्वत उर्दू 244)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को कितनी बार मैराज हुई और उसमें से रूहानी कितनी थीं और जिस्मानी कितनी?
*जवाब- बाज़ आरिफीन फरमाते हैं कि हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की असरात और मैराज बहुत थीं और बाज़ हजरात ने चालीस कहा है जिनमें से एक तो बेदारी से हूई थी बाक़ी ख़्वाब में रुहानी।*
(मदारिज़ नबुव्वत 1/288/शाने हबीबुर्रहमान 187)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



    *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (09)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम कि जिस्मानी मैराज की सैर की मुद्दत कितनी थी?*जवाब- मैराज की मुद्दत बाज़ ने चार साअत"लम्हें"बाज़ तीन साअत और बाज़ ने इससे भी कम कहा है।*
(हाशिया जलालैन 16/228/म‌आरिज़ नबुव्वत 3/150)

सवाल- शबे मैराज में हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने बैतुल मुकद्दस में तमाम अंबिया किराम को जो नमाज़ पढ़ाई उस नमाज़ में कितनी रक‌अते थी और नमाज़ कि अज़ान व इकामत किसने कही थी और नमाज़ में हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने कौनसी सुरत तिलावत फ़रमाई?
*जवाब- उस नमाज़ में दो रक‌अते थी और नमाज़ कि अज़ान व इकामत हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने कही थी और आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने उस नमाज़ कि पहली रक‌अत में सूर‌ए काफ़िरून और दुसरी रक‌अत में सूर‌ए इख़लास तिलावत फ़रमाई।*
(नजहतुल मजालिस 9/79/रूहुन मानी 15/12)

सवाल- शबे मैराज को बैतूल मुकद्दस में पढ़ी गई उस नमाज़ में अंबिया किराम व मुरसलीन की कितनी सफ़ें थीं और किस तर्तीब से थीं?
*जवाब- इस नमाज़ में अंबिया किराम व मुरसलीन अलैहिस्सलाम की सात सफें थीं तीन में मुरसलीन"रसुल"और चार में अंबिया किराम अलैहिस्सलाम थे हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की पुश्त के बिल मुक़ाबिल हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम दाएं हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम और बाएं हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम थे।*
(हाशिया जलालैन 17/408/रुहुल बयान 5/112/रुहुल मानी 5/12)

सवाल- शबे मैराज अल्लाह त‌आला ने हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को कितनी चीज़ें अता फरमाई?
*जवाब- तीन चीजें अता फरमाई{1}पांच वक़्त की नमाज़{2}सुर‌ए बक़रा की आखीरी आयतें{3}आपकी उम्मत में जो मुश्रिक न हो उनके गुनाहों की बख़्शिश।*
(अल अतक़ान फ़ी उलूमुल कुर‌आन 1/31/इब्ने कसीर 127)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



  *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (10)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने कितनी बार तमामा अंबिया किराम व मुरसलीन अलैहिस्सलाम की इमामत फरमाई और कहां कहां?
*जवाब- आला हज़रत फ़ाजिले बरेलवी रहमतुल्लाह त‌आला अलैह फ़रमाते हैं अव्वलीन व आख़िरीन अंबिया व मुरसलीन अलैहिस्सलाम ने एक बार हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की इक़्तिदा में शबे मैराज को बैतूल मुकद्दस में नमाज़ पढ़ी और दुसरी बार बैतुल मामूर में सब अंबिया व मुरसलीन अलैहिस्सलाम और तमाम उम्मते मरहूमा ने नमाज़ पढ़ी।*
(मलफ़ूज़ात 4/17/मदारिज़ नबुव्वत 1/295)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम कितनी बार दिदारे इलाही से मुशर्रफ व मुमताज़ हुए?
*जवाब- तर्जुमानुल कुर‌आन हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु फरमाते है कि अल्लाह त‌आला ने हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को दो बार अपने दिदार से इम्तियाज़ बख़्शा और दुसरी रिवायत में है कि शबे मैराज को हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को दस बार दिदारे इलाही से मुशर्रफ फ़रमाए ग‌ए पहली बार मुलाकात के तल्लुक से उसके बाद जब आप नौ बार नमाज़े कम कराने गए।*
(ख़ज़ाइनुल इरफान 27सुर‌ए नमज/मदारिज़ नबुव्वत 1/135/हाशिया जलालैन 229/21)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को उनकी असली शक़्ल व सुरत में कितनी बार देखा और कब कब?
*जवाब- किसी नबी ने हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को उनकी असली शक़्ल व सुरत में नहीं देखा सिर्फ हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को उनकी असली शक़्ल व सुरत में देखा और ऐसा चार बार वाक़ेअ हुआ{1}गारे हिरा में जब आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम से उनकी असली शक़्ल व सुरत देखने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की और हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने अपनी अस्ल शक़्ल दिखाई{2}शबे मैराज को सिदरतुल मुन्तहा पर{3}नुज़ूल वही कि इब्तिदाए ज़माने में मक्का मुकर्रमा मुक़ाम अजयाद पर{4}काबा में हज़रत हम्ज़ा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने आप सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम से हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को उनकी अस्ल शक़्ल व सुरत में देखने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने पहले तो मना फ़रमाया लेकिन हज़रते हम्ज़ा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु के इसरार पर बैठ जाएं फिर कुछ देर बाद हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम काबा पर उतरे हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने अपने चचा हज़रत हम्जा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु से फ़रमाया देखिए जिब्राईल"अलैहिस्सलाम"अपनी असली शक़्ल व सुरत में आ गए जब हज़रते हम्ज़ा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने देखा तो बेहोश हो कर गिर ग‌ए।*
(दलाइल नबुव्वत/मदारिज़ नबुव्वत 1/392)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



    *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (11)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की जाहिरी हयात तैय्यबा का वह कौनसा ज़माना है जो आपकी उम्र में शामिल नहीं है?
*जवाब- मैराज़ की सैर का ज़माना आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की उम्र शरीफ़ में शामिल नहीं क्योंकि उम्र जमीन पर जिंदा रहने की मुद्दत का नाम है।*
(तफ़्सीर नईमी 2/255)

सवाल- हिजरत के लिए हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम किस माह कि किस तरीख को मक्का से रवाना हुए थे और किस तरीख को मदीना मुनव्वरा में रौनक अफ़रोज़ हुए?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम मक्का से सत्ताइस सफ़र को निकले और ग़ारे सौर से रबीउल अव्वल को निकले और मदीना मुनव्वरा में रौनक अफ़रोज़ होने के मुताल्लिक उलमा-ए-सैर के दरमियान इस पर पूरा इत्तेफाक है वह मंगल का दिन था और महीना रविउल अव्वल का था लेकिन तारीख में इख़्तिलाफ़ है बाज़ बारह रबीउल अव्वल कहते हैं और बाज़ तेरह यह इख़्तिलाफ चांद की तारीख का इख़्तिलाफ़ है इमाम नुव्वी रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि ने बारह रबीउल अव्वल पर जज़्म किया है।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/161)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने मदीना मुनव्वरा में जिस मकान में कयाम फ़रमाया था उस मकान को किसने बनाया था?
*जवाब- हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु से मरवी है कि जब ताएफ के बादशाह तबा ने मदीना मुनव्वरा पर चढ़ाई की थी और उसने ऐलान किया था के मैं शहर मदीना को विरान कर दुंगा और उसके रहने वालों को अपने लड़के के इंतिक़ाल में कत्ल कर डालूंगा जैसे उन्होंने फ़रैब और धोके से कत़्ल किया है तो उस वक़्त सामोल यहुदी ने जो उस ज़माने में यहुदियों का सबसे बड़ा आलिम था उसने कहा ऐ बादशाह यह वह शहर है जिसकी तरफ़ नबी-ए-आख़िरुज़्ज़मा की हिजरत होगी और उस नबी की जाए विलायत मक्का मुकर्रमा है उनका इस्मे गिरामी अहमद है यह शहर उनका दारे हिजरत है और उनकी क़ब्रे अनवर भी इसी जगह होगी यह सब सुनकर तबा युंही वापस हो गया मुहम्मद बिन इस्हाक किताब मग़ाजी में नक़ल करते हैं तबा ने नबी आख़िरुज़्ज़मा के लिए एक आलीशान महल तामीर कराया तबा के साथ तौरैत के चार सौ आलिम भी थे जो तबा कि सोहबत छोड़ कर मदीना मुनव्वरा में इस आरजू में ठहर ग‌ए कि वह हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की सोहबत कि स‌आदत हासिल करेंगे तबा ने उन चार सौ आलिमों में से हर एक के लिए एक मकान बनवाया और उनको एक एक बांदी बख़्शी और उनको माले कसीर दिया तबा ने एक ख़त भी लिखा जिसमें अपने इस्लाम लाने की शहादत दी वह मकान जो ख़ातिमुन्नबी के लिए वनाया गया था वह हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के कदम रंजा फरमाने तक मौजूद रहा कहते हैं कि हज़रत अय्यूब अंसारी रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु का वह मकान जिसमें हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने हिजरत के बाद नुज़ूल फ़रमाया था वही मकान है।*
(मदारिज़ नबुव्वत 1/204)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)




   *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (12)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मेरे चार वज़ीर हैं यह चार हज़रात कौन-कौन हैं?
*जवाब- वह चार वज़ीर यह है दो अहले आसमान पर हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम और हज़रत मीकाईल अलैहिस्सलाम और दो अहले ज़मीन पर हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु और हज़रत उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु है।*
(तफ़्सीर अलम नशरह 196)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने कितने हज़ व कितने उमरे किए?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने हिजरत के बाद एक हज़ किया जिसे हज़्ज़तुल विदा व हज़्ज़तुल इस्लाम कहते हैं और हिज़रत से पहले बाज़ कहते हैं कि दो हज़ किए और बाज़ कहते हैं कि तीन हज़ किए और बाज़ इससे भी ज्यादा कहते है और आपके उमरे के बारे में बाज़ उलमा तीन कहते हैं क्यौंकि हुदैबिया में हक़ीक़तन उमरा नहीं हुआ लेकिन जम्हूर उल्मा उसे उमरे का हुक्म देकर कुल उमरे कि तादाद चार बताते हैं।*
(मदारिज़ नबुव्वत 725/अल कामिल फ़ी तारीख 2/127)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की दाढ़ी मुबारक के कितने बाल सफेद थे?
*जवाब- उन्नीस बाल सफेद थे।*
(तफ़्सीर अलम नशरह 199)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की गोद में कितने बच्चों ने पेशाब किया?
*जवाब- पांच बच्चों ने पेशाब किया{1}सुलैमान बिन हिशाम{2}हज़रत इमाम हसन रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु{3}हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु{4}हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु{5}इब्ने उम्मे कैस।*
(अवज़्ज़ुल मसालिक 1/162)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



*《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (13)》*
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सवाल- ग़ज़वाए खैबर के मौके पर हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को ज़हर मिला हुआ गोश्त किस औरत ने दिया था?
*जवाब- ज़ैनब बिन्ते हारिस यहुदिया ने जो मरहब कि भतीजी और सलमान बिन शिकम की बीबी थी।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/420)

सवाल- उस यहुदिया का नाम क्या है जिसने हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम पर जादू किया था और यह वाकिआ किस सन् में पेश आया और जादू का असर कितने दिनों तक रहा?
*जवाब- लबीद बिन आसिम यहुदी और उसकी बेटियों ने हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम पर जादू किया हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के जिस्म मुबारक और आज़ा ज़ाहिरा पर उसका असर हुआ क़ल्व व अक़्ल और ऐतिक़ाद पर कुछ असर नही हुआ कुछ रोज़ बाद हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम आए और उन्होंने अर्ज किया कि एक यहुदी ने आप पर जादू किया है और जादू का जो कुछ सामान है वह अज़दान नामी कुएं में एक पत्थर के नीचे दबा दिया है हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को भेजा हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने कुएं का पानी निकाल ने के बाद पत्थर उठाया उसके नीचे से खजूर के गाभे की वैली बरामद हुई इसमें हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के मुएं मुबारक या कमान का चिल्ला जिसमें ग्यारह गिरहें लगी थीं और एक मोम का पुतला जिसमें सूंईया चुभी थीं यह सब समान पत्थर के निचे से निकला और हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर किया गया अल्लाह त‌आला ने सूर‌ए फ़लक़ और सूर‌ए नास नाज़िल फरमाई इन दोनों सुरतों में ग्यारह आयतें हैं हर एक आयत को पड़ने से एक गिरहे खुलती जाती थी यहां तक कि सब गिरहें खुल गई और हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम बिल्कुल तंदरुस्त हो ग‌ए यह हादसा हुदैबिया से वापसी के बाद सन्6हिजरी के माह ज़िलहिज़्ज़ा में हुआ और इस जादू के असर रहने की मुद्दत के बारे में एक कौल चालीस दिन का है और एक कौल छह महीने का है और एक रिवायत एक साल कि भी है।*
(ख़ज़ाइनुल इरफ़ान 30/सूर‌ए फ़लक़/मदारिज़ नबुव्वत 1/415)
*नोट:- सूर‌ए फ़लक़ और सूर‌ए नास जादू का काट है लिहाज़ा ज्यादा से ज्यादा पड़कर दम किया करो इन्शा अल्लाह त‌आला शिफ़ा मिलेगी।*
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



   *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (14)》*
*______________________________________*

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने हज़्जतुल विदा के मौके पर कितने ऊंट जिबह फरमाए थे?
*जवाब- हज़्ज़तुल विदा के मौके पर कुल सौ ऊंट कुर्बान किए तिरेसट ऊंट अपने हाथों से जिब्ह फरमाए जो आपकी उम्र शरीफ़ के सालों कि अदद पर है और सैंतीस ऊंटों के लिए हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को हुक्म फरमाया कि वह जिब्ह करे और एक जगह कुछ इस तरह है कि हुदैबिया वाले दिन सत्तर ऊंट ज़िब्ह किए थे बीस ऊंटों को हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने अपने दस्ते मुबारक से जिब्ह फरमाए और बाकी को नाहिया बिन जुंदब को दिया कि वह जिब्ह करे।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/672व2/371/इब्ने कसीर)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने नमाज़ में कितनी बार सज़्दा-ए-सहव किया?
*जवाब- साहिब सफ़र स‌आदत फरमाते है कि पांच मुक़ामात ऐसे है जहां तमाम उम्र हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को नमाज़ में सहव से मुत्तसिफ फ़रमाया गया इनके सिवा कहीं साबित नहीं{1}जोहर की नमाज़ में में हुआ कि अव्वल तशह्हुद में बैठे और फिर हो ग‌ए जब नमाज़ पूरी कर ली तो दो सज़्दे किए फिर सलाम फेरा{2}दुसरा मुकाम एक और ऐसा ही मौका है जोहर की दुसरी रकात के बाद क़ादा फ़रमाया और सलाम फेरा फिर याद आया तो नमाज़ को पूरा फ़रमाया और दो सज़्दे किए और फिर सलाम फेरा{3}तीसरा मौका यह है कि एक रोज़ नमाज़ पढ़ी और बहार तशरीफ़ ले आए एक रकात बाकी रह गई थी हज़रत तल्हा बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु आपके पिछे बाहर आए और अर्ज किया या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम एक रकात अपने फरामोश कर दी उसके बाद हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम मस्जिद में तशरीफ़ लाए और हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को इकामत को कहा और एक रकात जो फ़रामोश की थी अदा की{4}चौथा मौका यह है कि नमाज़-ए-जोहर अदा की और एक रकात हो गई सहाबा किराम ने अर्ज किया या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम एक रकात ज़्यादा हो ग‌ई पांच रकात नमाज़ पढ़ी है तो हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने उससी वक़्त दो सज्दे किए और सलाम फेरा और उस्सी पर इख़्तिसार किया{5} पांचवा मौका यह है कि असर की नमाज़ की तीन रकात पढ़ी काशाना अक़्दस में तशरीफ़ ले गए सहाबा किराम ने बाद में बताया तो आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने मस्जिद में तशरीफ़ लाए और एक रकात नमाज़ अदा करके दो सज्दे किए फिर दोबारा सलाम फेरा यही पांच मुक़ामात है जहां आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने सज़्दा-ए-सहव फ़रमाया है लेकिन खबरदार रहना चाहिए कि हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम का हरकाम उम्मते मुहम्मदिया को अहक़ाम व शरीअत के करीब ले जाता है और हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की इक़्तिदा की स‌आदत नसीब होती है।*
(मदारिज़ नबुव्वत 1/646,647)
*______________________________________*
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



    *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (15)》*
*______________________________________*

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की इमामत में पढ़ी जाने वाली आखिरी नमाज़ कौनसी थी और आप ने उसमें कौनसी सूरत तिलावत फरमाई?
*जवाब- वह मग़रीब कि नमाज़ थी और आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने सुर‌ए मुरसिलात तिलावत फरमाई।*
(इब्ने कसीर 29/सुर‌ए मुरसिलात)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की बिमारी कि मुद्दत कितने वक़्त रही?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के बिमारी के दिनों में इख़्तिलाफ़ है बाज़ के नज़दीक तेरह दिन है और बाज़ कहते हैं चौदह रोज़ है और बाज़ ने बारह दिन शुमार किए हैं और एक गिरोह ने दस रोज़ कहा है यह इख़्तिलाफ़ इब्तिदाए मर्ज़ है।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/708)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने दौराने बिमारी कितने गुलामों को आजाद फरमाया?
*जवाब- चालीस गुलामों को आजाद फ़रमाया।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/710)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की रूह क़ब्ज़ करने के लिए हज़रत इज़राईल अलैहिस्सलाम अपने हमराह कितने फ़रिश्ते लाए थे?
*जवाब- मलकुल मौत के साथ दो अज़ीम फ़रिश्ते और थे एक हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम और दुसरे हज़रत मीकाईल अलैहिस्सलाम सत्तर हज़ार या एक लाख फ़रिश्तों पर हाकिम थे और जिनका हर एक फ़रिश्ता सत्तर हजार या एक लाख फ़रिश्तों पर हाकिम है यह सब फ़रिश्ते हज़रत इज़राईल अलैहिस्सलाम के हमराह थे।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/727)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



   *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (16)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने अपनी तीन आखिरी सांसों में क्या फ़रमाया था?
*जवाब- आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने अपनी पहली सांस में फ़रमाया"अस्सलात"दुसरी सांस में फ़रमाया"वमा मलकत ऐमानुकुम और तिसरी और आख़िरी सांस में फ़रमाया"अल्लाहुम्मा बिर्रफ़ीक़िल आला"।*
(तफ़्सीर नईमी 2/197)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को किन किन हज़रात ने गुस्ल दिया?
*जवाब- आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को गुस्ल देने के लिए चारों तरफ से चादर को ताना गया और उसमें हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु हज़रत फ़ज़ल रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु और हज़रत क़सम रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु और एक रिवायत में हज़रत क़सम रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु कि जगह हज़रत अबू सुफ़ियान रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु का नाम आया है और हज़रत उसामा बिन ज़ैद व हज़रत शक़रान रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु जमा हुए हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने आपको अपने सीने पर लिया और हाथों में दास्तानें पहन कर हाथों को पैरहन मुबारक में दाखिल किया हज़रत उसामा बिन ज़ैद और हज़रत शक़रान रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु कमीज़ मुबारक के ऊपर से पानी डालते थे हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु और हज़रत क़सम रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु एक पहलू से दुसरे पहलू हाथ ले जाते हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु इआनत व इमदाद करते थे और एक रिवायत में है कि ग़ैब से भी ग़ुस्ल में इआदत वाक़ेअ हुई।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/198)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को किस कुएं के पानी से गुस्ल दिया और कितनी मिक्दार पानी से?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को तीन मर्तवा पाक व साफ़ पानी वेरी के पत्ते और काफ़ूर के पानी से गुस्ल दिया गया इब्ने माजा ने वसनद सैय्यद हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु से नक़ल फ़रमाया कि हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया था कि जब मुझे गुस्ल दो बेर ग़रस के पानी के सात मशकीजों से देना बेर ग़रस यह एक कुआं है जो मदीना मुनव्वरा से शुमाल की जानिब निस्फ मील की मुसाफ़त पर मौजूद है।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/745)
*______________________________________*
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



    *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
               *《पोस्ट (17)》*
*______________________________________*
सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम पर कितनी नमाज़े पढ़ी गई?
*जवाब- अल्लामा इब्ने माजसून रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि से लोगों ने पुछा हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम पर कितनी नमाज़े पढ़ी गई उन्होंने फरमाया सत्तर पढ़ी गई लोगों ने पुछा आपको यह कहां से मालूम हुआ आपने फ़रमाया उस संदूक से जो इमाम मालिक ने अपनी तहरीर से छोड़ा और वह नाफ़े से और वह इब्ने उमर रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु से मरवी है लिहाज़ा है कि इससे फ़रिश्तों के सिवा सहाबा किराम की नमाज़े होंगी।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/749)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की नमाज़ जनाजा सबसे पहले किन लोगों ने पढ़ी?
*जवाब- एक रिवायत में है कि सबसे पहले जिन्होंने जनाज़े शरीफ़ की नमाज़ पढ़ी वह अहले बैत नबुव्वत थे हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु हजरत अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु और बनू हाशिम रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हुम उसके बाद मुहाजिरीन उनके बाद अन्सार आए फिर और लोग जमाअत की जमाअत दाख़िल होती जाती और नमाज़ अदा करती जाती थी यह तर्तीब तो सहाबा किराम रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हुम की थी हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम से जब सवाल किया गया कि आप"हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम"पर सबसे पहले कौन नमाज़े जनाजा पढ़े तो आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया था सबसे पहले जो मेरी नमाज़ पड़ेगा वह मेरे दोस्त जिब्राईल होंगे फिर मीकाईल फिर इसराफील फिर मलकुल मौत गिरौह मलाइका के साथ आएंगे और नमाज़ पढ़ेंगे और एक रिवायत में आया है कि सबसे पहले जो मुझपर नमाज़ पढ़ेगा वह‌ मेरा रब है उसके बाद यह फ़रिश्ते जिनका जिक्र हुआ उसके बाद फ़ौज़ दर फ़ौज आयीं और नमाज़े पढ़ें और नमाज़ कि इब्तिदा मेरे अहले बैत करें।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/748)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की तदफ़ीन के सिलसिले में सहाबा किराम के बिच क्या क्या मशवरे हुए और किस पर अमल किया गया?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम कि तदफ़ीम में इख़्तिलाफ़ हुआ कि किस आपको सुलाया जाए एक जमाअत ने कहा उस हुजरे पाक में जहां आपने इन्तिकाल फरमाया दुसरी जमाअत ने कहा मस्जिदे नव्वबी में और एक गिरोह ने कहा मक़बरे में और कुछ लोगों ने कहा कुद्दस में क्योंकि तमाम नबियों की क़ब्रें वहां है और हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने फ़रमाया मैंने हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम से सुना है कि एक रिवायत में हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु से मरवी है कि फरमाया रूए ज़मीन पर ख़िता खुदा त‌आला के नज़दीक इस ख़ित्ते गिरामी तर नहीं जिसमें नबी की रुह का कब़्ज़ किया गया फिर आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के बिस्तर मुबारक को उठाया गया और इस्सी खास जगह पर कब़्र खोदना तय किया।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/750)
*______________________________________*
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



  *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
               *《पोस्ट (18)》*
*______________________________________*
सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की क़ब्रे मुबारक किसने खोदी और किस तरीके पर खोदी?
*जवाब- मदीना मुनव्वरा में दो शख़्स क़ब्र खोदने वाले थे एक हज़रत अबू उबैदा बिन जर्राह रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु क़ब्र खोदते थे और दुसरे हज़रत अबू तल्हा अंसारी रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु जो बतरीक लहद खोदते थे इस पर हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने फ़रमाया ऐ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपने हबीब लिए वह चीज़ इख़्तियार फरमा जो महबूब व मुख़्तार हो फिर दो आदमी भेजें एक हज़रत अबू तल्हा अंसारी रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को बुलाने और दुसरा शख़्स हज़रत अबू उबैदा बिन जर्राह रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को बुलाने और फ़रमाया जो पहले आ जाए वही अपने तरीक़े पर काम करे हज़रत अबू उबैदा बिन जर्राह रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु उस शख़्स को नही मिले जो आपको बुलाने गया था और हज़रत अबू तल्हा अंसारी रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु आ ग‌ए उसके बाद लहद के तरीक़ तैयार कि ग‌ई।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/754)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने किस रोज़ विसाल फ़रमाया और किस दिन और किस वक़्त तदफीम हुई?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने पीर के रोज़ विसाल फ़रमाया और मंगल का पूरा दिन आपका तख़्त मुबारक आपके हज़रे मुबारक में रहा और लोग नमाज़ पढ़ते रहे बुध को सुबह के वक़्त हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की तदफीम हुई।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/749,751)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को किस जानिब से कब़्र में उतारा गया?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को आपके कदमें अक़्दस कि जानिब से कब़्र मुबारक में दाखिल किया गया।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/754)
*______________________________________*
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



    *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
               *《पोस्ट (19)》*
*______________________________________*
सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम कि कब्र मुबारक में कौन-कौन से हजरात उतरे थे?
*जवाब- सही कौल यह है कि हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु हज़रत फ़ज़ल बिन अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु और कस़म बिन अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की कब्रे अनवर में दाखिल हुए।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/754)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को जब कब़्र मुबारक में उतारा गया तो आप अपने लबों मुबारक को जुंबिश फरमा रहे थे तो किस सहाबी ने कान लगाकर सुना और आप क्या फरमा रहे थे?
*जवाब- वह हज़रत क़सम बिन अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु फरमाते है कि मैंने कब्र में देखा कि हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम अपने लब मुबारक को जुंबिश फरमा रहे है मैंने कानों को आपके दहन मुबारक के करीब किया मैंने सुना आप फरमा रहे थे रब्बी उम्मती उम्मती।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/751)

सवाल- वह आखिरी सहाबी कौन थे जिन्होंने हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम का रुए अनवर कब्र में देखा?
*जवाब- हज़रत कस़म बिन अब्बास रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु फरमाते है कि वह आखिरी शख़्स जिसने हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम का रुए मुबारक कब्र में देखा वह में था।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/751)
*______________________________________*
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)



    *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (20)आख़िरी》*
*______________________________________*
सवाल- कब्रे अनवर में हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के नीचे क्या बिछाया गया और किसने बिछाया?
*जवाब- बहरैन की सुर्ख मख़मली चादर जो ख़ैबर के रोज़ हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को पहुंची थी और उससे आप ओढ़ते थे उस चादर को बिछाया गया कहते हैं कि उसके बिछाने वाले हज़रत शकरान रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु थे आपने फ़रमाया में पसंद नहीं करता आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की चादर को कोई दुसरा ओढ़े।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/751)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की कब्रे अनवर को किन चीजों से बनाया गया?
*जवाब- कच्ची ईट से बनाई गई उसके बाद लहद पर मिट्टी डाली गई और सुर्ख व सफ़ेद संगरेज़े जमाए ग‌ए।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/751)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की कब्रे अनवर ज़मीन से कितनी ऊंची कि ग‌ई?
*जवाब- कब्र शरीफ़ ज़मीन से एक बालिशत जितनी ऊंची की गई और एक रिवायत में चार उंगल का ज़िक्र आया है।*
(इस्लामी हैरत अंगैज मालूमात 245)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की कब्र मुबारक पर कितना पानी छिड़का गया और किसने छिड़का?
*जवाब- हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु ने कब्र मुबारक पर एक मश्कीज़ा पानी छिड़का और सरहाने कि तरफ से घिड़कना शुरू किया‌।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/752)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने तर्के में क्या चीज़े छोड़ी?
*जवाब- एक दराज़ गोश"गधा",अस्लहा,कमीज़ मुबारक,चादर शरीफ़ और इससी किसम के कुछ और लिबास और बनी नज़ीर ख़ैबर और फ़िदक की जमीन जो आपके लिए खास थी।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/757)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)


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🅱️ बहारे शरीअत ( हिस्सा- 03 )🅱️

_____________________________________   _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 089)*_ ―――――――――――――――――――――             _*🕌नमाज़ पढ़ने का तरीक...