Monday, November 2, 2020

🌨️ निकाह 🌨️

*_🌹निकाह मैं जल्दी करो…._*

*_लड़की के बालिग़ होते है उसके निकाह करने में जल्दी करना सुन्नत….इसकी दिनी और दुनियावी दोनों चीज़े हमे मअलूम होना चाहिए…._*

_आइये पहले दीन से समझ ले, लड़की को 9 साल के बाद अपने पास सुलाने की इजाज़त नही शरीअत ने लड़की के बालिग़ होने और हैज़ आने की मुद्दत कम से कम 9 साल रखी है… लड़की के बालिग़ होने के बाद उसके जिस्म,दिमाग़, सोच में तेज़ी से बदलाव होते और वह अपने से जुदा जीन्स की तरफ़ माएल होती है,_

_यही हाल लड़को का होता है जब जिस्म जवानी में क़दम रखते है तो उनकी भी एक ख़ुराक़ होती है जब वह हलाल (निक़ाह) तरीके से नही हासिल होती तो जिस्म हराम तरीके से उज़ गिज़ा की जानिब दोढ़ता है,_

_लिहाज़ा इसीलिये मेरे मुस्तफ़ा जाने रहमत ने निक़ाह करने में जल्दी फ़रमाई फ़रमाने रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम है कि :- बन्दे ने जब निकाह कर लिया तो आधा दीन मुकम्मल हो जाता है …अब बाकी आधे के लिए अल्लाह से डरे…_

*_📚:-(मिश्कात शरीफ़, जिल्द-2,सफ़ा-72,हदीस-2972)_*

_सुब्हानल्लाह…हमारे नबी ने हमे दीन मुकम्मल करने का कितना आसान रास्ता बताया है आधा निकाह करके और बाकी अपने रब्बे करीम से डरे उसके जलाल और कहर से डरे उसके अज़ाब से डरे…अगर अल्लाह का डर हमेशा रहेगा तो फ़िर किसी से डर नही लगेगा और गुनाहों से बुरी बातों से भी हम दूर रहेंगे…और अगर निक़ाह न कर सके किसी बिना पर तो उसे चाहिए रौज़ा रखें…._

_और दुनियावी लिहाज़ से हम खुदकी मिसाल देंगे कि 21 की उम्र में निक़ाह हुवा और रब तआला ने 30 तक औलाद से उमरह से फ़ारिग कर दिया, जबकि गेरो में 32-35 साल तक तो शादी ही होती है, बढ़े बुज़ुर्ग कहते है की बाप के काँधे झुकने से क़ब्ल बेटा उसके काँधे तक आ जाना चाहिए….लिहाज़ा अगर कोई बढ़ी वजह जैसे माली हालत, पढ़ाई, रिश्ता न मिलना या बाहर मुल्क में काम करता हो ये सब न हो तो बिला वजह निक़ाह न रोके उसे जल्द से जल्द अंजाम दे…

शादी से पहले लड़की को देखना
*💎हदीसः – रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः ” जब तुम में से कोई किसी औरत को निकाह का पैगाम दे तो अगर उसको देखना मुमकिन हो तो देख ले ।*

*_📚अबु दाऊद जिल्द 1 , पेज 284_*

*💎हदीस : – हज़रत मुगीरा बिन शोअबा से मरवी है , फरमाते हैं , मैंने एक औरत को निकाह का पैगाम दिया , मुझ से रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया ” क्या तुमने उसे देख लिया है ? ” में ने कहा ” नहीं । ” फ़रमाया ” उसे देख लो कि देखना तुम्हारी आप की दाइमी मुहब्बत का ज़रिया है ।*

*_📚तिर्मिजी शरीफ़ जिल्द 1 , पेज 129_*

*💎हदीस : – हज़रत मुहम्मद बिन सल्लमा फरमाते हैं कि मैंने एक औरत को निकाह का पैगाम दिया , मैं उसे देखने के लिए उसके बाग में छिप कर जाया करता था , यहाँ तक कि मैंने उसे देख लिया । ” किसी ने आपसे कहा ” आप ऐसा काम क्यों करते हैं ? हालांकि आप हुजूर सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम के सहाबी हैं ‘ मैंने उसे जवाब दिया कि हमने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इरशाद फ़रमाते सुना है : ” जब अल्लाह तआला किसी के दिल में किसी औरत से निकाह की ख्वाहिश डाले और वह उसे पैगामे निकाह दे तो उसकी जानिब देखने में कोई हरज नहीं ।*

*_इब्ने माजा पेज 134 )_*

*📚हदीस : – हज़रत आयशा रदियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम मेरी तस्वीर सुर्ख रेशम के कपड़े में लपेट कर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास लेकर आये और आपसे फरमाया यह आपकी अहलिया हैं दुनिया और आख़िरत में ।*

*_📚तिर्मिजी शरीफ़ जिल्द 2 , पेज 226_*
_*📚सलिक़ा -ए- ज़िन्दगी, सफा 1920*_
*_📚करीना ए जिन्दगी सफह 39_*




💖 *निकाह के फज़ाइल* 💖
🖋️ खालिके कायनात ने मर्दो औरत के दरमियान एक दूसरे की महब्बत से सुकून हासिल करने और लुत्फ़ अन्दोज़ होने की जो ख्वाहिश रखी है, उसका नाम *’जिमाअ’* है। इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिये शरीअते इस्लामी ने निकाह का तरीका बताया है।
💐 *निकाह हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की निहायत अहम सुन्नत है।* निकाह आपस में उन्सो महब्बत, इख्लासो हमदर्दी पैदा होने का सबब है। निकाह से दो अजनबी अफराद रिश्तए इज़्दिवाज में मुन्सलिक हो जाते हैं और एक दूसरे के सच्चे हमदर्द और ज़िन्दगी भर के लिये शरीके हयात बन जाते हैं।
*📖 कुरानः -* अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है : “तो निकाह मे लाओ जो औरतें तुम्हें खुश आयें।”
*📚 (सुरह अन्निसा)*
☞ “और अल्लाह ने तुम्हारे लिए तुम्हारी जिन्स से औरतें बनायीं और तुम्हारे लिए तुम्हारी औरतों से बेटे और पोते और नवासे पैदा किये।”
📚 *(सूरह नहल)*
*🖋️हदीसः -* रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः “दुनिया की तमाम चीजें फायदा उठाने के लिए हैं और दुनिया की बेहतरीन फायदा उठाने की चीज़ नेक औरत है।”
*📗 (मुस्लिम शरीफ़ जिल्द 1, पेज 475)*
*🖋️हदीसः -* रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः “जो मर्द किसी औरत से उसकी इज़्ज़त के सबब निकाह करे, अल्लाह तआला उसकी ज़िल्लत में ज़्यादती करेगा और जो किसी औरत से उसके माल के सबब निकाह करेगा तो अल्लाह तआला उसकी मोहताजी बढ़ायेगा और जो उसके हसब के सबब निकाह करेगा तो उसके कमीनेपन में ज़्यादती फरमाये और जो इसलिए निकाह करे कि इधर उधर निगाह न उठे और पाक दामनी हासिल हो या सिला रहमी करे तो अल्लाह तआला उस मर्द के लिए उस औरत में बरकत देगा और औरत के लिए मर्द में।”
*📗(सुन्नी बहिश्ती जेवर 228)*
*🖋️हदीस : -* हज़रत मआज़ बिन जबल रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है : “साहिबे निकाह की नमाज़ बिला निकाह वाले की नमाज़ से चालीस या सत्तर दरजा ज़्यादा अफज़ल है।”
*📗 (नुज़हतुल मजालिस जिल्द 2 पेज 48)*
*📗 (कूव्वतुल कुलूब जिल्द 2, पेज 464)*
*🖋️हदीसः -* रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः *”जो गुरबत के सबब निकाह न करे वह हम में से नहीं।* नीज़ अल्लाह तआला फ़रिश्तों को हुक्म फ़रमाता है कि उसकी पैशानी पर लिख दो कि ऐ सुन्नते रसूल के छोड़ने वाले ! तुझे किल्लते रिज़क की बशारत हो।”
*📗 (नुज़हतुल मजालिसजिल्द 2, पेज 48)*
*🖋️हदीस : -* हज़रत जाबिर रदियल्लाह तआला अन्ह से मरवी है कि *रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः*
☞ “जब तुम में से कोई निकाह करता है तो शैतान कहता है हाय अफसोस इब्ने आदम ने मुझ से अपना दो तिहाई दीन बचा लिया।”




शादी की पहली रात का इस्लामी तरीका
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बीबी से मिलने का शरीअत में तरीका पूरा जरूर पड़े ।।।।।

#आदाबे_सोहबत (जिमाअ) ताल्लुक़ात के बयान

मियां बीवी के ताल्लुक़ से कुछ ऐसे मसले मसायल हैं जिनका जानना उनको ज़रूरी है मगर वो नहीं जानते,क्यों,क्योंकि दीनी किताब हम पढ़ते नहीं और आलिम से पूछने में शर्म आती है मगर अजीब बात है कि मसला पूछने में तो हमें शर्म आती है मगर वही ग़ैरत उस वक़्त मर जाती है जब दूल्हा अपने दोस्तों को और दुल्हन अपनी सहेलियों को पूरी रात की कहानी सुनाते हैं,खैर ये msg सेव करके रखें और अपने दोस्तों और अज़ीज़ो में जिनकी शादियां हों उन्हें तोहफे के तौर पर ये msg सेंड करें

* हज़रत इमाम गज़ाली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जिमअ यानि सोहबत करना जन्नत की लज़्ज़तों में से एक लज़्ज़त है

📕 कीमियाये सआदत,सफह 496

* हज़रत जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि इंसान को जिमअ की ऐसी ही ज़रूरत है जैसी गिज़ा की क्योंकि बीवी दिल की तहारत का सबब है

📕 अहयाउल उलूम,जिल्द 2,सफह 29

* हदीसे पाक में आता है कि जिस तरह हराम सोहबत पर गुनाह है उसी तरह जायज़ सोहबत पर नेकियां हैं

📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 324

* उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु तआला अंहा से मरवी है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जब एक मर्द अपनी बीवी का हाथ पकड़ता है तो उसके नामये आमाल में एक नेकी लिख दी जाती है और जब उसके गले में हाथ डालता है तो दस नेकियां लिखी जाती है और जब उससे सोहबत करता है तो दुनिया और माफीहा से बेहतर हो जाता है और जब ग़ुस्ले जनाबत करता है तो पानी जिस जिस बाल पर गुज़रता है तो हर बाल के बदले एक नेकी लिखी जाती है और एक गुनाह कम होता जाता है और एक दर्जा बुलंद होता जाता है

📕 गुनियतुत तालेबीन,सफह 113

* हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से एक शख्स ने अर्ज़ किया कि मैंने जिस लड़की से शादी की है मुझे लगता है कि वो मुझे पसंद नहीं करेगी तो आप फरमाते हैं कि मुहब्बत खुदा की तरफ से होती है और नफरत शैतान की तरफ से तो ऐसा करो कि जब तुम पहली बार उसके पास जाओ तो दोनों वुज़ु करो और 2 रकात नमाज़ नफ्ल शुकराना इस तरह पढ़ो कि तुम इमाम हो और वो तुम्हारी इक़्तिदा करे तो इन शा अल्लाह तुम उसे मुहब्बत और वफा करने वाली पाओगे

📕 गुनियतुत तालेबीन,सफह 115

* नमाज़ के बाद शौहर अपनी दुल्हन की पेशानी के थोड़े से बाल नर्मी और मुहब्बत से पकड़कर ये दुआ पढ़े अल्लाहुम्मा इन्नी असअलोका मिन खैरेहा वखैरे मा जबलतहा अलैहे व आऊज़ोबेका मिन शर्रेहा मा जबलतहा अलैह तो नमाज़ और इस दुआ की बरकत से मियां बीवी के दरमियान मुहब्बत और उल्फत क़ायम होगी इन शा अल्लाह

📕 अबु दाऊद,सफह 293

* खास जिमा के वक़्त बात करना मकरूह है इससे बच्चे के तोतले होने का खतरा है उसी तरह उस वक़्त औरत की शर्मगाह की तरह नज़र करने से भी बचना चाहिये कि बच्चे का अंधा होने का अमकान है युंही बिल्कुल बरहना भी सोहबत ना करें वरना बच्चे के बे हया होने का अंदेशा है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 46

* हमबिस्तरी के वक़्त बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ना सुन्नत है मगर याद रहे कि सतर खोलने से पहले पढ़ें और सबसे बेहतर है कि जब कमरे में दाखिल हो तब ही बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर दायां क़दम अन्दर दाखिल करें अगर हमेशा ऐसा करता रहेगा तो शैतान कमरे से बाहर ही ठहर जाएगा वरना वो भी आपके साथ शरीक होगा

📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 2,सफह 410

* आलाहज़रत फरमाते हैं कि औरत के अंदर मर्द के मुकाबले 100 गुना ज़्यादा शहवत है मगर उस पर हया को मुसल्लत कर दिया गया है तो अगर मर्द जल्दी फारिग हो जाये तो फौरन अपनी बीवी से जुदा ना हो बल्कि कुछ देर ठहरे फिर अलग हो

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 183

* जिमअ के वक़्त किसी और का तसव्वुर करना भी ज़िना है और सख्त गुनाह और जिमअ के लिए कोई वक़्त मुकर्रर नहीं हां बस इतना ख्याल रहे कि नमाज़ ना फौत होने पाये क्योंकि बीवी से भी नमाज़ रोज़ा एहराम एतेकाफ हैज़ व निफास और नमाज़ के ऐसे वक़्त में सोहबत करना कि नमाज़ का वक़्त निकल जाये हराम है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 1,सफह 584

* मर्द का अपनी औरत की छाती को मुंह लगाना जायज़ है मगर इस तरह कि दूध हलक़ से नीचे ना उतरे ये हराम है लेकिन ऐसा हो भी गया तो तौबा करे मगर इससे निकाह पर कोई फर्क नहीं आता

📕 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 58
📕 फतावा रज़वियह,जिल्द ,सफह 568

* मर्द व औरत को एक दूसरे का सतर देखना या छूना जायज़ है मगर हुक्म यही है कि मक़ामे मख़सूस की तरफ ना देखा जाये कि इससे निस्यान का मर्ज़ होता है और निगाह भी कमज़ोर हो जाती है

📕 रद्दुल मुख्तार,जिल्द 5,सफह 256

* मर्द नीचे हो और औरत ऊपर,ये तरीका हरगिज़ सही नहीं है इससे औरत के बांझ हो जाने का खतरा है

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 41

* फरागत के बाद मर्द व औरत को अलग अलग कपड़े से अपना सतर साफ करना चाहिए क्योंकि दोनों का एक ही कपड़ा इस्तेमाल करना नफरत और जुदायगी का सबब है

📕 कीमियाये सआदत,सफह 266

* एहतेलाम होने के बाद या दूसरी मर्तबा सोहबत करना चाहता है तब भी सतर धोकर वुज़ु कर लेना बेहतर है वरना होने वाले बच्चे को बीमारी का खतरा है

📕 क़ुवतुल क़ुलूब,जिल्द 2,सफह 489

* ज़्यादा बूढ़ी औरत से या खड़े होकर सोहबत करने से जिस्म बहुल जल्द कमज़ोर हो जाता है उसी तरह भरे पेट पर सोहबत करना भी सख्त नुकसान देह है

📕 बिस्तानुल आरेफीन,सफह 139

* जिमअ के बाद औरत को दाईं करवट पर लेटने का हुक्म दें कि अगर नुत्फा क़रार पा गया तो इन शा अल्लाह लड़का ही होगा

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 42

* जिमअ के फौरन बाद पानी पीना या नहाना सेहत के लिए नुकसान देह है हां सतर धो लेना और दोनों का पेशाब कर लेना सेहत के लिए फायदे मंद है

📕 बिस्तानुल आरेफीन,सफह 138

* तबीब कहते हैं कि हफ्ते में दो बार से ज़्यादा सोहबत करना हलाकत का बाईस है,शेर के बारे में आता है कि वो अपनी मादा से साल में एक मर्तबा ही जिमअ करता है और उसके बाद उस पर इतनी कमजोरी लाहिक़ हो जाती है अगले 48 घंटो तक वो चलने फिरने के काबिल भी नहीं रहता और 48 घंटो के बाद जब वो उठता है तब भी लड़खड़ाता है

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 41

* औरत से हैज़ की हालत में सोहबत करना जायज नहीं अगर चे शादी की पहली रात ही क्यों ना हो और अगर इसको जायज़ जाने जब तो काफिर हो जायेगा युंही उसके पीछे के मक़ाम में सोहबत करना भी सख्त हराम है

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 2,सफह 78

* मगर हैज़ की हालत में वो अछूत भी नहीं हो जाती जैसा कि बहुत जगह रिवाज है कि फातिहा वगैरह का खाना भी नहीं बनाने देते ये जिहालत है,बल्कि उसके साथ सोने में भी हर्ज नहीं जबकि शहवत का खतरा ना हो वरना अलग सोये

📕 फतावा मुस्तफविया,जिल्द 3,सफह 13

* क़यामत के दिन सबसे बदतर मर्द व औरत वो होंगे जो अपनी राज़ की बातें अपने दोस्तों को सुनाते हैं

📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 464

* औरत से जुदा रहने की मुद्दत 4 महीना है इससे ज़्यादा दूर रहना मना है

📕 तारीखुल खुलफा,सफह 97

* आलाहज़रत फरमाते हैं कि हमल ठहरने से रोकने के लिए दवा या कोई और तरीका इस्तेमाल करना या हमल ठहरने के बाद उसमें रूह फूकने की मुद्दत 120 दिन है तो अगर किसी उज़्रे शरई मसलन बच्चा अभी छोटा है और ये दूसरा बच्चा नहीं चाहता तो हमल साकित करना जायज़ है मगर रूह पड़ने के बाद हमल गिराना हराम और गोया क़त्ल है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 524

* अगर तोगरे में क़ुरान की आयत लिखी है तो जब तक उस पर कोई कपड़ा ना डाला जाए उस कमरे में सोहबत करना या बरहना होना बे अदबी है हां क़ुरान अगर जुज़दान में है तो हर्ज नहीं युंही किबला रु होना भी मना है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 522

* जो बच्चा समझदार हो उसके सामने सोहबत करना मकरूह है

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 14

* किसी की दो बीवियां हैं अगर चे उसका किसी से पर्दा नहीं मगर औरत का औरत से पर्दा है तो एक के सामने दूसरे से सोहबत करना जायज़ नहीं

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह २०७

याद रहे पहली रात खून आना कोई ज़ुरूरी नही है…जो जाहिल इस तरह की बात सोचते है वो कमिलमि है क्योंकि आज के दौर में जिस झिल्ली के फटने से वो खून ऑर्ट की शर्मगाह से आता है वो बचपन में खेल,कूद,साइकल चलाने हटता के और भी चीज़ों से फट सकती है…लिहाज़ा अक़्ल से काम लिया कीजिये.
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करीम व शरीफ़ शौहर


 
बाज़ लोग अपनी बीवियों के सत्ताते हैं ! बीवी से ज़रा-सी गुस्ताखी हो जाए तो बीवी को डंडा लेकर पिटाई करते हैं : कहते हैं, “तुमको #नाज़ करने का क्या हक़ है ॽॽ…

लेकिन सुनिए ! सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फऱमाया , “ऐ आइशा !! जब तू #रुठ जाती है , नाज़ करती है तो मुझे बपत्ता चल जाता है !” अर्ज किया , “ऐ मेरे प्यारे नबी ! मेरे मॉ – बाप आप पर #कुरबान !! आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कैसे मालूम होता है कि मे़ैं #आजकल रुठी हुई हूँ ??”

फ़रमाया कि जब तू मुझसे रुठ जाती है तो क़सम इस तरह खाती है व रब्बि #इबराहीम (इबराहीम के रब की क़सम ) और जब खु़श रहती है तो कहती है व रब्बि मुहम्मदिन ! और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ऐ #दुनियावालो ! सुन लो जो लोग अपनी बीवियों को पीट-पीटकर सीधा कर रहे हैं , वह कमीने लोग हैं !!

तफ़्सीर रुहुल मआनी (जिल्द 5,पेज़ 14) रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फ़रमाते हैं कि करीम व शरीफ़ और लाइक़ शौहरों पर ये #औरतें गालिब आ जाती हैं क्योंकि जानती हैं कि यह नाज़ उठा लेगा ! और कमीने शौहर #डंडे के ज़ोर से गाली – गलोज से उन पर गा़लिब आ जाते हैं ! सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं कि मैं पसन्द करता हूँ कि मैं करीम रहूँ चाहे मगलूब रहूँ , और मैं यह #पसन्द नहीं करता हूं कि कमीना और बदअख्लाक बनकर उन पर गा़लिब हो जाऊँ !!!..

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया

आपस में एक दूसरे से #मुहब्बत रखने वाले (मर्द औरत) के लिये निकाह से बेहतर कोई दूसरी चीज़ नही….

(इब्ने माझा 1920)…

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Nikah
 

 
हुज़ूर नबी ए करीमﷺ ने इरशाद फ़रमाया :-

औरतों से उनके हुस्न के सबब शादी ना करो हो सकता है उनका हुस्न तुम्हें तबाह कर दे, न उनके माल की वजह से शादी करो हो सकता है की उनका माल तुम्हें गुनाहों मे मुबतेला कर दे, बल्कि उनके दीन की वजह से निकाह किया करो, काली चपटी बदसूरत लौंडी अगर दीन दार हो तो बेहतर है..!!

[ #इब्ने_माज़ा_जिल्द_1_1926_522 ]

नोट :- इमाम ग़ज़ाली रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते है :- अगर कोई लड़की खूबसूरत तो है पर परेहज़गार और पारसा नहीं (दीनदार) नहीं तो बुरी बला है…..

अगर एक खूबसूरत लड़की में ये खुबिया नहीं है और उसके उलट किसी बद सूरत लड़की में दीनदारी है तो वो बदसूरत लड़की उस खूबसूरत लड़की से बेहतर है…!

अगर किसी लड़की में मे दीनदारी ज़्यादा हो चाहे वो कितनी गरीब ही क्यूं न हो उससे शादी करना बेहतर है क्या अजब है की अल्लाह तआला उससे शादी करने की और उसकी बरकत से आप को भी दौलत से नवाज़ दे…!!

#अल्लाह_तआला_फरमाता_है….

अगर वह फ़क़ीर (गरीब) हों तो अल्लाह उन्हें ग़नी कर देगा अपने फ़ज़्ल के सबब और अल्लाह वुसअत वाला इल्म वाला है।
( AL-NOOR – 24:32 )

हाँ अगर कोई दौलतमंद लड़की दीनदार नेक, अच्छे अख़लाक़ वाली हो और उससे शादी की जाये तो ये भी बड़ी खुशनसीबी की बात है…

बेशक़ अल्लाह माल, दौलत और चेहरे नहीं देखता बल्कि तकवा और परहेज़गारी को देखता है..




🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह:

कुछ तारीखों को शादी ब्याह के लिए मनहूस जानना?

बाज़ लोग कुछ तारीखों में शादी ब्याह और खुशी का काम करने को मना करते हैं और खुद भी नहीं करते हैं मसलन 3, 13,23, और 8, 18, 28 ….. इन तारीखों को शादी व खुशी के लिए बुरा जाना जाता है हालाँकि ये सब बेकार बातें हैं और काफ़िरों और गैर मुस्लिमों की सी वहमपरस्तियाँ हैं। इस्लाम में ऐसा कुछ नहीं हैं।

✍ निकाह व शादी हर दिन और हर तारीख़ में जाइज़ है। माहे मुहर्रम में निकाह को बुरा जानना, राफ़ज़ियों शीओं का तरीका है जो बाज़ जगह अहले सुन्नत में भी फैल गया है।

👥 मुसलमानो! इस्लाम को अपनाओ और सच्चे पक्के मुसलमान बनो, वहमपरस्तियाँ छोड़ो खुदा व रसूल की पैरवी करो मुहर्रम और सफ़र (चेहलम में निकाह को बुरा मत जानो।)

📚 (गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,106).

⚠Note-
_मेंरे इस्लामी भाईयों अपनी हटधर्मी से बाज़ आओ अपने इस्लाम को सही मायनों मे पहचाने की कोशिश करो अल्लाह तआला ने तुम्हें इतने प्यारे और सच्चे मज़हबे इस्लाम मे पैदा किया है। जिसको जानकर गैर मुस्लिम कहाँ से कहाँ पहुँच गए है और हमे देखों हम अपनों की खींचा तानी मे लगें क़ोई अपने भाई की काँट करने मे लगा है तो कोई मस्जिद के इमाम की खिंचाई करनें मे लगा है। उसके चलते हमने अपने आपकों भुला दिय़ा है। मेरे भाईयों अपनी सोई ग़ैरत को जगाओ अल्लाह तआला के वास्ते अपनें किरदार को बदल डालों और अल्लाह तआला की रज़ा के लिए काम करो सबसे पहलें नमाज़ क़ायम करों यक़ीनन मेरा रब तुम्हारे और हमारे दिलो में अपने भाईयों के लिए मुहब्बत पैदा करेंगा।_
*मेरे भाईयों आज हमारी कितनी बहिनें घर मे रिश्ता न आने की वज़ह से बैठी है। कोई ग़रीबी की वज़ह से कोई पढ़े लिखे नौकरी करने वाले लड़के के चक्कर मे मेरे भाईयों लड़के वाले की औदल न देखों उसके आमाल देखों उसका नसब देखों यक़ीन जानो अगर लड़का दीनदार देख कर शादी करोगे अपनी बच्चियों की ज़िन्दगी खुशगवार गुजरेगी नस्ले भी दीनदार पैदा होंगी ऐसा ही लड़की ग़रीब सही पर दीनदार होना चाहिएं कसम खुदा की तुम्हारे घर को नैमत की दौलत से इतना मालामाल कर देंगी ज़िसका अंदाज़ा लगाना मुमकिन नही फक़त मेरी इतनी गुज़ारिश है। किसी ग़रीब की लड़की का हाथ अपने लिए अपने भाई के लिए अपने बेटे के लिए मांग कर देखों ग़ुरबत की वज़ह से जो बाप अपनी बच्चियों को कुंवारा घर मे बैठाए हुए है। उनके मुरझाए चहरे फूल की तरह खिल जाएँगे अगर तुमने किसी ग़रीब की गुरबत को देख कर अपने बेटे या भाई का उस घर मे रिश्ता किया अल्लाह तआला तुमसे राज़ी हो जाएंगा और इसका अज्र तुम्हे ज़रूर अता करेंगा।
,,मे अपनी बहिनों से इतना ही कहूँगी अल्लाह तआला की रज़ा मे राज़ी रहना और सब्र का दामन इख्तियार करना किसी के बहकाबे मे आकर अपनी और अपने बाल्देन की इज्जत सरे आम नीलाम न करना इस्लाम के दुश्मन हाथ धोकर पीछे लगें हुए है। इस्लाम को बदनाम करने में बस अपने आपको पहचानो तुम कोई आम नहीं बल्कि कनीज़ ए फ़ातमा रदिअल्लाहो तआला अन्हा हो किसी शायर ने क्या खूब कहा है।,,

यही माँ ए है। जिनकी गौद मे इस्लाम पलता था

इसी ग़ैरत से इन्शा ऩूर के साँचे मे ढ़लता था






बिस्तर पर नींद आ जाने से पहले, अपने पहलू मे सोई, अपनी बीवी के चेहरे को गौर से देखा,

उसकी प्यारी सी और नर्म व नाजूक शक्ल पर काफी देर गौर करता रहा, फिर अपने आप से कहा:*
” *क्या होती है बाप की मुहब्बत के साये तले अपने घरवालो के साथ पलती बढती है, और अब कहा एक अंजान शख्स के साथ आकर सोई हुई है, और एक अंजान शख्स की खातिर उसने अपने घरबार मां बाप छोडा,* *मां बाप का लाड प्यार और नाज नखरा छोडा, अपने घर की राहत और आराम को छोडा, और ऐसे शख्स के पास आई है जो उसे अच्छे की और बुराई से रोकता है, अपने पति की दिल जान से खिदमत करती है, उसका दिल बहलाती है, उसको राहत व सुकून देती है, ताकि बस उसका ऊपर वाला उससे राजी हो जाए, और बस इसलिए के ये उसके लिए उसके ईश्वर का हुक्म है, और पारिवारिक रिश्ते बने रहे ।*
*कहते है फिर मेंने अपने आप से सवाल किया:*
*कैसे होते है कुछ लोग?*
*जो बेदर्द और बेरहमी से अपनी बीवीयो को मार पिट लेते है,* *बल्कि कुछ तो धक्के देकर अपने घर से बाहर निकाल देते है, उन्हे वापस अपने मा बाप के उस घर छोड देते है जो वो उसके खातिर* *छोडकर आई थी,*
*कैसे होते है कुछ लोग,*
*जो बीवीयो को घर मे डाल कर दोस्तो के साथ निकल खडे होते है, होटलो मे जाकर वो कुछ खाते पीते है, जिनकोउनके घर की परवाह भी नही होती !*
*कैसे होते है कुछ लोग,*
*जिनके बाहर उठने बैठने का वक्त, उनके अपने बीवी बच्चो के पास उठने बैठने के वक्त से ज्यादा होता है।*
*कैसे होते है कुछ लोग,*
*जो अपने घर को अपनी बीवी के लिए जैल बनाकर रख देते है, ना उन्हे कभी बाहर अंदर ले जाते है, और ना कभी उनके पास बैठकर उनसे दिल का हाल सुनते सुनाते है।*
*कैसे होते है कुछ लोग,*
*जो अपनी बीवी को ऐसी हालत मे सुला देते है कि उसके दिल मे किसी चीज की तडप और चुभन होती है, उसकी आंखो मे आंसू थे और उसका गला किसी कहर से दबा जा रहा था।*
*कैसे होते है कुछ लोग,*
*जो अपनी राहत और अपनी बेहतरी के लिए घर छोड कर बाहर निकल खडे होते है, पिछे मुडकर अपनी बीवी बच्चो की खबर तक नही लेते के उन पर उनके बाहर रहने के अरसे मे क्या गुजरती होगी*
*कैसे होते है कुछ लोग*
*जो ऐसी जिम्मेदारी से भाग जाते है,* *जिसके बारे मे कयामत के रोज उनसे पुछताछ होगी।*
*अपनी मां और बीवी को बेपनाह इज्जत दो*
:
*इसलिये कि एक तुम्हे दुनिया मेें लाई, और दुसरी सारी दुनिया छोडकर तुम्हारे पास आई*





दहेज_के_खिलाफ_आगाज


अगर आप दहेज देकर बेटी की शादी कर रहे हैं तो यक़ीन मानिए आप अपनी बेटी के लिए सौहर नहीं ग़ुलाम ढूँढ रहे हैं,
अगर आप दहेज लेकर अपने बेटे को बेच रहे हैं तो यक़ीन मानिए आप अपने बेटे के लिए बीवी नहीं सौदागर ढूँढ रहे हैं,
कितने ग़रीब बाप के सरों पर आफ़त आ पड़ती है जब उनकी बिटिया जवान होती हैं ! अपनी ज़िन्दगी की कमाई लूटा देते हैं उनके आशियाने को सजाने में इसलिए के कहीं मेरी बिटिया को बाद में ताने न सुनने पड़े, कहीं मेरी बिटिया और दामाद को कुछ कमी न पड़ जाए, कहींमेरी बिटिया के साथ नौकरों वाला रवईया इख़्तियार न हो जाए…कभी आप सोचे हैं ? उस ग़रीब बाप( ससुर ) पर क्या बीतती होगी जिसके हाथ से ज़मीन भी गई और बेटी भी सिर्फ़ आपकी ख़्वाईश को पूरी करने में ।
आप सुअर नहीं खाएँगे क्योंकि यह दीन ए इस्लाम में हराम है, आप गाय का माँस नहीं खाएँगे क्योंकि यह हिन्दु/सनातन में पाप है पर आप दहेज ज़रूर लेंगे अगर न मिले तो घर की बहु को ज़िंदा ज़रूर जलाएँगे क्योंकि यह जायज़ है आपके मजहब में यह सवाब और पुण्य का काम है आपके मजहब में ?
कंबख़्तों ! सुधर जाओ ! कोई मजहब या मुक़द्दस किताब नहीं कहता के दहेज लेकर ही निकाह या विवाह करो बल्कि दहेज लेना तो हराम और नाजायज़ ठहराया गया…यह तुमलोगों का ख़ुद का गढ़ा हुआ रिवाज है या साफ़ शब्द में कहे लड़की वालों से पैसे ऐठने का ज़रिया और अब भी ना माने तो ऐसे लोगों पे पुरा हक़ है उनकी बीवियों का; के उनके साथ कुत्ता सा बर्ताव करे या नौकर सा क्योंकि उनको दहेज की क़ीमत देकर ख़रीदा जा चुका है ॥
नोट : इस मुल्क के हुक्ममरानों को कौन समझाए के गौ माँस और नोट बंदी के साथ साथ दहेज पर भी बैन लगाना ज़रूरी था जिससे देश और देश की बिटियों का भला हो और दहेज माँगने वाले हराम के ढक्कनों का कमर टूटे ।







NIKAH KE TALLUQ SE KUCH AHEM BAATE

 
Aurat ko nikah ka paigam aur daawat dena aur baat cheet ke bad
Shaadi ka ahad karna aur shaadi ki baat pukhta karlena mangni kahlata hai-
Mangni azdawaji zindagi ki pahli seedhi hai-ye pahla qadam soch samajh kar aur danish mandi se uthana chahiye,
Q k yaha se hi zindagi ki buniyad padhti hai,aur azdawaji zindagi ki buniyad mangni hi hai,is marhale me ladki aur ladka ka intekhab karte hai,aur ek doosre ko pasand karte hai,is marhale me jo intekhab hojata hai fir us intekhab ko nikah ke zariye rishta azdawaj me munsalik kardiya jaata hai.
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Azdawaji zindagi ki kamiyabi ka inhesar is pahle qadam par hota hai,isliye zaroori hai ke ye qadam bade soch samajh kar chhan been karke ladke aur ladki ki zahni ham aahingi ko dekhte huwe uthana chahiye,isme kisi qism ki jald baazi sekaam nahi lena chahiye.
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Zindagi ka pahla zeena ye hai ke mard apne liye kisi aisi aurat ka intekhab kare jo nek,pak ba saleeqa sha’ar ,taleem yafta aur husn-e akhlaq wali ho,aur mard ko aurat ki soorat par seerat ko tarjeeh dena chahiye,aur aurat ko aise khawind kaintekhab karna chahiye jo deen par amal karne wala ho aur akhlaq-e husna ka malik ho,taaleem yafta ho aql mand aur samjhdar ho……………
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Hadees pak me huzoor salllahu alaih wasallam ne ne irshad farmaya ke jabtumhare pas koi aisa shakhs nikah kapaigam bhejhe jiske deen aur akhlaq se tum razi ho to us se nikah kara do,agar aisa na karo ge to zameen me fitna aur lamba chauda fasad ronuma hoga.
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ALLAHU akbar……
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Ek aur hadees-e pak me hai?
Hazrat abu huraira radiallahu anh se riwayat hai ke nabi kareem sallallahualaih wasallam ne farmaya ke kisi aurat se char cheezon ki wajah se nikah kiya jata hai,uske husn-o jamal ki wajah se aur uske hasb-o nasb ki wajah se aur uske deen ki wajah se,lekin dekho tum deen wali aurat se nikah karna.
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Afsos sad afsos aaj kal aksar log ye sab nahi dekhte balke ye dekhte hai ke ladki wale yaa ladke wale kitne maaldar hai,
Aur ladke walao ka to jawab hi nahi hota ladke walon ka to yahi kahna hota hai ke mujhe ladki haseen-o jameel ke saath saath daulat bhi milni chahiye,tarah tarah ki mange kijaati hai jahez k naam per ,
Bechara ladki ka baap rat ki tanhayeeme apne aansu baha baha ke zindagi basar karta hai.
Kya hamne kabhi socha is bat ko ek din hamare saath bhi yahi ho sakta hai ??,hamari bhi bari aasakti hai. ??
Tab ehsas hoga….
Isliye mere doston aap sabse meri ilteja hai aaj se ahad karle ham sab keapni zindagi ko khush gawar banayen ge aur apne nikah me nek seeerat ba akhlaq ba kirdar ladki ko layen ge aur jahez ki mang nahi karenge.
(in shaa ALLAH)
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Ek aham bat ye hai ke , mangni ya nikah karne se pahle ladki ko dekhlene me koi harj nahi hai balke zaroor dekh lena chahiye,,
Hadees shareef me hai Nikaah Se Pehle Ladki ko Dekhna:
Hazrath Muhammad Salama Kehte Hai Ki Maine Ek Aurat Ko Nikah Ka Paighaam Diya,
Mai Use Dekhne K Liye Us K Baagh Me Chhup Kar Jaya Karta Tha Yahan Tak Ki Maine Use Dekh Liya Kisi Ne Kaha
Aap Aisi Harkat Kyu Karte Hai HalankiAap Huzoor K Sahabi Hai, To Maine Kaha Huzoor Ne Irshaad Farmaya
“Jab Allah Ta’ala Kisi K Dil Me Kisi Aurat Se Nikah Ki Khwahish Daale Aur Wo Use Paighaam De To Us Ki Jaanib Dekhne Me Koi Harj Nahi.
>Ibne Maja Vol: 01, Page: 523 , Baab No: 597 , Hadees No: 1931
Yaha se ye baath sabit hui k nikah se pahle ladki ko ek nazar dekhlena jaiz hai…,
ye ajeeb bat hai ke jinki shaadi honi hai aur dono ne ek doosre ka bistar banna hai aur jinhon ne ek saath zindagi basar karni hai unka ek doosre ko dikha na, ek doosre ko pasand karna bahut mayoob tasawwur kiya jata hai aur unko ek doosre se milne ki ijazat nahi dijati,joke islam ki taaleemat ke bilkul khilaf hai.
Nikah Meri Sunnat hai::::
Noor-E-Mujassam , Rasool-E-Khuda, Habeeb-E-Kibriy a,Nabi-E-Rehmat , Shafa-E-Mehshar , Fakhar-E-Do aalam, Fakhar-E-Bani-E -Aadam, Malik-E-Do Jahan, Khatmul Ambiya, Rehmatallil Aalamin, Tajdare Madina Rahat-E-Kalbo Sina, Janabe Ahmade Mujtaba, Muhammad Mustafa Sallalaho Alayhi Wasallam ne irshad farmaya:
“Nikah Meri Sunnat Hai”
(Ibne Maja, Jild 1, Hadees no 1913, Safa 518)
ALLAH Rabbul izzat irshad farmata hai:
“Aur Nikah me lao jo aurate tumhe khush aaye”
(Tarjuma: Kanzul iman, Para 4, Surah Nisa, Aayat 3)
Hazrate Sahal bin sa’ad Radiallahu anhu se riwayat hai ke Nabi-E-kareem Sallalaho Alayhi Wasallam ne irshad farmaya:
“Nikah karo chahe (Meher dene ke liye) Ek Lohe ki Anguthi hi ho
(Bukhari sharif, Jild 3, Safa 80, Hadeesno 136)
Aur irshad farmate he Pyare Aaqa Sallalahu Alayhi Wasallam:
“Bande ne jab Nikah kar liya to AadhaDeen Mukammal ho jata hai
Ab baki aadhe ke liye ALLAH Ta’ala se daro”
(Mishkat sharif, Jild 2, Hadees no 2962, Safa 72)
Hazrat Abdullah Bin Masud RadiallahuTa’ala Anho Se Riwayat hai ke Sarkar Sallalaho Alayhi Wasallam ne irshad farmaya:
“Aye Jawano Jo tum me se Aurato ke Hukooq (Haq) ada karne ki takat rakhta hai
To wo Nikah zarur kare Kyunki NikahNigah Ko jukata hai
Aur Sharmgah ki hifazat karta hai aurJo iski takat na rakhe to woh Roza Rakhe Kyunki ye Shahwat Ko kam karta hai
(Bukhari sharif, Jild 3, Safa 52, Tirmizi sharif, Jild 1, Safa, 533)
Jazakh ALLAH





Nikah Karne Par Aadha (50%) Deen Mukammal Ho Jata


 
MEHBOOB-E-REHMAN SARWAR-E-ZISHAN صلل الله عليه وسلم Ne Farmaya: “Bande Ne Jab Nikah Kar Liya To Aadha Deen Mukammal Ho Jata Hai Ab Baki Aadhe Ke Liye ALLAH TA’ALA Se Daro”
(Mishkat sharif, Jild 2, Hadees no 2962, Safa 72)

@ “Aadhe Deen” Se Muraad Ye Hai Ki. ….🍃🌼🍃

Deen ke is hukm par aur Nabi Pak SallAllahu Alaihi Wasallam ki is Sunnath par amal karne ke baadh aadmi Deen ki acchaayi ko qareeb se dekhta hai aur Deen ke kamaal ko pata hai aur Deen ke is hukm par amal karne se aadmi apne aap ko gunaaho se mehfooz rakh kar apne Deen par itmenaan ke saath Amal kar sakta hai aur apne Deen ki hifaazath kar sakta hai.

Nikah insaan ko zindagi mein bahuth saare gunaaho se rok leta hai aur saath hee saath bahuth saare acchaiyo par amal ka mauqa deta hai, Jaise biwi baccho ke liye mehnath karna, Un ki zaruraiyaath halaal tariqe se puri karna, Baccho ko deeni taleem, Un ki shaadi, Un ki acchi tarbiyath waghayra, Ye sab kaam insaan shaadi ke baadh kar sakta hai aur shaadi karne ke baadh ye sab kaam ALLAH se darte hoye








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🅱️ बहारे शरीअत ( हिस्सा- 03 )🅱️

_____________________________________   _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 089)*_ ―――――――――――――――――――――             _*🕌नमाज़ पढ़ने का तरीक...