Saturday, November 28, 2020

🕳अहम मालुमात और सवाल जबाब🕳

🕳️आलाहज़रत सरकार के मशहुर फतवे !! जिनकी वज़ह से वहाबीयों की नी़द हराम हो गयी थी🕳️


       *फ़तावा-ए-रज़विया*
📝आ़ला ह़ज़रत इमाम अह़मद रज़ा ख़ां फ़ाज़िल-ए-बरेलवी
1. सुन्नी और वहाबी को बराबर जानने और मानने वाला काफ़िर है
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 6, सफ़ा: 638.*
2. वहीबी देवबंदी से दोसती करना ह़राम है और उनसे दिली दोसती और क़लबी मोह़ब्बत कुफ़्र है
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 6, सफ़ा: 91, 92.*
3. दीनी इ़ल्म रखने वाला अगर बदमज़हबों के रद्द की नियत से अंग्रेजी ज़ुबान भी पढ़े तो सवाब मिलेगा
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 23, सफ़ा: 533.*
4. बदअक़ीदा वहाबी देवबंदी वग़ैह की नमाज़ हो रही हो तो सुन्नी तनहा पढ़े
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 7, सफ़ा: 53.*
5. सुन्नी सय्यद 'सुन्नी ही सय्यद होता है' इसकी ताज़ीम ज़रूरी है अगरचे उसके आ़माल कैसे भी हों और सय्यद बदअक़ीदा देवबंदी, वहाबी, राफ़ज़ी, सुलह कुल्ली वग़ैरह हो जाए तो उसकी ताज़ीम हराम है
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 23, सफ़ा: 423.*
6. बिना इ़ल्म के क़ुरआन-ए-मुक़द्दस का तर्जुमा देखकर समझ लेना मुमकिन नहीं बल्कि उसके नफ़ा से ज़्यादा नुक्सान है, जब तक किसी सुन्नी सहीउल अक़ीदा आ़लिम-ए-दीन से न पढ़े
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 23 सफ़ा, 382.*
7. सिर्फ़ मुसलमान ही आपस में भाई-भाई होते हैं कोई काफ़िर किसी मुसलमान का भाई नहीं हो सकता
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 14, सफ़ा: 489.*
8. मुसलमान नज़र और नियाज़ ईसाल-ए-सवाब की नीयत से करता है, इ़बादत की नीयत से नहीं
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 21, सफ़ा: 132*




🕳️"वहाबी और अहले हदीस जमात को गुस्ताखे रसूल क्यों कहा जाता है..?🕳️

❓❓❓❓❓❓❓❓

    *हिंदुस्तान में सबसे पहले अल्लाह और नबी की शान में शरीयतें मुताहरा में तहरीर गुस्ताखी करने वाले लोग और उनके फिरके।*
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(1) अल्लाह की मक्कारी, धोखे से डरना चाहिये, अल्लाह बन्दों से भी मक्कारी करता है।
(तकवेतुल ईमान पेज नंबर 76, मौलवी इस्माईल देहलवी, अहले हदीस)
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(2) नमाज में नबी का ख्याल लाना अपने गधे (donkey) बैल के ख्याल में डूब जाना से ज्यादा बदत्तर है।
(सिरात ऐ मुस्तकीम पेज नंबर 118 मौलवी इस्माईल देहलवी, अहले हदीस)
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(3) हुजूर के बाद भी कोई नबी आ जाये तो भी हुजूर के आखरी नबी होने पर फर्क नहीं पड़ेगा।
(तहजिरुन नास पेज नंबर 14 मौलवी कासिम ननोतवी, देवबंदी)
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(4) उम्मती अमल (नमाज, रोजा, हज, नफिल, इबादतों में नबी से बढ़ जाते है।
( तहजिरुन नास पेज नंबर 5 मौलवी कासिम ननोतवी, देवबंदी)
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(5) सहाबा को काफिर कहने वाला, मुसलमान से ख़ारिज नहीं होगा।
(फतावा ऐ रशीदिया जिल्द नंबर 2 पेज नंबर 11 रशीद अहमद गंगोही, देवबंद)
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(6) नबी से ज्यादा इल्म शैतान को है, जो ज्यादा इल्म नबी का बताये वो मुशरिक है।
(बराहिनुल कतिआ पेज नंबर 55 मौलवी खलील अहमद अमबेठी देवबंदी)
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(7) अल्लाह तआला झूठ बोलता है (मुमकिन)
(बराहिनुल कतिआ पेज नंबर 273 मौलवी खलील अहमद अमबेठी, देवबंदी)
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(8) नबी का मिलाद करना, कृष्ण का जन्म दिन मनाने की तरह है।
(बराहिनुल कतिआ पेज नंबर 152 मौलवी खलील अहमद, देवबंदी)
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(9) हुजूर ने उर्दू जुबान मदरसा ऐ देवबंद में ओलेमा ऐ देवबंद से सीखी।
(बराहिनुल कतिआ पेज नंबर 30 मौलवी खलील अहमद अमबेठी, देवबंदी)
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(10) हुजूर को दीवार के पीछे का भी इल्म नहीं।
(बराहितुल कतिआ पेज नंबर 55 मौलवी खलील अहमद अमबेठी, देवबंदी)
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(11) नबी का जो इल्म ऐ ग़ैब है इसमें हुजूर का क्या कमाल, ऐसा तो इल्म ऐ ग़ैब हर किसी को, हर बच्चे, पागलों और जानवरों को भी है।
(हिफजुल ईमान पेज नंबर 8 मौलवी अशरफ अली थानवी, देवबंदी)
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(12) हाथ में कोई नापाक चीज (खून, पेशाब, पखाना, मनी) लग जाये तो किसी ने जुबान से तीन मर्तबा चाट लिया तो पाक हो जायेगा।
(बहेस्ती जेवर जिल्द 2 पेज नंबर 18 मौलवी अशरफ अली थानवी, देवबंदी)
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(13) ख्वाजा गरीब नवाज या कोई वली के मजार पर जाना इतना बड़ा है जैसे किसी लड़की से जिना करने से भी बड़ा गुनाह है।
(तजदीद ओ ऐहया ए दीन पेज नंबर 96 मौलवी अबू आला मौदूदी, जमात ऐ इस्लामी S-I-O, S-I-M
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(14) सब जगह अल्लाह के रसूल अल्लाह की किताब लेकर आये है, और बहुत मुमकिन है कि (बुद्ध, कृष्ण, राम, मानी(Maani), सुकरात, Fisa goras(फिसा गोरास)) इन्हीं रसूलों में से है।
(तफहिमात जिल्द 1 पेज नंबर 124 मौलवी अबू आला मौदूदी, जमात ऐ इस्लामी S-I-M, S-I-O )
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(15) झूठ, जुल्म, और तमाम बुराईयाँ जैसे (चोरी, जहालत, जिना, गीबत) करना अल्लाह के लिये कोई ऐब नहीं।
(जहदुल-मकल जिल्द 3 पेज नंबर 77 मौलवी अबू आला मौदूदी, जमात ऐ इस्लामी, S-I-M, S-I-O )
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 "दिल पर हाथ रख कर और सोच कर सही बताओ, क्या ये सच में मुसलमान है..?
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"मुसलमानों वहाबियों से अपना ईमान बचाओ"""""
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नोट-->" माजअल्लाह, माजअल्लाह
" रब्बे करीम से हिदायत मांगो....
"बेशक वो दुआ को कबूल करने वाला रहमान है।
" अभी वक्त है और तौबा का दरवाजा खुला है फिर हशर में ना कहना हमें खबर नहीं थी।




अगर बद़ मज़हब, बेदीन, मुनाफ़िक़ बीमार पड़े तो
उनको पूछने न जाओ, और अगर वोह मर जाए तो उनके ज़नाज़े पर न जाओ, उनको सलाम न करो, उनके पास न बैठो, उनके साथ न खाओ न पियो, --- न ही उनके साथ शादी करो--- न उनके साथ नमाज़ पढ़ो,"

📚 *[ मुस्लिम शरीफ, अबूूदाऊद शरीफ, व इब्ने माज़ा शरीफ, मिश्क़ात शरीफ, ]*



सवाल👉 आम तौर पर लोग अपनी बोलचाल में कहते हैं "ऊपर वाले कि मर्ज़ी", या "ऊपर वाला जाने" तो शरअन कैसा है?*
जवाब👉 अल्लाह तआला की जात के लिए ऊपर वाला बोलना कुफ्र है क्यूंकी इस लफ्ज़ से उस के लिए सिमतों का सुबूत होता है और उस की जात सिमतों से पाक है। लेकिन अगर कोई शख्स यह जुमला बुलन्दी व बरतरी के मायनों में इस्तेमाल करता है तो हुक़्म ए कुफ्र ना करेंगे। मगर इस क़ौल को बुरा ही कहेंगे और क़ायल को इससे रोकेंगे।

📚 *(बहार ए शरीयत, जिल्द 1, सफा 169)*
📚 *(फतावा फैज़ुररसूल, जिल्द 1, सफा 2131)*



सवाल 👉 बअज़ लोग कहते हैं कि "अल्लाह तआला हर जगह है" तो शरअन उस का क्या हुक़्म है?
जवाब 👉 अहले सुन्नत व जमाअत का अक़ीदा है कि अल्लाह तआला जगह और मकान से पाक है और "अल्लाह तआला हर जगह है" यह लफ्ज़ बहुत बुरे मअना का एहतमाम रखता है लिहाज़ा मुसलमानों को ऐसा जुमला इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।

📚 *(फतावा रज़विया,जिल्द 6, सफा 132)*
📚 *(नुजहतुलकरी ,जिल्द 2, सफा 405)*



फतावा रजविया से कुछ खास मसाइल

                      *1 मसअला*
" जो नबी ना हो वह नबी के मर्तबा को कभी नहीं पहुँच सकता।"

📙 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 685*

                     *02 मसअला*
"काफ़िर औरत से मुसलमान औरत को पर्दा करना जरुरी है।"

📘 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 907*

                    *03 मसअला*
"क़ुरान पाक का तर्जुमा दूसरी जुबान में करना जाइज़ है।"

📕 *फतावा रज़विया जि 23 सफा 709*

                      *04 मसअला*
"हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहे वसल्लम का ज़िक्रे पाक करना बेहतरीन इबादत है।"

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 724*

                       *05 मसअला*
"मिलाद शरीफ के एखतेताम पर खड़े होकर हुज़ूर की बारगाह में सलाम पढ़ना बेहतर है।"

📙 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 729*

                       *06 मसअला*
"फ़ासिक़ ( जैसे नमाज़ ना पढ़ने वाला झूट बोलने वाला वगैरहुम)
से महफ़िल में किरत करवाना नात पढ़वाना तकरीर करवाना दुआ करवाना वगैरा सब हराम है।"

📘 *फतावा रज़विया जि 23 सफा 734*

                     *07- मसअला*
> मुसलमान पर अज़ाब होगा मगर
उसपर आख़िरत में अल्लाह की लानत ना होगी

📕 *फतावा रज़विया जिल्द 14 सफा 287*

                     *08-मसअला*
> नाचने गाने का पेशा हराम कतई है
अगर कोई उसे हलाल जाने तो कुफ़्र है

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 583*

                      *09-मसअला*
> किसी काफ़िर के यहां नौकरी करना उस वक़्त जाएज़ है जबकि कोई शरीअत के खिलाफ काम ना करना पड़े

📙 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 591*

                     *10 मसअला*
क़ादियानी बल्कि हर बद अक़ीदा वहाबी देवबंदी मौदूदी शिया तबलीगी वगैरा उसके साथ ना कुछ खाये ना पियें
ना उससे रिश्ता रखे बल्कि उससे बात ही करने की इज़ाज़त नहीं
हुज़ूर ने फ़रमाया
उनसे दूर रहो और उन्हें अपने से दूर रखो

📘 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 598*

                    *11 मसअला*
शौहर बीवी के इंतेक़ाल के बाद उसको गुस्ल नहीं दे सकता है

📕 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 234*

                       *12 मसअला*
बजने वाला जेवर औरत को इस सूरत में पहनना जाएज़ है के उसकी आवाज़ गैर मेहरम तक ना पहुचे
वरना नाजाइज़ है

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 128*

                      *13 मसअला*
फ़ासिक़ (दाढ़ी मुंडाने वाला नमाज़ ना पढ़ने वाला झूट बोलने वाला वगैरहुम) से महफ़िल में किरत करवाना नात पढ़वाना तकरीर करवाना दुआ करवाना वगैरा सब हराम है

📙 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 734*

                     *14 मसअला*
ये कहना कि दाढ़ी मुंडाने वाला दाढ़ी रखने वाले से बेहतर है तो ये कलमए कुफ़्र है

📘 *फतावा रज़विया जिल्द 23 साफ़ 736*

                      *15 मसअला*
अवाम पर उलमाए दीन का अदब बाप से जियादा फ़र्ज़ है

📕 *फतावा रज़विया जिल्द 25 सफा 2016*

                     *16 मसअला*
हुज़ूर की ताज़ीम व तौकीर करना मुसलमान के लिए ऎने ईमान है

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 764*

                     *17 मसअला*
किसी मय्यत को जनाजा पढ़े बगैर दफ़न कर दिया तो जबतक उसके सलामत होने का गुमान हो उसके कब्र पर जाकर नमाज़े जनाजा पढ़े

📙 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 478*

                    *18 मसअला*
बतौरे ताजीम क़ुरआन मुक़द्दस को सर आँख सीने से लगाना जाइज़ है

📘 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 478*

                    *19 मसअला*
औरतें आपस में एक दूसरे से सलाम करें
और मर्द जवान औरत को सलाम ना करें
और बूढी को करने की इजाजत है

📕 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 563*

                      *20 मसअला*
अज़नबी जवान औरत सलाम करे तो मर्द दिल में जवाब दें
और मर्द जवान औरत को सलाम ना करें
और बूढी को करने की इज़ाज़त है

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 563/408*

                       *21 मसअला*
वजू करने वाले को किसी ने सलाम किया
तो वह जवाब दे सकता है

📙 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 569*

                       *22 मसअला*
ससुर से पर्दा करना वाजिब नहीं (जवान हो तो बेहतर है) इसी तरह जवान सास के लिए दामाद से

📘 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 240*

                       *23 मसअला*
जवान सास के लिए दामाद से पर्दा वाजिब है

📕 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 240*

                     *24 मसअला*
औरत का इस तरह से खुश इलहान से पढ़ना की उसकी आवाज़ गैर महरम तक जाए हराम है

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 242*

                       *25 मसअला*
बालिग़ के बदन पर ना महरम (जिससे शादी करना जाइज़ हो) का उबटन मलना हराम है

📙 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 245*

                       *26 मसअला*
औरत का गैर महरम के हाथ से चूड़ी पहनना हराम है
और शौहर राजी हो तो दय्युस है(और दय्युस के लिए जहन्नम है)

📘 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 247*

                       *27 मसअला*
बद अक़ीदा वहाबी देवबंदी तबलीगी वगैरा से अपने बच्चों को पढ़वाना हराम है

📕 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 682*

                      *28 मसअला*
बदअक़ीदा उस्ताद का सुन्नी शागिर्द पर वही हक़ है जो शैतान का फरिश्तों पर है यानी फरिस्ते शैतान पर लानत भेजते हैं और क़यामत के दिन घसीट कर दोजख में फेंक देंगे

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 707*

                      *29 मसअला*
देवबंदी को मुसलमान जानकर उसकी तकरीर सुनना मसअला पूछना मेलजोल रखना कुफ़्र है

📙 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 710*

                     *30 मसअला*
जाहिल को शरीअत का हाकिम बनाना हराम है

📘 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 714*

                       *31 मसअला*
वाज तकरीर करना आलिम का मंसब है जाहिल को वाज तकरीर करना हराम है

📕 *फतावा रज़विया जिल्द 23 सफा 717*

                      *32 मसअला*
आपस में मुआनका (गले मिलना) जाइज़ है

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 251*

                      *33 मसअला*
दोनों हाथ से मुसाफा करना मनदुब व मसनून है
और गुनाह दरख़्त के पत्ते की तरह झड़ जाते हैं

📙 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 270*

                      *34 मसअला*
जब कोई मुसलमान जो एक निवाला अल्लाह की राह में खर्च करता है तो अल्लाह तआला उसे इतना बढ़ाता है की वह उहद पहाड़ के बराबर हो जाता है

📘 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 276*

                      *35 मसअला*
इमाम बुखारी को 6 लाख
इमाम मुस्लिम को 3 लाख इमाम अहमद बिन हम्बल को 10 लाख
हदीस याद थी

📕 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 294*

                      *36 मसअला*
हुज़ूर का मुबारक नाम सुनकर अंगूठा चूमकर आँखों से लगाना बेहतर है
मगर ख़ुत्बा नमाज़ तिलावते क़ुरआन के वक़्त ना चूमें...

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 316*

                      *37 मसअला*
काफ़िर को बिला जरुरत सलाम करना नाजाइज़ है
जरुरत पर लाला साहब या बाबू साहब वगैरा कह दें
बगैर सर झुकाये सरपर हाथ रखे और अगर वह सलाम करे तो उसके जवाब में अलैका कहें या सलाम ही कह दें...

📙 *फतावा रज़विया जि 22 सफा 317*

                      *38 मसअला*
 जिस तरह मर्द के लिए हराम है की गैर महरम औरत को देखे
इसी तरह औरत के लिए हराम है की गैर महरम मर्द को देखे...

📘 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 201*

                      *39 मसअला*
मुश्त जनी (हाथ से मनि निकालना) करना हराम है और ऐसे शख्स पर लानत है...

📕 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 202*

                      *40 मसअला*
बुरों की सोहबत से दूर रहना जरुरी है और इसी में भलाई है...

📗 *फतावा रज़विया जिल्द 22 सफा 205*

                      *41 मसअला*
गैर महरम पीर से भी औरत को पर्दा करना जरुरी है...|



गाने की तर्ज़ में नाते पाक और सलाम पढ़ना

अल्लामा साकिब रज़ा मुस्तफ़ाई फ़रमाते है कि थूक दान को 100 मर्तबा धो लो लेकिन उसमें किसी को दूध दोगे तो क्या वह पियेगा ? लौटे (बैतूल खला में इस्तिमाल होता है) में पानी नही पीता क्योंकि उसकी निस्बत किसी और चीज़ से है इसी तरह जिस तर्ज़ में गाना गाया गया हो तो अल्लाह के नबी की नात का तक़ददूस ये है कि उस तर्ज़ में अब नात न पढ़ी जाए..

और जब उस तर्ज़ में नात पढी जाती है तो कुछ लोगो के अंदर गाना चल रहा होता है। ये नात की हुरमत के ख़िलाफ़ है उसकी इज़्ज़त और वक़ार के ख़िलाफ़ है की नात पढ़ते हुवे इंसान का ख़्याल कही और हो बल्कि उस वक़्त पूरा ख़्याल और नज़र गुम्बदे खजरा कि जानिब होना चाहिए..

लिहाज़ा ऐसे नातखवाहो से बचें और जो नात ख्वा इस तरह से पढ़ते है उन्हें भी चाहिए कि आइंदा से इस तरह न पड़े।

हज़रत बयज़ीद बूस्तामी हो या हज़रते जुनैद बग़दादी रहमतुल्लाह अलैह ये दोनों जब हुज़ूर अलैहिस्सलाम की बारगाह में जाते थे तो सांस भी रोक लिया करते थे कि यहां सांस का शोर बे अदब के ख़िलाफ़ है तो गानों की तर्ज़ में सलाम और नाते पाक पढ़ना किस क़द्र बेअदबी होगी ?



मर्द को सोने की अंगूठी पहनना ह़राम हैं!


💍ना बालिग़ लड़के को सोने चांदी के ज़ेवर पहनना ह़राम हैं और जिसने पहनाया वो गुनाहगार होगा!

💍लोहे की अंगूठी जहन्नमियों का ज़ेवर हैं!
📕(तिरमिज़ी शरीफ़, जिल्द- 3, सफ़ह़ा- 305, ह़दीस- 1792)

💍मर्द के लिए वोही अंगूठी जाएज़ हैं जो सिर्फ़ एक नगीने की हो और अगर उसमें (एक से ज़्यादा या) कईं नगीने हो तो फिर चाहे वो चांदी की ही हो मर्द के लिए नाजाएज़ हैं!
📗(रद्दुल मुहतार, जिल्द-9, सफ़ह़ा-597)

💍बग़ैर नगीने की अंगूठी पहनना नाजाएज़ हैं कि ये अंगूठी नही बल्कि छल्ला हैं!

💍हुरूफ़े मुक़त्त़आ़त वाली अंगूठी पहनना जाएज़ हैं मगर हुरूफ़े मुक़त्त़आ़त वाली अंगूठी बग़ैर वुज़ू पहनना और छूना या मुसाफ़हे के वक़्त हाथ मिलाने वाले का उस अंगूठी को बे वुज़ू छूना जाएज़ नही!

💍इसी त़रह़ मर्दों को एक से ज़्यादा (जाएज़ वाली) अंगूठी पहनना या (एक या ज़्यादा) छल्ले पहनना भी नाजाएज़ हैं!

💍चांदी की एक अंगूठी एक नगीने की वज़्न में साढ़े चार माशा (यानी 4 ग्राम 374 मिली ग्राम) से कम की हो पहनना जाएज़ हैं, हां तकब्बुर या ज़नाना पन का सिंगार (यानी Ladies Style की) या और कोई क़ाबिले मज़म्मत मक़्सद निय्यत में हो तो एक अंगूठी ही क्या इस निय्यत से तो अच्छे कपड़े पहनना भी जाएज़ नही!
📘(फ़तावा रज़विय्या, जिल्द-22, सफ़ह़ा-141)

💍ई़दैन में अंगूठी पहनना मुस्तह़ब हैं!
📙(बहारे शरीअ़त, जिल्द-1, सफ़ह़ा-779,780)

💍लोहे की अंगूठी पर चांदी को खोल चढ़ा दिया कि लोहा बिल्कुल न दिखाई देता हो उस अंगूठी को पहनने की (मर्द व औ़रत किसी को भी) मनाही नही!
📓(आ़लमगीरी, जिल्द-5, सफ़ह़ा-335)

💍मन्नत का या दम किया हुआ धात (Metal) का कड़ा भी मर्द को पहनना नाजाएज़ व गुनाह हैं, इसी त़रह़ मदीना शरीफ़ या अजमेर शरीफ़ या (ग़ौसे पाक के नाम का या) किसी भी दरगाह के चांदी या किसी भी धात के छल्ले या कड़े और स्टील की अंगूठी भी जाएज़ नही!

👉अगर किसी इस्लामी भाई ने धात का कड़ा या धात का छल्ला, नाजाएज़ अंगूठी या धात की ज़न्जीर (Bracelet-Chain) पहनी हैं तो अभी के अभी अल्लाह तआ़ला व रसूल ﷺ की रिज़ा की ख़ातिर उतार कर तौबा कर लीजिए और आइन्दा न पहनने का अह़द कीजिए!

*📔(ह़सनैन करीमैन की शानो अज़्मत, सफ़़ह़ा-29,30)*



सलाम करने वाले और जवाब देने वाले पर जानिए कितनी रहमतें नाज़िल होती हैं.

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   📖 *सलाम की फ़ज़ीलत पढ़ें* 📖👇

📜💎 सलाम के बेहतरीन अल्फ़ाज़ ✍अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु।

*💫तरजमा:* तुम पर सलामती हो और अल्लाह की रहमत व बरकत हो।

सलाम का जवाब:✍ व अलैकुमुस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकतुहु व मग्फ़िरतुहु।

*💫तरजमा:* और तुम पर भी सलामती हो और अल्लाह की तरफ से और अल्लाह की रहमत,बरकत व मग्फ़िरत हो।

_🌹✨_ "जब किसी भाई से मुलाक़ात हो तो सलाम करना सुन्नत है।
🌹✨ जिन इस्लामी भाई को नहीं जानते उन्हें भी सलाम करना चाहिए।
🌹✨ सलाम करने वाले पर नवीं रहमतें और जवाब देने वाले पर दस रहमतें नाज़िल होती हैं।
सलाम इतनी ऊँची आवाज़ में करे कि सामने वाला अच्छी तरह से सुन सके।
🌹✨ सलाम का फौरन जवाब देना वाजिब है बिला ऊर्ज ताख़ीर की तो गुनहगार होगा।
🌹✨ ग़ैर मुस्लिम को सलाम न करे अगर वह सलाम करे तो सिर्फ़ व अलैकुम कह दे।
🌹✨ उँगलियों से सलाम यहूदियों और हथेली से सलाम ईसाइयों का तरीक़ा है।
🌹✨ सलाम करते वक़्त रूकूअ की तरफ झुकना हराम है।
🌹🔮 सरकारे दो आलम सल्लललाहु अलैहि व सल्लम का फरमाने आली शान है कि:सवार पैदल को सलाम करे। चलने वाला बैठे हुए को, छोटा बड़े को, पीछे से आने वाला आगे वाले को सलाम करे।
🌹✨ अगर कुछ लोग जमा हों एक ने सलाम किया तो किसी भी एक का जवाब देना काफी है। 🌹✨ अगर एक ने भी जवाब न दिया तो सब गुनहगार होंगे।
🌹✨ कलाम से पहले सलाम करो।
🌹✨ अगर ख़त वग़ैराह में पहले सलाम हो तो पहले जवाब दे बाद में ख़त पढ़े।
🌹✨ अगर कोई ज़िक्रे इलाही तिलावत में दुरूद व सलाम में मशगूल हो तो सलाम न करे।
🌹✨ दर्स व तद्रीस या इल्मी गुफ़्तगू या हदीस की बातें हो रही हों तो सलाम न करे।
🌹✨ खाना खाने वाले को सलाम न करे अगर कर लिया तो जवाब देने वाले को चाहिए कि मुंह में लुक़्मा न हो तो जवाब दे वरना जवाब वाजिब नहीं।

*📚 [ तारीख़े आलम सफ़ा न० 388 ] 📚*



सुन्नी सहिउल अक़ीदा होने के बावजूद इमाम के अंदर इमामत की शरायत पाया जाना बेहद ज़रूरी है जो हस्बे ज़ैल हैं_

*_! सूद खाने वाला_*

*_! बे उज़्र शरई रोज़ा ना रखने वाला_*

*_! जानबूझकर नमाज़ छोड़ने वाला_*

*_! झूठ बोलने वाला_*

*_! धोखा देने वाला_*

*_! फहश कलामी करने वाला_*

*_! नाच गाना देखने वाला_*

*_! नुजूमी यानि एस्ट्रोलाजर_*

*_! बदमज़हबो से मेल जोल रखने वाला_*

*_! दाढ़ी एक मुश्त तक ना रखने वाला_*

*_! सुन्नतों का अलल एलान इंकार करने वाला_*

*_! अपनी बीवी को बेपर्दा निकलने पर ना रोकने वाला_*

*_हरगिज़ हरगिज़ हरगिज़ इमाम नहीं बन सकता अगर ऐसे इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ी तो नमाज़ वाजिबुल इयादा होगी यानि उस नमाज़ को दोबारा पढ़ना वाजिब होगा_*

*_📚 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 151-158-257-204-208-217-255-269-266-201-215-219_*

*_3. इसके अलावा वो सहिउल क़िरात व मसाइले नमाज़ से अच्छी तरह वाक़िफ भी हो_*

*📚 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 264*

*_4. अगर सुन्नी सहिउल अक़ीदा इमाम के अंदर ये तमाम खराबी मौजूद हो तो तन्हा नमाज़ पढ़ी जाये और अगर इमाम ये सारे गुनाह करता तो है मगर अवाम में मशहूर नहीं है यानि छिपकर ये गुनाह करता है तो उसके पीछे नमाज़ पढ़ लें जमात ना छोड़ें_*

*📚 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 253*

*अगर ऐसा बा शरायत इमाम मिल जाये तब भी मुक़्तदी उसके पीछे नमाज़ पढ़ने मे नीचे दिये गये काम हर्गिज़ ना करे*

*_5. उल्टा कपड़ा व जानदार तस्वीर वाला कपड़ा पहनकर,कपड़े की आस्तीन या जीन्स मोड़कर,लोहा पीतल तांबा सोने की अंगूठी पहनकर या चांदी की 4.3 ग्राम से ज्यादा की 1 अंगूठी या चांदी की 2 अंगूठी पहनकर,ब्रेसलेट कड़ा चैन या चैनदार घड़ी पहनकर नमाज़ पढ़ना मकरुहे तहरीमी है यानि वाजिबुल इयादा है_*

*📚 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफ़ह 438-48*




मर्द को हाथ पैर मे मेहदी लगाना और काला खिजाब लगाना केसा है।

*अल जबाब-👇👇👇*

मर्द को हाथ पाओ में महँदी लगाना नाजाइज़ है हा बाल या दाढ़ी में लगा सकते है मगर सर या दाढ़ी में खिज़ाब (काले बाल करना) लगाना दोनों ही (मर्द-औरत) को हराम है.
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान एक हदीस शरीफ़ नक़्ल करते हुवे फ़रमाते है कि *जो काले रंग का खिज़ाब इस्तिमाल करेंगे वो बरोज़े क़यामत जन्नत की ख़ुशबू भी नही या सकेंगे...*
(इसमें मर्द और औरत दोनों का हुक़्म यकसाँ (एक) है...
और मेरे आक़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फ़रमान है कि :- *सफ़ैद बाल मोमीन का नूर है)*
🖌📚:-
*(बहारे शरीअत,हिस्सा-16,सफ़ा-205)*

*इस मसअले पर काफी ग्रुप मे चहिल पहिल हुई इसलिए इसका मुकम्मल जबाब सभी हजरात की खिदमत मे पैस है।*




Imam Bukhari Ne Sahih Bukhari Me Topi K Naam Ka Baab Likha hai


Hadees : Sahabi e Rasool Hazrat Anas bin Malik Peele Rang Ki Topi Pahante (Bukhari Kitab Libas Baab Topiyo Ka byan Hadees Number 5802 )
Is Baab me Hi Aysi Hadees NaqaL Ki Jisme Nabi Pak ne FarmaYa

Halat e Ehram Me Topi Na Pahno.( Bukhari Hadis Number 5803)
Iska Mtlab Bger Ehraam Me Sahaba Topi Lagya krte the

Topi Islam Ki Nishani Hai
Dadhi Aur Topi Hamesha Se Muslim ki Pahchan rhi hai
Mgr Yahood k Agent Muslims ko b Bager Topi Wala Yahood Banane me lage hain

الله اعلم و رسول اعلم صلى الله عليه سلم .

bus iss hadis ka scan page lena he ...

confirm k liye...

ye hadis zubani sunah bhi hu me...




इस्तेखा़रा में किसी नये काम शुरू करने में अल्लाह से दुआ़ करना और उसकी मर्ज़ी माअ़लूम करना मक़सद होता है। यह रसूलुल्लाह ﷺ, सहाबाए किराम और बुजु़र्गाने दीन का तरीक़ा है
________________________________

📚 [ हदीस :- ].... हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह [ रदिअल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते हैं।--------
________________________________

      रसूलुल्लाह ﷺ हमें हर काम में हमें इस्तेखा़रा की तलक़ीन फ़रमाते थे जैसे क़ुरआन की कोई सूरत सिखाते"

📚[ बुखारी शरीफ, जिल्द 1, सफा नं 455, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द 1, सफा नं 292, ]




टोपी पहनना हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से साबित है


*_📚 बहारे शरीयत,हिस्सा 16,सफह 55_*

👉अमामा शरीफ के साथ एक नमाज़ 70 नमाज़ों के बराबर है

*_📚 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 56_*

👉 नमाज़ में अगर टोपी गिर जाये तो उठा लेना अफज़ल है मगर बार-बार गिरे तो ना उठायें और दोनों हाथों से भी ना उठायें कि ये अमले कसीर हो जायेगा जो कि नमाज़ को फासिद कर देता है

*_📚 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 416_*

👉 जो लोग आजिज़ी की नियत से नंगे सर नमाज़ पढ़ते हैं तो कोई हर्ज नहीं

*_📚 अहकामे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 130_*

👉लेकिन अगर नमाज़ की तहक़ीर मुराद है मसलन ये सोचकर नंगे सर नमाज़ पढ़ी कि नमाज़ कोई इतनी अहम इबादत नहीं है जब तो माज़ अल्लाह कुफ्र है

*_📚अनवारुल हदीस,सफह 91_*

👉एक मुसलमान जल्द बाज़ी में नंगे सर नमाज़ तो पढ़ सकता है मगर नमाज़ की तहक़ीर की नियत रखे ये तो हो ही नहीं सकता मगर आज कल कुछ अलग फिरके के लोगों के यहां नंगे सर नमाज़ पढ़ने का मामूल बन गया है लिहाज़ा इससे बचना ज़रूरी है

👉 औरतों के बाल सतर में दाखिल हैं जिनका छुपाना फर्ज़ है सो उनका इतना बारीक दुपट्टा पहनकर नमाज़ पढ़ना कि बालों की सियाही ऊपर से दिखाई दे नमाज़ नहीं होगी

*_📚 बहारे शरीयत,हिस्सा 3,सफह 43_*




उलमा-ए-किराम इन लोगों के बारे में फरमाते है।

➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
📚 "जो इन [ वहाबियों ] के क़ाफ़िर होने मे और इनके अ़ज़ाब में शक करे वोह खुद भी क़ाफ़िर है"।---

📚 [ हस्सामुल हरमैन, ]

✍ [ हदीस :-].... हज़रत अबूह़ुरैरा, हज़रत अनस बिन मालिक, हज़रत अब्दुल्लाह बिन ऊमर, व हज़रत जाबिर [रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] रिवायत करते हैं। कि हुज़ूरे अक़दसﷺ ने इरशाद फरमाया----
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
👉 "अगर बद़ मज़हब, बेदीन, मुनाफ़िक़ बीमार पड़े तो उनको पूछने न जाओ, और अगर वोह मर जाए तो उनके ज़नाज़े पर न जाओ, उनको सलाम न करो, उनके पास न बैठो, उनके साथ न खाओ न पियो, --- न ही उनके साथ शादी करो--- न उनके साथ नमाज़ पढ़ो,"

📚 [ मुस्लिम शरीफ, अबूूदाऊद शरीफ, व इब्ने माज़ा शरीफ, मिश्क़ात शरीफ, ]

📚 [हदीस :-].... हज़रत इब्ने अ़दी [ रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] हज़रत मौला अली [रदिअल्लाहो तआला अन्हो] से रिवायत करते है कि हुज़ूर अकरम ﷺ ने इरशाद फरमाया------
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

📚 जो मेरी इज़्ज़त न करे और मेरे अन्सारी सहाबा और अ़रब के मुसलमानो का हक़ न पहचाने वोह तीन हाल से खाली नहीं,
            (1)या तो मुनाफ़िक़ है,
            (2)या हराम की औलाद,
            (3) या हैज़ [ माहवारी ] की
                 हालत में जना हुआ।

📚 [ बयहक़ी शरीफ, बहवाला इसअ़तुल अ़दब लफ़ाज़िलिन्नसब, सफा नं 46, अज :- आला हज़रत, ]




Wahaabi Deobandi Aur Gustaakh Se Nikaah Naheen Hotaa

Kisi Musalman Aurat Ka Nikah Kisi Bad-Aqeeda (Wahabi, Deobandi, Ghair Muqallid Wagairah) Se Kar Diya Gaya To Uss Aurat Par Farz Hai Ki Fauran Uss Se Juda Ho Jaye, Aur Talaaq Ki Bhi Zarurat Nahee Hai Kyonki Nikah Hi Nahi Hua Tha.

*📚Fatawa E Razviya Shareef Jild 21. Safah 281



NAFIL NAMAZ
_हुज़ूर-ए-अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने नफ्ल नमाज़ हमेशा बैठ कर ही अदा फरमाई और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मैं चाहे बैठ कर पढूं या खड़े होकर मेरे लिये दोनों का सवाब बराबर है_

*और तुम सबके लिये बैठ कर पढ़ने में खड़े होने का आधा सवाब है



हर नशा वाली चिज हराम है.
♥हिकायत : हजरत जाबीर (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है के - "जैशान से एक आदमी आया और जैशान एक शहर (Town) है यमन मे, उस आदमी ने रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) से उस शराब के बारे मे पुछा जो उन इलाको मे पि जाती है और ओ शराब जो तैयार होती है उस शराब को मिज्र कहा जाता था।,
तो रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया--
"ओ शराब नशा (Intoxicating) वाली है??"
उसने अर्ज किया, 'जी हा!'
---
✿हदीस : रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया -- "हर नशा वाली चिज हराम है, क्योंकी अल्लाह तआला का उस आदमी के लिए वादा है के जो आदमी नशा वाली चिज पियेगा उसे अल्लाह तआला
तिनातह-अल-खबाल पिलायेगा,"
सहाबा-ए-किराम (रजी अल्लाहु अन्हु) ने अर्ज किया, आए अल्लाह के रसुल (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)! तिनातह-अल-खबाल क्या चिज है?
आप (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया -
"दोजख का पसीना है।"
(सहीह मुस्लिम, वो-05, हदीस-5217)
--
♥नोट : जो चिज या आमाल इंसान को मदहोश करदे और ओ अपने रब के जिक्र वा रहमतो से थोड़ी देर के लिए भी गाफील हो जाए ऐसी हर चिज हराम है, फिर चाहे शराब हो, जिना या गाना-बजाना,



भीख मत दो !
 *नबी ए करीम ﷺ ने सवाल करने वाले (या'नी*
*भीख मांगने वाले) को कमा कर खाने की*
*अनोखी रहनुमाई फ़रमायी*

*एक बार रसूल ﷺ की ख़िदमत में किसी भिखारी 👳‍♀ ने*
*सवाल किया।*तो अल्लाह के नबी ने
फ़रमाया: क्या तेरे घर कुछ है?

अर्ज़ किया: *सिर्फ़ एक कम्बल है जिसको आधा*
*बिछाता हूँ आधा ओढ़ता हूँ और एक प्याला है*
*जिससे पानी पीता हूँ।*

फ़रमाया: *वो दोनों ले आओ।*

*रसूल ﷺ ने मजमे से ख़िताब करके फ़रमाया* : इसे
कौन ख़रीदता है?
एक ने अर्ज़ किया कि मैं 1
दिरहम से लेता हूँ ,
फ़िर दो तीन बार फ़रमाया
कि दिरहम से ज़्यादा कौन देता है ?
दूसरे ने अर्ज़ किया: मैं 2 दिरहम में ख़रीदता हूँ ,
रसूल ﷺ ने वोह दोनों चीज़े उन्ही को अता
फ़रमा दीं

और यह 2 दिरहम उस भिखारी को देकर
फ़रमाया कि एक का ग़ल्ला (अनाज)🥙 ख़रीद कर घर में
डालो दूसरे दिरहम की कुल्हाड़ी ⛏ ख़रीद कर मेरे
पास लाओ ।

फ़िर उस कुल्हाड़ी में अपने मुबारक हाथ से दस्ता
डाला और फ़रमाया: जाओ लकड़ियां काटो
और बेचो और 15 रोज़ तक मेरे पास न आना

वो
भिखारी 15 रोज़ तक लकड़ियां काटते और बेचते
रहे 15 रोज़ के बाद जब बारगाहे नबवी मे हाज़िर
हुएे तो उनके पास खाने पीने के बाद 10 दिरहम बचे
थे उसमें से कुछ का कपड़ा ख़रीदा कुछ का ग़ल्ला।

रसूल ﷺ ने फ़रमाया, यह मेहनत तुम्हारे लिए मांगने
से बेहतर है।
(इब्ने माजाह जिल्द 3 हदीस 2198 सफ़ा 36)
ग़ौर फ़रमाइए

*रसूल ﷺ ने तो जिसके पास*
*सिर्फ़ 2 चीज़ें ( कम्बल और प्याला) था उसे भी*
*भीख मांगने के बजाए कमा 👨‍🔧 कर खाने की तरग़ीब दिलायी*

जबकि हमने भीख दे दे कर
इनकी तादाद बढ़ा दी है

जिसकी वजह से
भिखाारियों की सबसे ज़्यादा तादाद
मुसलमानो में है ये लोग बाज़ारों, गलियों-
मुहल्लों और आम जगहों पर मुसलमानी हुलिये में
भीख मांग कर हमारे प्यारे मज़हब दीने इस्लाम
को बदनाम कर रहे हैं

इनका सबसे ज़्यादा शिकार
हमारी भोली भाली माँ - बहने होती हैं
लिहाज़ा बेदारी लाइये,

अपने दोस्तो अहबाब ख़ास कर अपने घरों की
ख़्वातीन को समझाइये
इन्हे भीख देकर मुसलमानो में भिखारियों की
तादाद बढ़ाने का ज़रिया न बनिए। *ज़कात फ़ित्र और सदक़ा से अपने कमज़ोर पडोसी अपने रिश्तेदारो या फिर आप जिसे जानते हो उसे भीख समझकर नहीं बल्कि उसकी माली मदद करके उसे मज़बूत बनाने में लगाए. अल्लाह से दुआ भी करे।*



Padhai Se Bhagne Wale Bachcho Ke Liye
Jo Bachche Padhayi Me Dil Laga Kar Padhte Na Ho Aur Padhai Se Door Bhagte Ho To Un Ke Walidain
Ya *Rahmano یا رحمن*
11 Roz Tak Rozana 1788 Martaba Padh Kar Paani Par Dam Kar Ke Pilaye.
In Shaa Allah Bachcho Ka Dil Padhayi Me Lagne Lagega Aur Bachche Padhayi Me Hoshiyar Ho Jayenge.

*🌴🌹किसी साहब ने पढ़ाई के लिए दुआ माँगी थी जिनके बच्चों का पढ़ाई मे मन नही लगता उन के लिए गौर फरमाए और अमल पैरा हो जाए*



APNE BACHCHON KE RISHTE SHADI ME JALD BAZI KARNE WALE HAZRAAT IS POST KO ZARUR PADHEN.
◽◽◽◽◽◽◽◽

*......SAWAAL.......*
Kisi wahabi ya bad Aqeede ke ghar ke ladke
(girl) se shaadi kar sakte hai ya ladke
De sakte hai.
Ki aise bhe kheta hai k shaadi k bad hum
sunni bana lenge Aur agar ladka sunni ho
ladke de jaee bad me ladka bad mazhab ban
jaye is k. Baree me kya hukum hai shari'at
me......
Hazrat islaah farmaye
*ﺑﺴﻢ ﺍﻟﻠﻪ ﺍﻟﺮﺣﻤﻦ ﺍﻟﺮﺣﻴﻢ*
*ﻭﺍﻟﺼﻼﺓ ﻭﺍﻟﺴﻼﻡ ﻋﻠﻲ ﺧﻴﺮ ﺧﻠﻖ ﺍﻟﻠﻪ ﺃﺟﻤﻌﻴﻦ*
*ﺳﻴﺪﻧﺎ ﻣﺤﻤﺪ ﻋﻠﻴﻪﻭﻋﻠﻲ ﺁﻟﻪ ﻭﺃﺻﺤﺎﺑﺔ ﻭﺯﺭﻳﺘﺔ ﻭﺯﻭﺟﺎﺗﻪ ﺃﻓﻀﻞ ﻭﺃﺯﻛﻲﺍﻟﺼﻼﺓ ﺍﻟﺴﻼﻡ*

✒.Nikaah musalman ka musalman se hoga ya
kisi kaafir se...
Aaj k wahabi deobandi apne gande Aqaaed ki
buniyaad par *KAAFIR O MURTAD HAIN...*
Jab ye mardood kaafir hain to inki ladki se
sunni ladke ka ya sunni ladki ka inke ladke
se *NIKAH HOGA HI NAHI...* Agar kiya bhi to
Siwa e Zina k kuch na hoga....
Kyu'n k ye jama'ate'n apne aqaaede batela ki
wajah se ba hukme shara' bad maz'hab
gumraah hain jaisa ke 📘HASSAMUL
HARAMAIN me Qur'ano Hadees ke Hawalon se bataya gaya hai
"jo inke (wahabi deobandi) kufr or azaab me
shak kare (in ke aqa'ede batila ko janne k
bawjood)wo bhi kaafir hai..."
Aur kafiro murtad k NIKAH ka HUKM ye hai k..
"MURTAD KE LIYE MURTADDAH, MUSLIMA,
KAFIRA ASLIYA KISI SE SHADI KARNA JAAEZ
NAHI OR AAISE HI MURTADDAH KE LIYE KISI
SE NIKAH KARNA JAAEZ NAHI..

*📚📖(Fatawa Aalamgiree)*

*Fiqah ki mash'hoor kitab QUDOORI* me ye
mazkoor hai k;
"MURTAD KA NIKAH NA KISI MUSALMAAN
AURAT SE NA MURTAD AURAT SE OR NA
KISI KAFIR AURAT SE HOSAKTA HAI..."
Fatawa Razawiyyah vol:5, page:124, me hai
k;
*"MURTAD aur* *MURTADDAH ka NIKAAH AALAM ME kisi se nahi ho sakta.*
*AAPAS ME NA KAFIR YA KAFIRA SE*
*TO jabke inke AAPAS ME BHI NIKAH NAHI HOSAKTA TO SABIT HUA KE KAFIRO MURTAD KA NIKAAH MOMINA SE MUN'AQID HI NAHI HOTA ...BALKE BATILE MAHAZ HAI,*

*(FATAWA FAIZURRASOOL vol:1,page/614)*
*🏡: Jamea Nizamiya Salehaat Kurla Mumbai




सुन्नत क्या है
1. सुन्नते कौलिया - यानि जो हुज़ूर ने कहा हो
2. सुन्नते फेलिया - यानि जो हुज़ूर ने खुद किया हो
3. सुन्नते सुकुतिया - यानि किसी को कोई काम करता देखकर जिसे हुज़ूर ने मना न किया हो

📕 अनवारुल हदीस,सफ़ह 58

*سنت کیا ہے*

1. سنّت قولہ- یعنی جو حضور نے کہا ہو
2. سنّت فعلیہ- یعنی جو حضور نے خود کیا ہو
3. سنّت سکوتیہ - یعنی کسی کو کوئی کام کرتا دیکھ کر جسے حضور نے منع نہ کیا ہو

📕 انوارالحدیث، سفه 58

*What is the Sunnah*

1. Sunnate qaulia - It is said by prophet
2. Sunnate Felia - which have their own prophet
3. Sunnate Sukutia - that is, by any works that are not forbidden by prophet

📕 Anwarul hadees,safah 58



कुछ मसाइल
* महफिल को हंसाना या यार दोस्तों के साथ हंसी मज़ाक करना जायज़ है मगर झूट या बेहूदगी नहीं होनी चाहिए

* बाज़ लोग याददाश्त के लिए कमरबंद या रूमाल वग़ैरह पर गिरह लगा देते हैं ये जायज़ है और इसी नियत से उंगलियों पर डोरा बांधना भी जायज़ है हां बिला वजह बांधना मकरूह है

* ऐसा बिछौना या तकिया या दस्तर ख्वान जिस पर कुछ लिखा हो इस्तेमाल करना नाजायज़ है

* मुशरेकीन के बर्तनों में कुछ भी खाना पीना मकरूह है जब तक कि उसे धो ना लें ये तब है जबकि उसका नापाक होना मालूम ना हो वरना अगर यक़ीनी है तो ऐसे बर्तनों में खाना पीना हराम है

* इस्लाह की नीयत से फर्जी यानि झूठे किस्से कहानियां पढ़ना या सुनना जायज़ है अगर टाइम पास है तो ना जायज़
है ।

* लोगों के साथ इखलाक़,नर्मी से पेश आना मुस्तहब यानि अच्छा है मगर बदमज़हब से बात करने में इतना लिहाज़ रखें कि उसे यक़ीन रहे कि इसे मेरा मज़हब पसंद नहीं

* किराए पर मकान दिया और खुद मकान देखना चाहता है तो किरायेदार से इजाज़त लेकर जा सकता है बग़ैर इजाज़त नहीं,कि मकान इसका है मगर सुकूनत उसकी

* किसी भी जानवर या कीड़े मकोड़ों को ज़िन्दा आग में डालना मकरूह है

* अगर जान माल इज़्ज़त आबरू का खतरा है या किसी पर अपना हक़ आता है और वो नहीं देता तो ऐसी हालत में किसी को रिश्वत देता है कि मेरा हक़ वुसूल हो जाए या मैं हिफाज़त से रहूं तो ये देना जायज़ है हालांकि लेने वाले को हरगिज़ जायज़ नहीं होगा

* बेटा अपने बाप का नाम लेकर या बीवी अपने शौहर को नाम लेकर पुकारे मकरूह है

* दुनियावी तक़लीफ की वजह से मरने की आरज़ू करना मकरूह है मगर गुनाहगार होने की वजह से मरना चाहता है ऐसी आरज़ू मकरूह नहीं

* काफिर के लिए मग़फिरत की दुआ करना जायज़ नहीं हां किसी ज़िन्दा के लिए हिदायत की दुआ कर सकता है

* हर महीने की 3,13,23 या 8,18,28 को निकाह के लिए मन्हूस जानना या किसी महीने को बुरा जानना जिहालत है,इस्लाम में इसकी कोई अस्ल नहीं

* इमामा शरीफ खड़े होकर बांधना और पैजामा बैठकर पहनना है,जो इसका उल्टा करेगा वो ऐसे मर्ज़ में मुब्तेला होगा जिसकी दवा डाक्टरों के पास भी नहीं होगी यानि ला इलाज मर्ज़

📕 बहारे शरियत,हिस्सा 16,सफह 132,252-259

शियाओं ने अहले बैत व मौला अली की शान में 3 लाख के करीब फर्जी हदीसे गढ़ी हैं

📕 क्या आप जानते हैं,सफह 297

बैतुल मुक़द्दस की ज़मीन आसमान से सबसे ज्यादा क़रीब है क्योंकि हर जगह से ये ज़मीन 18 मील ऊंची है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 4,सफह 687

बुर्राक़ बर्क़ से बना है यानि बिजली,बर्क़ 1 सेकंड में 299337 किलोमीटर का सफर तय करती है

📕 क्या आप जानते हैं,सफह 27

शराब पीते,ज़िना करते,चोरी करते जुआ खेलते या किसी भी हराम काम करते वक़्त बिस्मिल्लाह पढ़ना हराम है,और अगर जाएज़ समझे जब तो काफिर है

📕 फतावा आलमगीरी,जिल्द 2,सफह 286

जो रोज़ाना खाना खाने से पहले फातिहा दे ले तो कभी उस घर में रिज़्क की तंगी व बे बरकती नहीं होगी

📕 जायल हक़,जिल्द 1,सफह 253

दोज़ख में अज़ाब के 19 फरिश्ते हैं,हर 1 का क़द 100 साल की राह जितना है,उनकी 1 ज़र्ब से 7 लाख आदमी रेज़ा रेज़ा हो जाते हैं

📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 44

पहले खाना नहीं सड़ता था,बनी इसराईल को हुक्म था कि 'मन्न व सलवा' दूसरे दिन के लिए बचा कर ना रखें पर वो नहीं माने,उनकी नाफरमानी की वजह से खाना खराब होना शुरू हुआ
📕 रूहुल बयान,जिल्द 1,सफह 97




सवाल------ घर में खरगोश रखना कैसा है और उसका गोश्त खाना चाहिए या नहीं,
*_जवाब------ अव्वल तो ये जान लें कि खरगोश जानवर का गोश्त खाना ह़लाल है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उसका भुना हुआ गोश्त तनाउल फरमाया है और सहाबा कराम को भी उसे खाने की इजाज़त दी है,तो जब खरगोश खाना ह़लाल है तो घर में रखना पालना खरगोश की खरीद वो फरोख्त करना भी जायज़ हुआ_*

*📚फतावा फैज़ुर रसूल जिल्द 2 सफह 429*
*📚हिदाया जिल्द 4 सफह 425*

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🅱️ बहारे शरीअत ( हिस्सा- 03 )🅱️

_____________________________________   _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 089)*_ ―――――――――――――――――――――             _*🕌नमाज़ पढ़ने का तरीक...