हयाते आला हज़रत जिल्द 1 सफहा 262
यअनी आज से 460 साल के बाद हजरत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम का जहूर होगा..?
ख्याल रहे हजरत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम का जहूर और हजरत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम का नुजूल कुर्बे कयामत यानी कयामत के बिलकुल आखरी दौर में होगा.?
जब मुझे पता चला कि सरकार आला हज़रत ने इल्मे जफर से मालूम करके बताया कि इमाम मेंहदी 1900 हिजरी में जहूर फरमायेंगे यअनी आज से 500 या 550 साल में कयामत कायम हो जायेगी तो अल्लाह की कसम यकीन जानिए कि मुझे इस पर यकीन नही हो रहा था..!
आज तकरीबन एक महीने से अपने इल्म के मुताबिक मै इस पर तहकीक कर रहा हुं और यकीन जानिए सिर्फ 15 से 20 दिन की तहकीक से मेरे दिल में ये बात बिठा दी गई कि इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम का जहूर 1900 हिजरी में होगा और 500 से 550 साल में कयामत कायम हो जायेगी..?
कुर्बे कयामत के तअल्लुक़ से मै पहले बहोत सारी हदीसें पढ चुका हुं मगर उन हदीसों की तरफ तवज्जो नही था- जब इमाम अहमद रजा फाजिले बरेलवी रहमतुल्लाह अलैहि की तहकीक और मेंहदी अलैहिस्सलाम के जहूर का वक्त पढा तो उन हदीसों का पसमंजर कुर्बे कयामत के तअल्लुक़ से सामने नजर आने लगा..!
कुर्बे कयामत के तअल्लुक़ से बहोत सारी हदीसें बुखारी मुस्लिम ,अबु दाऊद, नसाई, इब्ने माझा, मिश्कात, मुसनदे अहमद और दीगर अहादीस की किताबों में मौजूद हैं अगर सब को लिखा जाये तो एक जन्हीम किताब बन जायेगी..
मैं बुखारी शरीफ की चंद हदीसों का हवाला देता हुं जिसको पढना है पढ सकता है :- बुखारी की हदीस नं 59,80,81,1036,1412,1593,3176,3609,4636,4820,4936,5577,5590,6490,6506,7121,7311
बुखारी शरीफ की हदीस नं 6503 में सरकार आला हज़रत की पेशिनगोई छुपी है :- कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी बीच की उंगली और शहादत की उंगली दिखाकर फरमाया मै और कयामत इतने नजदीक नजदीक भेजे गये हैं और नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी दो उंगलियों के इशारह से कयामत की नजदीकी को बताया,फिर उन दोनों को फैलाया....????????
इस हदीस से जंहा तक मैंने समझा है वो ये है कि कयामत करीब है और बहोत ही करीब है..?
दूसरी बात ,आप ने उंगली को फैलाया यानी कयामत के करीब बहोत ज्यादा फितना फैल जायेगा..? जैसा कि फितने के तअल्लुक़ से बहोत सारी हदीसें भी हैं कि कयामत के करीब फितना फैल जायेगा..?
तीसरी बात, दो उंगलियां फैलाने से मुराद आप के जमाने से कयामत की दूरी दो हजार साल हो सकता है...?????
और जैसा कि सरकार आला हज़रत ने फरमाया कि शायद इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम 1900 हिजरी में जहूर फरमायेंगे,
और इमाम मेंहदी से कयामत की दूरी 80 से 90 साल है, कुल मिलाकर नबी ए पाक के जमाने से 2 हजार साल होते हैं...????
अभी चल रहा 1441 हिजरी यानी 460 साल के करीब इमाम मेंहदी का जहूर होगा और आपके जहूर फरमाने के 80 या 90 साल के बाद कयामत है यानी कयामत को 550 साल अंदाजन बाकी हैं बस...??????
ख्याल रहे कयामत का सही इल्म अल्लाह और उसके रसूल के सिवा किसी को नही..?
कयामत की निशानियाँ कयामत की तारीख कयामत का दिन अल्लाह के रसूल ने अपनी उम्मत को बता दिया कि कयामत मुहर्रम की 10 तारीख और दिन जुमा को आयेगी मगर किस हिजरी में आयेगी ये छुपा लिया गया है....?
तसव्वुरे इमाम मेंहदी
इमाम मेंहदी का तसव्वुर इस्लाम में अहादीस की बुन्नियादों पर उम्मते मुस्लिमा और तमाम दुनिया के निजात दहिंदा की हेसियत से पाया जाता है, और सुन्नियों में उन के आखिरत या कुर्बे कयामत के नजदीक जाहिर होने के बारे में मुतअद्दिद रिवायात पाई जाती है, जबकि शियों के नजदीक इमाम मेंहदी हजरत इमाम हसन असकरी के फरजंद और अहले तशीअ के आखिरी इमाम हैं- इमाम मेंहदी वोह शख्सियत हैं कि जिनके बारे में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इर्शादात तमाम मुस्तनद कुतुब मसलन बुखारी, मुस्लिम, अबुदाऊद, इब्ने माझा, वगैरह में मिलते हैं, हदीस के मुताबिक उनका जहूर कयामत के करीब होगा, उनके वजूद के बारे में मुसलमान मुत्तफिक हैं, अगरचे इस बारे में इख्तेलाफ है कि आया वोह पैदा हो चुके हैं या नही, शियों के नजदीक वो 260 हिजरी में पैदा हो चुके हैं जो हजरत इमाम हसन असकरी के बेटे हैं, यअनी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बेटी हजरत फातिमा और हजरत अली की नस्ल से हैं, और अब वोह गैबते कुबरा में हैं और जिंदा हैं, मगर जेदिया शिया मजहब का अकीदा ये है कि हजरत इमाम मेंहदी जैदी शिया के इमामों में से एक इमाम होंगे, ताहम उनकी पैदाइश अभी नही हुई है, इस बहिस को मैं तूल नही देना चाहुंगा खुलासा कलाम ये है कि ओलमा ए अहले सुन्नत के नजदीक इमाम मेंहदी कयामत के करीब मदीना मुनव्वरा में पैदा होंगे, उन्का जहूर मशरिक से होगा और बाज रिवायात के मुताबिक मक्का से होगा,
इमाम मेंहदी का जिक्र तमाम मजाहेब की किताबों में
मुसलमानों के नजदीक इमाम महदी और हजरत ईसा कयामत के करीब इस्लामी हुकूमत काऐम करके दुनिया को अदल वा इंसाफ भर देंगे, एक ऐसे शख्स के बारे में अकाऐद तकरीबन दुनिया के तमाम मजाहेब में मिलते हैं जो आखिरी दुनिया में खुदा की सच्ची हुकूमत काऐम करेगा और दुनिया को अदल वा इंसाफ से भर देगा, ऐसे शख्स के बारे मुतअद्दिद मजाहेब में पेशीनगोइयां भी मिलती हैं और इल्हामी कुतुब में भी ये जिक्र शामिल है, मुसलमानों के अकाइद के मुताबिक ये शख्स इमाम मेंहदी होंगे और उनके साथ हजरत ईसा का नुजूल भी होगा, और ये दोनों अलग अलग शख्सियत हैं, उनकी आमद और उनकी निशानियों की तफसील हदीस में मौजूद है फिर भी अब तक मेहदियत के कई झूठे दावेदार पैदा हुए और फना भी हो गये, सच्चे महदी की अलामत ही ये है कि वोह अपने महदी होने का ना तो दावा करेंगे और ना ही ऐलान,
हजरत इमाम मेंहदी का नाम वा लकब
इमाम मेंहदी का नाम नामी मुहम्मद या अहमद होगा जबकि महदी उनका नाम नही लकब होगा, महदी बा मअना हिदायत याफता, मुकम्मल बा अदब नाम के साथ लकब, हजरत इमाम महदी अलैहिस्सलाम है
(सहीह इब्ने हिब्बान)
शजरह नसब""
हजरत महदी हसनी सादात में से होंगे उनका नाम नामी मुहम्मद या अहमद और वालिद का नाम अबदुल्लाह होगा, इब्ने हिब्बान
इमाम महदी का जहूर एक ऐसे वक्त में होगा जब उम्मत शदीद मुश्किलात से दो चार होगी और हर तरफ़ मुसलमानों पर अरसा हयात तंग किया जा चुका होगा, तमाम ममालिक में खानाजंगिया हो रही होंगी, हर मुल्क में जंगो से बेअमनी फैली होगी, हर तरफ कतलो गारत का बाजार गर्म होगा, चारो तरफ खूंरेजी फैली होगी, लाशों के अंबार हर मुल्क में नजर आयेगा, कई मुल्क विरान हो गये होंगे, जान बचाने की कोई जगह नजर नही आयेगी, हर तरफ तबाही खूंरेजी कत्लोगारत के मनाजिर होंगे, बहोत से लोग अपनी बकरियों को हांकते हुए जंगल का रास्ता लेंगे, इतनी खानाजंगिया होगी कि आबादी बराए नाम बचेगी, हर मुल्क में बेअमनी फैली होगी और इस्लामी हुकूमतें खत्म हो गई होंगी, उम्मते मुस्लिमा सदीद परेशानियों में मुब्तिला होगी,
सहीहेन की रिवायत में है कि
उमरो इब्ने शुऐब अपने वालिद से और उन्होंने अपने दादा से रिवायत की है कि अल्लाह के रसूल ने फरमाया जिलकअदह के महीने में कबाइल के दरम्यान में कशमकश और मुआहिदा शिकनी होगी चुनांचा हाजियों को लूटा जायेगा और मिना में जंग होगी- बहोत ज्यादा कतले आम और खून खराबा होगा यंहा तक कि उकबा जुमरह पर भी खून बह रहा होगा नौबत यंहा तक आयेगी कि हरम वाला मेंहदी भी भाग जायेंगे, और भाग कर वह रूकने यमानी और मकामे इब्राहिम के दरमियान में आयेंगे और उनके हाथ पर बैअत की जायेगी मगर वोह बैअत लेने से इनकार कर देंगे, लोग कहेंगे अगर आप बैअत नहीं करेंगे तो हम आपकी गरदन मार देंगे, फिर वोह बैअत करेंगे, बैअत करने वालो की तादाद अहले बद्र के बराबर होगी, उन बैअत करने वालों से जमीन वा आसमान वाले खुश होंगे..?
मुस्तदरक की दूसरी रिवायत में इन अल्फाज के साथ इजाफा है कि जब लोग भागे भागे हजरत इमाम मेंहदी के पास आयेंगे तो उस वक्त वोह कअबा से लिपटे हुये रो रहे होंगे अब्दुल्लाह इब्ने उमरो फरमाते हैं गोया मैं उनके आंसू देख रहा हुं, चुनांचा लोग उनसे कहेंगे आइये हम आपके हाथ पर बैअत करते हैं- इमाम मेंहदी कहेंगे अफसोस तुम कितने मुआहिदों को तोड़ चुके हो और किस कदर खून खराबा कर चुके हो, उसके बाद ना चाहते हुए भी वोह बैअत कर लेंगे, अब्दुलाह इब्ने उमरो फरमाते हैं ऐ लोगों जब तुम उन्हें पा लो तो तुम उनके हाथ पर बैअत कर लेना क्योंकि वोह दुनिया में भी मेंहदी हैं और आसमान में भी मेंहदी हैं.?
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि वह वक्त करीब है जब इराक वालों के पास रुपये और गल्ले आने पर पाबंदी लगा दी जायेगी, पूछा गया कि ये पाबंदी किस की जानिब से होगी..? फरमाया अजमियों, यानी गैर अरब की जानिब से, फिर कुछ देर खामोश रहने के बाद फरमाया कि वह वक्त भी करीब है कि जब अहले शाम पर भी ये पाबंदी लगा दी जायेगी.? पूछा गया ये रुकावट किस की जानिब से होगी..? फरमाया अहले रुम यानी मगरिब वालों की जानिब से.? फिर अल्लाह के रसूल इमाम मेंहदी का जिक्र करते हुए फरमाते हैं कि मेरी उम्मत के आखिरी दौर में एक खलीफा होगा जो लपें भर भर कर माल देगा और उस की गिनती नही करेगा..? मुस्लिम शरीफ जिल्द 4 सफहा 406 हदीस नं 7315
हजरत इमाम मेंहदी का तसव्वुर इस्लाम से पहले भी कदीम कुतुब में में मिलता है, जैसे जरतशती, हिन्दू, मसीही, यहूदी, वगैरह सब ये अकीदह रखते हैं कि दुनिया के खत्म होने के करीब एक निजात दहिंदा का जहूर होगा जो दुनिया में एक इंसाफ पर मबनी हुकूमत काऐम करेगा..?
और इस्लामी अहादीसे कुतुब में इमाम मेंहदी का जिक्र सराहत के साथ मौजूद है जो हद्दे तवातिर तक पहोंचती है!
ओलमा ए अहले सुन्नत के मुताबिक इमाम महदी हजरत फातिमा और हजरत अली की नस्ल से होंगे, उन्का नाम मुहम्मद और कुन्नियत अबुल कासिम होगी, वोह अभी पैदा नही हुये हैं मगर पैदा होने के बाद वोह बाकायदा हजरत ईसा अलैहिस्सलाम के साथ मिलकर कुफ्फार वा मुश्रिकीन से जंग करेगें और एक इस्लामी हुकूमत काऐम करेंगे, उनकी पैदाइश कयामत के करीब होगी.?
इमाम महदी के आमद की पेशिनगोइयां
अल्लाह के रसूल फरमाते हैं मेंहदी मेरी नस्ल से फातिमा की औलाद में से होंगे.?
सुनन ए अबुदाऊद हदीस नं 4284
अल्लाह के रसूल फरमाते हैं मेंहदी मेरी औलाद में से कुशादह पेशानी, ऊंची नाक वाले होंगे, वोह रूऐ जमीन को अदल वा इंसाफ से भर देंगे जैसे कि वोह जुल्म वा जोर से भर दी गई है उन्की हुकूमत सात साल और दूसरी रिवायत में नौ साल तक रहेगी..? अबु दाऊद हदीस नं 4245
मुसनदे अहमद ,बैहकी , दलाइलुन्नुबुवत में है कि अल्लाह के रसूल ने फरमाया जब तुम खुरासान की तरफ से सियाह झंडे आते देखो तो उनका इस्तकबाल करो क्योंकि उन में अल्लाह का खलीफा मेंहदी होगा.?
मिश्कात शरीफ हदीस नं 5461
मुसनदे अहमद में है कि अल्लाह के रसूल फरमाते हैं जब मेरी उम्मत के लोगों में इख्तेलाफ जोरों पर होगा और जलजले आ रहे होंगे तो मैं तुम्हें मेंहदी की बशारत देता हुं, जो जमीन को अदल वा इंसाफ से इस तरह भर देगें जैसे पहले ये जुल्म वा जोर से भरी हुई होगी..? हदीस नं 12923
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*(फितनों का जहूर)*
अबू दाऊद वा मिश्कात की हदीस है अल्लाह के रसूल फरमाते हैं बैतुल मुकद्दस की आबादी यसरब की बर्बादी के वक्त होगी, और यसरब की खराबी बड़ी जंग के वक्त होगी, और बडी़ जंग फतह कुस्तुनतुनिया के वक्त होगी और कुस्तुनतुनिया की फतह दज्जाल के निकलने के वक्त होगी..?
मिश्कात हदीस नं 5424
इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम के आये बगैर कयामत नही आयेगी आप का आना कयामत की बड़ी निशानियों में से एक निशानी है,
अल्लाह के रसूल फरमाते हैं दुनिया उस वक्त तक खत्म नही होगी जब तक कि मेरे घराने का एक आदमी जो मेरा हम नाम होगा अरब का बादशाह ना बन जायेगा..? तिर्मिजी हदीस नं 2230
इमाम मेंहदी का आना यकीनी है और आपका जहूर उस वक्त होगा जब पूरी दुनिया में खानाजंगिया हो रही होंगी इतनी खानाखराबी और कत्लोगारत होगा कि उससे पहले कभी ना हुआ होगा तमाम ममालिक जंग करते करते परेशान हो गये होंगे दुनिया में इतनी भयानक और बडी़ जंग होगी की तमाम इलेक्ट्रॉनिक चीजें
जैसे तोप ,मिसाइल बम ,लडाकू विमान,बंदूक, गाड़ी मोटर सब जंग में तबाह हो गई होंगी फिर उन्हें कोई बनाने वाला ना बचेगा तमाम इंसान उस वक्त जान जायेंगे की दुनिया खत्म होने और कयामत के करीब है , ये दुनिया फिर से तीर तलवार के बल पर हो जायेगी..?
गैब की खबरें देने वाले कयामत के तमाम हालात बताने वाले छुपी हुई चीजों को जाहिर करने वाले नबी ने फरमाया :- एक वक्त ऐसा आयेगा जब ईराक अपने पैमाने और रुपये रोक देगा, और शाम अपने मदों और अशरफियों को रोक देगा--- फिर एक वक्त ऐसा आयेगा जब तुम वैसे ही हो जाओगे जैसे शुरू में थे..??
अबु दाऊद शरीफ हदीस नं 3035
अनकरीब एक बहरा गुंगा और अंधा फितना होगा, अबुदाऊद हदीस नं 4264
हजरते अब्दुल्लाह इब्ने उमर फरमाते हैं हम लोग अल्लाह के रसूल के पास बैठे थे आपने फितनो के तजकिरह में बहोत से फितनो का तजकिरह किया यंहा तक की फित्नए अहलास का भी जिक्र फरमाया, तो एक। शख्स ने अर्ज किया अल्लाह के रसूल फित्नए अहलास क्या है.? आप ने फरमाया वोह ऐसी नफरत वा अदावत और कत्लोगारत है कि इंसान एक दूसरे से भागेगा, और बाहम बरसरे पेकार रहेगा फिर उसके बाद फित्नए सर्रा है..?
फिर आगे फरमाते हैं कि अंधेरे का फितना होगा जो इस उम्मत के हर फर्द यानी हर शख्स को पहोंच कर रहेगा जब कहा जायेगा कि फितना खत्म हो गया तो वोह और भड़क उठेगा जिस में आदमी सुबह को मोमिन होगा और शाम को काफिर हो जायेगा, यंहा तक कि लोग दो खेमों में बट जायेंगे, एक खेमा मोमिन का होगा जिस में कोई मुनाफिक़ ना होगा और एक खेमा निफाक का होगा जिस में कोई ईमान वाला ना होगा, तो जब ऐसा फितना रोनुमा हो तो उसी रोज या उस के दूसरे दिन से दज्जाल का इंतजार करने लग जाओ..?? अबु दाऊद हदीस नं 4242
अरब के मुनाफिकीन का कतले आम होगा जो भी मुनाफिक़ कत्ल होगा जहन्नम में जायेगा, अल्लाह के रसूल फरमाते हैं अनकरीब एक ऐसा फितना होगा जो तमाम अरब को अपनी लपेट में ले लेगा, उसमें कत्ल होने वाले जहन्नमी होंगे.? तिर्मिजी शरीफ हदीस नं 2178 अबुदाऊद 4265 मुसनदे अहमद हदीस नं 12866
मिश्कात हदीस नं 5401
जंहा तक मैं और आप सब जानते हैं कि ये फितनो का शुरुआती दौर है इसलिए इस दौर में अपने अअमाल का जायजा लो क्योंकि मौत भी एक तरह की कयामत है जैसे कयामत यकायक आयेगी वैसे ही मौत भी अचानक आयेगी ,
अल्लाह के रसूल फरमाते हैं नेक अअमाल करने में जल्दी करो ( अलामाते कयामत के जहूर से पहले जो कि) छे हैं धुआं, दज्जाल, दाबतुल अर्द, और सूरज का पश्चिम से निकलना, नेज वोह आम फितना जो आम लोगों को हलाक कर देगा और खास फितना जो तुम्हारे खास को फना कर देगा.?
मिश्कात शरीफ हदीस नं 5465
ये उसी दौर की शुरुआत है कि जिसमें हमारे आम और खास का कत्ल किया जा रहा अवाम से लेकर औलमा तक सब इसमें शामिल हैं और ये दौर अब मुफलिसी का नही बल्कि आज माल की फरावानी का दौर है जिसमें करोड़ों में से कोई एक भी रात को भूखा नही सोता, मगर गुरबत का एक दौर ऐसा भी था जब दो दो दिन खाना नसीब नहीं होता था लोगों को..??
इसी दौर के मुतअल्लिक गैब की खबरें देने वाले नबी ने बताया था कि कयामत उस वक्त तक कायम ना होगी जब तक माल की खूब फरावानी ना हो जायेगी, और फितना आम ना हो जाये, हर्ज कसरत से होने लगे, लोगों ने पूछा हर्ज क्या है, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तीन बार फरमाया कतल कतल कतल..?
सुनन इब्ने माझा हदीस नं 4047
कुर्बे कयामत के तअल्लुक़ से फितनो का जिक्र करते हुए अल्लाह के रसूल मजीद फरमाते हैं " फितनो का दौर जब आयेगा तो उस में बैठने वाला खड़ा होने वाले से बेहतर होगा, खड़ा रहने वाला चलने वाले से बेहतर होगा, चलने वाला दौडने वाले से बेहतर होगा, जो उस में झांकेगा फितना उसे भी उचक लेगा और उस वक्त जिसे जंहा भी पनाह मिल जाये बस वंही पनाह पकड़ ले ताकि अपने दीन को फितनो से बचा सके.? बुखारी हदीस नं 3601
कयामत की अलामतें सुगरा यानी कयामत की छोटी निशानियां मुकम्मल हुई
सरकार आला हज़रत की पेशिनगोई हक है मुझे इसमें शक नही कि इमाम मेंहदी का जहूर 1900 हिजरी होगा ख्याल रहे कि अल्लामा जलालुद्दीन स्यूती रहमतुल्लाह अलैहि से पहले के बाज औलमा ए किराम ने बमुलाहिजा हदीस हिसाब लगाया कि ये उम्मत सन् हजार हिजरी से आगे नही जायेगी, यानी सन् एक हजार हिजरी में कयामत आ जायेगी, मगर अल्लामा जलालुद्दीन स्यूती रहमतुल्लाह अलैहि ने इनकार किया और फरमाया ये उम्मत हजार हिजरी से जरूर आगे जायेगी और आपने 1200 सौ हिजरी फरमाया.??
मगर 12 सौ हिजरी में भी कयामत नही आई इसकी वजह ये है कि 12 सौ हिजरी में अल्लाह के रसूल की तमाम पेशिनगोइयां पूरी नही हुई थी...
जैसे कयामत के करीब ऊंची ऊंची इमारतें होंगी..?
इमारते बनाने में लोग एक दूसरे से से सबकत हासिल करेंगे.?
लोग ऊंची ऊंची इमारतें बनाने पर फख्र करेंगे.?
ऊंची ऊंची इमारतें बनाने का जिक्र अहादीसे रसूल में मौजूद है हवाला देखें-- मुसनदे अहमद हदीस नं 12844, इब्ने माझा हदीस नं 64,तिर्मिजी 2610,अबुदाऊद 2695,मुस्लिम 93, 97,99,
सन् 12 सौ हिजरी तक कयामत की अलामतें सुगरा यानी कयामत की छोटी निशानियाँ पूरी नही हुई थी मगर अब कयामत की तमाम तर छोटी निशानियां पूरी हो चुकी हैं जैसे:- औलाद ना फरमान हो जायेगी, बेटियां तक मां बाप की नाफरमानी करने लगेंगी,
दोस्त को अपना और बाप को पराया समझा जाने लगेगा,
इल्म उठ जायेगा और जिहालत आम हो जायेगी,
दीन का इल्म लोग दौलत कमाने के लिए हासिल करने लगेंगे,
नाअहल लोग अमीर और हाकिम बन जायेंगे, और हर किस्म के मुआमलात ओहदे और मनासिब नाअहलों के सुपुर्द हो जायेंगे, जो जिस काम का अहल और लायक ना होगा वोह काम उसके सुपुर्द हो जायेगा, लोग जालिमों और बुरे लोगों की तअजीम इस वजह से करने लगेंगे की ये हमे तकलीफ ना पहुंचाये.?
शराब आम हो जायेगी, जिनाकारी और बदकारी फैल जायेगी,
ऐलानियां तौर पर नाचने और गाने वाली औरते आम हो जायेंगी, गाने बजाने का सामान और आलात मोसेकी भी आम हो जायेंगे,
लोग उम्मत के पहले बजुर्गों को बुरा भला कहने लगेंगे,
झूठ आम फैल जायेगा, झूठ बोलना कमाल समझा जाने लगेगा,
अमीर और हाकिम मुल्क की दौलत को जाती मिल्कियत समझने लगेंगे,
अमानत में खयानत शुरू हो जायेगी, अमानत के तौर पर रखवाई जाने वाली चीजों को लोग गसब करने लगेंगे,
नेक लोगों के बजाये रजील जलील और गलतकार किस्म के लोग अपने अपने कबीले और इलाके के सरदार बन जायेंगे,
शर्म वा हया बिलकुल खत्म हो जायेगा,
जुल्मों सितम कत्लोगारत आम हो जायेगा,
ईमान सिमट कर मदीना मुनव्वरा की तरफ चला जायेगा जैसे सांप सिकुड़कर अपने बिल में चला जाता है,
ऐसे हालात पैदा हो जायेंगे कि दीन पर कयाम रहने वाले की वोह हालत होगी जो हाथ में अंगारा पकडने वाले की होती है,
लोग सुबह को मुसलमान रहेंगे तो शाम को काफिर हो जायेंगे, शाम को मुसलमान रहेंगे तो सुबह काफिर हो जायेंगे,
जकात के माल को खा लिया जाने लगेगा,
गनीमत को अपना माल समझा जाने लगेगा,
मां बाप की नाफरमानी और बीबी की की फरमाबरदारी शुरू हो जायेगी,
औरतें ज्यादा और मर्द कम हो जायेंगे, यंहा तक की एक मर्द पचास औरतों का निगरां होगा,
कयामत से पहले तीस बडे कज्जाब और दज्जाल पैदा होंगे हर एक नबुवत का दावा करेगा, हालांकि अल्लाह के रसूल जनाबे मुहम्मदु र्रसुलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम आखिरी नबी हैं आपके बाद कोई नबी नहीनही.?
ये तमाम तर पेशिनगोइयां पूरी हो चुकी हैं और इंशाअल्लाह 300 सौ सालों में ये इंतिहा उरुजे कमाल तक पहोंच जायेगी इस तरह कयामत की अलामतें सुगरा यानी कयामत की छोटी निशानियां पूरी होकर कयामत की अलामतें कुबरा, यानी कयामत की सबसे बड़ी निशानियों का सफर करेगी.??
कयामत की अलामतें कुबरा में सबसे बड़ी निशानी हजरत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का जहूर, बड़ी जंग, कुस्तुनतुनिया का फतह होना, दज्जाल का निकलना,हजरत ईसा अलैहिस्सलाम का बहुकमे खुदावंदी आसमान से नुजूल फरमाना, याजूज माजूज का निकलना, दाबतुल अर्द जमीन से एक अजीबो गरीब जानवर का निकलना, खाना ए काबा का एक काला हबसी छोटी पिंडली वाले के हाथों से गिराया जाना, सूरज का पश्चिम से निकलना, दरिया ए फुरात में सोने के पहाड़ का निकलना, वगैरह वगैरह शामिल है..?
इन तमाम तर जीजों का जहूर इमाम महदी के आने के बाद महज़ जालीस से पचास सालों में हो जायेगा..?
अल्लाह के रसुल ने फरमाया - बड़ी जंग, कुस्तुनतुनिया की फतह, और दज्जाल का निकलना
ये तीनो सात साल के अंदर होगा..?
तिर्मिजी शरीफ 2238, अबु दाऊद 4296,इब्ने माझा 4093,मुसनदे अहमद 12950,
मिश्कात 5425 हदीस नं!
फित्नए दज्जाल
ख्याल रहे आदम अलैहिस्सलाम से लेकर कयामत तक जो भी फितना बरपा हुआ या होगा उनमें सबसे बड़ा फितना दज्जाल का फितना होगा क्योंकि उसमें ईमान जाने का खतरा रहेगा, अल्लाह के रसूल ने फरमाया - आदम अलैहिस्सलाम की तखलीक से लेकर कयामत के कायम होने तक कोई ऐसा फितना नही जो दज्जाल के फितना से ज्यादा संगीन हो.?? मुसनदे अहमद हदीस नं 12972,
ये ऐसा फितना है की अल्लाह के रसूल अपनी उम्मत की तालीम के लिए खुद दज्जाल के फितना से पनाह मांगा करते थे.? बुखारी 832,
दज्जाल के निकलने के बारे में अल्लाह के रसूल फरमाते हैं - दज्जाल का जहूर उस वक्त होगा जब दीनी हालत कमजोर होगी, और इल्म उठ चुका होगा, दज्जाल जमीन में चालीस दिन घूमेगा, उनमें से एक दिन एक साल के बराबर, एक दिन एक महीने के बराबर, एक दिन एक हफ्ते के बराबर, और बाकी दिन आम दिनों के तरह होंगे, वोह एक ऐसे गधे पर सवार होगा जिसके दो कानों के दरमियान चालिस हाथ का फासला होगा, वोह लोगों से कहेगा कि मैं तुम्हारा रब हुं.? वोह काना होगा ,जबकि तुम्हारा रब काना नही, उसकी आंखों के दरमियान काफिर लिखा होगा, उस लफ्ज़ को हर पढा लिखा और अनपढ़ मोमिन पढ लेगा, वोह हर पानी और घाट यानी हर जगह पहुंचेगा, सिवाय मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनव्वरा के, अल्लाह ताआल़ा ने उन दोनों हरमों को दज्जाल के लिए हराम कर दिया है, उस दिन उन दोनों के दरवाजों पर फरिश्ते हिफाजत के लिए मामूर होंगे, दज्जाल के पास रोटी के पहाड़ होंगे, उसकी पैरवी करने वाले लोगों के अलावा बाकी तमाम मुसलमान सख्त फिक्र वा फाका की हालत में होंगे, उसके पास दो नहरें होगी, मैं उन दोनों को अच्छी तरह जानता हुं, वोह एक नहर को जन्नत और एक नहर को जहन्नम जाहिर करेगा, लेकिन वोह जिसे जन्नत कहेगा और उसमें जिसको दाखिल करेगा - वोह उसके लिए जहन्नम होगी, और वोह जिसे जहन्नम कहेगा और उसमें जिसको दाखिल करेगा वोह उसके लिए जन्नत होगी, अल्लाह ताआल़ा उसके साथ शैतान जिन्नात को भी भेजेगा, वोह लोगों के साथ हम कलाम होंगे, लोगों को आजमाइश में डालने के लिए उसके पास बहोत बड़ा फितना होगा, वोह आसमान को हुक्म देगा तो लोग देख रहे होंगे कि वोह बारिश बरसायेगा, और वोह आदमी को कत्ल करके उसे जिंदा भी करेगा, और लोग ये मंजर देख रहे होंगे, अल्बत्ता अल्लाह ताआल़ा उसे उसके अलावा किसी दूसरे आदमी को कत्ल करके जिंदा करने की ताकत नही देगा - (लोगों के ईमान की आजमाइश की बिना पर अल्लाह ताआल़ा उसे ताकत देगा ) वोह लोगों को गुमराह करते हुए कहेगा लोगों क्या अल्लाह के सिवा कोई भी ऐसे काम कर सकता है..? मुसलमान उन हालात में मुल्के शाम में वाकेअ पहाड़ दुखान की तरफ़ दौड़ जायेगें, लेकिन वोह भी उधर जाकर उनका मुहासरा करेगा, वोह लोग शदीद फिक्र वा फाका से दो चार हों जायेगे--फिर हजरत ईसा बिन मरियम अलैहिस्सलाम आसमान से उतरेंगे और सुबह के वक्त ये आवाज देंगे - लोगो क्या बात है तुम बदतरीन कज्जाब झूठे के मुकाबले के लिए क्युं नही निकलते.? पहले तो लोग समझेंगे कि ये किसी जिन्न की आवाज है, लेकिन जब जाकर देखेंगे तो वोह ईसा बिन मरियम अलैहिस्सलाम होंगे, इतने में नमाज की जमाअत खडी़ हो जायेगी, और उन से कहा जायेगा कि ऐ रुहुल्लाह आप आगे तशरीफ लायें और नमाज पढायें, लेकिन वोह फरमायेंगे तुम्हारा इमाम ही आगे आये और नमाज पढायें ( चुनांचे हजरत इमाम महदी अलैहिस्सलाम नमाज पढायेंगे और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम आपके पीछे फज्र की नमाज अदा करेंगे) फज्र की नमाज अदा करने के बाद दज्जाल की तरफ़ निकलेंगे, जब दज्जाल हजरत ईसा अलैहिस्सलाम को देखेगा तो वो पानी में घुल जाने वाले नमक की तरह घुलने लगेगा, बाज रिवायात में मोम की तरह पिघलने लगेगा, (अगर हजरत ईसा अलैहिस्सलाम दज्जाल को कत्ल नही करेंगे तो भी वोह मोम की तरह आपको देखकर पिघल जायेगा, मगर ईसा अलैहिस्सलाम दज्जाल को कत्ल कर देंगे और उसका खून लगा हुआ नेजा सबको दिखायेंगे कि जिसको तुम खुदा समझ रहे थे वोह कत्ल हो चुका
मुसनदे अहमद हदीस नं 13013
आखिरी बात
तहरीर काफी लंबी हो चुकी है मजीद तफसीलात बयान करने से कासिर हुं, आखिरी बात ये है कि सरकार आला हज़रत की तहकीक हक है इसमें कोई शक नही कि कयामत को 500 से 550 साल बाकी हैं युं समझ ले इस्लामी हिजरी सन् 2000 और
अंग्रेजी इसवी सन् 2500 सौ के करीब दुनिया का फना होना तय है,
दूसरी बात का ख्याल रहे कि सरकार आला हज़रत ने फरमाया है कि शायद 1837 हिजरी में कोई इस्लामी सलतनत बाकी ना रहेगी और 1900 हिजरी में इमाम महदी का जहूर होगा..???
शायद से मुराद ये है कि 1836 से 1839 और 1840 भी हो सकता है और इमाम महदी 1900 हिजरी से 10 बीस साल पहले या आखिर में, मसलन 1880 में भी जहूर फरमा सकते हैं और 1980 हिजरी भी हो सकता है इसलिए आपने शायद का जुमला फरमाया.?
तिसरी बात - हदीसे रसूल में है कि कयामत के करीब औरतों की कसरत होगी यंहा तक की पचास पचास औरतों की निगरानी करने वाला सिर्फ एक ही मर्द रह जायेगा,
इससे मुराद ये नही कि हर शख्स के पास पचास पचास औरतों की जिम्मेदारी हो जायेगी..??बल्कि मुराद ये है कि औरतों की कसरत बहोत ज्यादा हो जायेगी अगर औरतों की तादाद मर्दों पर सुमार किया जायेगा तो बहिसाब हर शख्स के पास 50 पचास औरतें निगरानी के लिए होंगी..?
और फिर कुछ लोग कयामत के करीब ऐसे भी होंगे जो यकीनन उनके ऊपर पचास पचास औरतों की जिम्मेदारी होगी..??
ख्याल रहे कयामत के मुतअल्लिक जो कुछ मैंने लिखा वो मुख्तसर है बहोत सारी हदीसें और कुराआन की आयतें लिखना बाकी है बस मुख्तसर अल्फाज में बताया हुं कि कयामत आ पहुंची है" जैसा कि अल्लाह ताआल़ा कुराआन की सूरे कमर की पहली ही आयत में फरमाता है - कयामत करीब आ पहुंची और चांद दो टुकड़े हो गया..?
बुखारी की हदीस में है कि अल्लाह के रसूल फरमाते हैं- तुम्हारा जमाना पिछली उम्मतों के मकाबिल ऐसा है जैसे अस्र से मगरिब तक का वक्त...?? हदीस नं 3459
इस हदीस से भी यही साबित है कि कयामत बिलकुल करीब है
मुसनदे अहमद में है कि अल्लाह के रसूल फरमाते हैं- मै क्युकर चैन लुं हंलाकि सूर वाले ने सूर अपने मुंह में ले लिया है, और कान लगाये माथा झुकाये हुए इंतजार कर रहा है कि कब सूर फूकने का हुक्म दे दिया जाये, लिहाजा वोह सूर फूंकेगा, सहाबा ए किराम ने अर्ज किया या रसुलुल्लाह हम उस वक्त क्या कहें, फरमाया कहो हमें काफी है अल्लाह और बेहतर काम बनाने वाला.?मुसनदे अहमद 13063 , वा अलमुस्तदरक
कयामत की हौलनाकियां और सूर का फूंका जाना
हजरत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के इंतकाल के कुछ अर्सा बाद हजरत ईसा अलैहिस्सलाम भी इंतकाल फरमायेंगे आपके इंतकाल के चालिस साल बाद कयामत कायम हो जायेगी,, ईसा अलैहिस्सलाम के इंतकाल के बाद एक हवा चलेगी जो मुसलमानों के बगलों से निकलेगी जिससे तमाम रूऐ जमीन के मुसलमान मर जायेंगे सिर्फ काफिर इस दुनिया में रह जायेंगे, फिर एक दिन सूरज पूरब से निकलने के बजाये पश्चिम से निकलेगा और तौबा का दरवाजा बंद कर दिया जायेगा उस वक्त किसी का ईमान लाना काम ना आयेगा जो उससे पहले ईमान ना लाया होगा, लोग अपने अपने कामों में मशगूल होंगे दस मुहर्रम और दिन जुमा का होगा कि आसमान से हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम सूर फूंकेगे, सूर इस जमीन से कई गुना बडी़ है जिसको हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम अपने हाथ में लिए हुए खड़े हैं,हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम का जिस्म कद कामत इस जमीन से कई गुना बड़ा है , मुसनदे अहमद में है कि सूर फुकंने वाले दो फरिश्ते जो दूसरे आसमान पर हैं इस कदर बडे़ हैं , उनमें से एक का सर मशरिक में है और उसके पांव मगरिब में हैं.? मुसनदे अहमद 13062,
सूर बिगूल की तरह एक चीज है जिसको हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से फूकेंगे, जब सूर फूंका जायेगा तो शुरु में सूर की आवाज बहोत धीमी होगी, मगर धीरे धीरे आवाज बढती जायेगी, लोग अपने काम धंधे छोड़कर घरों से बाहर निकलेंगे, इधर उधर देखेंगे आसमान की तरफ नजर उठाकर देखेंगे तो आसमान का दरवाजा खूला होगा, सूर की आवाज रूकेगी नही बढती जायेगी, बढती जायेगी हत्ता की लोग बेचेन होकर अपने कानों में उंगलियाँ डाल लेंगे, आवाज बढती जायेगी हत्ता की जमीन थर थर कांपने लगेगी, आवाज बढती जायेगी यंहा तक की जमीन में जबरदस्त भूचाल आयेगा तमाम जमीन टूट फूट जायेगी, आवाज बढती जायेगी यंहा तक की जमीन टुकड़े टुकड़े होकर बिखर जायेगी, आवाज बढती जायेगी यंहा तक की जमीन रेजा रेजा होकर हवा में घूमने लगेगी, आवाज बढती जायेगी यंहा तक की सितारे अपनी जगह छोड़ कर झड़ जायेंगे, चांद सूरज बेनूर हो जायेंगे, आवाज बढती जायेगी यंहा तक की सातों आसमान भी टूट फूट कर बिखर जायेंगे तमाम मखलूक चरिंद परिंद इंसान जिन्न हत्ता की सूर फूकने वाले फरिश्ते हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम और रुह कब्ज करने वाले फरिश्ते हजरत इजराइल अलैहिस्सलाम को भी मौत आयेगी कोई भी इस दुनिया में बाकी ना रहेगा सिवाय अल्लाह ताआल़ा के, जब सब जमीन और आसमान और तमाम मखलूक फना हो जायेगी तो अल्लाह ताआल़ा इंतेहा जलाल में फरमायेगा, कंहा गये दुनिया के बादशाह, कंहा गये जोर वा जुल्म दिखाने वाले, कंहा गये तकब्बुर और घंमड करने वाले, और फिर फरमायेगा आज किस की बादशाही है- और फिर खूद ही फरमायेगा आज सिर्फ अल्लाह ही की बादशाही है जो एक है.?
फिर ये दुनिया चालिस साल तक ऐसे ही पडी़ रहेगी कोई इस दुनिया में मौजूद ना होगा सिवाय अल्लाह ताआल़ा के फिर अल्लाह ताआल़ा दोबारा हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम को जिंदा फरमायेगा और उन्हें दोबारा सूर फूकने का हुक्म देगा, अबकी बार जब सूर फूंका जायेगा तो तमाम जमीन और आसमान फिर से बन जायेंगे तमाम फरिश्ते जिंदा हो जायेंगे, तमाम इंसान अपनी कब्रों और मरर गाहों से जिंदा होकर निकल पडेंगे, जमीन बिलकुल सपाट होगी एक भी इंसानी घर मौजूद ना होगा, फिर मैदाने महशर में तमाम इंसानों का हिसाब किताब लिया जायेगा, अल्लाह ताआल़ा फरमायेगा दुनिया में जो जिस की परस्तिश करता था उसके पीछे लग जाये, सिवाय अल्लाह ताआल़ा की इबादत करने वाले के सिवा सब जहन्नम में डाल दिए जायेंगे, जहन्नम के ऊपर पुलसिरात कायम किया जायेगा, तमाम अल्लाह की इबादत करने वालों का गुजर पुलसिरात से होगा, गुनेहगार मुसलमान को जहन्नम अपने अंदर खींच लेगी, फिर वो अपने गुनाह के बराबर जहन्नम में जलकर जन्नत में,पहुंचा दिये जायेंगे, काफिर जो दुनिया में अल्लाह की इबादत नही करते थे उनसे कहा जायेगा तुम्हारा यही ठिकाना है तुम लोग हमेशा इसी जहन्नम में रहोगे, जब सब मुसलमान यानी की अल्लाह की इबादत करने वाले गुनेहगार और नेकोकार जन्नत में पहोंच जायेंगे तो कबूतर की शक्ल में उनकी मौत उनके सामने लाई जायेगी और सब जन्नतियों के सामने उसे जब्ह कर दिया जायेगा, और जन्नतियों से कहा जायेगा ये तुम्हारी मौत थी जिसे काट दिया गया अब तुम्हे कभी मौत नहीं आयेगी, और जहन्नमी काफिरों के पास भी वही चीज दिखाकर काट दी जायेगी और कहा जायेगा ऐ जहन्नमियों ये तुम्हारी मौत थी जिसे काट दिया गया अब तुम्हे हमेशा यंही रहना है और तुम्हे कभी मौत नही आयेगी..???
मजीद मालूमात के लिए जन्नत के रूह परवर और उसके हालत नामी किताब को पढें।।।
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