Monday, November 2, 2020

पांच कलीमे और उनके तर्जुमा, मोबाइल से आयत मिटाना कैसा है 📳

↔ पांच कलीमे और उनके तर्जुमा, मोबाइल से आयत मिटाना कैसा है 📳

5 कलीमे और उनके तर्जुमा
_*1). पहला कलमा तय्यब: ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि*_

_*📝तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है.*_

_*2). दूसरा कलमा शहादत: अश-हदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु*_

_*📝तर्जुमा: मैं गवाही देता हु के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं. वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं. और मैं गवाही देता हु कि (हज़रत) मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।*_

_*3). तीसरा कलमा तमजीद: सुब्हानल्लाही वल् हम्दु लिल्लाहि वला इला-ह इलल्लाहु वल्लाहु अकबर, वला हौल वला कूव्-व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम*_

_*📝तर्जुमा: अल्लाह पाक है और सब तारीफें अल्लाह ही के लिए है और अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं. इबादत के लायक तो सिर्फ अल्लाह है और अल्लाह सबसे बड़ा है और किसी में न तो ताकत है न बल लेकिन ताकत और बल तो अल्लाह ही में है जो बहुत शान वाला और बड़ा है.*_

_*4). चौथा कलमा तौहीद: ला इलाह इल्लल्लाहु वह्-दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्क व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु व हु-व हय्युल-ला यमूतु अ-ब-दन अ-ब-दा जुल-जलालि वल इक् रामि वियदि-हिल खैर व हु-व अला कुल्लि शैइन क़दीर*_

_*📝तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं इबादत के लायक, वह एक है, उसका कोई साझीदार नहीं, सबकुछ उसी का है. और सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए है. वही जिलाता है और वही मारता है. और वोह जिन्दा है, उसे हरगिज़ कभी मौत नहीं आएगी. वोह बड़े जलाल और बुजुर्गी वाला है. अल्लाह के हाथ में हर तरह कि भलाई है और वोह हर चीज़ पर क़ादिर है.*_

_*5). पांचवाँ कलमा इस्तिग़फ़ार: अस्तग़-फिरुल्ला-ह रब्बी मिन कुल्लि जाम्बिन अज-नब-तुहु अ-म-द-न अव् ख-त-अन सिर्रन औ अलानियतंव् व अतूवु इलैहि मिनज-जम्बिल-लजी ला अ-अलमु इन्-न-क अन्-त अल्लामुल गुयूबी व् सत्तारुल उवूबि व् गफ्फा-रुज्जुनुबि वाला हो-ल वला कुव्-व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम*_

_*📝तर्जुमा: मै अपने परवरदिगार (अल्लाह) से अपने तमाम गुनाहो कि माफ़ी मांगता हुँ जो मैंने जान-बूझकर किये या भूल कर किये, छिप कर किये या खुल्लम खुल्ला किये और तौबा करता हु मैं उस गुनाह से, जो मैं जनता हु और उस गुनाह से जो मैं नहीं जानता. या अल्लाह बेशक़ तू गैब कि बाते जानने वाला और ऐबों को छिपाने वाला है और गुनाहो को बख्शने वाला है और (हम मे) गुनाहो से बचने और नेकी करने कि ताक़त नहीं अल्लाह के बगैर जो के बोहोत बुलंद वाला है.*_







📲 मोबाईल वालों के लिए नसीहत*_ ―――――――――――――――――――――
_*मोबाईल इस्तेमाल करने वालो के लिए एक नसीहत*_

_*एक अहले इल्म ने अल्लाह तआला की तरफ से उनको सुझाई हुई एक बेहतरीन बात तहरीर फरमाई है वो लिखते है -- क्या आप जानते है कि अल्लाह तआला ने हजरत सहाबा रजि अल्लाहु अनहुम अजमईन का इम्तिहान लिया था, जबकि वो हालत ए अहराम मे थे, हज व उमरा के अहराम की हालात मे शिकार मना है, इम्तिहान इस तरह हुआ के शिकार को इनके इतने करीब तक पहुँचा दिया के अगर उनमे से कोई असलहा के बगैर हाथ से शिकार पकड़ना चाहे तो पकड़ सके।*_

_*कुरान करीम मे है:*_

_*ऐ इमानवालो ! अल्लाह तआला तुम्हे शिकार के कुछ जानवरो के ज़रिए ज़रूर आज़मायेगा, जिनको तुम तुम्हारे नेज़ो और हाथ से पकड़ सकोगे, ताकि वो ये जान ले कि कौन है जो उसको देखे बगैर भी उससे डरता है, फिर जो शख्स उसके बाद भी हद से बढ़ जाएगा वो दर्दनाक सजा का मुस्तहिक़ होगा।*_

_*📕 सुरह मायदा 94*_

_*इस जमाने मे भी ऐसा ही इम्तिहान बकसरत पेश आ रहा है, अलबत्ता उसका अंदाज और तरीका अलग है। वो क्या है और कैसे है? आज से तकरीबन दस बीस साल पहले फहाश तस्वीरें और नाजायज़ विडियोज क्लिप्स वगैरह का मिलना काफी हद तक दुश्वार और मुश्किल हुआ करता था, लेकिन आजकल मोबाईल स्क्रीन या कम्प्यूटर के बटन को हलका सा टच करने से ये सारे मंजर आंखो के सामने आ जाते है, (अल्लाह पाक हमे इससे से बचाय आमीन)*_

*لیعلم اللہ من یاخافہ بالغیب*

_*📕अल्लाह तआला जानना चाहता है के कौन कौन अल्लाह तआला से गायबाना डरता है। तन्हाई मे अपने जिस्मानी हिस्से की खामोशी व बे ज़ुबानी से धोखे मे ना पड़ो, इसलिए के एक दिन उनके बोलने का भी आने वाला है। कुरान मेें है*_

_*आज हम उनके मुंह पर मुहर लगा देगे और उनके हाथ हम से बात करेगे और उनके पैर उनके करतूतो की गवाही देगे। अल्लाह तआला के इरशाद को फिर से ज़हनशीन कर लिजिये:*_

_*ऐ इमानवालो ! अल्लाह तुम्हे शिकार के कुछ जानवरो के ज़रिए ज़रूर आज़मायेगा, जिनको तुम तुम्हारे नेजो और हाथ से पकड़ सकोगे, ताकि वो ये जान ले कि कौन है जो उसे देखे बगैर भी उससे डरता है, फिर जो शख्स उसके बाद भी हद से बढ़ जाएगा वो दर्दनाक सजा का मुस्तहिक़ होगा। तनहाई का गुनाह ज्यादा खतरनाक है*_

_*एक बुजूर्ग फरमाते है*_

_*जब कोई आदमी गुनाह मे मुब्तिला हो, ठीक उसी वक्त हवा के झोंके से दरवाजे का परदा हिलने लगे और उसके हिलने से आदमी ये समझ कर डर जाए के कोई आ गया तो ये डरना उस गुनाह से बड़ा है जो वो कर रहा था क्योंकि ये शख्स मखलूक के देखने के अंदेशे से भी डरता है, जबकी अल्लाह तआला उसको यकीनन देख रहा है, फिर भी खौफ नही करता। कोई शख्स तस्वीर देखने मे मशगूल हो और दरवाजे पर कुछ आहट महसूस हो तो उसकी क्या कैफियत होती है? कलेजा मुहं को आ जाता है, सांस रूक जाती है, और धडकने तेज हो जाती है, फिर वो अपना कम्यूटर बंद करके दरवाजा खोलकर देखता है तो वहा बिल्ली होती है। ऐ मेरे भाईयो बहनो ! अल्लाह तआला उससे भी ज्यादा करीब है, उसका खौफ क्यो नही?*_

_*आदमी और उसके मोबाइल की नाजायज और गलत हरकतों के दरमियान "अल्लाह के ध्यान" की दीवार के सिवा कोई दूसरी चीज रूकावट नही।*_
_*अल्लामा शंकेती रहीमुल्लाह फरमाते है*_
_*"तमाम उलमा का इस बात पर इत्तेफाक है कि अल्लाह तआला ने अल्लाह के ध्यान से बढ़कर कोई वाज़ और उससे बड़ी कोई डराने वाली चीज जमीन पर नही उतारी, बस जिसने इस दीवार को ढा दिया उसने बड़ी जसारत का मुजाहिरा किया, और अल्लाह तआला को जसारत दिखाना बड़ी खतरनाक चीज है। किसी बुजुर्ग का फरमान है "जाहिर मे अल्लाह का दोस्त और बातिन मे अल्लाह का दुश्मन ना बनो,*_

_*अगर एक तरफ हम ये कहते है कि "इस जमाने मे पहले की निस्बत हराम कामो तक पहुंचना बहुत आसान हो गया है, वहीं हमे ये भी जान लेना चाहिए कि इस जमाने मे हराम को छोड़ने से जितना अल्लाह का कुर्ब हासिल होगा उतना और किसी चीज से हासिल नही होगा। तन्हाई और खलवत के गुनाह से बचो, खासकर घरवालो की गैर मौजूदगी मे मोबाईल, कम्प्यूटर और टीवी के गुनाहों से*_

_*इसलिए के तन्हाई के गुनाह ईमान के रास्ते से डगमगा देते है, और साबित कदमी को नुकसान पहुंचता है, तन्हाई की इबादत को लाजिम पकड़ो, तुम इससे अपने नफ्स को शहवत की पकड़ मे आने से बचा सकोगे। अगर तुम जिंदगी की आखिरी सांस तक इमान पर जमा रहना चाहते हो तो खलवत मे अल्लाह के ध्यान को लाजिम पकड़ो।*_

_*इब्ने कय्यूम रहीमुल्लाह फरमाते है*_
_*खलवत के गुनाह राहे हक से हटा देते है और इबादत से साबित कदमी नसीब होती है।*_
_*बंदा अपनी तन्हाई को जितना ज़्यादा पाकीज़ा रखेगा, अल्लाह तआला कब्र मे उसकी तन्हाई को उसी कदर आबाद रखेगा।*_
_*रहा मामला कयामत के दिन का तो सुनो- " हजरत सोबान रजि अल्लाहु अन्हु फरमाते है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया,*_
_*"मैं अपनी उम्मत के कुछ लोगो को अच्छी तरह जानता हूं, जो कयामत के दिन मक्का के पहाड़ जैसी नेकिया लेकर आएंगे, लेकिन अल्लाह तआला उन सारी नेकियो को मिटा देगा,*_

_*हजरत सोबान रजि अल्लाहु अन्हु ने अर्ज किया, ऐ अल्लाह के रसूल ! उनके कुछ औसाफ व अलामत हमे बता दीजिए,*_
_कही ऐसा ना हो कि बेखबरी मे हम भी उन्ही मे से हो जाएं,_
_*हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया सुनो, वो तुम्हारे ही भाई होंगे, तुम्हारी जिन्स और नस्ल के होगे, वो तुम्हारी ही तरह रात की नेकियो को हासिल करेंगे, लेकिन जब अल्लाह की हराम की हुई चीजो के साथ खलवत और तन्हाई को पाएंगे तो सारी हद तोड़ कर रख देगे।*_

_*📕 इब्ने माजा*_

_*मोबाइल एक बेंक लाकर की तरह है मोबाइल फोन एक संदूक है, इनमे नेकिया जमा करो या बुराईया। आप इसमे जो भी डालेगे, कल कयामत के दिन अपने नामा आमाल मे मौजूद पाएंगे।*_

_*🤲🏻ऐ अल्लाह ! हमारे दिलों मे अपना ऐसा डर अता फरमा जो हमारे और तेरी नाफरमानीयो के बीच हाईल हो जाए। आमीन या रब*_
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_*जो लोग कहते हैं कुरआन की आयात Mobile से Dalete करना कयामत की निशानी है उनके लिए मुख्तसर सा जवाब*_ ―――――――――――――――――――――
_*दोस्तों अमल का दारोमदार नीयत पर है.*_

_*📕 सही बुखारी हदीस नं• 5070*_

_*अगर आप कोई आयात या दीनी मैसेज डिलीट करें तो आपकी नीयत गलत नहीं होनी चाहिऐ*_

                           _*पहली वजह*_

_*दोस्तों कलाम-ए-पाक को ना बदला जा सकता है ना मिटाया जा सकता है, क्योंकि इसकी हिफ़ाजत की जिम्मेदारी खुद अल्लाह ने अपने जिम्मे ली है*_
   
_*📕 सूर: हिज्र 9 पारा 14*_

                           _*दूसरी वजह*_

_*जब हमको मदरसे मे पढ़ाया जाता है तो ब्लैक बोर्ड पर कुरआन की आयतों को लिख कर समझाया जाता है फिर दूसरी आयत लिखने के लिऐ पहली आयत को मिटाया जाता है*_

_*इस हिसाब से मदरसो मे भी लिखना मिटाना होता है*_
_*तो क्या मदरसे भी बन्द कर देने चाहिए*_

                          _*तीसरी वजह*_

_*जब किसी मुसलमान के घर मे कलाम-ए-पाक पुराना जईफ़ ख़स्ता हाल मे होतो आप उसको नदी या कुएँ मे बहाते हैं*_
_*तब तो हम इस तरह भी कलाम-ए-पाक को मिटा रहे हैं*_

                          _*चौथी वजह*_

_*कुछ लोग कहते है कि हर मोबाइल पाक नही होता अच्छी बुरी हर तरह की चीज़ें मोबाइल में रहती हैं इसलिए कुरआन की आयातों को मोबाइल में नहीं रखना चाहिए*_

_*बेशक ये सही बात है मगर यही मसला तो हमारी ज़बान का भी है अपनी ज़बान से हम झूठ ग़ीबत चुगली गाली गलौंच करते है और उसी ज़बान से कुरआन-ए-पाक की तिलावत भी करते हैं*_

_*तो क्या ऐसी हालत मे अपनी गन्दी ज़बान कटवा दें या कुरआन की तिलावत अपनी ज़बान से ना करें दोस्तों ऐसा कहना बेवकूफ़ी है*_

_*भाईयो कुरआन की आयातों को मिटाने का मतलब ये नही कि तुम अपने हाथों से कुरआन लिखोगे और मिटाओगे*_

_*बल्कि कुरआन की आयातों को मिटाने का मतलब ये है कि तुम कुरआन को पढ़ोगे नही या पढ़ोगे भी तो उसपर अमल नही करोगे*_

_*अल्लाह हम सभी मुसलमान भाईयों को सही समझ अता फरमाऐ और सही गलत की पहचान करने की तौफ़ीक अता फरमाऐ*_
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🅱️ बहारे शरीअत ( हिस्सा- 03 )🅱️

_____________________________________   _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 089)*_ ―――――――――――――――――――――             _*🕌नमाज़ पढ़ने का तरीक...