*_अपने हाथों अपनी बर्बादी_*
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*_जब एक बच्चा होश की मंजील को छुता है, तो वह अपने घर (TV और मोबाईल) के जरीए वह सब कुछ देखता और जान लेता है जो इस उम्र मे नही जानना चाहीये! जब होश संभीलते ही एक मर्द और औरत के बीच के खास तअल्लुकात को देखता है तो उसमे भी फितरी तौर पर वही सब कुछ करने की ख्हाहिश पैदा होने लगती है! फिर यह ख्वाहिश तरक्की करके उम्र के साथ साथ ज्यादा बढती जाती है! और वह खुद को उम्र से पहले ही जवान समझने लगता है! मुसीबत बालाए मुसीबत की स्कुल, कॉलेज, बाजार और सडको पर फैशन की नुमाईश उसको जज्ब ए शहवत को जुनुन की हद तक पहुंताने मे आग पर पेट्रोल का काम करती है! और जब वह इस नफ्सानी ख्वहिश को पुरा करने के असबाब नही पाता है तो, (वह गलत तरीको का इस्तेमाल करने लगता है!) जब भी वह तन्हा होता है, तो यह जिंसी ख्वाहिश उसे परेशान करने लगती है! फिर वह तस्कीन के लिये अपने ही हाथो अपनी कुव्वत को बर्बाद करके मजा हासील करने की बुरी आदत मे मुब्तीला हो जाता है!_*
*_हाथो की यह हरकत (उज्वे तनासुल) को कमजोर बना देती है! और ऐसा शख्स इस करतुत के सबब औरत के काबील नहीं रहता!_*
*_📌याद रखीये यह वह किमती खजाना है जो खुन से बनता है, और खुन भी वह जो तमाम बदन को गिजा पहुंचाने के बाद बचा, बस अगर इस मनी के खजाने को इस तेजी के साथ बर्बाद किया गया तो दिल कमजोर होंगा! और दिल पर तमाम इंसानी जिस्म का दारोमदार है! जिस्म को खुन नही पहुंचा यानी यह आदत इस हद तक पहुंच चुकी के खुन बनने भी न पाया था की निकालने की नौबत आ गयी तो जिगर का काम खराब हुआ!_*
*_एक तजरूबेकार डॉक्टर ने अपनी तहकीक मे लिखा है.._*
*_"एक हजार तपेदीक (TB) के मरीजो को देखने के बाद साबीत हुआ की एक सौ छियास्सी (186) मरीज औरतो से ज्यादा सोहबत करने की वजह से इस मर्ज मे मुब्तला है! और चार सौ चौदह (414) सिर्फ अपने हाथो अपनी कुव्वत को बर्बाद करने की वजह से और बाकी दुसरे मरीजो की बिमारी की वजह दुसरी थी! हमने एक सौ चौबीस (124) पागलो का मुआयना किया, उनके मुआयना करने से मालुम हुआ की उनमे चौबीस (24) सिर्फ अपने हाथो अपनी कुव्वत को बर्बाद करने की वजह से पागल हुए है, और बाकी एक (100) सौ पागल दुसरी वुजुहात से!"_*
*_📕 जवानी की हिफाजत अज मौलाना शाह मुहम्मद अब्दुल हलीम अलैहिर्रहमा सफा नं. 67_*
*_इंसानी दौलत का अनमोल खजाना अगर इंसानी जिस्म की संदुक मे चंद दिनो तक अमानत रहे, तो दुबारा खुन मे जज्ब होकर खुन को कुव्वत देने वाला, सेहत को दुरुस्त और बदन को मजबुत बनाने वाला, रुआब और हुस्न व जमाल को बढाने वाला और कव्वत ए बाह मे चार चॉंद लगाने वाला साबीत होंगा! दिमाग की तेजी तरक्की पाएंगी, याद दाश्त तेज होंगी, ऑंखो मे सुर्खी दौडेंगी, हिम्मत और बुलंद हौसला की सर बुलंदी इस दौलत मे इजाफा की अलामत होंगी! कुछ हकीमो ने कहा है.._*
*_"जिसे हद से ज्यादा दुबला, और कमजोर, वहशीयाना (डरावनी) शक्ल व सुरत का पाओ, जिसकी ऑंखो मे गढे पड गये हो, ऑंखो की पुतलियॉं फैल गई हो, हद से ज्यादा शर्मीला हो, तन्हाई पसंद करता हो, उसके बारे मे यकीन करलो की उसने अपने हाथो खुन (अपने हाथो खुद को बर्बाद किया है) बहाया है!"_*
*_💫आज लोगो से छिपकर यह बुराई कर रहे हो, माना की तुम्हारी इस बुरी हरकतो को किसी ने नहीं देखा! लेकीन यह तो सोचो की जाहीर व बातीन का जानने वाला अल्लाह तआला तुम्हारे इस करतुत को देख रहा है! अल्लाह तआला ने जिना की सजा बताई अगर यह सजा जिनाकार दुनियॉ मे पा जाए तो आखीरत के अजाब से बच जाए! लेकीन अपने हाथो इस अनमोल खजाने को बर्बाद करना सख्त गुनाह है!_*
*_📍अगर खुदा न ख्वास्ता कोई नसीब का दुश्मन इस बुरी आदत का शिकार हो तो उसे दर्दमंदाना मशवरा है की, खुदारा इश्तेहारी दवाओ की तरफ न जाए! पहले सच्चे दिल से तौबा करे! और किसी अच्छे तजरुबेकार, तालीम याफ्ता हकीम या डॉक्टर के पास जाए, और बगैर किसी शर्म व झिजक के उसे पुरी बात बताए! जब तक वह कहे बाकायदा पुरे परहेज के साथ उसके इलाज पर अमल करे!_*
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पूरी जि़न्दगी के मसाइल का हल सिर्फ एक हदीसे पाक मे ...
एक अरबी हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम के दरबार मे हाजिर हुआ और अ़र्ज किया या रसूलल्लाह!
मै कुछ पूछना चहता हूँ! सरकार ने फरमाया कहो!
अर्ज किया; मै अमीर बनना चाहता हूँ
फरमाया; क़नाअत इखि्तयार करो अमीर हो जाओगे!
अर्ज किया; मै सबसे बडा आलिम बनना चाहता हूँ!
फरमाया; त़कवा इखितयार करो आलिम बन जाओगे!
अर्ज किया; इज्ज़त वाला बनना चाहता हूँ!
फरमाया; मख़लू़क के सामने हाथ फैलाना बन्द कर दो!
अर्ज किया; अच्छा आदमी बनना चाहता हूँ!
फरमाया; लोगों को फायदा पहुंचाओ!
अर्ज किया;आदिल बनना चाहता हूँ!
फरमाया; जिसे अपने लिये अच्छा समझते हो वही दूसरो के लिये पसंद करो!
अर्ज किया; ताक़तवर बनना चाहता हूँ!
फरमाया; अल्लाह पर तवक्कुल (भरोसा) करो!
अर्ज किया;अल्लाह के दरबार मे खास दर्जा चाहता हूँ!
फरमाया; कसरत से जिके् इलाही करो!
अर्ज किया; रिज्क़ मे कुशादगी चाहता हूँ!
फरमाया; हमेशा बावजू रहो!
अर्ज किया; दुआओ की क़बुलियत चाहता हूँ!
फरमाया; हराम न खाओ!
अर्ज किया; ईमान की तकमील चाहता हूँ!
फरमाया; अख्लाक अच्छे कर लो!
अर्ज किया; क़यामत के दिन अल्लाह से गुनाहो से पाक होकर मिलना चाहता हूँ!
फरमाया; ज़नाबत के फौरन बाद गुस्ल किया करो!
अर्ज किया; गुनाहो मे कमी चाहता हूँ!
फरमाया; कसरत से तौबा करो!
अर्ज किया; क़यामत के रोज नूर मे उठना चाहता हूँ!
फरमाया; जु़ल्म करना छोड दो!
अर्ज किया; मै चाहता हूँ! किअल्लाह मेरी पर्दापोशी करे!
फरमाया लोगों की पर्दापोशी करो!
अर्ज किया; रूस्वाई से बचना चाहता हूँ!
फरमाया; जि़ना से बचो!
अर्ज किया; चाहता हूँ अल्लाह और उसके रसूल का महबूब बन जाऊ!
फरमाया; जो अल्लाह और उसके रसूल का महबूब हो, उसे अपना महबूब बना लो!
अर्ज किया; अल्लाह का फरमाबरदार बनना चाहता हूँ!
फरमाया; फ़राइज़ का एहतिमाम करो!
अर्ज किया; एहसान करने वाला बनना चाहता हूँ!
फरमाया; अल्लाह की यूँ बन्दगी करो जैसे तुम उसे या वह तुम्हें देख रहा हो!
अर्ज किया; या रसूलल्लाह क्या चीज गुनाहो से माफी दिलायेगी!
फरमाया; अाँसू , आजिजी़ और बीमारी!
अर्ज किया; क्या चीज़ दोज़ख़ की अाग को ठन्डा करेगी!
फरमाया;दुनिया की मुसीबतो पर सर्ब!
अर्ज किया; अल्लाह के गुस्से को क्या चीज़ ठन्डा करेगी!
फरमाया; चुपके-चुपके सदक़ा और सिला रहमी!
अर्ज किया; सबसे बडी बुराई क्या है!
फरमाया; बुरे अख़लाक़ और बुख्ल(कंजुसी!)
अर्ज किया; सबसे बडी अच्छाई क्या है!
फरमाया; अच्छे अख़लाक़,तवज्जोह अौर सर्ब!
अर्ज किया; अल्लाह के गज़ब से बचना चाहता हूँ!
फरमाया; लोगों पर गुस्सा करना छोड दो!---------
इस हदीसे पाक के जरिये कुल मखलूक की मगफिरत फरमा!
व मेरे वालिदेन की सेहत अता फरमा उन के मेरे गुनाहो को बख्श दे!
अमीन सुम्मा अामीन..
जब तक यह हदीस फेलती रहे!
हमारी मगफिरत के दरवाजे खुलते रहेंगे।।।
*दय्यूस_का_हुक्म*
*दय्यूस यानि औरतों का दलाल,औरत की दलाली सिर्फ यही नहीं है कि कोठों पर बैठने वाली औरतों की दलाली की जाये बल्कि औरत का दलाल वो भी है जिसे आज कल बड़ी आसानी से देखा जा सकता है कि अपनी बीवी बहन और घर की औरतों को सजा संवारकर बाज़ार में होटलों में पार्कों में दावतों में बेपर्दा लेकर लोग घूम रहे हैं ताकि गैर मर्द उनकी औरतों की खूबसूरती देखें और तारीफ करें,अगर ये औरत की दलाली नहीं है तो फिर औरत की दलाली किसे कहते हैं क्योंकि यही काम तो वो दलाल भी करते हैं बस फर्क इतना होता है कि वहां मर्दों को औरत के पास भेजा भी जाता है और यहां ये मॉडर्न दलाल अपनी घर की औरतों को ग़ैरों के पास भेजते नहीं बल्कि उनको सिर्फ दिखाकर ही तसल्ली करा देते हैं बात कड़वी ज़रूर है मगर सच्ची है,ऐसे मर्द और ऐसी औरतें सिर्फ और सिर्फ दुनिया में लाअनत के और आखिरत में जहन्नम के हक़दार हैं,कुछ हदीसें पेश करत हूं अगर ऐसे मर्दों में ग़ैरत अब तक ज़िंदा हो तो अमल करें वरना अगर ग़ैरत मर चुकी है तब तो वो खुद ही मुर्दा हैं और मुर्दे से अमल की क्या उम्मीद रखी जाये*
*हदीस* - अजनबी औरत को शहवत से देखने वालों की आंख क़यामत के दिन आग से भर दी जायेगी
📕 हिदाया,जिल्द 4,सफह 424
*हदीस* - जो गैर औरत और मर्द एक दूसरे को देखें तो दोनों पर अल्लाह की लाअनत है
📕 मिश्कात,सफह 270
*हदीस* - पारसा औरतों का बाज़ारू औरतों से भी पर्दा करना वाजिब है क्योंकि वो उसका हुलिया ज़रूर ज़रूर मर्दों में बतायेंगी लिहाज़ा उनसे भी पर्दा करने का हुक्म है
📕 अबु दाऊद,सफह 292
*सोचिये जब औरत को औरत से पर्दा करने का हुक्म दिया जा रहा है तो मर्दों से क्या कुछ हुक्म ना होगा,और यहां तो हाल ही बुरा है पहले तो औरत पर्दा ही नहीं करना चाहती है और कुछ करती हैं तो अल्लाह की पनाह कि शायद उन्होंने ये समझ लिया है कि पर्दा कपड़े का करना है क्योंकि पूरा जिस्म अगर ढक भी लिया तो चेहरा सब का खुला है फिर तौबा तौबा नक़ाब भी वो पहना जाता है कि पूरे जिस्म की बनावट ऊपर से ही मालूम हो जाती है और नक़ाब भी ऐसा कि कम से कम उन्हें नहीं तो नक़ाब तो लोग देखें ही,और अगर कोई अल्लाह की बन्दी सही पर्दा करना चाहती भी है तो ये मॉडर्न दलाल उसे मॉडर्निटी के नाम पर पर्दा नहीं करने देते,अब दय्यूस का हुक्म सुनिये*
*हदीस* - हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि दय्यूस जन्नत में नहीं जायेगा
📕 निसाई,जिल्द 1,सफह 327
*फुक़्हा* - बाज़ औरतें गैर मर्दों से चूड़ियां पहनती हैं मेंहदी लगवाती हैं ये हराम हराम हराम है,गैर को हाथ दिखाना हराम उसके हाथ में हाथ देना हराम और घर के जो मर्द इस पर राज़ी हों तो वो दय्यूस हैं यानि औरतों के दलाल हैं
📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 208
*फुक़्हा* - औरतों का ग़ैर मर्द के सामने सर खोलना भी हराम है और जो ऐसा करे वो फासिक़ा है अगर मर्द उसे ऐसा करने से मना नहीं करता तो वो भी फासिक़ है ऐसे को इमाम बनाना हराम उसके पीछे नमाज़ पढ़ना नाजायज़ और पढ़ली तो दोहराना वाजिब और अगर मना करता है और औरत नहीं मानती तो मर्द पर कोई इल्ज़ाम नहीं
📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 188/193
*याद रखें कि घर का मुखिया यानि हाकिम यानि सरदार अगर चे खुद नेक भी हो तब भी क़यामत के दिन उस वक़्त तक छुटकारा नहीं मिलेगा जब तक कि अपने पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी का हिसाब ना देदे कि सबको इस्लामी तहज़ीब और अमल की दावत देता था या नहीं तो जब नेकोकार का हाल ये होगा तो जो खुद भी बुरे हों और अपने घर वालों से बुराई दूर भी ना करते हों तो वो किस तरह वहां निजात पायेंगे,लिहाज़ा अपने हाल पर रहम खायें और मुसलमान हैं तो मुसलमान जैसा अमल करें ग़ैरों की तरह नहीं*
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